
गुत्थियों को सुलझाने में सहज समर्थ (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
मकड़ी का जाला मकड़ी ने जाला ताना वह उसमें फंस गई निकलने की कोशिश करने लगीं पर असफल रही। छटपटाने लगी।
थोड़ी देर में उसकी समझ लौटी। सोचने लगी इसे मैंने ही तो ताना है उसे जिस मुँह से उगला है उसी से निगल भी तो सकती हूँ। उसने ऐसा ही किया। चाल बदल दी। धागा उगलने की बजाया उसे दूसरे सिरे से निगलने लगी। सारा जाला पेट में चला गया बाँधने वाले बंधन समाप्त हो गये।
मकड़ी स्वच्छंद विचरने लगी।
मनुष्य अपने लिये उलझाने स्वयं ही विनिर्मित करते है। यदि वे अपनी चाल उलट दे तो सारी गुत्थियों को सुलझाने में सहज समर्थ हो सकते है।