• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • संस्करण के सन्दर्भ में
    • सङ्केत- विवरण
    • प्रारम्भिक यज्ञीय कर्मकाण्ड
    • गायत्री माता की आरती
    • यज्ञ महिमा
    • युग निर्माणसत्सङ्कल्प
    • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
    • विशिष्ट कलश- पूजन
    • सर्वतोभद्र वेदिका पूजन
    • पुरुष सूक्त
    • त्रिदेव पूजन
    • पञ्चवेदी पूजन
    • पञ्चभू- संस्कार
    • कुशकण्डिका
    • मेखलापूजन
    • पञ्चामृतकरण
    • दशविध स्नान
    • स्फुट प्रकरण , अभिषेक, आशिवर्चन
    • भूमि पूजन प्रकरण
    • गृहप्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग
    • प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण
    • विश्वकर्मा पूजन
    • एकादशी उद्यापन
    • वाहन- उद्योग कारखाना- मशीन पूजन
    • गोदान- सङ्कल्प (गो- पूजन विधि)
    • रस्म पगड़ी
    • मूल शान्ति
    • पुंसवन संस्कार
    • नामकरण संस्कार
    • अन्नप्राशन संस्कार
    • मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार
    • विद्यारम्भ संस्कार
    • यज्ञोपवीत- दीक्षा संस्कार
    • विवाह संस्कार
    • वानप्रस्थ संस्कार
    • जन्मदिवस संस्कार
    • विवाह दिवस संस्कार
    • आशौच (सूतक) विचार
    • जीवित श्राद्ध विधान
    • मातृषोडशी
    • दीपयज्ञ- युग यज्ञ विधान
    • नवग्रह स्तोत्र
    • गायत्री मञ्त्र के २४ देवता
    • वेद एवं देव स्थापना
    • विशेष- आहुतिः
    • लोकप्रिय मन्त्र
    • शिवाभिषेक
    • आरती शिव जी की
    • शिव स्तुति
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • संस्करण के सन्दर्भ में
    • सङ्केत- विवरण
    • प्रारम्भिक यज्ञीय कर्मकाण्ड
    • गायत्री माता की आरती
    • यज्ञ महिमा
    • युग निर्माणसत्सङ्कल्प
    • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
    • विशिष्ट कलश- पूजन
    • सर्वतोभद्र वेदिका पूजन
    • पुरुष सूक्त
    • त्रिदेव पूजन
    • पञ्चवेदी पूजन
    • पञ्चभू- संस्कार
    • कुशकण्डिका
    • मेखलापूजन
    • पञ्चामृतकरण
    • दशविध स्नान
    • स्फुट प्रकरण , अभिषेक, आशिवर्चन
    • भूमि पूजन प्रकरण
    • गृहप्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग
    • प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण
    • विश्वकर्मा पूजन
    • एकादशी उद्यापन
    • वाहन- उद्योग कारखाना- मशीन पूजन
    • गोदान- सङ्कल्प (गो- पूजन विधि)
    • रस्म पगड़ी
    • मूल शान्ति
    • पुंसवन संस्कार
    • नामकरण संस्कार
    • अन्नप्राशन संस्कार
    • मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार
    • विद्यारम्भ संस्कार
    • यज्ञोपवीत- दीक्षा संस्कार
    • विवाह संस्कार
    • वानप्रस्थ संस्कार
    • जन्मदिवस संस्कार
    • विवाह दिवस संस्कार
    • आशौच (सूतक) विचार
    • जीवित श्राद्ध विधान
    • मातृषोडशी
    • दीपयज्ञ- युग यज्ञ विधान
    • नवग्रह स्तोत्र
    • गायत्री मञ्त्र के २४ देवता
    • वेद एवं देव स्थापना
    • विशेष- आहुतिः
    • लोकप्रिय मन्त्र
    • शिवाभिषेक
    • आरती शिव जी की
    • शिव स्तुति
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - कर्मकांड प्रदीप

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 20 22 Last
सूत्र सङ्केत-
देवालयों में प्रतिमा का पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व उनमें प्राण- प्रतिष्ठा की जाती है। उसके पीछे मात्र परम्परा नहीं, परिपूर्ण तत्त्वदर्शन सन्निहित है। इस परम्परा के साथ हमारी सांस्कृतिक मान्यता जुड़ी है कि पूजा मूर्ति की नहीं की जाती, दिव्य सत्ता की, महत् चेतना की, की जाती है। स्थूल दृष्टि से मूर्ति को माध्यम बनाकर भी प्रमुखता उस दिव्य चेतना को ही दी जानी चाहिए। अस्तु, प्राण- प्रतिष्ठा प्रक्रिया- क्रम में जिस प्रतिमा को हम अपनी आराधना का माध्यम बना रहे हैं, उसे संस्कारित करके उसमें दिव्य सत्ता के अंश की स्थापना का उपक्रम  किया जाता है। 
यह भी एक विज्ञान है। पृथ्वी में हर जगह पानी है, बोरिंग करके पम्प द्वारा उसे एकत्रित किया जा सकता है। वायु को कम्प्रेसर पम्प द्वारा किसी पात्र में घनीभूत किया जा सकता है। लेंसों के माध्यम से सर्वत्र फैले प्रकाश को सघन करके स्थान विशेष पर एकत्रित किया जाना सम्भव है। पानी, वायु, और प्रकाश की तरह परमात्म तत्त्व भी सारे ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। उसे घनीभूत करके किसी माध्यम विशेष में स्थापित करना भी एक विशिष्ट प्रक्रिया है। उसके लिए श्रद्धासिक्त कर्मकाण्ड की व्यवस्था तत्त्वदर्शियों ने बनाई है। मन्दिर एवं प्रतिमा को उस महत् सत्ता के अवतरण के उपयुक्त बनाकर उसमें उसकी स्थापना करने के लिए प्राण- प्रतिष्ठा प्रयोग किया जाता है।  क्रम व्यवस्था- प्राण- प्रतिष्ठा के लिए यज्ञीय वातावरण बनाना आवश्यक है। अस्तु, प्राण- प्रतिष्ठा के क्रम में सामूहिक गायत्री यज्ञ का एक या अधिक दिन का आयोजन रखा जाना चाहिए। उसमें जल यात्रा से लेकर अन्यान्य कर्मकाण्ड सुविधा- व्यवस्था एवं समय का सन्तुलन बिठाते हुए किये जाने चाहिए। यज्ञीय वातावरण में प्राण- प्रतिष्ठा का कर्मकाण्ड किया जाए। 
मूर्ति स्थापना स्थल पर पहले से रखी रहे। उसके आगे पर्दा लगा रहे। दस स्नान एवं पूजन की सामग्री पर्दे के अन्दर पहले से तैयार रखी जाए। जितनी मूर्तियों में प्राण- प्रतिष्ठा करनी है, उतने स्वयं सेवकों- व्यक्तियों को पहले से उस कार्य के लिए नियुक्त कर लिया जाना चाहिए। वे व्यक्ति ही पर्दे के अन्दर जाकर सञ्चालक के निर्देशानुसार प्राण- प्रतिष्ठा का कार्य करें। अच्छा हो कि यह कृत्य समझदार कुमारी कन्याओं से कराया जाए। उसके लिए उन्हें पहले से सारा क्रम समझा दिया जाना चाहिए। नीचे लिखे क्रम से कर्मकाण्ड कराया जाए। 
१- षट्कर्म- जिन्हें प्राण- प्रतिष्ठा करनी है, उन्हें प्रतिमाओं के पर्दे के बाहर आसन पर बिठाकर पहले षट्कर्म करा दिया जाए। २- शुद्धि सिञ्चन- यज्ञ के कलशों का जल अनेक पात्रों में निकाल कर रखा जाए। मन्त्र पाठ के साथ उस जल का सिञ्चन, उपस्थित व्यक्तियों, पूजन सामग्री, मन्दिर एवं मूर्तियों पर किया जाए।

ॐ आपोहिष्ठा मयोभुवः ता नऽ ऊर्जे दधातन। महेरणाय चक्षसे। ॐ यो वः शिवतमो रसः तस्य भाजयतेह नः। उशतीरिव मातरः। ॐ तस्माऽअरंगमाम वो यस्य क्षयाय जिन्वथ। आपो जनयथा च नः। -११.५०- ५२

३- दशविध स्नान-

४. प्राण आवाहन-

ॐ प्राणमाहुर्मातरिश्वानं, वातो ह प्राण उच्यते। प्राणे ह भूतं भव्यं च प्राणे सर्वं प्रतिष्ठितम्॥ -अथर्व० ११.४.१५ 
ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं लं क्षं हं सः। अस्याः गायत्रीेदेवीप्रतिमायाः प्राणाः इह प्राणाः। ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं लं क्षं सः।अस्याः प्रतिमायाः जीव इह स्थितः। ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं लं क्षं सः। अस्याः प्रतिमायाः सर्वेन्द्रियाणि, वाङ् मनस्त्वक् चक्षुः श्रोत्रजिह्वा घ्राणपाणिपादपायूपस्थानि, इहैवागत्य सुखं चिरं तिष्ठन्तु स्वाहा।

अर्थात्- हम उपर्युक्त तन्त्रोक्त मन्त्रों के द्वारा इस प्रतिमा में आपके प्राणों की, जीव की तथा समस्त इन्द्रियों की प्रतिष्ठा करते हैं। आप यहाँ उपस्थित होकर चिरकाल तक सुखपूर्वक निवास करें। हम आपका यजन करते हैं।

५. प्राणप्रतिष्ठा हेतु न्यास-

ॐ ब्रह्मा मूर्ध्नि। शिखायां विष्णुः। रुद्रो ललाटे। भ्रु्रवोर्मध्ये परमात्मा। चक्षुषोः चन्द्रादित्यौ। कर्णयोः शुक्रबृहस्पती। नासिकयोः वायुदैवतम्। दन्तपंक्तौ अश्विनौ। उभे सन्ध्ये ओष्ठयोः। मुखे अग्निः। जिह्वायां सरस्वती। ग्रीवायां तु बृहस्पतिः। स्तनयोः वसिष्ठः। बाह्वोः मरुतः। हृदये पर्जन्यः। आकाशम् उदरे। नाभौ अन्तरिक्षम्। कट्योः इन्द्राग्नी। विश्वेदेवा जान्वोः। जङ्घायां कौशिकः। पादयोः पृथिवी। वनस्पतयोंऽगुलीषु। ऋषयो रोमसु। नखेषु मुहूर्ताः। अस्थिषु ग्रहाः। असृङ्मांसयोः ऋतवः। संवत्सरो वै निमिषे। अहोरात्रं त्वादित्यश्चन्द्रमा देवता। 
अर्थात्- हे वेदमातः, हे देवमातः, हे विश्वमातः गायत्रि देवि! इस ब्रह्माण्ड के विभिन्न क्षेत्र आपके विग्रह के विभिन्न अङ्गों के रूप में ही प्रतिष्ठित हैं। यथा- सिर में ब्रह्म, शिखा में विष्णु, ललाट में शिव, भू (भौं के) मध्य में परमात्मा, नेत्रों में सूर्य, चन्द्रमा, कानों में शुक्र, बृहस्पति, नासिका में वायु देवता, दन्त- पंक्तियों में अश्विनीकुमार, ओष्ठों में दोनों सन्ध्याएँ मुख में अग्नि, जिह्वा में सरस्वती, गले में बृहस्पति, स्तनों में वसिष्ठ, भुजाओं में मरुत्, हृदय में पर्जन्य, उदर में आकाश, नाभि में अन्तरिक्ष, कटि में इन्द्राग्नी, घुटनों ने विश्वेदेवा, जंघाओं में कौशिक (विश्वामित्र), पैरों में पृथ्वी, अंगुलियों में वनस्पतियाँ, रोमकूपों में ऋषिगण, नखों में मुहूर्त्त, अस्थियों में ग्रह, रक्त- मांस में ऋतुएँ, पलकों में संवत्सर और अहोरात्र में आदित्य- चन्द्रमा प्रतिष्ठित हैं। 
ॐ प्रवरां दिव्यां गायत्रीं   सहस्रनेत्रां शरणमहं प्रपद्ये। ॐ तत्सवितुर्वरेण्याय नमः। ॐ तत्पूर्वजयाय नमः। ॐ तत्प्रातरादित्याय नमः। ॐ तत्प्रातरादित्यप्रतिष्ठायै नमः। -गा०पु०प०

अर्थात्- विश्व की परम श्रेष्ठ दिव्य शक्ति, सहस्र नेत्रों वाली गायत्री देवी की शरण में आये हैं। हम सविता के वरेण्य तेजस् को प्रणाम करते हैं, उसके पूर्व जयशील तेजस् को प्रणाम करते हैं, प्रातःकालीन आदित्य के दिव्य तेजस् को प्रणाम करते हैं। प्रातःकालीन आदित्य में प्रतिष्ठित गायत्री को दिव्य तेजस् के रूप में प्रणाम करते हैं। 
प्राण स्थिरीकरण-

ॐ अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु, अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च। अस्यै देवत्वमर्चायै, मामहेति च कश्चन॥ - प्रति० म०पृ०३५२

अर्थात्- इस देव प्रतिमा के प्राण यहाँ प्रतिष्ठित हों, इसमें निरन्तर दिव्य प्राणों का सञ्चरण होता रहे। अर्चना के लिए इसके देवत्व की महनीयता को कोई सामान्य न समझे। 
षोडशोपचार- पुरुषसूक्त (पृष्ठ १८६ से १९८) करें, तदुपरान्त वेदमाता या प्रतिष्ठित प्रतिमा की आरती उतारें, साष्टाङ्ग प्रणाम करें। 
ॐ त्वं मातः सवितुर्वरेण्यमतुलं, भर्गः सुसेव्यः सदा, यो बुद्धीर्नितरां प्रचोदयति नः, सत्कर्मसु प्राणदः। तद्रूपां विमलां द्विजातिभिरुपा, स्यां मातरं मानसे, ध्यात्वा त्वां कुरु शं ममापि जगतां, सम्प्रार्थयेऽहं मुदा॥ -गा०पु०प०

अर्थात्- हे वेदमाता गायत्रि! आप सविता के श्रेष्ठ अतुलनीय भर्ग रूप में सर्वदा उपासनीय हैं। वह आपका प्राणदायी दिव्य तेज हमें श्रेष्ठकर्मों के  अनुष्ठान की प्ररेणा देता है। समस्त द्विजों से उपास्य विमल रूपिणी हे मात! हम मानस पटल पर आपका ही ध्यान करते हैं। आप हमारा तथा सम्पूर्ण जगत् का कल्याण कीजिए, हम तो प्रसन्नतापूर्वक आपसे यही प्रार्थना करते हैं। 
आरती समाप्त होने पर सभी उपस्थित श्रद्धासुजन भावना सहित मातेश्वरी को नमस्कार करें। नमस्कार के साथ यह मन्त्र बोला जाये- तत्पश्चात् जयघोष के साथ कार्यक्रम समाप्त करें। 
नमस्कार- ॐ नमस्ते देवि गायत्रि! सावित्रि त्रिपदेऽक्षरे! अजरे अमरे मातः, त्राहि मां भवसागरात्। नमस्ते सूर्यसंकाशे, सूर्यसावित्रिकेऽमले! ब्रह्मविद्ये महाविद्ये, वेदमातर्नमोऽस्तु ते॥ अनन्तकोटिब्रह्माण्ड- व्यापिनि ब्रह्मचारिणि! नित्यानन्दे महामाये, परेशानि नमोऽस्तु ते॥ -गा०पु०प० [हे गायत्री देवि! आपको हम प्रणाम करते हैं। आप ही सावित्री हैं, त्रिपदा एवं अक्षरा भी आप ही हैं। आप ही अजर हैं, आप ही अमर हैं। आप हमें जन्म- मरण रूप संस्कार से बचाएँ। सूर्य के समान तेजोमयी हे विशुद्ध रूपे, हे ब्रह्मविद्ये! हे वेदमातः! हम आपको प्रणाम करते हैं। हे अनन्तकोटि ब्रह्माण्ड में व्याप्त ब्रह्मचारिणी, हे नित्यानन्दे! हे महामाये! हे पराशक्ते! हम आपको प्रणाम करते हैं।]
First 20 22 Last


Other Version of this book



कर्मकांड प्रदीप
Type: SCAN
Language: HINDI
...

कर्मकांड प्रदीप
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books



अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

बलि वैश्व
Type: TEXT
Language: HINDI
...

बलि वैश्व
Type: TEXT
Language: HINDI
...

वाल्मीकि रामायण से प्रगतिशील प्रेरणा
Type: TEXT
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग यज्ञ पद्धति - दीप यज्ञ
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री की गुप्त शक्तियाँ
Type: SCAN
Language: EN
...

गायत्री की गुप्त शक्तियाँ
Type: SCAN
Language: EN
...

स्वर योग से दिव्य ज्ञान
Type: SCAN
Language: HINDI
...

स्वर योग से दिव्य ज्ञान
Type: SCAN
Language: HINDI
...

परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय
Type: SCAN
Language: HINDI
...

परमार्थ और स्वार्थ का समन्वय
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतन मन और उसका सुनियोजन
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतन मन और उसका सुनियोजन
Type: SCAN
Language: HINDI
...

गायत्री साधना और यज्ञ प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

गायत्री साधना और यज्ञ प्रक्रिया
Type: SCAN
Language: EN
...

अध्यात्म धर्म का अवलम्बन
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अध्यात्म धर्म का अवलम्बन
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
Type: SCAN
Language: HINDI
...

अन्तर्जगत् की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान -1
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Articles of Books

  • संस्करण के सन्दर्भ में
  • सङ्केत- विवरण
  • प्रारम्भिक यज्ञीय कर्मकाण्ड
  • गायत्री माता की आरती
  • यज्ञ महिमा
  • युग निर्माणसत्सङ्कल्प
  • शक्तिपीठों की दैनिक पूजा
  • विशिष्ट कलश- पूजन
  • सर्वतोभद्र वेदिका पूजन
  • पुरुष सूक्त
  • त्रिदेव पूजन
  • पञ्चवेदी पूजन
  • पञ्चभू- संस्कार
  • कुशकण्डिका
  • मेखलापूजन
  • पञ्चामृतकरण
  • दशविध स्नान
  • स्फुट प्रकरण , अभिषेक, आशिवर्चन
  • भूमि पूजन प्रकरण
  • गृहप्रवेश- वास्तु शान्ति प्रयोग
  • प्राण प्रतिष्ठा प्रकरण
  • विश्वकर्मा पूजन
  • एकादशी उद्यापन
  • वाहन- उद्योग कारखाना- मशीन पूजन
  • गोदान- सङ्कल्प (गो- पूजन विधि)
  • रस्म पगड़ी
  • मूल शान्ति
  • पुंसवन संस्कार
  • नामकरण संस्कार
  • अन्नप्राशन संस्कार
  • मुण्डन (चूडाकर्म) संस्कार
  • विद्यारम्भ संस्कार
  • यज्ञोपवीत- दीक्षा संस्कार
  • विवाह संस्कार
  • वानप्रस्थ संस्कार
  • जन्मदिवस संस्कार
  • विवाह दिवस संस्कार
  • आशौच (सूतक) विचार
  • जीवित श्राद्ध विधान
  • मातृषोडशी
  • दीपयज्ञ- युग यज्ञ विधान
  • नवग्रह स्तोत्र
  • गायत्री मञ्त्र के २४ देवता
  • वेद एवं देव स्थापना
  • विशेष- आहुतिः
  • लोकप्रिय मन्त्र
  • शिवाभिषेक
  • आरती शिव जी की
  • शिव स्तुति
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj