
राजा ने समझा (Kahani)
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कहते है कि कलिंग देश का राजा मधुपर्क खा रहा था। उसके प्याले में से असावधानी से थोड़ा-सा शहद टपक कर जमीन पर गिर पड़ा। उस शहद को चाटने मक्खियाँ आ गयी। मक्खियों को इकट्ठी देख छिपकली ललचायी और उन्हें खाने के लिए आ पहुँची। छिपकली को मारने बिल्ली पहुँची। बिल्ली पर दो-तीन कुत्ते टूटे। बिल्ली भाग गयी और कुत्ते आपस में लड़कर घायल हो गये।
कुत्तों के मालिक अपने-अपने कुत्तों के पक्ष का समर्थन करने लगे और एक दूसरे का दोष बताने लगें। उस पर लड़ाई ठन गयी। लड़ाई में दोनों ओर की भीड़ बढ़ी और आखिर सारे शहर में बवाल हो गया। दंगाइयों को मौका मिला तो सरकारी खजाना लूटा और राजमहल में आग लगा दी। राजा ने इतने बड़े उपद्रव का कारण पूछा तो मंत्री ने जाँचकर बताया कि भगवन् आप के द्वारा असावधानी से गिराया हुआ थोड़ा-सा शहद ही इतने बड़े दंगे का कारण बना गया है। तब राजा ने समझा कि छोटी-सी असावधानी भी मनुष्य के लिए कितना बड़ा संकट उत्पन्न कर सकती है।