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‘अखंडज्योति’ के पाठकों को कुछ आवश्यक सूचनाएं।
(1) यह अंक इस धर्म का अन्तिम अंक है। इस अंक के साथ अधिकाँश ग्राहकों का चंदा समाप्त हो जाता है। पाठकों से प्रार्थना है कि अपना चंदा मनीआर्डर से भेज दें। वी0पी0 व्यर्थ ही छह आने अधिक खर्च पड़ते हैं। अकारण छह आने गंवाना कोई बुद्धिमत्ता नहीं है।
(2) अगला (जनवरी 49 का) अंक स्वास्थ्य अंक होगा। बीमारियों से छुटकारा पाने और स्वास्थ्य की उन्नति करने की इच्छा रखने वालों के लिये यह एक अमूल्य वस्तु होगी। गत विशेषज्ञों की भाँति इसके भी बहुत शीघ्र समाप्त हो जाने की संभावना है। इसलिए अपना चंदा भेजने में विलंब न करना चाहिए। देर से चंदा भेजने वालो को ‘स्वास्थ्य अंक’ से वंचित रहना पढ़े तो कोई आश्चर्य नहीं।
3) मनीआर्डर कूपन पर अपना ग्राहक नम्बर और पूरा पता हिन्दी या अंग्रेजी में साफ साफ लिखना चाहिए। अधूरा या घसीट कर लिखा हुआ पता ठीक प्रकार न पढ़ा जाने से कुछ न कुछ दर्ज हो जाता है और पत्रिका बीच में ही गुम होती रहती है।
(4) पुराने ग्राहक अपना ग्राहक नम्बर अवश्य लिखें। नये ग्राहक मनीआर्डर कूपन पर ‘नया ग्राहक’ शब्द लिख दें। जिन्हें ग्राहक न रहना हो वे एक कार्ड भेजकर अपने निर्णय की सूचना दे देने की कृपा करें।
(5) अधूरे वर्ष का हिसाब रखने में हमें बढ़ी असुविधा होती है। उधर ग्राहकों की फाइलें भी अधूरी रहती हैं। इसलिए जिनका हिसाब बीच के किसी महीने से चलता है उन ग्राहकों से विशेष आग्रह पूर्वक अनुरोध है, कि अगले वर्ष के शेष महीनों का भी चंदा भेजकर अपना हिसाब शुरू से ही रखें।
(6) यदि कभी पता बदलवाना हो तो (1) ग्राहक नम्बर (2) पुराना पता (3) नया पता, तीनों बातें लिखकर सूचना देनी चाहिए। केवल नया पता बदलना कठिन होता है।
(7) यहाँ से हर महीने दो बार भली प्रकार जाँच कर पत्रिका भेजी जाती है। फिर भी यदि किसी महीने का अंक न पहुँचे तो उस महीने के भीतर ही न पहुँचने की सूचना हमें देनी चाहिए। कई महीने बाद सूचना होने पर पुराने अंक समाप्त हो जाते हैं, तब उन्हें भेजना कठिन होता है।
(8) ‘अखंडज्योति’ के ग्राहक बढ़ाना एक प्रकार से सतोगुणी फल उत्पन्न करने वाले वृक्ष लगाना है। इससे (1) ग्राहकों को आत्मकल्याण कर सुख शान्ति का मार्ग मिलता है (2) ‘अखंड ज्योति’ की शक्ति बढ़ाने से यह वह लोक सेवा के कार्यों को अधिक मात्रा में, अधिक शीघ्रता से, अधिक सफलता के साथ पूरा करती है। इस प्रकार ‘अखंडज्योति’ के ग्राहक बढ़ाना एक संकल्प श्रम का महान पुण्य कार्य है। इस दिशा में शक्तिभर प्रयत्न करने के लिए हम अपने पाठकों से अनुरोध करते हैं।
-व्यवस्थापक “अखंड ज्योति” कार्यालय मथुरा
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