
चैत सुदी 1 सं. 2001 वि. को शिक्षा आरंभ होने की संभावना
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हमारी बहुत दिनों से प्रबल इच्छा थी कि योगिराज श्री कृष्ण की लीला भूमि मथुरा नगरी में एक योग की शिक्षा देने वाले गुरुकुल की स्थापना की जाए। भाषा, साहित्य, गणित, भूगोल आदि पढ़ाने वाले अनेक विद्यालय मौजूद हैं। दस्तकारियाँ पेशे और नौकरी संबंधी ट्रेनिंग देने वाले भी कई स्कूल हैं छोटे बालकों ने भी कई वर्षों तक उत्तम शिक्षा देने वाली संस्थाएं भी हैं। पर ऐसी विद्यापीठ एक भी दिखाई नहीं पड़ती जहाँ कर्मयोग की व्यावहारिक शिक्षा देकर मनुष्य को वास्तविक अर्थों में मनुष्य बनाया जाता हो। इस अभाव की पूर्ति करने के लिए अखंड ज्योति प्रयत्नशील थी। ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान इस इच्छा को अब पूर्ण करना चाहते हैं।
यदि कोई विशेष विघ्न उपस्थित न हुआ तो संवत् 2001 के आरम्भ होते ही चैत्र सुदी 1 को अखंड ज्योति कार्यालय में ही ‘कर्मयोग गुरुकुल’ की शिक्षा आरंभ हो जायेगी। इस में 16 वर्ष के ऊपर आयु के वयस्क पुरुष लिए जायेंगे। वे यह सीखेंगे कि अपने शरीर को स्वस्थ कैसे रख सकते हैं, मन को सदा प्रसन्न कैसे रख सकते हैं, दूसरों के प्यारे कैसे बन सकते हैं, नौकरी में तरक्की कैसे पा सकते हैं, व्यापार में अधिक लाभ कैसे उठा सकते हैं, बड़े आदमी कैसे बन सकते हैं, विद्वान और बुद्धिमान कैसे हो सकते हैं, शत्रुओं को पराजित कैसे कर सकते हैं, कुदशा और दुर्दिनों से छुटकारा कैसे हो सकता है, स्त्री, पुत्र और सेवकों को कैसे आज्ञाकारी बनाया जा सकता है, इस जीवन में ही स्वर्ग का आनन्द कैसे उठाया जा सकता है आदि। यह बातें क्रियात्मक प्रयत्नों एवं अभ्यासों द्वारा शिक्षार्थियों के जीवन में ठूँस देने का उद्योग किया जायेगा।
शिक्षार्थी की स्थिति के अनुसार शिक्षा का कोर्स कम से कम एक मास अधिक से अधिक 6 मास होगा। भोजन खर्च उन्हें अपने पास से देना होगा। शिक्षा की कोई फीस न होगी। रहने को स्थान है। ब्रह्मचारियों की तरह तपस्या पूर्ण जीवन बिताने और कठोर अनुशासन में रहने को बाध्य होना पड़ेगा। पूर्ण विवरण पत्रिका 10-20 दिन में छपकर तैयार हो जायेगी। जो महानुभाव आने चाहे उन्हें अपना प्रार्थना-पत्र भेजना चाहिए, उन से कुछ बातें पूछी जायगी। उत्तरों से यदि संतोष हो गया तो उन्हें मथुरा आने की स्वीकृति दी जायगी। बिना स्वीकृति के पधारने वाले सज्जनों को प्रवेश न किया जा सकेगा। आरंभ में केवल 10 शिक्षार्थी लिये जायेंगे। उत्तर के लिए टिकट भेजना आवश्यक है।
व्यवस्था तैयार हो रही है। ईश्वर की इच्छा से यदि कर्मयोग गुरुकुल आरंभ हो गया तो हमारा विश्वास है कि यह जन कल्याण के लिए यह एक अनुपम वस्तु होगी।
-संपादक- ‘अखण्ड ज्योति’ मथुरा।