
सिर कभी झुकने न पाए
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आप कौन हैं? आप इनसान हैं और आप प्रगतिशील हैं। इसलिए आपका विचार और आपका चिंतन, आपकी आस्थाएँ और आपकी मान्यताएँ और आपका आदर्श और आपका गौरव हमेशा ऊँचा रहना चाहिए। दबाव पड़ता है। हाँ बेटे! हम जानते हैं कि आप पर बाहरी लोगों का भी दबाव पड़ सकता है और आपको मजबूर करने वाले अंदर से भी दबाव पड़ सकते हैं। दोनों दबाव पड़ सकते हैं, लेकिन आपका सिर अर्थात आपका चिंतन, आपका गौरव, आपकी शिखा नीचे की तरफ नहीं चलनी चाहिए। कोई आदमी आपको यों न कहने पाए कि आपने सिर झुका लिया। अन्याय के सामने, अनीति के सामने आपने सिर झुका दिया। देवता के सामने, न्याय के सामने आप सिर झुका सकते हैं, लेकिन अनीति के सामने, दबाव के सामने आपका सिर नहीं झुकना चाहिए। आपका सिर हमेशा ऊँचा रहना चाहिए। यह किसकी नसीहत है? यह हमारे पुरोहित की नसीहत है, यज्ञ भगवान की नसीहत है। यह तीसरी वाली शिक्षा है।