देसंविवि में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
कार्यशाला में 80 शोध पत्र पढ़े गये, प्रतिभागियों को किया गया सम्माानित
हरिद्वार 22 मार्च। देव संस्कृति विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक अध्यात्म पर अयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। समापन सत्र में पैनल चर्चा हुई और प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा किये। देसंविवि के संकायाध्यक्ष श्री संदीप कुमार, डॉ पीयूष त्रिवेदी और डॉ कृष्णा झरे ने वैज्ञानिक अध्यात्म पर अपने विचार रखे। साथ ही सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न व प्रमाण पत्र आदि भेंटकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉ राजेश रंजन ने यज्ञ का अध्यात्म विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के विषय पर चर्चा की। डॉ अमिताभ सराफ जी ने युगऋषि तपोनिष्ठ पंडित श्री राम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक काया ऊर्जा एवं उसकी चमत्कारी शक्ति से अपनी आध्यात्मिकता की यात्रा के विषय में बताई। पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ सुखनंदन सिंह ने भी अपने विचार प्रकट किया। डॉ संतोष विश्वकर्मा, सुश्री पूनम जी, कुमुदिनी मुदुली जी एवं डॉ गायत्री शर्मा जी इत्यादि लोगों ने वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यशाला में कुल 80 शोधपत्र पढ़े गये।
पश्चात प्रतिभागियों ने युगऋषि द्वारा स्थापित शांतिकुंज, देवसंस्कृति विवि की विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन किया और शांतिकुंज व देसंविवि वैज्ञानिक अध्यात्मकवाद पर हो शोध कार्य से अवगत हुए।
समापन समारोह से पूर्व प्रतिभागियों ने शांतिकुंंज स्थित चैतन्य तीर्थ प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा व सन 1926 से सतत प्रज्वलित सिद्ध अखण्ड दीपक के दर्शन किया और ब्रह्मवादिनी बहिनों द्वारा संचालित 27 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव से आहुतियाँ दी।
Recent Post
आत्मचिंतन के क्षण
इस दानशील देश में हमें पहले प्रकार के दान के लिए अर्थात आध्यात्मिक ज्ञान के विस्तार के लिए साहसपूर्वक अग्रसर होना होगा! और यह ज्ञान-विस्तार भारत की सीमा में ही आबद्ध नहीं रहेगा, इसका विस्तार तो सार...
आत्मचिंतन के क्षण
शरीर से सत्कर्म करते हुए, मन में सद्भावनाओं की धारण करते हुए जो कुछ भी काम मनुष्य करता है वे सब आत्मसन्तोष उत्पन्न करते हैं। सफलता की प्रसन्नता क्षणिक है, पर सन्मार्ग पर कर्तव्य पालन का जो आत्म-सन्...
आत्मचिंतन के क्षण
सब लोग सुखी तो होना चाहते हैं, परंतु उसके लिए परिश्रम नहीं करना चाहते। यह तो न्याय की बात है, कि बिना कर्म किए फल मिलता नहीं। यदि आप उत्तम फल चाहते हैं तो पुरुषार्थ तो अवश्य ही करना होगा। यदि भोजन ...
आत्मचिंतन के क्षण
कठिनाइयों से, प्रतिकूलताओं से घिरे होने पर भी जीवन का वास्तविक प्रयोजन समझने वाले व्यक्ति कभी निराश नहीं होते, वे हर प्रकार की परिस्थितियों में अपने लक्ष्य से ही प्रेरणा प्राप्त करते तथा श्रेष्ठता ...
आत्मचिंतन के क्षण
मानसिक शुद्धि, पवित्रता एवं एकाग्रता पर आधारित है, जिसका मन जितना पवित्र और शुद्ध होगा, उसके सकंल्प उतने ही बलवान् एवं प्रभावशाली होंगे। सन्त- महात्माओं के शाप, वरदान की चमत्कारी घटनाएँ उनकी मन की ...
आत्मचिंतन के क्षण
राष्ट्रपिता का मन्तव्य हर स्त्री- पुरुष जिन्दा रहने के लिए शरीर श्रम करें। मनुष्य को अपनी बुद्धि की शक्ति का उपयोग आजीविका या उससे भी ज्यादा प्राप्त करने के लिए ही नहीं, बल्कि सेवा के लिए, परोपकार ...
आत्मचिंतन के क्षण
शरीर, मन और बुद्धि तीनों में ही काम शक्ति क्रियाशील है। शौर्य, साहस पराक्रम, जीवट, उत्साह और उमंग उसकी ही विभिन्न भौतिक विशेषताएँ हैं। उत्कृष्ट विचारणाएँ उदात्त भाव सम्वेदनाएँ काम की आध्यात्मिक विश...
आत्मचिंतन के क्षण
भाग्यवाद एवं ईश्वर की इच्छा से सब कुछ होता है- जैसी मान्यताएँ विपत्ति में असंतुलित न होने एवं संपत्ति में अहंकारी न होने के लिए एक मानसिक उपचार मात्र हैं। हर समय इन मान्यताओं का उपयोग अध्यात्म की आ...
आत्मचिंतन के क्षण
हम प्रथकतावादी न बनें। व्यक्तिगत बड़प्पन के फेर में न पड़ें। अपनी अलग से प्रतिभा चमकाने का झंझट मोल न लें। समूह के अंग बनकर रहें। सबकी उन्नति में अपनी उन्नति देखें और सबके सुख में अपना सुख खोजें। यह ...
आत्मचिंतन के क्षण
साधना का तात्पर्य है, अपने आप के कुसंस्कारों, दोष- दुर्गुणें का परिशोधन, परिमार्जन और उसके स्थान पर सज्जनता, सदाशयता का संस्थापन। आमतौर से अपने दोष- दुर्गुण सूझ नहीं पड़ते। यह कार्य विवेक बुद्धि को ...