• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • संस्कृति पुरुष को भावभरा समर्पण
    • सा प्रथमा संस्कृति विश्ववारा
    • माटी की शपथ
    • सृष्टि का प्रथम मानव आर्यावर्त में जन्मा
    • देव संस्कृति की प्रगति यात्रा व उससे अपेक्षाएँ
    • अनगढ़ को सुगढ़ बनाना ही संस्कृति
    • जीवन को चरम लक्ष्य तक ले जाने वाले चार पुरुषार्थ
    • व्यक्ति की संवेदना को परिष्कृत करने वाली विधा है “धर्म”
    • ‘धर्म’ व ‘मोक्ष’ की सिद्धि का उपाय ‘अर्थ’ व ‘काम’
    • मोक्ष अर्थात् बन्धनों से मुक्ति एवं “त्याग की प्रतिष्ठ”
    • गाय माता क्यों, कामधेनु क्यों?
    • सृष्टि की गौरवमयी अभिव्यक्ति-मनुष्य
    • हमारी संस्कृति की केन्द्रीय-धुरी रही है-नारी शक्ति
    • वैरागी मुक्त पुरुष
    • बहुदेववाद में समस्या एकेश्वरवाद
    • को वेदान पुनरध्दसि?
    • ईश्वर का अवतार, क्या, क्यों व कैसे?
    • ज्ञान और विज्ञान का महासागर है-आर्ष-वांग्मय
    • देव संस्कृति की अनुपम स्थापना, कर्मयोग-कर्मसाधना
    • अनादि अनन्त जीवन प्रवाह का प्रतिपादक हिंदू अध्यात्म
    • आधुनिक विज्ञान ऋणी है देव संस्कृति का
    • सभी विचारधाराओं के मूल में हैं, विश्व संस्कृति के चिन्तन-स्वर
    • सोऽहम् क्रान्ति, जो कि भवितव्यता है।
    • अपनों से बात अपनी बात- - उज्ज्वल भविष्य लाने को तत्पर, संस्कृति पुरुष की कालजयी सत्ता
    • अपनों से अपनी बात- - तीर्थ चेतना के उन्नायक संस्कृति पुरुष-गुरुदेव
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • संस्कृति पुरुष को भावभरा समर्पण
    • सा प्रथमा संस्कृति विश्ववारा
    • माटी की शपथ
    • सृष्टि का प्रथम मानव आर्यावर्त में जन्मा
    • देव संस्कृति की प्रगति यात्रा व उससे अपेक्षाएँ
    • अनगढ़ को सुगढ़ बनाना ही संस्कृति
    • जीवन को चरम लक्ष्य तक ले जाने वाले चार पुरुषार्थ
    • व्यक्ति की संवेदना को परिष्कृत करने वाली विधा है “धर्म”
    • ‘धर्म’ व ‘मोक्ष’ की सिद्धि का उपाय ‘अर्थ’ व ‘काम’
    • मोक्ष अर्थात् बन्धनों से मुक्ति एवं “त्याग की प्रतिष्ठ”
    • गाय माता क्यों, कामधेनु क्यों?
    • सृष्टि की गौरवमयी अभिव्यक्ति-मनुष्य
    • हमारी संस्कृति की केन्द्रीय-धुरी रही है-नारी शक्ति
    • वैरागी मुक्त पुरुष
    • बहुदेववाद में समस्या एकेश्वरवाद
    • को वेदान पुनरध्दसि?
    • ईश्वर का अवतार, क्या, क्यों व कैसे?
    • ज्ञान और विज्ञान का महासागर है-आर्ष-वांग्मय
    • देव संस्कृति की अनुपम स्थापना, कर्मयोग-कर्मसाधना
    • अनादि अनन्त जीवन प्रवाह का प्रतिपादक हिंदू अध्यात्म
    • आधुनिक विज्ञान ऋणी है देव संस्कृति का
    • सभी विचारधाराओं के मूल में हैं, विश्व संस्कृति के चिन्तन-स्वर
    • सोऽहम् क्रान्ति, जो कि भवितव्यता है।
    • अपनों से बात अपनी बात- - उज्ज्वल भविष्य लाने को तत्पर, संस्कृति पुरुष की कालजयी सत्ता
    • अपनों से अपनी बात- - तीर्थ चेतना के उन्नायक संस्कृति पुरुष-गुरुदेव
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1992 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


संस्कृति पुरुष को भावभरा समर्पण

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


1 Last
संस्कृति की धवल धारा जीवन के कमल खिलते हैं, जिनकी सुवास से धरा स्वर्ग बनती है व उल्लासमय देवत्व विकसित हो उठता है। आज हम जीवन मुरझाया, धरा की सुवास मन्द पड़ी देखते हैं, देवत्व की साँसें रुकी पाते हैं तो उसका एक ही कारण है-संस्कृति की सुरसरि का अवरुद्ध होना आज की कुण्ठित प्रतिभाएँ, लुप्त आत्म विश्वास, धरती पुत्रों द्वारा अपनी ही माता की छाती चीरकर किया जा रहा रक्तपान इसी का परिणाम है। पतन को कँपकँपा देने वाले इस वीभत्स दृश्यों का मात्र एक ही कारण है-ऋषियों की अमर देन का विस्मरण।

विस्मृति से उबारने, अमृत पुत्रों को जीवन बोध कराने हेतु आप से प्रायः अस्सी वर्ष पूर्व ऐ गरिमामय व्यक्तित्व का उदय हुआ, जिन्हें आप हम सभी परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के नाम से जानते हैं। विश्वामित्र, भागीरथ, दधीचि, और महाअथर्वण जैसी अगणित ऋषि सत्ताएँ उनमें एकाकार हो उठीं। गायत्री उनकी मेधा बनीं, यज्ञ ने प्रचण्ड पुरुषार्थ का रूप लिया। जीवन की प्रत्येक श्वास सोऽहम् नवोन्मेष के विजय ध्वज का ताना बाना बुनती रही। उनके उत्कट तप की हुंकार सुन अगणित बलिदानियों की संगठित वाहिनी वासन्ती वेश धारण कर देव संस्कृति के पुनरुद्धार हेतु आकुल हो उठी।

विचारक्रान्ति की लाल मशाल प्रज्वलित कर जिनने दुर्बलताओं से ग्रस्त, पतन के गर्त में समाज को विवश, असंख्य अनेक पाँवों को आदर्शों का हिमालय लाँघ जाने का बल दिया। जिनने सामूहिक मन पर गहन प्रयोग कर चेतना के रूपान्तरण द्वारा मनुष्य में देवत्व को जगाने की प्रक्रिया का शुभारंभ किया। सूक्ष्म चेतनलोक में स्पन्दित जिनका महिमामय व्यक्तित्व देवसंस्कृति की विजय और उज्ज्वल भविष्य की वापसी का गान गुँजायमान कर रहा है, ऐसे संस्कृति पुरुष परम पूज्य गुरुदेव के चरणों में उनकी द्वितीय महाप्रयाण तिथि पर उनकी अगणित सन्तानों द्वारा हृदय की असीम भक्ति व अनुरक्ति के साथ संस्कृति अंकों की यह शृंखला समर्पित है।

1 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • संस्कृति पुरुष को भावभरा समर्पण
  • सा प्रथमा संस्कृति विश्ववारा
  • माटी की शपथ
  • सृष्टि का प्रथम मानव आर्यावर्त में जन्मा
  • देव संस्कृति की प्रगति यात्रा व उससे अपेक्षाएँ
  • अनगढ़ को सुगढ़ बनाना ही संस्कृति
  • जीवन को चरम लक्ष्य तक ले जाने वाले चार पुरुषार्थ
  • व्यक्ति की संवेदना को परिष्कृत करने वाली विधा है “धर्म”
  • ‘धर्म’ व ‘मोक्ष’ की सिद्धि का उपाय ‘अर्थ’ व ‘काम’
  • मोक्ष अर्थात् बन्धनों से मुक्ति एवं “त्याग की प्रतिष्ठ”
  • गाय माता क्यों, कामधेनु क्यों?
  • सृष्टि की गौरवमयी अभिव्यक्ति-मनुष्य
  • हमारी संस्कृति की केन्द्रीय-धुरी रही है-नारी शक्ति
  • वैरागी मुक्त पुरुष
  • बहुदेववाद में समस्या एकेश्वरवाद
  • को वेदान पुनरध्दसि?
  • ईश्वर का अवतार, क्या, क्यों व कैसे?
  • ज्ञान और विज्ञान का महासागर है-आर्ष-वांग्मय
  • देव संस्कृति की अनुपम स्थापना, कर्मयोग-कर्मसाधना
  • अनादि अनन्त जीवन प्रवाह का प्रतिपादक हिंदू अध्यात्म
  • आधुनिक विज्ञान ऋणी है देव संस्कृति का
  • सभी विचारधाराओं के मूल में हैं, विश्व संस्कृति के चिन्तन-स्वर
  • सोऽहम् क्रान्ति, जो कि भवितव्यता है।
  • अपनों से बात अपनी बात- - उज्ज्वल भविष्य लाने को तत्पर, संस्कृति पुरुष की कालजयी सत्ता
  • अपनों से अपनी बात- - तीर्थ चेतना के उन्नायक संस्कृति पुरुष-गुरुदेव
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj