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Magazine - Year 1992 - Version 2

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दूसरों के अधिकारों का अतिक्रमण करने वाली शक्ति न तो चिरस्थायी होती है न शांति देती है। शक्ति वह है जो स्वयं बढ़े और दूसरों को बढ़ाये।

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