
यज्ञ एक प्रकार से सफाई टैक्स है
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मित्रो! आपके शरीर में से चौबीसों घंटे बदबू निकलती रहती है, आप इसका सफाई टैक्स अदा कीजिए। सफाई टैक्स आवश्यक है? हाँ भाई साहब! सफाई टैक्स आवश्यक है। यदि सफाई टैक्स आप नहीं देते तो चुंगी वाला आपको गिरफ्तार करेगा, समाज आपकी निंदा करेगा और आप आध्यात्मिक दृष्टि से भी गुनहगार साबित होंगे। अत: आप टैक्स अदा करें, ताकि जिस हवा में से आपने अच्छी हवा ले करके खराब हवा पैदा कर दी है, उसके स्थान पर उसका कर्ज चुका देने के लिए बैलेंस बराबर कर देने के लिए आपको टैक्स अदा कर देना चाहिए। यह क्या है? यह विज्ञान है। गंदगी को दूर करने के लिए अच्छी सुगंध फैलाना क्या है? यह हमारा फर्ज है और हमारा नागरिक कर्तव्य है, ताकि समाज से जब हम विदा हों तो हमारा बैलेंस बराबर हो जाए। गंदगी कितनी फैलाई-सौ मन। सौ मन सुगंध तो हम नहीं फैला सके, तो भी चलिए नौ मन तो फैलाई। ईमान तो है कि हमको सुगंध फैलानी है। इसमें और अधिक गंदगी से जो नुकसान होता है, उसे भी पूरा करना है। यह आवश्यक है, कम्पल्सरी है। इसलिए हमारे यहाँ बताया गया है कि हर आदमी के लिए यज्ञ एक आवश्यक दैनिक कृत्य है; क्योंकि आदमी गंदगी नित्य फैलाता है, इसलिए सुगंध के लिए भी नित्य प्रयत्न करना चाहिए। यह वायु संशोधन का काम नंबर एक हुआ। इसकी वजह से, विज्ञान की दृष्टि से हमारे लिए यह आवश्यक है कि अगर आप हवन नहीं करेंगे, वायु का संशोधन नहीं करेंगे, तो फिर आप देख लेना, वायु में प्रदूषण की शिकायत रोज बढ़ती ही जाएगी। मशीनें गंदगी फैलाती हैं, फैक्टरियों गंदगी फैलाती हैं भाई साहब! ये जितनी गंदगी फैलाती हैं, सो तो है ही पर इतने इनसानों द्वारा, कितनी गंदगी फैलती है, अगर आपने कभी इसका हिसाब लगाया होता तो आपकी समझ में आ जाता। मैं मानता हूँ किं फैक्टरियाँ गंदगी फैलाती हैं पर इनसान भी खूब गंदगी फैलाते हैं। इनसानों द्वारा गंदगी फैलाने का निराकरण करना हमारा नागरिक कर्तव्य है, हमारा सामाजिक कर्तव्य है और हमारा नैतिक कर्तव्य है अर्थात यज्ञ हमारा नैतिक कर्तव्य है।
आज की बात समाप्त।
॥ॐ शान्ति:॥
आज की बात समाप्त।
॥ॐ शान्ति:॥