
वितरण—एक महत्त्वपूर्ण शिक्षण
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मित्रो! हमारा पुरोहित, यज्ञ हमको दोनों बातें सिखाता है। हमारा पुरोहित जमा नहीं करता। जो कुछ भी इसके पास आता है, वह जमा नहीं करता। आपने हवन किया था? हाँ साहब! हवन किया था। हमने कहा-यज्ञ भगवान! बताइए आपने क्या-क्या जमा कर रखा है? सुबह हमने एक किलो घी हवन कर दिया था, वह तो आपके पास डिब्बी में जमा करके रखा होगा? नहीं, देख लीजिए भाई साहब! हमारे पास कुछ नहीं है। आप तलाशी ले लीजिए। नहीं साहब! आपके पास बैंक में जमा किया हुआ है और आपके पास सोना है ,जिसे आपने जमीन में गाड़ करके रखा हुआ है। भाई साहब! हमारे पास कुछ भी नहीं है, आप तलाश कर सकते हैं। यह कौन कहता है? यज्ञ कहता है। फिर हम यह पूछते हैं कि सवेरे से सैकड़ों आदमी आपको हवन कर रहे थे, कोई मिठाई खिला रहा था, कोई केला खिला रहा था, कोई सामग्री खिला रहा था। सब जगह से ढेरों आमदनी हो रही थी। इसका क्या हुआ? यज्ञ भगवान कहते हैं कि हम इसको बाँट देते हैं। जैसे-जैसे आया, हमने उसे तुरंत बाँट दिया। आपने आहुति दी और हमने उसे तुरंत हवा में बिखेर दिया। आपने हमारे अंदर शक्कर डाली और हमने उसे तुरंत हवा में बिखेर दिया। आपने हमारे अंदर सुगंधित पदार्थ डाले और हमने तुरंत बिखेर दिया, जमा नहीं किया। आप तलाश कर लीजिए। भस्मांत शरीरं-आप देख लीजिए हमारे पास खाक है और कुछ नहीं है।