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Magazine - Year 1985 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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प्रेतों का अस्तित्व और स्वभाव

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First 39 41 Last
हेलेन जैकब की गणना अमेरिका के मूर्धन्य साहित्यकारों में होती है। एक बार एक प्रवास के दौरान उन्हें चार महीने एक ऐसे मकान में गुजारने पड़े, जो भुतहा था। भूत के उपद्रवों और कारिस्तानियों का विस्तृत वर्णन इनने अपनी पुस्तक में किया है, यहाँ उसका सार संक्षेप प्रस्तुत है−

जिस मकान की चर्चा लेखक ने अपनी पुस्तक में की है वह नया−नया बनकर तैयार ही हुआ था। मध्यम आकार की वह एक दो मंजिली इमारत थी और पुराने मकानों से अलग कुछ दूरी पर बनी थी। लेखक को उस क्षेत्र में यही एकमात्र खाली मकान मिला, अस्तु पत्नी सहित उसी में ठहर गये। दिन में कोई असामान्य बात नहीं हुई। रात जैकब की पत्नी हेलेन ऊपरी तल के बैडरूम में लेटी हुई थीं। जैकब स्वयं अध्ययन कक्ष में लेखन कार्य में व्यस्त थे। गर्मी के दिन थे, अतः सारी खिड़की, दरवाजे खुले पड़े थे। तभी थोड़ी देर में बगल वाले कमरे से हेलेन की आवाज आयी। वह पूछ रही थी कि क्या यह थपकी की आवाज आपने की है? जैकब ने समझा कि शायद टेबल पर कलम से कोई ध्वनि उत्पन्न हुई हो, उसी के बारे में हेलेन पूछ नहीं हैं, अतः उसने पुनः उस प्रकार की ध्वनि उत्पन्न की, किन्तु हेलेन ने कहा कि उसने जो ध्वनि सुनी वह इससे भिन्न थी। वह ऐसी थी जैसी कोई सामने के ईंट बिछी रास्ते को किसी पतली छड़ी से ठोक रहा हो। जैकब ने इसे गम्भीरतापूर्वक नहीं लिया और हेलेन का स्वप्न अथवा भ्रम समझकर टाल दिया। इसके बाद फिर कोई असामान्य नहीं घटा।

दूसरी रात लेखक और उसकी पत्नी निचले तल पर थीं। रात के करीब दस बजे फिर वही ईंट बिछे रास्ते पर छड़ी से ठोकने की ध्वनि उत्पन्न हुई। लेखक और उसकी पत्नी टार्च लेकर तुरन्त बाहर निकले, पर बाहर बिलकुल सुनसान था। देर तक खोजबीन के बावजूद भी किसी व्यक्ति अथवा पशु की उपस्थिति ज्ञात नहीं हो सकी। उस दिन के बाद से वह घटना बिल्कुल आम बात हो गई और सैकड़ों बार घटी होगी। हर बार रहस्य का पता लगाने की कोशिश की गई, पर हमेशा असफलता ही हाथ लगी।

इस घटना के अतिरिक्त बीच-बीच में अन्य घटनाएं भी घटती रहीं, यथा एक रात लेखक रोशनी बुझाकर बिस्तर पर लेटा ही था कि जमीन पर माचिस की तीलियाँ डिब्बे सहित गिरने की आवाज आयी। जैकब अविलम्ब उठे, रोशनी जलायी और कमरे को छान डाला, कहीं कोई तिनका भी फर्श पर नहीं दीखा।

एक अन्य रात समाचार पत्र के पन्नों के नीचे कमरे के फर्श पर फिसलने की ध्वनि सुनाई पड़ी। फिर उठकर जैकब ने कमरे की छान−बीन की, परन्तु कागज का एक टुकड़ा भी कमरे में नहीं दिखाई पड़ा।

इसी प्रकार एक रात एक व्यक्ति के चमड़े के जूते पहनकर निचले तल के कमरे में चलने की आवाज सुनायी पड़ी।

एक दिन हेलेन ऊपरी तक के चौके के काम में व्यस्त थीं, तभी नीचे से किसी की स्फुट आवाज आयी− ‘‘क्या ऊपर बहुत व्यस्त हैं।” आवाज उसकी एक पड़ौसन से मिलती जुलती थी। उसने तुरन्त छानबीन की। उक्त पड़ौसन के इस बारे में जानकारी चाही, तो उसने इस सबके बारे में अपनी अनभिज्ञता जाहिर की। अब तक जितनी भी घटनाएँ घटी थीं, वह सभी छोटे स्तर की सामान्य घटनाएँ थीं।

एक रात जैकब दम्पत्ति अपने अध्ययन कक्ष में पढ़ रहे थे कि बगल के गैरेज में किसी चीज के गिरने जैसी तीक्ष्ण ध्वनि उत्पन्न हुई। ध्वनि इतनी तीव्र थी कि एक मील के दायरे तक में स्पष्ट सुनी जा सकती थी। आवाज किसी विशाल पियानो के जमीन पर गिरने और टकरा कर चूर−चूर होने जैसी थी। यद्यपि उस गैरेज का इस्तेमाल लेखक दम्पत्ति किताब−स्टोर के रूप में कर रहे थे, वहाँ पर टूटने लायक इस प्रकार की अन्य कोई चीज नहीं रखी थी, फिर भी मन को सान्त्वना देने के लिए जैकब ने टॉर्च उठायी और गैरेज पहुँचे। गैरेज का हर कोना छान मारा जमीन पर कुछ भी गिरा नजर नहीं आया। अन्ततः जैकब पिशाच की कार गुजारी समझ अपने कमरे में लौट आये। कर्ण कुहरों को विदीर्ण करने वाली यह गगनभेदी ध्वनि उस रात कुल मिलाकर तीन बार उत्पन्न हुई। इसके अतिरिक्त तीन अन्य अवसरों पर इस घटना की पुनरावृत्ति हुई।

एक बार लेखक महोदय के एक मित्र पत्नी व बच्चे उनके यहाँ कुछ दिन के लिए आये। एक रात दोनों की पत्नियाँ व बच्चे थियेटर देखने चले गये। जैकब व उनके मित्र को किसी महत्वपूर्ण विषय पर मन्त्रणा करनी थी, अस्तु दोनों घर पर रुक गये। कुछ समय में दोनों वार्ता में व्यस्त हो गये, तभी ऊपरी मंजिल पर, किसी के कदमों की आहट आयी। जैकब इसे अनसुनी कर गया, किन्तु मित्र महोदय से न रहा गया, उसने पूछ ही डाला। जैकब से भूत के बारे में जानकर सहसा उसे विश्वास न हुआ। सिर के ऊपर ऊपरी मंजिल पर पदचाप लगातार आ रहे थे। टॉर्च लेकर दोनों दबे कदमों से उस कमरे में पहुँचे, मगर प्रेत पहले से ही सावधान था। दरवाजे तक उनके पहुँचते ही पग ध्वनित गायब हो गई। बिजली की रोशनी में कमरे का चप्पा−चप्पा ढूँढ़ा गया, कोई नहीं था। निराश होकर दोनों लौट आये। उस रात उनकी वार्ता और आगे नहीं चल पायी और महिलाओं के लौटते ही वे सोने की तैयारी में जुट पड़े।

कमरे छोटे होने के कारण अतिथि अर्थात् मित्र, उसकी पत्नी व लड़की तीनों ने एक ही कमरे में बिस्तर लगा लिये, हेलेन बगल वाले कमरे में लेखक के बिस्तर पर सो गई, जबकि स्वयं लेखक निचले तल में एक सोफा पर सो गये। अभी थोड़ी ही देर हुई होगी कि ऊपरी मंजिल पर अतिथि मित्रों की चहलकदमी और दबी आवाजें सुनायी पड़ने लगीं। कुछ देर के बाद उनकी आवाजें बन्द हो गयीं। सबेरा होते ही मित्र ने जैकब के कमरे में आकर रात की उस रहस्यमय आवाज के बारे में पूछा। लेखक चौंके और अपनी अनभिज्ञता दर्शायी। बाद में मेहमान ने जैकब को बताया कि रात उनके बिस्तर पर जाते ही गैरेज से इतनी तेज आवाज आयी मानो गैरेज की छत्त ढहकर ध्वस्त हो गई हो। हेलेन से जब इस बारे में पूछा गया, तो उसने भी अपनी अनभिज्ञता जाहिर की।

वस्तुतः यह वही ध्वनि थी, जिसे जैकब दम्पत्ति ने पहले तीन बार सुनी थी−विशाल पियानो का जमीन पर गिरकर चूर−चूर होना, पर आश्चर्य! कि इतनी तीव्र ध्वनि भी इस बार उन्हें सुनाई नहीं पड़ी।

इस घटना से उनके मित्र को भी भूतों के अस्तित्व पर विश्वास करना पड़ा, क्योंकि सबेरे मित्र के साथ लेखक ने अन्य अवसर की भाँति इस बार भी गैरेज की बारीकी से छान−बीन की, मगर परिणाम पहले जैसा ही था, कोई किताब भी गिरी नहीं दिखाई पड़ी वहाँ।

जैकब तर्क और तथ्य को मान्यता देने वाले मनीषियों में एक हैं। इन चार महीनों में घटित होने वाली घटनाओं के सम्बन्ध में वे कारण ढूँढ़ते रहे पर अन्त में इस मान्यता को स्वीकार ने के लिए विवश हुए कि प्रेत सत्ता कोई होती है और वह मनुष्यों के साथ छेड़खानी करना पसन्द करती है। जिस स्थान से उन्हें मोह होता है, वहाँ से सूक्ष्म रूप से बनी रहतीं व अपने अस्तित्व का परिचय देती हैं। अनेकों का किसी प्रकार का अहित नहीं करतीं पर कुछ विक्षुब्ध आत्माएँ रोगी बनाकर भगा बैठने तक ही उद्यम मचा देती हैं। मरणोत्तर जीवन का अस्तित्व असंदिग्ध है, ऐसी घटनाएँ इस तथ्य की पुष्टि करती हैं।

First 39 41 Last


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