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Magazine - Year 1998 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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सज्जनता (Kahani)

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First 41 43 Last
संत नानक एक गाँव में गये। वहाँ के निवासियों ने बड़ा आदर किया। चलते समय नानक जी ने आशीर्वाद दिया-उजड़ जाओ।”

वे दूसरे गाँव में गये तो वहाँ के लोगों ने तिरस्कार किया, कटुवचन बोले और लड़ने-झगड़ने पर उतारू हो गये। नानक जी ने आशीर्वाद दिया- ‘‘आबाद रहो।”

साथ में चल रहे शिष्यों ने पूछा-भगवन्! आपने आदर करने वाले को ‘उजड़ जाओ और तिरस्कार करने वाले को ‘आबाद रहो’ का उलटा आशीर्वाद क्यों दिया?”

नानक ने कहा- सज्जन लोग उजड़ेंगे, वो वे बिखरकर जहाँ भी जाएँगे, सज्जनता फैलाएँगे, इसलिए उनका उजड़ना ही ठीक है, किन्तु दुर्जन सर्वत्र अशान्ति उत्पन्न न करें, इसलिए उनके एक ही जगह रहने में भलाई है।”

First 41 43 Last


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Language: HINDI
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Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
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