
साँप काटे का इलाज
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(श्री रामनारायण शर्मा)
जिस समय किसी को साँप काटता है, उसका विष उसके दाँतों से काटे हुए घावों में होकर मनुष्य के खून में प्रवेश करता है। यह विष समस्त देह में अत्यन्त शीघ्रता से संचरित हो जाता है। इसका प्रभाव वैसा ही होता है जैसे अफीम का। केवल अन्तर इतना ही है कि अफीम पेट और अन्तड़ियों द्वारा प्रविष्ट होने में समय लेता है और इलाज करने का मौका मिल जाता है।
साँप का विष बहुत शीघ्र असर करता है। इससे उसका इलाज उसी दम होना चाहिए। डॉक्टर लोग प्रायः उसका इलाज इस प्रकार करने की सलाह देते हैं-
जिस स्थान में साँप काटे उसके ठीक ऊपर रस्सी या पगड़ी या कपड़ा कस कर बाँध देना चाहिए। यदि स्थान ऐसा हो, जहाँ बाँधना असम्भव हो तो हाथ ही से जोर से दबाये रखना चाहिए।
साँप के दाँतों से हुए जख्मों को चाकू से खूब चीर देना चाहिए और गरम लोहे से या मिट्टी का तेल डालकर जला देना चाहिए। यदि कहीं तेजाब सल्फुरिक एसिड स्ट्राँग अथवा नाइट्रिक एसिड स्ट्राँग मिल सके तो उनसे भी जलाना अच्छा है।
स्ट्रीकनीन नाइट्रेट का दसवाँ हिस्सा चर्म के नीचे पिचकारी से डालना चाहिए। स्ट्रीकनीन नाइट्रेक कुचले का सत है, जो विशेष रासायनिक रीति से निकाला जाता है। गर्म और तेज कहवा या चाय भी घण्टे-घण्टे के बाद भी दिया जाय अथवा एक-एक चम्मच ब्राण्डी हर दूसरे तीसरे घंटे दी जाय तो बड़ा लाभ होता है।
पोटाश आफ पर मैगनैट पाँच या छःग्रेन भर देना चाहिए।
साँप के विष का प्रतिकार करने वाला एण्टीह्वैनेमस अर्क मिल सके तो चर्म के नीचे छोड़ देना चाहिए।