
विधेयात्मक चिंतन (Kahani)
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अमेरिकन मनोवैज्ञानिक नैपोलियन हिल तथा डब्लू सी स्टोन अपनी कृति सक्सेज थ्रू अ पाजिटिव मेंटल अटीट्यू में स्पष्ट करते हैं।
महानता उनके पास आती है जिन्होंने अपनी समूची इच्छा व क्रिया को महान उद्देश्यों के प्रति नियोजित कर दिया है।
सफलता उनके द्वारा पायी व सुरक्षित रखी जाती है जिनके चिंतन की दशा धारा विधेयात्मक है मानव की सबसे बड़ी शक्ति उसके संकल्प तथा पुरुषार्थ के सम्मिश्रण में निहित रहती है। स्वयं को संसार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति मानना चाहिये। सफलता स्वास्थ्य प्रसन्नता समृद्धि के बीज स्वयं में निहित हैं। आवश्यकता इनके विकसित करने की है।
असफल होने का दीप ईश्वर पर न पढ़े। सफलता हेतु इच्छा शक्ति को जगाना होगा। साथ ही क्रिया शक्ति को नियोजित करना होगा। यही दोनों वह आधार तैयार करते हैं जिस पर ईश्वरीय अनुकंपा अवतरित होती है।