• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • नर वानर से देव मानव तक
    • स्थितप्रज्ञता
    • आकाँक्षाओं को आदर्शवादी मोड़ दिया जाय
    • Quotation
    • Article
    • इस मूसल के शस्त्र बने (Kahani)
    • बेताल का आत्मबोध
    • न्यायप्रियता कलुषित हो जायेगी (Kahani)
    • हीरा जनम अमोल है
    • मन में गुंजाइश होना (Kahani)
    • अग्नि तत्व-प्राण है देव संस्कृति का
    • हे दयानिधान्! आप हमें दुःख देते रहें
    • सभी जीव शूद्र (Kahani)
    • धरती के मानव को देवात्मा हिमालय का संदेश
    • असाधारण विपत्तियां (Kahani)
    • आइये यंत्रों से मंत्र सिद्ध करें
    • बुद्धि की सराहना की (Kahani)
    • जो पीर पराई जाने रे
    • अतिवादी-आत्मघाती
    • पथिक निरुत्तर हो चला (Kahani)
    • मानवी शिशु, जिन्हें पशुओं ने पाला
    • Quotation
    • माँसाहार मानवता विरुद्ध है
    • Quotation
    • अंतिम जीत सत्य की है
    • Quotation
    • विचार प्रवाहों से विनिर्मित होता है प्रखर व्यक्तित्व
    • विषमता मिटेगी, समता का युग आयेगा
    • कुकल्पनाओं का अनौचित्य
    • सूर्योपासना की सार्वभौमिकता
    • Quotation
    • परिष्कृत कल्याणकारी विचार ही बनते हैं संस्कार
    • भलाई का अनुसरण (Kahani)
    • संयोग जो वरदान बना
    • जानकारी से वंचित (Kahani)
    • साइंस को नकारते हैं, आकाश गमन के ये प्राण
    • सत्परिणाम सामने आया (Kahani)
    • तन्मेमनः शिव संकल्पमस्तु
    • अकाल मृत्यु से बचने की रीति-नीति
    • प्रगति के पथ पर (Kahani)
    • सर्वोपयोगी-सर्व सुलभ गायत्री साधना
    • नौ सद्गुणों की लड़ी है-यज्ञोपवीत का धागा
    • परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • मानव का सच्चा आभूषण सादगी
    • बसंती चोला केसरिया बाना
    • बसंती चोला केसरिया बाना (Kahani)
    • अश्वमेध लेखमाला - दशमावतार की अश्वमेध प्रक्रिया
    • संप्रदायवादी विषमता (Kahani)
    • None
    • Quotation
    • राजा ने समझा (Kahani)
    • अपनों से अपनी बात- - कर्मवीरों का प्रशस्ति पुरस्कार ज्ञान यज्ञ को सेवाएँ देने वालों को लोग जानें, याद करें।
    • महाभारत की रचना (Kahani)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • नर वानर से देव मानव तक
    • स्थितप्रज्ञता
    • आकाँक्षाओं को आदर्शवादी मोड़ दिया जाय
    • Quotation
    • Article
    • इस मूसल के शस्त्र बने (Kahani)
    • बेताल का आत्मबोध
    • न्यायप्रियता कलुषित हो जायेगी (Kahani)
    • हीरा जनम अमोल है
    • मन में गुंजाइश होना (Kahani)
    • अग्नि तत्व-प्राण है देव संस्कृति का
    • हे दयानिधान्! आप हमें दुःख देते रहें
    • सभी जीव शूद्र (Kahani)
    • धरती के मानव को देवात्मा हिमालय का संदेश
    • असाधारण विपत्तियां (Kahani)
    • आइये यंत्रों से मंत्र सिद्ध करें
    • बुद्धि की सराहना की (Kahani)
    • जो पीर पराई जाने रे
    • अतिवादी-आत्मघाती
    • पथिक निरुत्तर हो चला (Kahani)
    • मानवी शिशु, जिन्हें पशुओं ने पाला
    • Quotation
    • माँसाहार मानवता विरुद्ध है
    • Quotation
    • अंतिम जीत सत्य की है
    • Quotation
    • विचार प्रवाहों से विनिर्मित होता है प्रखर व्यक्तित्व
    • विषमता मिटेगी, समता का युग आयेगा
    • कुकल्पनाओं का अनौचित्य
    • सूर्योपासना की सार्वभौमिकता
    • Quotation
    • परिष्कृत कल्याणकारी विचार ही बनते हैं संस्कार
    • भलाई का अनुसरण (Kahani)
    • संयोग जो वरदान बना
    • जानकारी से वंचित (Kahani)
    • साइंस को नकारते हैं, आकाश गमन के ये प्राण
    • सत्परिणाम सामने आया (Kahani)
    • तन्मेमनः शिव संकल्पमस्तु
    • अकाल मृत्यु से बचने की रीति-नीति
    • प्रगति के पथ पर (Kahani)
    • सर्वोपयोगी-सर्व सुलभ गायत्री साधना
    • नौ सद्गुणों की लड़ी है-यज्ञोपवीत का धागा
    • परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • मानव का सच्चा आभूषण सादगी
    • बसंती चोला केसरिया बाना
    • बसंती चोला केसरिया बाना (Kahani)
    • अश्वमेध लेखमाला - दशमावतार की अश्वमेध प्रक्रिया
    • संप्रदायवादी विषमता (Kahani)
    • None
    • Quotation
    • राजा ने समझा (Kahani)
    • अपनों से अपनी बात- - कर्मवीरों का प्रशस्ति पुरस्कार ज्ञान यज्ञ को सेवाएँ देने वालों को लोग जानें, याद करें।
    • महाभारत की रचना (Kahani)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1993 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


अपनों से अपनी बात- - कर्मवीरों का प्रशस्ति पुरस्कार ज्ञान यज्ञ को सेवाएँ देने वालों को लोग जानें, याद करें।

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 51 53 Last
यों जयपुर अश्वमेध की सफलता महाकाल के आशीर्वाद का प्रतिफल है, तथापि इस आयोजन से जुड़े ग्राम प्रदक्षिणा कार्यक्रम में दिन-रात प्रव्रज्या करने वाले, घर-घर अलख जगाने वाले, उसकी सफलता के निमित्त साधना करने वाले और रात-दिन एक करके वहाँ की व्यवस्थाएँ संभालने वाले कर्मवीर अश्वमेध के अविस्मरणीय अध्याय हैं। वे भुलाये नहीं भूलते। जब भी चर्चा होती है, वंदनीया माता जी गदगद अन्तःकरण से नींव के उन सुदृढ़ आधार स्तम्भों को ही याद करती है, जिन्होंने ज्ञान यज्ञ के अग्रिम मोर्चे संभाले और अज्ञानान्धकार से जूझते जनमानस के लिए सच्चे अर्थों में प्रकाश स्तम्भ बने।

अब हम भूल सुधारेंगे

एक बात स्पष्ट है कि अश्वमेध एक युद्ध एक कार्यक्रम है। प्राचीन काल में देव संस्कृति की बलपूर्वक स्थापना के लिए घोड़ा छोड़ा जाता था जो उसे पकड़ने का साहस करता था उसे युद्ध करना पड़ता था। आज का घोड़ा सिद्धाँतों का है। युद्ध संस्कृति और सभ्यता का है। एक ओर आँसू बहाती मानवीय संस्कृति है संवेदना है, सामाजिक जीवन से समाप्त हो रहे मानवीय मूल्यों की स्थापना का प्रश्न है तो दूसरी ओर आसुरी प्रवृत्तियाँ हैं हिंसा है, अपराध हैं, आदर्शविहीन आचरण और चिंतन में प्रविष्ट हो गई भ्रष्टता है। इसे देवासुर संग्राम कहा जा सकता है। एक ओर देवत्व खड़ा है दूसरी ओर आसुरी प्रवृत्तियों की काल मुख सेना। प्रश्न यह है कि संस्कृति और संवेदना जीतेगी अथवा पीड़ा-पतन और पराभव का त्रिपुरासुर?

स्पष्ट है कि यह अश्वमेध -अनुष्ठन एक प्रकार का ज्ञान यज्ञ है जिसमें जन-जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर चलने के लिए प्रेरित करना है, ज्ञान देना है, अन्तर्मुखी बनाकर जीवन के विराट का बोध कराना प्रमुख है। उसे बुराइयों से दुष्प्रवृत्तियों से अज्ञान से बचाना उसी का दूसरा पक्ष पहलू है। प्रदर्शन प्रधान यज्ञ तो उसका अंतिम भाग है। इसमें श्रेय उन्हीं कर्मवीरों को जाता है जो गाँव-गाँव अलख जगाते हैं, स्वयं साधना करते हैं औरों को साधना में प्रवृत्त करते हैं, ज्ञान-रथ, झोला-पुस्तकालय चलाते हैं, पत्रिकाओं के सदस्य बनाते हैं। देवासुर संग्राम में देवत्व के लिए लड़ने वाले, उसे विजयी बनाने वाले कर्मवीर योद्धा वस्तुतः यही लोग हैं जिनको भुला देना इतिहास की सबसे बड़ी भूल होगी।

देवसेना के युद्धक अलंकरण

जब भी कोई युद्ध समाप्त होते हैं देश के लिए लड़ने वालों को “गैलेन्द्री एवार्डस” वीरता पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। ब्रिटिश काल में विक्टोरिया क्रास सबसे बड़ा पदक था-हमारे देश में परम वीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, कीर्ति चक्र आदि प्रदान किये जाने की परम्परा है। खेत रहे सैनिकों की स्मृति भी उलटे हथियारों की सलामी परेड से की जाती है। 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय सम्मान और गौरव की रक्षा के लिए कार्य करने वालों को भारत रत्न, पद्म-विभूषण, पद्म-श्री, अर्जुन पुरस्कार (खेल जगत) कल-श्री (कला एवं संस्कृति) आदि उपाधियाँ और प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जाते हैं इनका एक मात्र उद्देश्य अपने देश, धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीय गौरवों की रक्षा करने वालों को श्रेय सम्मान और यश प्रदान करना होता है जिस देश में यह परम्पराएँ जितना व्यापक होती हैं वहाँ इस तरह के आदर्शों का विकास-विस्तार भी होता है। इस “साम प्रक्रिया” को भुलाया नहीं वरन् उसे और अधिक विस्तृत किये जाने की आवश्यकता है। परम पूज्य गुरुदेव ने “युग निर्माण योजना के शत सूत्रीय कार्यक्रमों” में सत्कार्यों के अभिनंदन को बहुत अधिक महत्व दिया है। सच पूछा जाय तो पाक्षिक पत्रिका के प्रकाशन का मूल-भूत प्रयोजन भी यही है।

अश्वमेध अभियान का अभिनव अलंकरण

ज्ञान यज्ञ के कर्मवीरों को उचित सम्मान देने की दृष्टि से प्रज्ञा अभियान शाँतिकुँज हरिद्वार और युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि से निम्न प्रशस्ति कर देने का निश्चय किया गया है। यह प्रशस्ति पत्र अश्वमेध यज्ञ के अंतिम दिन समारोह-पूर्वक प्रदान किये जायेंगे। उससे ज्ञान यज्ञ के होताओं का-अश्वमेधिक कर्मवीरों का कुछ तो सम्मान होगा-यथार्थ सम्मान तो अन्तःकरण को मिलने वाला आत्म-संतोष और वह देव अनुग्रह है जिसकी वर्षा उन परिजनों पर होगी और हुए बिना नहीं मानेगी। प्रशस्ति पत्र यह होंगे :-

1-यज्ञ वीर-अश्वमेध यज्ञ के लिए न्यूनाधिक तीन माह का समय देने वाले गाँव-गाँव, घर-घर प्रव्रज्या करने वाले तथा व्यवस्थाओं में विशिष्ट योगदान देने के लिए “यज्ञ वीर” उपाधि प्रदान की जायेगी।

2-ज्ञान शिल्पी-हमारे वह परिजन जो निरंतर ज्ञान-रथ, झोला-पुस्तकालय चलाते है और अपने इस संपर्क क्षेत्र को जिन्होंने विशेष रूप से अश्वमेध का संदेश दिया-अश्वमेधिक कार्यक्रमों से जोड़ दिया।

3-साधक शिरोमणि- इस अश्वमेध की सफलता के लिए सवा लक्ष गायत्री महामंत्र का जप एक हजार गायत्री चालीसा के वितरण द्वारा गायत्री उपासना की प्रेरणा देने का कार्य करने वालों को यह प्रशस्ति पत्र दिया जायेगा।

4- श्रद्धा-भूषण-घर-घर श्रद्धा का बीजारोपण करने के लिए न्यूनतम नमन वंदन जितनी उपासना के लिए गायत्री माता के चित्र की एक सौ घरों में देव-स्थापना एवं अश्वमेध घट स्थापित कराने वाले श्रद्धा-भूषण होंगे। जहाँ चित्र स्थापना होगी उन्हें नियमित गायत्री उपासना, गायत्री चालीसा अथवा प्रातःकाल देव-चित्र को नमन वंदन करने का संकल्प भी कराया जाना चाहिए।

5-शत प्रेरक, सहप्रेरक- अखण्ड ज्योति, युग निर्माण योजना, युगशक्ति गायत्री (गुजराती व अन्य भाषाओं की) पत्र पत्रिकाओं के एक सौ सदस्य बनाने वालों को “शत-प्रेरक” तथा एक हजार सदस्य बनाने वालों को “सहस्र-प्रेरक” प्रशास्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे।

एक अविस्मरणीय यादगार

पाँचों प्रकार के प्रशस्ति पत्रों में पाँच रंगों के आकर्षण एवं प्रेरणा-प्रद चित्र होंगे, इन सभी अलंकृत व्यक्तियों का भाव भरा अभिनंदन होगा तथा सेवाओं से सामाजिक जीवन को मिलने वाले पुण्यफल का गुणानुवाद अंकित होगा। आज की दुष्प्रवृत्तियों को काटने और सत्प्रवृत्तियों के रचनात्मक विकास की दृष्टि से यह सर्वाधिक समर्थ अस्त्र-शस्त्र हैं। ज्ञात नहीं भगवान परशुराम ने अपने फरसे से लोगों के सिर काटे थे अथवा नहीं पर जनमानस में व्याप्त अनास्था, कुँठा, दुश्चिंतन और दुराचरण को काटने वाले यह अस्त्र-शस्त्र निश्चित ही वह परशु होंगे जिनसे लोगों के मनों में सद्चिंतन का विकास होगा। सद्कर्म और सद्व्यवहार का विस्तार इसी तरह संभव होगा। अतएव इन महारथी योद्धाओं का सम्मान इस अश्वमेध का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होगा। अपने परिजन न केवल इन के योग्य बने अपितु जिनकी सेवाएँ इस स्तर की हों उनके नाम-पते भी अवश्य भिजवायें ताकि इस ज्ञान यज्ञ को सफल और सार्थक बनाया जा सके।

First 51 53 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • नर वानर से देव मानव तक
  • स्थितप्रज्ञता
  • आकाँक्षाओं को आदर्शवादी मोड़ दिया जाय
  • Quotation
  • Article
  • इस मूसल के शस्त्र बने (Kahani)
  • बेताल का आत्मबोध
  • न्यायप्रियता कलुषित हो जायेगी (Kahani)
  • हीरा जनम अमोल है
  • मन में गुंजाइश होना (Kahani)
  • अग्नि तत्व-प्राण है देव संस्कृति का
  • हे दयानिधान्! आप हमें दुःख देते रहें
  • सभी जीव शूद्र (Kahani)
  • धरती के मानव को देवात्मा हिमालय का संदेश
  • असाधारण विपत्तियां (Kahani)
  • आइये यंत्रों से मंत्र सिद्ध करें
  • बुद्धि की सराहना की (Kahani)
  • जो पीर पराई जाने रे
  • अतिवादी-आत्मघाती
  • पथिक निरुत्तर हो चला (Kahani)
  • मानवी शिशु, जिन्हें पशुओं ने पाला
  • Quotation
  • माँसाहार मानवता विरुद्ध है
  • Quotation
  • अंतिम जीत सत्य की है
  • Quotation
  • विचार प्रवाहों से विनिर्मित होता है प्रखर व्यक्तित्व
  • विषमता मिटेगी, समता का युग आयेगा
  • कुकल्पनाओं का अनौचित्य
  • सूर्योपासना की सार्वभौमिकता
  • Quotation
  • परिष्कृत कल्याणकारी विचार ही बनते हैं संस्कार
  • भलाई का अनुसरण (Kahani)
  • संयोग जो वरदान बना
  • जानकारी से वंचित (Kahani)
  • साइंस को नकारते हैं, आकाश गमन के ये प्राण
  • सत्परिणाम सामने आया (Kahani)
  • तन्मेमनः शिव संकल्पमस्तु
  • अकाल मृत्यु से बचने की रीति-नीति
  • प्रगति के पथ पर (Kahani)
  • सर्वोपयोगी-सर्व सुलभ गायत्री साधना
  • नौ सद्गुणों की लड़ी है-यज्ञोपवीत का धागा
  • परम पूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
  • मानव का सच्चा आभूषण सादगी
  • बसंती चोला केसरिया बाना
  • बसंती चोला केसरिया बाना (Kahani)
  • अश्वमेध लेखमाला - दशमावतार की अश्वमेध प्रक्रिया
  • संप्रदायवादी विषमता (Kahani)
  • None
  • Quotation
  • राजा ने समझा (Kahani)
  • अपनों से अपनी बात- - कर्मवीरों का प्रशस्ति पुरस्कार ज्ञान यज्ञ को सेवाएँ देने वालों को लोग जानें, याद करें।
  • महाभारत की रचना (Kahani)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj