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Magazine - Year 1940 - Version 2

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शारीरिक लक्षणों से स्वभाव की पहचान

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(ले. पं. कालीचरण शर्मा रुई की मंडी आगरा)

मनुष्य के स्वभाव विचार और आदतों का प्रभाव शरीर पर पड़ता है। यह बात अखण्ड ज्योति के पाठक अच्छी तरह जानते होंगे। महात्माओं के चेहरे से शान्ति और दुराचारियों पर से क्रूरता टपकते हुए एक बच्चा भी देख सकता है। चेहरे, आकृति और उसके आसपास का वातावरण ऐसा हो जाता है जिसके द्वारा दूसरों के मनोगत भावों का पता लग जाता है। किसी अज्ञान शक्ति द्वारा लोहा चुम्बक की भाँति अपने समान स्वभाव वालों के प्रति आकर्षण और विरुद्ध विचार वालों के प्रति अरुचि उत्पन्न होती है। मानसिक चेतना की ऊँची भूमिका में जगे हुए महात्मा इस बात का पता भली भाँति लगा लेते हैं कि किसकी आदतें कैसी हैं और वह क्या इच्छाऐं धारण किये हुए हैं। परन्तु साधारण लोगों के लिये यह बातें उतनी आसान नहीं है। बुरे आदमियों के सहवास में उन्हें सन्देह और अरुचि की जो गंध आती है यह इतनी सूक्ष्म होती हैं कि बारीकी के साथ विचार किये बिना कुछ निश्चित ज्ञान नहीं होता जिन्होंने सांसारिक चतुरता तो प्राप्त कर ली है, पर आध्यात्मिकता की ओर नहीं उतने हैं। वे दूसरों के मनोगत भावों की जानने में प्रायः अधिक सफल नहीं होते।

मानसिक चेतना के बाद शारीरिक बनावट का नम्बर आता है। स्वभाव के लक्षण शरीर पर भी प्रतीत होते हैं। चिरस्थायी आदत के बाद उसका प्रभाव शरीर पर प्रत्यक्ष हो जाता है। आदत बदलते ही इन चिन्हों में भी परिवर्तन होने लगता है। नई और अस्थिर आदत के लक्षण शरीर पर अंकित होने आरम्भ तो हो जाते हैं, पर आँखों द्वारा देखने लायक ये तभी बनते हैं जब कुछ समय पुराने और अधिक स्थायी हो जाते हैं। जो लोग इन लक्षणों को जानते हैं वे शरीर पर उन्हें देखकर यह जान लेते हैं कि इस आदमी का स्वभाव कैसा है और उसके अनुसार भविष्य कैसा होना चाहिए।

इस लेख में हम यही बताने का प्रयत्न करेंगे कि किन शारीरिक लक्षणों से मनुष्य के स्वभाव के बारे में क्या- क्या जाना जा सकता है। आरम्भ में इन्हें पहचानने में कुछ कठिनाई होती है परन्तु अभ्यास के बाद यह सब सुलभ हो जाता है।

जिस आदमी की कनपटी सपाट हो, समझना चाहिए कि यह आत्म विश्वासी है, अपने ऊपर भरोसा रखता है। उभरी हुई कनपटियाँ और चौड़ा मस्तक इस बात का साक्षी है कि इस व्यक्ति में पढ़ने लिखने की रूचि और किसी भी बात को शीघ्र समझ लेने की शक्ति है। सकुड़ा हुआ मस्तक बुद्धि में न्यूनता प्रकट करना है। परन्तु यदि मस्तक में सकुड़्न पड़ती हो, झुर्रियों की रेखा सी पड़ जाती हो तो यह बात नहीं होती, ऐसा व्यक्ति छोटा मस्तक होते हुए भी बुद्धिमान होता है। गड्ढ़ेदार कनपटी नीच प्रकृति वालों की होती है।

जिस व्यक्ति की नाक जड़ में से ही कमानीदार हो कुछ गोलाई लिये हुए हो उसके विचार और निश्चय दृढ़ होने चाहिये। विचारशील, अध्ययन प्रिय और खोज करते रहने के स्वभाव वालों की नाक लम्बी तथा सिरे पर उठी हुई या मुड़ी हुई होती हैं। यदि वह सिरे पर झुकी हुई बैठी हुई हो तो कुशलता, चतुराई या हँसने वाला स्वभाव प्रकट करती है। छोटी या चिपटी नाक आत्म निर्भरता की द्योतक है। मोटी नाक वाले व्यक्ति धनी देखे जाते हैं। जिनके नथुने चौड़े होते हैं वे न तो भूखों मरते हैं और न अन्य प्रकार के कष्टों से भरा हुआ जीवन व्यतीत करते हैं।

आँखें यदि एक दूसरी से ज्यादा दूर हो तो सच्चाई प्रेम और सरलता का होना बताती हैं किन्तु यदि बहुत ज्यादा दूर हो तो मूर्खता और बुद्धूपन का प्रमाण होती है, आपस में एक दूसरे से पास- पास जिनकी आँखें होंगी वह चालाक और धोखेबाज होगा। छोटी पलकें दुराचार, लम्बी पलकें कविता प्रेम, मोटी पलकें ईमानदारी तथा पतली पलकें तीव्र बुद्धि का होना प्रकट करती हैं। जिस व्यक्ति की दोनों भौंहें खुली हुई हो वह चंचल स्वभाव और शक्ति प्रिय होगा। जिसकी भौंहे मिली हुई हैं वह कलाओं का प्रेमी होना चाहिए।

इसी प्रकार लम्बे कानों वाला झगड़ालू, बड़े कानों वाला सज्जन और दीर्घायु, छोटे कानों वाला स्वार्थी और टेढ़े मेढ़े शकल के कानों वाला मूर्ख होता है।

छोटे होट जो आपस में मिल जाते हो अर्थात आगे का सिरा बाहर न निकला रहता हो इस बात के प्रतीक हैं यह व्यक्ति मितभाषी, मधुर भाषी और गंभीर है। जिसका मुँह अधिक फटा हुआ हो, होट लम्बे हो वह मजाक पसंद और छिछोरे स्वभाव का होगा। गोलाई लिए हुए ऊपर का होट स्वभाव की सुन्दरता बताता है। साथ ही यदि वह मोटा भी हो तो अच्छे चरित्र का होना प्रमाणित करता है। ऐसे लोग जिनके ऊपर का होट पतला और नीचे का मोटा होता है अक्सर विषयी और लम्पट होते हैं।

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