• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • सौभाग्य भरे क्षणों को तिरस्कृत न करें
    • स्वल्प साधन—कठिन मार्ग
    • सबसे बड़ी उपासना
    • आदर्श विहीन प्रगति हमारा सर्वनाश करके ही छोड़ेंगी
    • Quotation
    • रीति शक्ति का उपयोग और दीर्घ जीवन
    • Quotation
    • भीतरी का खोखलापन और सड़ी जडे
    • Quotation
    • सौंदर्य की कुँजी अपनी हाथ में है
    • और नारी में कोई छोटा बड़ा नहीं
    • VigyapanSuchana
    • काम प्रवृत्तियों का नियंत्रण परिष्कृत अन्तः चेतना से
    • संपत्तियां ही नहीं, विभूतियाँ भी कमायें
    • सत्यवादन घाटे का सौदा नहीं
    • Quotation
    • बड़े कार्य करें
    • पेट और अन्न एक दूसरे को कैसे आत्मसात् करते हैं
    • Quotation
    • सन्त एकनाथ (kahani)
    • भक्तों की दरिद्रता
    • Quotation
    • हृदय रोगों का कारण और निवारण
    • योग और उसकी उपयोगिता
    • रोग के साथ रोगी को भी मार डालना उचित न होगा
    • पीछे की ओर नहीं आगे की ओर देखकर चलें
    • बाहर खोजें या अन्दर तथ्य एक ही है
    • महामना मालवीय जी (kahani)
    • VigyapanSuchana
    • गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थरत्न
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • सौभाग्य भरे क्षणों को तिरस्कृत न करें
    • स्वल्प साधन—कठिन मार्ग
    • सबसे बड़ी उपासना
    • आदर्श विहीन प्रगति हमारा सर्वनाश करके ही छोड़ेंगी
    • Quotation
    • रीति शक्ति का उपयोग और दीर्घ जीवन
    • Quotation
    • भीतरी का खोखलापन और सड़ी जडे
    • Quotation
    • सौंदर्य की कुँजी अपनी हाथ में है
    • और नारी में कोई छोटा बड़ा नहीं
    • VigyapanSuchana
    • काम प्रवृत्तियों का नियंत्रण परिष्कृत अन्तः चेतना से
    • संपत्तियां ही नहीं, विभूतियाँ भी कमायें
    • सत्यवादन घाटे का सौदा नहीं
    • Quotation
    • बड़े कार्य करें
    • पेट और अन्न एक दूसरे को कैसे आत्मसात् करते हैं
    • Quotation
    • सन्त एकनाथ (kahani)
    • भक्तों की दरिद्रता
    • Quotation
    • हृदय रोगों का कारण और निवारण
    • योग और उसकी उपयोगिता
    • रोग के साथ रोगी को भी मार डालना उचित न होगा
    • पीछे की ओर नहीं आगे की ओर देखकर चलें
    • बाहर खोजें या अन्दर तथ्य एक ही है
    • महामना मालवीय जी (kahani)
    • VigyapanSuchana
    • गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थरत्न
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1974 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


पीछे की ओर नहीं आगे की ओर देखकर चलें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 25 27 Last
पुराने जमाने से जो चला आ रहा है—पुराने लोगों ने जो कहा है, वही ठीक है। ऐसी मान्यता मानवी प्रगति की पवित्र धारा के अवरुद्ध करने के समान है। हमारे पूर्वजों ने जो कहा हैं, सोचा और माना था वह उससे भिन्न था जो उनके पूर्वज जानते—मानते और करते रहे थे। यदि ऐसा न होता तो हम आदिम सभ्यता से एक कदम भी आगे न बढ़ पाते। पत्थर रगड़ कर अग्नि पैदा करने और पशु−चर्म के परिधान लपेटने की आदिम उपलब्धि में वस्तुतः उस युग की क्रान्तिकारी उपलब्धि थी क्योंकि इससे भी पहले वाले आदिम लोग आग और परिधान का भी आविष्कार नहीं कर सके थे उन्हें पशु−पक्षियों की तरह विहंग रहकर जहाँ−तहाँ में से आहार प्राप्त करने के लिए भ्रमण करना पड़ता था और निर्वाह के साधन प्राप्त करने के लिए प्राणों को हथेली पर रखकर संघर्षरत रहना पड़ता था।

हम क्रमशः आगे बढ़े हैं। पूर्वजों के अनुभवों और प्रयासों से लाभ उठा कर आगे अधिक सुविधा के साधन प्राप्त करने का प्रयास सृष्टि के आदि से लेकर अब तक अनवरत रूप से चला है। ज्ञान की अगणित धाराएँ इसी प्रकार आये बढ़ी हैं। भाषा और लिपि का वर्तमान रूप न तो एक व्यक्ति ने बनाया है और न एक समय में विनिर्मित हुआ है। पीढ़ियों के बाद पीढ़ियाँ उस उपलब्धि को क्रमशः अधिक विकसित परिष्कृत करती रही हैं और हम वहाँ पहुँच पाये हैं जहाँ आज हैं। आगे इस दिशा में और भी प्रगति होने जा रही है। अग्रगमन की यह धार कभी भी अवरुद्ध होने वाली नहीं है। अपूर्णता से पूर्णता की ओर जाने वाले अत्यन्त विस्तृत मार्ग पर हम काफी दूरी पार कर चुके पर जो शेष है उसकी तो कल्पना कर सकना भी अपनी तुच्छ बुद्धि के लिए सम्भव नहीं।

जो पूर्व काल में कहा गया था वही पूर्ण सत्य है। उससे आगे कुछ सोचने, ढूंढ़ने की आवश्यकता नहीं इस प्रकार की बौद्धिक जड़ता को अपनाकर हम महान् सत्य को तुच्छता के सीमा बन्धनों में जकड़ने का प्रयत्न करते हैं। यह सत्य का अपमान है। हमें बौद्धिक जड़ता में अवरुद्ध नहीं होना चाहिए। प्रगति के उस प्रवाह को कुण्ठित नहीं करना चाहिए जिसके साथ बहते हुए वर्तमान स्थिति तक पहुँचना सम्भव हुआ है और भविष्य में जिस अवलम्बन को अपनाये रहकर हम क्रमशः सत्य के अधिकाधिक निकट पहुँच पा सकते हैं। पूर्णता की ओर प्रगति के लिए सत्य की शोध करने में उत्साह बना रहना आवश्यक है।

यह संसार परिवर्तनशील है। यह सब कुछ बदल रहा है। आगे बढ़ने के लिए पीछे वाले पैरों को उठाया जाना जरूरी है। बचपन, जवानी, बुढ़ापा और मृत्यु की शृंखला ही इस संसार को सुन्दर, स्वच्छ और गतिशील बनाये हुए है। जड़ता से तो अगति की कुरूपता ही उत्पन्न होगी।

सामाजिक ढर्रे जब बहुत पुराने हो जाते हैं तब उनमें जीर्णता और कुरूपता उत्पन्न होना स्वाभाविक है। किसी समय का कोमल बालक कभी जराजीर्ण रुग्ण और अर्धमृत बन जाता है। बच्चे से जो आशा की जाती थी वह वृद्ध से नहीं की जा सकती। सामाजिक ढर्रे जब बने होंगे तब वे भी पुरातन की तुलना में अत्यन्त क्राँतिकारी लगते होंगे, पर आज तो वे भी पुराने हो गये यदि वे अपनी उपयोगिता खो बैठें तो, इसमें कुछ आश्चर्य करने की बात नहीं है।

हमें दुराग्रही नहीं होना चाहिए। पीछे मुड़−मुड़कर देखने से क्या काम चलेगा। चलना तो आगे है इसलिए दृष्टि आगे की ओर ही रखें। वर्तमान और भविष्य का ताल−मेल मिलाते हुए सोचें। जो उचित है उसे विवेक के आधार पर निर्णय करें। पुरातन के साथ संगति मिलाकर चलना समय की गतिशीलता को अवरुद्ध करने की बात सोचने जैसा उपहासास्पद है।

First 25 27 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • सौभाग्य भरे क्षणों को तिरस्कृत न करें
  • स्वल्प साधन—कठिन मार्ग
  • सबसे बड़ी उपासना
  • आदर्श विहीन प्रगति हमारा सर्वनाश करके ही छोड़ेंगी
  • Quotation
  • रीति शक्ति का उपयोग और दीर्घ जीवन
  • Quotation
  • भीतरी का खोखलापन और सड़ी जडे
  • Quotation
  • सौंदर्य की कुँजी अपनी हाथ में है
  • और नारी में कोई छोटा बड़ा नहीं
  • VigyapanSuchana
  • काम प्रवृत्तियों का नियंत्रण परिष्कृत अन्तः चेतना से
  • संपत्तियां ही नहीं, विभूतियाँ भी कमायें
  • सत्यवादन घाटे का सौदा नहीं
  • Quotation
  • बड़े कार्य करें
  • पेट और अन्न एक दूसरे को कैसे आत्मसात् करते हैं
  • Quotation
  • सन्त एकनाथ (kahani)
  • भक्तों की दरिद्रता
  • Quotation
  • हृदय रोगों का कारण और निवारण
  • योग और उसकी उपयोगिता
  • रोग के साथ रोगी को भी मार डालना उचित न होगा
  • पीछे की ओर नहीं आगे की ओर देखकर चलें
  • बाहर खोजें या अन्दर तथ्य एक ही है
  • महामना मालवीय जी (kahani)
  • VigyapanSuchana
  • गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थरत्न
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj