
सूक्ष्मीकरण साधना के तथ्य एवं औचित्य
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
निर्दोष और निर्भ्रान्त तो केवल परमेश्वर है, पर सौभाग्य से अभी इस जीवन में ऐसे अवसर नहीं आये, जिससे प्रतिपादित आदर्शों के विपरीत आचरण करने पड़े हों। आमतौर से लोग लोभ और मोहवश ही कुमार्ग अपनाते और कुकृत्य करते हैं। इन दोनों में निरंतर कुश्ती होती रहती है। ऐसा दुर्दिन अभी नहीं आया, जिससे वह हमें पछाड़ पाया हो। फिर जो एकान्तवास जैसे कदम उठे हैं। उनमें कष्ट ही कष्ट और कठिनाइयाँ ही कठिनाइयाँ हैं। बुढ़ापे की काया अब आराम चाहती और सहारा ताकती है। इसके स्थान पर सपरिश्रम आजीवन कारावास जैसी कठोर यातनाएँ सहनी पड़ें और ऊपर से पलायनवादी निष्ठुर होने का लांछन सहना हो, तो उसे अंगीकार करने में कोई वज्र मूर्ख ही तैयार हो सकता है। हमारी विवेक बुद्धि और औचित्य की दृष्टि में अभी राई रत्ती भर भी अंतर नहीं आया है, इसलिए यह सोचना उचित न होगा कि अकारण कोई सनक उठ खड़ी हुई है और वह किया जा रहा है, जिसे प्रियजन नहीं चाहते। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए उन कारणों को समझना पड़ेगा, जिससे प्रस्तुत कटु प्रयोग को अपनाने की मजबूरी लद गई।
सूक्ष्मीकरण का अपना नया कदम यों लोकमंगल और उच्च उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपेक्षाकृत और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है फिर भी उसके संबंध में गहराई तक उतर कर सोच न पाने के कारण ऐसा प्रतीत हो सकता है कि निर्णय गलत हुआ। इससे हर किसी के लिए असुविधा उत्पन्न होगी और युगसंधि की इस ऐतिहासिक वेला में जो होना चाहिए था वैसा बन नहीं पड़ेगा। उलटे अवरोध उत्पन्न होगा। आवश्यक समझा गया कि इसका समय रहते निराकरण करने का प्रयत्न किया जाय।
सूक्ष्मीकरण का अपना नया कदम यों लोकमंगल और उच्च उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपेक्षाकृत और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है फिर भी उसके संबंध में गहराई तक उतर कर सोच न पाने के कारण ऐसा प्रतीत हो सकता है कि निर्णय गलत हुआ। इससे हर किसी के लिए असुविधा उत्पन्न होगी और युगसंधि की इस ऐतिहासिक वेला में जो होना चाहिए था वैसा बन नहीं पड़ेगा। उलटे अवरोध उत्पन्न होगा। आवश्यक समझा गया कि इसका समय रहते निराकरण करने का प्रयत्न किया जाय।