
अनुयाज
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1. समस्त शिविरार्थी युवाओं से शिविर सम्पन्न होने के बाद किसी न किसी तरह सम्पर्क बनाए रखना होगा।
2. ‘युवा संगठन निर्माण संकल्प पत्र’ के आधार पर यह जानकारी सुनिश्चित कर लें कि कितने युवा मण्डल/संगठन बनें हैं, तथा वे कहाँ- कहाँ हैं। वे अपने समूह के साथ साप्ताहिक बैठक/गोष्ठी हेतु कौन सा समय एवं दिन निर्धारित किए हैं (निर्धारण शिविर में ही हो चुका होता है)।
प्रत्येक युवा समूह में कोई दो सक्रिय व होशियार युवा को मुखिया बनाकर उन्हें साप्ताहिक गोष्ठी व संबंधित गतिविधियों की जिम्मेदारी सौंप दें (गोष्ठी सम्पन्न करने की विधि शिविर के दौरान बताई जा चुकी रहेगी) तथा संबंधित स्थान के गायत्री परिवार के जिम्मेदार परिजन या क्षेत्र में पर्यवेक्षण करने वाले कार्यकर्ता उनका स्नेहयुक्त उत्साहवर्धन करते रहें।
3. ‘बाल संस्कार शाला’ हेतु संकल्पित युवाओं को निर्धारित समय पर संस्कार शाला उद्घाटन करवाकर उन्हें कार्य में लगा दें। उनका पर्यवेक्षण करते रहें।
4. युवाओं की रुचि एवं सुविधाओं का ध्यान रखते हुए उन्हें अगली गतिविधियों से जोड़े रखें। गायत्री परिवार के बड़े कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित करें, सेवा के अवसर दें।
5. दो माह में कम से कम एक बार सभी युवाओं को एक स्थान
पर गोष्ठी में एकत्रित करने की योजना बनाएँ। गोष्ठी में उनके व्यक्तित्व निर्माण के सूत्रों को दोहराया जाय। चल रही गतिविधियों की समीक्षा की जाय।
6. जो गतिविधियाँ सुचारु रूप नहीं चल रही हैं, उसके लिए पुनर्विचार कर पुनः क्रियान्वित करने हेतु जिम्मेदार परिजन जुट जायें।
7. युवाओं को स्थानीय स्तर पर स्वच्छता- सफाई अभियान से जोड़कर उन्हें सक्रिय बनाया रखा जाय।
2. ‘युवा संगठन निर्माण संकल्प पत्र’ के आधार पर यह जानकारी सुनिश्चित कर लें कि कितने युवा मण्डल/संगठन बनें हैं, तथा वे कहाँ- कहाँ हैं। वे अपने समूह के साथ साप्ताहिक बैठक/गोष्ठी हेतु कौन सा समय एवं दिन निर्धारित किए हैं (निर्धारण शिविर में ही हो चुका होता है)।
प्रत्येक युवा समूह में कोई दो सक्रिय व होशियार युवा को मुखिया बनाकर उन्हें साप्ताहिक गोष्ठी व संबंधित गतिविधियों की जिम्मेदारी सौंप दें (गोष्ठी सम्पन्न करने की विधि शिविर के दौरान बताई जा चुकी रहेगी) तथा संबंधित स्थान के गायत्री परिवार के जिम्मेदार परिजन या क्षेत्र में पर्यवेक्षण करने वाले कार्यकर्ता उनका स्नेहयुक्त उत्साहवर्धन करते रहें।
3. ‘बाल संस्कार शाला’ हेतु संकल्पित युवाओं को निर्धारित समय पर संस्कार शाला उद्घाटन करवाकर उन्हें कार्य में लगा दें। उनका पर्यवेक्षण करते रहें।
4. युवाओं की रुचि एवं सुविधाओं का ध्यान रखते हुए उन्हें अगली गतिविधियों से जोड़े रखें। गायत्री परिवार के बड़े कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित करें, सेवा के अवसर दें।
5. दो माह में कम से कम एक बार सभी युवाओं को एक स्थान
पर गोष्ठी में एकत्रित करने की योजना बनाएँ। गोष्ठी में उनके व्यक्तित्व निर्माण के सूत्रों को दोहराया जाय। चल रही गतिविधियों की समीक्षा की जाय।
6. जो गतिविधियाँ सुचारु रूप नहीं चल रही हैं, उसके लिए पुनर्विचार कर पुनः क्रियान्वित करने हेतु जिम्मेदार परिजन जुट जायें।
7. युवाओं को स्थानीय स्तर पर स्वच्छता- सफाई अभियान से जोड़कर उन्हें सक्रिय बनाया रखा जाय।