गायत्री-महाविज्ञान के पाँच अनुपम ग्रन्थ रत्न
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इन्हें प्राप्त करने में विलम्ब न कीजिए
यह ज्ञान भण्डार आपको आध्यात्मिक सम्पत्तियों से परिपूर्ण कर देगा।
गायत्री मंत्र भारतीय धर्म की आत्मा है, जड़ है। हिन्दू धर्म है तो उसका उद्गम स्त्रोत गंगोत्री-गायत्री में है। गायत्री से चारों वेद उत्पन्न हुए हैं। वेदों में जो ज्ञान है वह बीज रूप से गायत्री में मौजूद है। इसी प्रकार श्रुति, स्मृति, उपनिषद्, शास्त्र, पुराण, दर्शन, आदि में जो ज्ञान भण्डार भरा हुआ है वह सब गायत्री के थोड़े से अक्षरों में मौजूद है। इसीलिए गायत्री को सर्वश्रेष्ठ मंत्र माना गया है, और उसकी नित्य उपासना करने के लिए विशेष जोर दिया गया है। प्राचीनतम काल में ऋषियों से लेकर आधुनिक काल के महापुरुषों तक ने-स्वामी दयानन्द और महात्मा गाँधी तक ने- एक स्वर से उसकी महत्ता का प्रतिपादन किया है।
गायत्री के एक रूप अक्षर में-आत्मिक और भौतिक ज्ञान का अपार भण्डार भरा हुआ है, अध्यात्म दर्शन, धर्म, नीति, राजनीति, रसायन शिल्प, विज्ञान, स्वास्थ्य, अर्थ आदि सभी प्रकार का गूढ़तम ज्ञान मौजूद है। भगवती गायत्री की साधना और उपासना से बुद्धि का परिमार्जन और संशोधन होता है। साथ ही सरलता पूर्वक हो सकती है जिसके द्वारा बड़ी अद्भुत एवं आश्चर्यजनक गुप्त शक्तियों को जागृत करके जीवन सिद्धि को प्राप्त किया जा सकता है। अनेक प्रकार की सफलताएं एवं समृद्धियाँ देने तथा संकटों एवं अभावों का निवारण करने की गायत्री में असाधारण शक्ति है। इसलिए इस एक मंत्र का आश्रय लेकर भी योग की पूर्णता प्राप्त की जा सकती है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए हिन्दू धर्म ने गायत्री को सर्वोच्च प्रतिष्ठा, महत्ता एवं मान्यता प्रदान की है।
इस महाशक्ति की विस्तृत जानकारी कराने के लिए अब तक कोई ऐसा संकलन दृष्टिगोचर नहीं हो रहा था जिसमें वह सब गायत्री संबंधी ज्ञान एकत्रित किया गया होता, जो विभिन्न शास्त्रों में फैला हुआ है। हर्ष की बात है कि ‘अखण्ड ज्योति’ ने इस कार्य को पूरा किया है। लगभग दो हजार ग्रन्थों का दस वर्ष में मंथन करके इस संबंध में महान ज्ञान एकत्रित किया गया है। उसे अब प्रकाशित करके सर्व साधारण के लिए सुलभ बना दिया गया है।
नीचे गायत्री संबंधी पाँच नये ग्रन्थों का परिचय कराया जा रहा है। जो इसी मास “अखण्ड ज्योति” द्वारा प्रकाशित किये गये हैं।
1. गायत्री विज्ञान :-
गायत्री शक्ति का वैज्ञानिक विवेचन तथा परिचय, गायत्री की सरल, सुबोध एवं नित्य करने योग्य साधनाओं का वर्णन, गायत्री उपासना से होने वाले चमत्कारी लाभों की विवेचना इस पुस्तक में बड़े विस्तार से की गयी है। गायत्री संध्या-गायत्री अनुष्ठान तथा गायत्री यज्ञ की विधियाँ भली प्रकार समझाई गयी हैं।
2. गायत्री रहस्य :-
गायत्री मंत्र के एक एक अक्षर में ज्ञान का अगाध समुद्र भरा हुआ है। इन चौबीसों अक्षरों की ऐसी विस्तृत व्याख्या, विवेचना एवं मीमाँसा की गयी है कि उनके गर्भ में छिपे हुए ज्ञान भंडार का परिचय भली प्रकार प्राप्त हो जाता है। अनेकों ऋषियों ने, शास्त्रों ने, वेद भाष्यकारों ने, राक्षस राज रावण ने गायत्री के जो विभिन्न अर्थ किये हैं वे सब भी इस पुस्तक में मौजूद हैं, “गायत्री गीता” और “गायत्री रामायण” भी इसी पुस्तक में संकलित हैं।
3. गायत्री के अनुभव-
वेद, शास्त्र, पुराण, स्मृति, उपनिषद् आदि में वर्णित गायत्री की महिमा तथा प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के महापुरुषों ने गायत्री के संबंध में जो अपने अनुभव और अभिमत प्रकट किये हैं उन सबका इस पुस्तक में वर्णन है। साथ ही अनेक साधकों ने गायत्री की उपासना करके जो अद्भुत लाभ प्राप्त किये हैं। इस पुस्तक के पढ़ने से गायत्री की उपयोगिता और महिमा भली प्रकार समझ में आ जाती है।
4. गायत्री-तंत्र :-
गायत्री मंत्र को “मंत्र राज” कहा है। उससे बड़ा कोई मंत्र नहीं है। जो कार्य संसार के अन्य किसी भी मंत्र से हो सकता है वह गायत्री मंत्र से भी हो सकता है। इस पुस्तक में दक्षिण मार्गी वेदोक्त तथा वाम मार्गी तंत्रोक्त दोनों प्रकार की विधियाँ बताई गयी हैं जिनके द्वारा सात्विक, राजस और तामसिक तीनों ही प्रकार के नाम उठाये जा सकते हैं। पुरश्चरण, अभिचार, कवच, कीलक, मारण, सम्मोहन आदि सभी साधनाओं का पथ प्रदर्शन किया गया है।
5. गायत्री योग :-
गायत्री द्वारा 12 योगों की साधना हो सकती है। प्रणव योग, विश्वयोग, ध्यान योग, सूर्ययोग, प्राणयोग, दिव्ययोग, विभुयोग, विज्ञान योग, लययोग, नादयोग, षट्चक्रयोग, ग्रन्थियोग इन बारह योगों की मीमाँसा तथा उनकी साधना विधि भली प्रकार बताई गयी है। गायत्री द्वारा इन बारह योगों को सुगमतापूर्वक किस प्रकार साधा जा सकता है यह सब इस पुस्तक में बताया गया है। साथ ही गायत्री उपनिषद् भी है। इस पुस्तक के द्वारा गृहस्थ व्यक्ति भी योगी बन सकता है।
यह पाँच पुस्तकें गायत्री सम्बन्धी ज्ञान का विश्वकोष है। जिन्हें अध्यात्म मार्ग में थोड़ी भी रुचि है उनसे हम आग्रह पूर्वक अनुरोध करेंगे कि वे इन रत्नों को अपने पास अवश्य संचय कर लें। यह ग्रन्थ जीवन की अनेक कठिनाइयों को सुलझाने और अनेक समृद्धियों के लिए खर्च किये हुए 10) आपको किसी अवसर पर दस लाख रुपये का काम दे सकते हैं। सर्वोच्च लाभ-जीवन मुक्ति से लेकर दैनिक जीवन की उलझनों से छुटकारा दिलाने के तक के हर एक काम में आप गायत्री शक्ति से आश्चर्यजनक सहायता ले सकते हैं। अदृश्य सहायता प्राप्त करने के लिए यह ग्रन्थ एक प्रकार के दैवी वरदान है।
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