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27 जुलाई 2025
टेक्सस, अमेरिका
अमेरिका एवं यूरोप प्रवास के दौरान आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी द्वारा टैक्सस में चल रहे रीयूनिअन कैम्प के तीसरे दिन प्रतिभागियों के मध्य अन्तर्यात्रा जैसे गंभीर विषय पर उद्बोधन दिया गया! प्रत्येक आयुवर्ग के लोगों ने अंतर्जगत की यात्रा के सूत्रों को आद. डॉ. पंड्या के माध्यम से जाना एवं अवलंबन हेतु संकल्प किया! आर्षग्रंथों एवं पूज्य गुरुदेव के कथनों का उद्धरण देते हुए आद. डॉ. पंड्या ने उपस्थित जिज्ञासुओं को साधना के सच्चे स्वरूप एवं महात्म्य से अवगत कराया!




















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हरिद्वार 27 जुलाई।
हरिद्वार स्थित गायत्री तीर्थ शांतिकुंज एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार ने रविवार को वृक्ष-गंगा-साहित्य स्वच्छता जनजागरण वाहन रैली निकाली। यह रैली शहरवासियों को वृक्षारोपण, गंगा संरक्षण, स्वच्छता एवं सत्साहित्य प्रसार के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से निकाली गई।
रैली को व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि एवं वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र ने झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रैली में 300 से अधिक वाहन शामिल रहे। रैली ने करीब 15 किलोमीटर की दूरी तय की और हरिद्वार शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में पहुंची। जहां रैली में शामिल लोगों ने प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक कर सम्पूर्ण मानवता के कल्याण हेतु प्रार्थना की।
इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने अपने संदेश में कहा कि जन जागरण ही राष्ट्र निर्माण का आधार है। जब वृक्ष, गंगा और साहित्य जैसे जीवनदायी तत्वों को स्वच्छ और संरक्षित किया जाएगा, तभी समाज में सच्चा उजियारा आएगा। यह रैली एक पुनीत यज्ञ है जिसमें जन-जन की आहुति आवश्यक है।
शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि ने कहा कि यह रैली न केवल एक आयोजन है, वरन् आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और संस्कार देने का माध्यम है। जब नागरिक जागरूक होंगे, तभी भारत स्वच्छ, स्वस्थ और सशक्त बनेगा।
रैली समन्वयक श्री श्याम बिहारी दुबे ने बताया कि यह रैली माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी एवं अखंड दीप शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियानों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने बताया कि इस रैली के माध्यम से वृक्षारोपण, गंगा को प्रदूषण से बचाने, सत्साहित्य के प्रसार एवं स्वच्छ भारत अभियान के लिए जन-जागरूकता का संदेश दिया गया।
इस रैली में शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्ता, भाई-बहन, प्रशिक्षणार्थी नर-नारी एवं देवसंस्कृति विवि परिवार ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पूरे मार्ग में स्थानीय नागरिकों ने भी रैली का स्वागत कर समर्थन प्रकट किया।
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हरिद्वार 27 जुलाई।
हरिद्वार स्थित गायत्री तीर्थ शांतिकुंज एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार ने रविवार को वृक्ष-गंगा-साहित्य स्वच्छता जनजागरण वाहन रैली निकाली। यह रैली शहरवासियों को वृक्षारोपण, गंगा संरक्षण, स्वच्छता एवं सत्साहित्य प्रसार के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से निकाली गई।
रैली को व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि एवं वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र ने झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रैली में 300 से अधिक वाहन शामिल रहे। रैली ने करीब 15 किलोमीटर की दूरी तय की और हरिद्वार शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में पहुंची। जहां रैली में शामिल लोगों ने प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक कर सम्पूर्ण मानवता के कल्याण हेतु प्रार्थना की।
इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने अपने संदेश में कहा कि जन जागरण ही राष्ट्र निर्माण का आधार है। जब वृक्ष, गंगा और साहित्य जैसे जीवनदायी तत्वों को स्वच्छ और संरक्षित किया जाएगा, तभी समाज में सच्चा उजियारा आएगा। यह रैली एक पुनीत यज्ञ है जिसमें जन-जन की आहुति आवश्यक है।
शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि ने कहा कि यह रैली न केवल एक आयोजन है, वरन् आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और संस्कार देने का माध्यम है। जब नागरिक जागरूक होंगे, तभी भारत स्वच्छ, स्वस्थ और सशक्त बनेगा।
रैली समन्वयक श्री श्याम बिहारी दुबे ने बताया कि यह रैली माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी एवं अखंड दीप शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियानों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने बताया कि इस रैली के माध्यम से वृक्षारोपण, गंगा को प्रदूषण से बचाने, सत्साहित्य के प्रसार एवं स्वच्छ भारत अभियान के लिए जन-जागरूकता का संदेश दिया गया।
इस रैली में शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्ता, भाई-बहन, प्रशिक्षणार्थी नर-नारी एवं देवसंस्कृति विवि परिवार ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। पूरे मार्ग में स्थानीय नागरिकों ने भी रैली का स्वागत कर समर्थन प्रकट किया।

टैक्सस, अमेरिका
टैक्सस में पॉट्सबोरो शहर में आयोजित रीयूनिअन कैम्प के दूसरे दिन आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी के द्वारा जीवन: वरदान या अभिशाप विषय पर प्रेरक उद्बोधन दिया गया! भारत, कनाडा, ब्रिटेन सहित अमेरिका के विभिन्न राज्यों यथा कैलिफोर्निया, एरिजोना, कनेक्टिकट, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, इलीनोईस, इंडियाना, न्यून जर्सी आदि अनेक राज्यों से सैंकड़ों की संख्या में एकत्रित जिज्ञासुओं ने पूज्य गुरुदेव सहित अनेकों महापुरुषों के जीवन के प्रेरणादायक उद्धरणों को आद. डॉ. पंड्या के व्याख्यान के माध्यम से सुना!












क्सस, अमेरिका
विदेश प्रवास के दौरान 26 जुलाई को आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी एवं आद. श्रीमती शेफाली पंड्या जी द्वारा टैक्सस में पॉट्सबोरो में चल रहे रीयूनिअन कैम्प के दूसरे ही दिन भारत, कनाडा, ब्रिटेन सहित अमेरिका के विभिन्न राज्यों के गायत्री परिवार के प्रतिनिधियों एवं परिजनों द्वारा चलाए जा रहे बाल संस्कार शाला व अन्य गतिविधियों का अवलोकन एवं आयोजकों का समुचित मार्गदर्शन भी किया गया! शांतिकुंज केन्द्रीय प्रतिनिधियों की गरिमामय उपस्थिति में भारतीय संस्कृति आधारित विभिन्न साँस्कृतिक कार्यक्रमों की अनुपम प्रस्तुतियों के साथ दिन का समापन हुआ!

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टेक्सस, अमेरिका
पूज्य गुरुदेव की साधना, वंदनीया माताजी एवं अखण्ड ज्योति की संयुक्त जन्मशताब्दी के प्रयाज कार्यक्रम की श्रृंखला में आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी आद. श्रीमती शेफाली पंड्या जी सहित अमेरिका के टैक्सस राज्य में ज्योति कलश लेकर पहुंचे! पॉट्सबोरो शहर में आयोजित गायत्री परिवार रीयूनिअन में समूचे अमेरिका से आए प्रतिभागी परिजनों द्वारा केंद्रीय प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति में ज्योति कलश के शुभ आगमन पर भव्य स्वागत एवं विधिवत पूजन संपन्न किया गया जिस क्रम में आद. डॉ. पंड्या द्वारा ज्योति कलश के महात्म्य एवं उसकी प्रेरणा पर प्रकाश डाला गया व प्रतिभागियों को गायत्री तीर्थ शांतिकुंज आगमन एवं 2026 वर्ष के जन्मशताब्दी समारोह में सहभागिता का आमंत्रण भी आद. डॉ. पंड्या द्वारा प्रेषित किया गया!

















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On July 26, 2025, the Department of Computer Science, in collaboration with the Dev Sanskriti Alumni Association, organized a thought-provoking session under the guidance of Hon. Pro Vice Chancellor Sir. Alumni Speak Webinar Series, centered on the highly relevant theme:
“Being Industry Ready – From Campus to Corporate World.”
The session featured distinguished alumni who are now excelling in diverse roles across reputed organizations.
The panel included:
• Mr. Pravin Mangalam, R&D Engineer at Broadcom
• Mr. Vishweshwar Manav, Data Analyst at Accenture
• Mr. Aniket Kumar, DevOps Engineer at KocharTech
• Mr. Rudraksha Sharma, Data Analyst at C5i
The session marked an inspiring start to the new academic semester. With fresh faces entering the university and senior students preparing for their next steps, the event aimed to provide much-needed clarity on bridging the gap between academic learning and real-world industry expectations.
Each speaker shared their journey from the campus corridors of Dev Sanskriti Vishwavidyalaya to impactful roles in the corporate world. Through personal stories, industry insights, and practical tips, the speakers offered students a realistic view of what it means to be “industry ready.”
The key takeaways included the importance of continuous skill development, adaptability in changing technological landscapes, effective communication, and a mindset tuned to problem-solving and innovation.
The session was highly interactive, with students actively engaging in Q&A, discussing career challenges, and exploring diverse paths in fields like data analytics, software development, DevOps, and research.
This edition of Alumni Speaks Webinar Series not only empowered students with clarity and direction but also strengthened the bond between alumni and their alma mater. Events like these continue to play a pivotal role in nurturing career readiness and value-based professional growth at Dev Sanskriti Vishwavidyalaya.
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अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रतिनिधि आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी एवं आद. श्रीमती शेफाली पंड्या जी ने अपने विदेश यात्रा के क्रम में डलास के लोकप्रिय रेडियो चैनल फन एशिया के माध्यम से अखण्ड ज्योति एवं वंदनीया माताजी के वर्ष 2026 जन्मशताब्दी समारोह की जानकारी साझा की एवं जुड़े श्रोताओं को सहभागिता हेतु आमंत्रित भी किया! इसी कड़ी में स्थानीय गायत्री परिजनों से मुलाकात करने व उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न गतिविधियों के साथ ही योग-आयुर्वेदिक केंद्र का भी आद. डॉ. पंड्या ने अवलोकन किया

















सारी की सारी सिद्धियाँ और चमत्कार, जिनको आप तलाश करते हैं, बाहर-बाहर नहीं हैं। वो हमारे भीतर निवास करती हैं।
जिन चीजों की आपको तलाश है और जिन चीजों को आप चाहते हैं, जिन चीजों को आप चाहते हैं, कस्तूरी का हिरण चाहता है हमको सुगंध मिले। भागता तो है, दौड़ तो लगाता है, लेकिन वो खाली हाथ रह जाता है। उसकी इच्छा तब पूरी होती है, जब अपनी नाक को अपनी नाभि से लगाकर के चैन के साथ में देखता है कि खुशबू तो हमारे भीतर से आ रही थी। बेटे, हमारे भीतर से आती है, भीतर से आती है।
सही मायने में मुसीबत हमारे भीतर से आती है। बीमारियाँ हमारे भीतर से आती हैं। हमारे क्लेश हमारे भीतर से आते हैं। द्वेष हमारे भीतर से आते हैं। रोष हमारे भीतर से आते हैं। निंदा हमारे भीतर से आती है। प्रतिक्रियाएँ हैं हमारी ये। जिन चीजों को आप ये समझते हैं कि ये मुसीबत है, ये मुसीबत नहीं है। यह प्रतिक्रियाएँ हैं। बीमारी क्या है? हमारे भीतर की, हमारे भीतर की गंदगी की प्रतिक्रिया है। मच्छर क्या है?
मक्खी क्या है? चूहे क्या हैं? बिलार क्या है? कुछ भी नहीं। गंदगी की प्रतिक्रिया है। गंदगी बनी रहेगी, मच्छर जरूर पैदा होंगे, मक्खियाँ जरूर पैदा होंगी, कीड़े जरूर पैदा होंगे, दूसरी चीजें जरूर पैदा होंगी। गंदगी जब तक तेरे पास कायम है, तब तक बेटे, तेरे खिलाफ वाली प्रतिक्रिया जरूर आती रहेंगी। उसे कोई नहीं रोक सकता। अगर रोकना है, तो अपने आप को साफ कर। अपने आप को ठीक कर।
बाहर की परिस्थितियाँ सुधार दे बेटे, हम सुधार देंगे। लेकिन भीतर वाली परिस्थितियाँ अगर तेरी ज्यों की त्यों बनी रही, तो बाहर वाली सहायता और बाहर वाले सहकार से तेरा कैसे भला हो सकता है? जो-जो मदद भगवान शंकर जी ने भगीरथ को की थी, वही मदद भस्मासुर को की थी। जो मदद शंकर जी ने अन्य किसी लोगों की की होगी, ऋषियों को की होगी, वही मदद शंकर भगवान ने रावण की भी की।
रावण की भी मनोकामना पूरी करने के लिए आशीर्वाद माँगे थे। आप आशीर्वाद माँगिए और हम दे देंगे। तो अब तो हमारा उद्धार हो जाएगा? नहीं बेटे, अभी उद्धार नहीं होगा। तूने जो सुराख जो करता था, वो बंद कर दिए हैं।
सुराख बंद करने से ही तो काम चलेगा? नहीं। तेरे बर्तन में कुछ सामान भी तो होना चाहिए। सुराख बंद कर दिया, अरे सुराख तो बंद कर दिया, यह तो अच्छा है, पर उसमें कुछ जमा भी तो कर। कुछ जमा भी तो करो उसमें। नहीं साहब, पहले जो हम शराब पीते थे, वो बंद कर दी। तो बेटे, बड़ी अच्छी बात है। अब शराब पीने से, शराब पीने से तेरा स्वास्थ्य खराब होता होगा, नहीं होगा।
अब तूने दूध पीना शुरू किया कि नहीं? और तूने व्यायाम करना शुरू किया कि नहीं?
नहीं महाराज जी, वो तो मैं नहीं करता। शराब पीना बंद कर दिया, तेरा नुकसान होना बंद हो जाएगा, बस। जो तेरी उन्नति होनी चाहिए, वो कहाँ से होगी? इसीलिए हमने हमेशा यह सिखाया है कि अपने व्यक्तित्व का एक हिस्सा — वो जिसमें हमारे अंदर कमियाँ भरी पड़ी हैं, और गंदगियाँ भरी पड़ी हैं, और दोष और दुर्गुण भरे पड़े हैं — उनको हमको दूर करने के लिए अपने आप से लोहा लेना चाहिए और अपने आप से लड़ाई लड़नी चाहिए।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन एक वन है जिसमें फूल भी है और कांटे भी; जिसमें हरी-भरी सुरम्य घाटियाँ भी हैं और ऊबड़-खाबड़ जमीन भी। अधिकतर वनों में वन्य-पशुओं और वनवासियों के आने-जाने से छोटी-मोटी पगडण्डियाँ बन जाती हैं। देखने में तो यह सुव्यवस्थित रास्ते प्रतीत होते हैं किन्तु यह जंगलों में जाकर लुप्त हो जाते हैं। आसानी और शीघ्रता के लिए बहुधा यात्री इन पगडंडियों को पकड़ लेते हैं और सही रास्ते को छोड़ देते हैं।
जीवन-वन में ऐसी पगडंडियाँ बहुत हैं जो छोटी दीखती हैं, पर गंतव्य स्थान तक पहुँचती नहीं है। जल्दबाज लोग पगडंडियाँ ही ढूंढ़ते हैं, किन्तु उनको यह मालूम नहीं होता है कि ये अन्त तक नहीं पहुँचती और जल्दी काम बनने का लालच दिखाकर दल-दल में फँसा देती है। ये रास्ते वास्तव में बड़े ही आकर्षक होते हैं।
पाप और अनीति का मार्ग जंगल की पगडंडी, मछली की वंशी और चिड़ियों के जाल की तरह है। अभीष्ट कामनाओं की जल्दी से जल्दी, अधिक से अधिक मात्रा में पूर्ति हो जाये, इस लालच से लोग वह काम करना चाहते हैं जो जल्दी ही सफलता की मंजिल तक पहुँचा दे। जल्दी और अधिकता दोनों ही वाँछनीय हैं, पर उतावली में उद्देश्य को ही नष्ट कर देना, बुद्धिमत्ता नहीं माना जायगा।
जीवन-वन का राजमार्ग सदाचार और धर्म है। उस पर चलते हुए लक्ष्य तक पहुँचना समय-साध्य तो हैं, पर जोखिम उसमें नहीं है। ईमानदारी के राजमार्ग पर चलते हुए मंजिल देर में पूरी होती है, उसमें सीमा और मर्यादाओं का भी बन्धन है, पर अनीति का वह दल-दल, वन की वह कँटीली झाड़ियाँ और ऊबड़-खाबड़ जमीन राजमार्ग में कहाँ ? जिनमें फँसकर जीवनोद्देश्य ही नष्ट हो जाता है। हम पगडंडियों पर न चलें, राजमार्ग ही अपनावें। देर में सही, थोड़ी सही, पर जो सफलता मिलेगी, वह स्थायी भी होगी और शान्तिदायक भी।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अखण्ड ज्योति-फरवरी 1975 पृष्ठ 3