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Magazine - Year 1956 - Version 2

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सम्पूर्ण भारत में यज्ञों के लिए अपूर्व उत्साहयह भारत भूमि पुनः “यज्ञ भूमि” बनकर रहेगी

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विशद गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के समय 108 यज्ञ गुरु पूर्णाहुति तक करने का संकल्प किया गया था यह उस महायज्ञ एवं पूर्णाहुति का उत्तरार्ध था, जैसे तीर्थ यात्रा से लौटने पर लोग अपने घरों पर ब्राह्मणा भोजन, हवन, कथा आदि करते हैं वैसे ही मथुरा महायज्ञ की पूर्णाहुति से प्रेरणा लेकर गायत्री उपासकों को अपने अपने क्षेत्र में छोटे बड़े यज्ञ करने का उत्साह होना स्वाभाविक ही था। उस उत्साह को सुसंगठित करके तीन माह में 24 करोड़ जप और 24 लक्ष आहुतियों का आयोजन गायत्री परिवार द्वारा विभिन्न स्थानों पर कराना निश्चय हुआ था। प्रसन्नता की बात है कि विशद गायत्री महायज्ञ के संरक्षक और भागीदार उस संकल्प को पूरा करने के लिए अपने अपने प्रभाव क्षेत्रों में बड़े उत्साह पूर्वक जुट गये और वह संकल्प आनंद पूर्वक पूर्ण हो गया।

पूर्णाहुति से 30 दिन के भीतर ही झालरापाटन के उत्साही उपासकों ने सवालक्ष आहुतियों का यज्ञ 9 कुण्डों की मनोरम यज्ञ शाला बना कर डाला। चन्द्रभागा नहीं के पुनीत तट पर एकत्रित हजारों नर नारियों ने दिन तक जिस श्रद्धा पूर्वक यज्ञ भगवान का भजन किया उसे देखकर सतयुग के ऋषि आश्रमों का स्मरण हो आता था। उसी समय एकत्रित धर्म प्रेमियों में से अनेकों ने अपने अपने यहाँ 24 हजार आहुतियों के यज्ञों का आयोजन करने की अभिलाषा प्रकट की, जिसमें से सुकेत, कनवास, जुल्मी, चेचट इन चार ग्रामों में यज्ञों के मुहूर्त छँट गये। गायत्री जयन्ती से एक दो दिन आगे पीछे इन चारों ही स्थानों पर बड़े उत्साह पूर्वक यज्ञ हुए। यज्ञों का इस प्रकार सार्वजनिक आयोजन जिसमें सभी नर नारी भाग ले सकें सनातन धर्मावलम्बी जनता के लिए एक नई बात थी। प्रातः काल से ही सहस्रों नर नारी स्नान करके वस्त्र शुद्ध वस्त्र पहिन कर यज्ञभूमि में पहुंचकर जप और हवन करते दिखाई पड़ते थे। इन पाँचों ही यज्ञों में आचार्य जी पहुँचे थे। भावनाओं का बाँध टूटा पड़ता था।

इसके बाद विभिन्न स्थानों पर यज्ञों के प्रयोजन आरंभ हो गए और गुरु पूर्णिमा तक सभी की पूर्णाहुति हो गई। हरनबाड़ा के श्री छोटलाल र्स्वणकर ने ठा0 परमालसिंह, कैलाशचन्द्र ला0 श्री राम ला0 चतरसेन ठा0 कन्हैयाला जी आदि के सहयोग से जप तथा हवन का कार्यक्रम सम्पन्न किया। वैकुँठपुर में श्री व्रजेन्द्रलाल गुप्त के प्रयत्न से बड़ा सफल यज्ञ हुआ। श्री विश्वकर्मा जी महोदय के सहयोग से वातावरण में ओर भी उत्साह भर गया। भागीदारों ने इच्छा प्रकठ की कि ऐसे कार्यक्रम पूर्णिमा या छुट्टी के दिन होने चाहिए। मालेगाँव के गायत्री परिवार ने 24 हजार आहुतियों का यज्ञ तथा ब्रह्मभोज बड़े आनंद पूर्वक पूर्ण किया। मानक चौक इन्दौर में श्री दामोदर जी फतेहलाल दुबे, विनायक राव दामोदर जी दुबे श्रीनाथप्रसाद आदि के प्रयत्न से यज्ञानुष्ठान सम्पन्न हुआ। श्री विनायकराव ने 24 लक्ष अनुष्ठान करने का भी संकल्प किया ।

भिण्ड (मध्यभारत) में मेवालाल केदारनाथ गुप्त गौरीप्रसाद मिश्र आदि धर्मप्रेमी सज्जनों के उत्साह से 24 हजार आहुतियों का यज्ञ समारोह पूर्वक पूरा हुआ। जिले भर के विद्वान पंडित और आचार्य आये थे कीर्तन आदि का प्रोग्राम अच्छी तरह सफल रहा। वकानी में 24 हजार मंत्रों द्वारा यज्ञ कार्यक्रम 5 हवन कुण्डों में सम्पन्न हुआ। पूर्णाहुति का दृश्य देखने ही योग्य था, ग्राम के सभी स्त्री पुरुषों ने पूर्ण सहयोग देकर कार्य को सफल बनाया। इकलेरा के यज्ञ में भी 5 कुण्डों की सुन्दर यज्ञशाला बनी थी। वर्षा होते हुए भी भारी संख्या में जनता ने भाग लिया। रात को डाक बँगला के मैदान में प्रवचन होते थे। श्री स्वामी कौशल किशोर जी श्री मोहन वेद पारीख आदि अनेक उत्साही सज्जनों की लगन देखते ही बनती थी। आचार्य जी भी इस यज्ञ में वहीं थे। झाँसी में चिम्दे लुटेरे कि बगिया के सुन्दर उद्यान में 9 कुण्डों की सुसज्जित यज्ञशाला बनाई गई थी। 24 हजार आहुतियों का संकल्प था पर सम्मिलित होने के इच्छुक श्रद्धालुओं के आशा से अधिक आ जाने के कारण दूनी से भी अधिक आहुतियाँ हो गई। घन घोर वर्षा के बीच भीगते हुए उपासकों का यज्ञ तथा प्रवचनों में अविचल भाव से बैठे रहना उनकी निष्ठा को प्रकट करता था। अधिकाँश रेलवे विभाग के कार्यकर्ताओं के उत्साह से यह सब कार्य सम्पन्न हुआ। मथुरा से स्वामी प्रेमानंद, पं॰ गोरखनाथ तथा आचार्य जी भी इस यज्ञ में पधारे थे। उनके प्रवचन सरस्वती इंटर कालेज में भी हुए। लक्ष्मी व्यायाम मन्दिर तथा उसके संचालक श्री अन्नासाहब की गति विधियों को देखकर आचार्य जी विशेष प्रभावित हुए।

बिजनौर का गायत्री यज्ञ 6 दिन तक चला, वेद पाठ, प्रवचन, श्रीमद्भागवत की कथा, कीर्तन का कार्यक्रम बड़ा ही हृदय ग्राही रहा, 620 होताओं द्वारा 24 हजार के स्थान पर 40 हजार आहुतियाँ हुई। माता विद्यावती देवी, मगनीदेवी, सन्नोदेवी ने अथक परिश्रम से इस यज्ञ की सफलता में चार चाँद लगा दिये। गंगीरी निवासी श्री रामजी वल्लभ पारासर के सराहनीय उद्योग से मुदफ्फर में बड़े उत्साह पूर्वक यज्ञ हुआ जिसमें स्थानीय तथा नगला सुमेर निनामई राजमऊ आदि के भी प्रतिष्ठित सज्जनों ने भाग लिया, लश्कर में सेन्ट्रल जेल के जेलर श्री जनार्दन माधव देशमुख महोदय के स्थान पर यज्ञ सम्पन्न हुआ। जेल कम्पाउण्ड में रहने वाले तथा अन्य धर्म प्रेमियों ने उसमें भाग लिया। मुन्डीपार में पं॰ तीर्थानंद शर्मा द्वारा हवन का आयोजन हुआ जिसमें वहाँ के सभी गायत्री उपासक भाग लेने आये। शिकारपुर (बुलन्दशहर) के पं॰ रघुनाथ प्रसाद जी ने प्रयत्न करके 67 उपासक बनाये और उन सब का सहयोग लेकर गुरु पूर्णिमा के दिन बड़े आनंद और उल्लास पूर्वक हवन किया। इन उपासकों का जप आगे भी जारी रहेगा।

दिगोड़ा (टीकमगढ़) के यज्ञ में जनता के उत्साह का ठिकाना न था। 24 हजार के स्थान पर 40 हजार आहुतियाँ हुई, 51 कन्याओं का भोजन होना था पर वह संख्या 90 के करीब पहुँची। ता॰ 21 को अखण्ड कीर्तन हुआ। टीकमगढ़ तक से गायत्री उपासक इसमें शामिल होने आये थे। व्यावर में पं॰ मोहनलाल शर्मा उत्साही गायत्री उपासक हैं उनके प्रयत्न से 3240 आहुतियों का हवन हुआ श्री मुकन्दलाल जी राठी के हाथों पूर्णाहुति हुई। कानपुर में सर्व श्री गिरजाप्रसाद वाजपेयी, हजारी लाल वर्मा, कौशलकिशोर त्रिपाठी, अयोध्याप्रसाद दीक्षित आदि सज्जनों के प्रयत्न से गोविंद नगर में यज्ञ हुआ। गायत्री परिवार के सभी व्यक्तियों के पास छपवाकर निमंत्रण-पत्र भेजे गये थे। इस सामूहिक आयोजन में बड़ा आनंद रहा, प्रसाद में छोटी गायत्री पुस्तिकाएं बाँटी गई। कुडेगाँव (भंडार के श्री महादेव जी रावत ने उत्साह पूर्वक यज्ञ की व्यवस्था की जिसमें कितने ही धर्म प्रेमी सम्मिलित हुए।

करडावद (झबुआ) में श्री सोमेश्वर चतुर्वेदी, शंकर भाई, उनके पिताजी तथा अन्य लोगों ने मिल कर हवन किया। चाँदपुर के शिव मन्दिर पर बड़े आनन्द पूर्वक सामूहिक यज्ञ हुआ। पं॰ विश्वम्भर दयालजी आदि कई अच्छे पंडितों ने क्रियात्मक भाग लिया। 13) का प्रसाद—खीलों पर खाँड़ चढ़ाकर बाँटा गया। खूँटी (राँची) के श्री देवेन्द्रनाथ साहु ने यज्ञ आयोजन किया, जिसमें स्थानीय साधकों न उत्साह पूर्वक भाग लिया। जासलपुर (होशंगावाद) के श्री पुरुषोत्तम आत्मा राम साखरे ने उस क्षेत्र में अनेक संरक्षक और भागीदार बनाकर गायत्री उपासना का प्रचार किया है। उन सबने मिलकर गुरु पूर्णिमा के दिन हवन किया। महबूबाबाद (हैदराबाद) में श्री विलासीराम लोहिया तथा अन्य धर्म-प्रेमियों के प्रयत्न से यज्ञ हुआ। मोतिया (बिहार) में सर्व श्री कुमु- दानन्द, अवधेश झा, शंभूनाथ ठाकुर, सुधाकर झा, देवव्रत झा, पंचानन झा, गजेन्द्र झा आदि सज्जनों ने बड़े उत्साह से हवन को पूर्ण कराया।

जोधपुर में गायत्री जयन्ती से लेकर ज्येष्ठ पूर्णिमा तक 7 दिन एक बड़ा यज्ञ श्री उम्मेद हाईस्कूल में हुआ था, जिसमें मथुरा से आचार्य जी भी गये थे। इसमें सभी गायत्री उपासकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और प्रतिदिन महत्वपूर्ण प्रवचन होते रहे। अब वहाँ साप्ताहिक हवन क्रम जारी है। पं॰ श्यामकरण जी की माताजी के मन्दिर में प्रत्येक अष्टमी को हवन चालू कर दिया है। गुरु पूर्णिमा को भी चौबीस सौ आहुतियों का हवन बड़ी सफलतापूर्वक हुआ, जिसमें ऋषीकेश के श्री अखंडानन्दजी का गायत्री पर सारगर्भित प्रवचन हुआ। अजीतगढ़ (सीकर) में पं॰ जगदीशनारायणजी वैद्य के उत्साहपूर्ण प्रयत्न से बड़ा सफल यज्ञ हुआ, लगभग 20 व्यक्तियों का उत्साह और सहयोग देखने ही योग्य था। रिसिया (वहरायच) में गुरु पूर्णिमा के दिन बड़े आनन्दपूर्वक हवन हुआ। 51 व्यक्तियों ने विशेष सहयोग देकर उसे सफल बनाया। श्री नौरंगराय और कन्हैयालाल श्रीवास्तव काफी दौड़-धूप करते रहे। लाउडस्पीकर पर भजन संगीतों के अतिरिक्त श्री अशर्फीलालजी का ‘गायत्री का मन्त्रार्थ’ विषय पा भाषण भी हुआ। 20 सेर नुकती प्रसाद में बाँटी गई 20 व्यक्तियों का भोजन भी हुआ।

टाटा नगर (जमशेदपुर) में 24 हजार आहुतियों का हवन 9 वेदियों पर हुआ। 24 लक्ष जप यथा समय पूरा हो गया था। केवल 4 मन भोजन बनाया गया था, पर आश्चर्य है कि इसमें लगभग 1॥ हजार व्यक्तियों ने भोजन किया और प्रसाद भी बँटा। यहाँ के गायत्री उपासकों में कुछ शिथिलता आ गई थी, वह इस यज्ञ से दूर हो गई। घुरसेना (द्रुग) में श्री सुमन्तकुमार मिश्र ने यज्ञ कराया। सठिगँवा (फतेहदुर) में नियमित अनुष्ठान और हवन हुआ। पं॰ रामभरोसे त्रिपाठी, पं॰ चन्द्रमौलि अवस्थी, स्वामी शिवसहाय मुनि ने मिलकर यज्ञ कार्य विधिवत् कराया। महुली (बस्ती) के यज्ञ को पूर्ण करने में सर्वश्री राजदेव पाण्डेय, रामचेतजी, भगवानदत्त जी, जगधर जी, बुद्धिसागर जी, केदारनाथ जी, राममूर्ति जी आदि का सहयोग सराहनीय रहा। वासन (गुजरात) में सर्वश्री साँकलेश्वर जी, प्रभाशंकर, डाह्यालाल, जगदीश, तखु जी, शंकरजी, सकरचन्द, हरिप्रसाद, कमलावेन ने गायत्री जयंती तथा आषाढ़ सुदी 11 को दो हवनों को परिपूर्ण कराया। अमावाँ दोस्तपुर (रायबरेली) में गायत्री उपासक श्रावणी पूर्णिमा को एक बड़ा सामूहिक यज्ञ करने जा रहे हैं। 60 से अधिक अनुष्ठान कर्ता अपने-अपने जप उत्साहपूर्वक पूर्ण कर रहे हैं। यह संख्या 108 तक पहुँचने की आशा है।

शाहजहाँपुर के यज्ञ में लगभग 80 व्यक्तियों ने जप पूर्ण किये। पूर्णाहुति के समय पाँच छह हजार नर-नारी यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर रहे थे, यह दृश्य देखते ही बनता था। श्री विशनचन्दजी सेठ का अत्यन्त ही मार्मिक भाषण हुआ, उनने 500 छोटे गायत्री सैट दान देने का वचन किया। करीब 400) इकट्ठे हुए जिसमें 41) बचे हैं। गायत्री यज्ञ मंडल की स्थापना स्थायी रूप से कर दी गई है। मल्लेश्वरम् (बँगलोर) में श्री दयाराम हरजीवन मेहता ने यज्ञ आयोजन में बहुत उत्साह दिखाया। डबरा (गवालियर) श्री जमुनाप्रसाद बडैरिया के प्रयत्न से बड़ी श्रद्धापूर्वक हवन हुआ, जिसमें सर्वश्री नारायणदास पुजारी, शालिगराम गुप्ता, नाथूराम गुप्ता, द्वारकाप्रसाद बडैरिया आदि का उत्साह सराहनीय रहा, यहाँ जप और मन्त्र लेखन यज्ञ का कार्यक्रम भी कितने ही व्यक्ति चला रहे हैं।

आगरा में गायत्री उपासकों ने बड़े ही उत्साह पूर्वक 24 हजार आहुतियों का कार्यक्रम दाऊजी मन्दिर छीपी टोला में पूर्ण किया। नगर के सम्भ्रान्त सज्जन बड़ी संख्या में इस यज्ञ में आग लेने आते रहे और तीनों दिन उच्चकोटि के भाषण होते रहे। साथ ही महिला सम्मेलन भी हुआ। डिवाई (बुलन्दशहर) में श्री बाँकेलाल गुप्त ने यज्ञ की प्रशंसनीय व्यवस्था की। वरह कुम्बा (पुर्निया) निवासी श्री खुशीनाथ जी के प्रयत्न से पलासी ग्राम में 24 हजार आहुतियों का तीन दिन हवन हुआ। घनघोर वर्षा होते हुए भी ग्रामीणों का अपूर्व उत्साह देखने ही योग्य था। श्री सिंहेश्वर जी ठाकुर ने अपूर्व उत्साह दिखाया। हंसूपुरा (बिजनौर) के हवन में ग्रामवासियों का उल्लास देखते ही बनता था तीनों दिन बड़े आनन्द से कार्यक्रम चलता रहा। रात्रि के 10 बजे तक सारा समय जप, हवन, सत्संग और भगवत्-चर्चा में ही बीतता था। बिजनौर से आत्मबलिदानी वकील अशर्फीलालजी के आजाने से बड़ा ही उत्साह रहा। पं॰ छोटेलालजी, पं॰ पीताम्बरदत्त, पं॰ मदनगोपाल आदि सभी सज्जनों ने बड़ा ही परिश्रम करके यज्ञ को सफल बनाया। सुसनेर (मध्यभारत) में पं॰ नन्दकिशोर शर्मा के प्रयत्न से बड़ा ही सफल यज्ञ हुआ। गायत्री माता की सवारी बड़े समारोह के साथ निकाली गई। बम्हनी बंजर (विलासपुर) का गायत्री जयन्ती समारोह दर्शनीय था। प्रभात फेरी में जनसंख्या पर्याप्त थी। भजन कीर्तनों का बड़ा प्रभाव पड़ा। पं॰ रामनारायण द्विवेदी श्री गणेशप्रसाद अवस्थी, श्री कन्हैयालाल वैष्णव, बा॰ शंकरलाल सिंहानिया, श्री मोहनलाल गुप्त आदि ने बहुत उत्साह दिखाया।

आरंग (रायपुर) की संस्कृत पाठशाला में सामूहिक यज्ञ हुआ। बरसते पानी में भी सभी नर-नारी आनन्दपूर्वक भाग लेते रहे। दर्शकों की संख्या भी काफी थी। यहाँ के लिए सामूहिक यज्ञ एक नई बात थी, फिर भी सब कार्य भली प्रकार हो गया। खरियार (उड़ीसा) 35 भागीदारों ने जप पूर्ण किया और गुरु पूर्णिमा के दिन सामूहिक हवन दधिवामन मन्दिर में हुआ। अनेक संभ्रान्त व्यक्ति उपस्थित थे। श्रीमान् राजा साहब के हाथों याज्ञिकों को अभिनन्दन-पत्र वितरण कराये गये। सर्वश्री प्रतापचन्द प्रधान, विद्याभूषण महाअती, चन्द्रशेखर विमी अपने परिवार समेत गायत्री तपोभूमि गए थे, इन लोगों ने ही यह उत्साह यहाँ उत्पन्न किया था। सरढव (उत्तर गुजरात) के श्री शान्तवन जी उस क्षेत्र में 24 यज्ञ कराने के लिए संकल्प लेकर अपने व्रत में जुट गए हैं। सरढव में 6 दिन का यज्ञ जेष्ठ सुदी 15 को तपस्वी महात्मा दयालुजी के संरक्षण में बड़े आनन्दपूर्वक हो चुका है। 23 यज्ञों की तैयारी हो रही हैं। धारती खेड़ा (धार) में भुवनेश्वरी देवी के रमणीय स्थल पर अवस्थित महात्मा श्यामचरणदास जी के आश्रम पर आनन्दपूर्वक यज्ञ हुआ। श्री रामचन्द दुर्गाशंकर परसाई साँस्कृतिक सेवाशृंखला का व्रतधारी संकल्प निष्ठा पूर्वक पूरा कर रहे हैं।

कुर्रा (हपीरपुर) में 24 हजार आहुतियों का हवन पं॰ जगन्नाथप्रसाद जी शास्त्री के आचार्यत्व में हुआ। प्रातः प्रभातफेरी निकली फिर 8 से 4 बजे तक हवन होता रहा। 20-20 होताओं की टोलियाँ हवन पर बैठती रहीं। एक मन हलुआ बना था, जो प्रसाद स्वरूप बस्ती के प्रत्येक घर में बाँटा गया। अनेकों के यज्ञोपवीत हुए। पूरे प्रेम ने सच्चे मन से श्रद्धापूर्वक सहयोग दिया। छगवाँ (राठ) में श्री लेखराय खरे के स्थान पर 24 हजार आहुतियों का हवन 3 वेदियों पर लगभग 300 नर-नारियों के द्वारा सम्पन्न हुआ। कई प्रभावशाली भाषण हुए। दूसरे दिन सम्पूर्ण ग्राम की कन्याओं को भोजन कराया। खोरासा [सौराष्ट्र]में ब्रह्मचारी नर्मदाशंकर जोशी के प्रयत्न से 5 दिन हवन चलता रहा। पूर्णिमा के दिन रात्रि को 2 बजे तक कार्यक्रम चलता रहा। बड़ा आनन्द रहा। कल्याण (बम्बई) में श्री मोरेश्वर वामन ढोसर के प्रयत्न से सामूहिक जप तथा हवन का कार्यक्रम सुव्यवस्थित रीति से हुआ। कई सज्जनों ने 24 लक्ष अनुष्ठान के संकल्प किये।

हापुड़ के लक्ष्मीनारायण मन्दिर में तीन दिन तक यज्ञ हुआ। 2 मन सामग्री लगी। 30 ब्राह्मणों को भोजन कराया। पं॰ लालमणि शर्मा पं॰ ओउम्प्रकाश शास्त्री, ब्रह्मचारी जगदीश शर्मा ने यज्ञ कार्य विधिपूर्वक कराया। नगर के अनेक सत्पुरुषों ने इसमें प्रेमपूर्वक सहयोग दिया, काली बावड़ी (धार) में गायत्री उपासकों की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है, मन्त्र लेखन चालू है। गुरु पूर्णिमा को सामूहिक हवन बड़े प्रेमपूर्वक हुआ। पं॰ गंगाराम शर्मा प्रधानाध्यापक द्वारा लोगों को बड़ी प्रेरणा मिल रही है। सतना (विन्ध्य प्रदेश) गैंग क्वाटर्स एरिया में श्री आर॰ आर॰ मिश्रा के प्रयत्न से बड़ा सफल यज्ञ हुआ। नगर के उच्चकोटि के व्यक्ति उसमें श्रद्धापूर्वक सम्मिलित हुए। पिछोर (झाँसी) गायत्री उपासकों ने श्रद्धापूर्वक हवन किया, श्री लक्ष्मण शास्त्री का प्रवचन हुआ। श्री रामचरण जी पटवारी तथा श्री गंगाप्रसादजी चौधरी द्वारा ब्राह्मण भोजनादि की व्यवस्था सम्पादित हुई। टीकर पुरवा (खीरी) में श्री भगवतीप्रसाद वर्मा के प्रयत्न से यज्ञ कार्य निर्विघ्न पूर्ण हुआ।

रस गाँव (खरगौन) के पं॰ गणपतिलाल जी एक सुन्दर गायत्री मन्दिर निर्माण कर चुके हैं। उसमें अखंड दीपक तथा अखंड अग्नि स्थापित है। गुरु पूर्णिमा पर सवालक्ष आहुतियों का हवन बड़े ही आनन्दपूर्वक सम्पन्न हुआ। यहाँ आगामी माघ मास में एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन हो रहा है। गणपतिलाल जी का परिवार एक प्रकार से गायत्री माता में तन्मय हो रहा है। सोरसन (कोटा) में प्रधानाध्यापक नन्दकृष्ण शर्मा अपने क्षेत्र में बड़ी लगन के साथ गायत्री प्रचार कर रहे हैं। आस-पास के गायत्री उपासकों को एकत्रित करके उनसे यज्ञ कराया। इचाक [हजारी बाग] में श्री बद्रीनाथ तिवारी, श्री शिवटहल मोदी आदि के प्रयत्न से यज्ञ पूर्ण हुआ, टोडा कल्याणपुर (मुजफ्फरनगर) में पं॰ हरिप्रसाद शर्मा ने यज्ञ व्यवस्थित रूप से कराया।

बरेली में श्री चिम्मनलाल सूरी के प्रयत्न से गायत्री उपासकों की संख्या दिन-दिन बढ़ रही है। साप्ताहिक हवन बड़े उत्साह से होते हैं। गत दो मास में दो लाख से अधिक आहुतियों का हवन हो चुका है। गुरु पूर्णिमा के दिन सवालक्ष आहुतियों का यज्ञ हुआ। 130 व्यक्ति नियमित जप करने वाले भागीदार बन चुके हैं। इसी वर्ष सवालक्ष आहुतियों का एक और बड़ा सामूहिक यज्ञ करने का इन लोगों का विचार है। सूरीजी की धर्मपत्नी श्री॰ सुलोचना कुमारी भी अपने पतिदेव जैसी ही निष्ठावान हैं, इनकी एक मार्मिक पुस्तक ‘गायत्री से समाज-सुधार’ प्रकाशित हुई है। कालीबाड़ी में श्री सेवाराम याज्ञिक द्वारा श्री गायत्री सत्संग मंडल चलाया जा रहा है। इसमें बालक बड़ी संख्या में जप हवन करने आते हैं।

गोंडा में 24 लक्ष का जप और 24 हजार आहुतियों का हवन 5 कुण्डों में बड़े आनन्दपूर्वक हुआ। रेलवे विभाग के अनेक कार्यकर्ता इसे सफल बनाने में बड़े उत्साह से जुटे रहे। बड़ी संख्या में नर-नारी एकत्रित हुए। नरमेधी पं॰ भरतलाल जी अवस्थी भी पधारे। 2 अगस्त को नबाव गंज में भी यज्ञ की तैयारी है। दिल्ली नगर के गायत्री उपासकों ने अपने-अपने सामूहिक यज्ञ किये। सर्वश्री पं॰ मनोहरलाल जी मँडाहर, श्री आनन्द जी, मास्टर रामलालजी, मा॰ जगन्नाथजी, श्री विद्यारत्नजी, श्री सीतारामजी, डा॰ रुपलालजी द्विवेदी आदि के यहाँ अनेक स्थानों पर यज्ञ हुए। वाराँ (कोटा) में गायत्री जयन्ती पर बड़े विशाल रूप में गायत्री महायज्ञ हुआ हजारों व्यक्ति सम्मिलित हुए। नौ सौ आदमियों का ब्रह्म-भोज हुआ। लोग दाँतों तले उँगली दबाते हुए कहते थे कि बाराँ में ऐसा यज्ञ आज तक नहीं हुआ। पं॰ श्री कृष्णजी, श्री भँवरलालजी आदि अनेक व्यक्तियों का भारी योग इसे सफल बनाने में रहा। गुरु पूर्णिमा को भी यहाँ पर 5 कुण्डों में 50-60 व्यक्तियों द्वारा यज्ञ सम्पन्न हुआ।

कसही वहरा (रायपुर) में श्री रामगरीबजी के यहाँ यज्ञ हुआ। आवाँ में गायत्री जयन्ती पर 24 हजार आहुतियों का यज्ञ हुआ। एक महीने बाद ही गुरु पूर्णिमा पर फिर वहाँ 24 हजार आहुतियों का यह दूसरा यज्ञ था। सावन भादवा (कोटा) में भी 24 हजार आहुतियों का हवन हुआ। वानुछपरा (बिहार) में श्री उमाकान्त झा मुख्तार के प्रयत्न से घनघोर वर्षा के बावजूद बड़ा सफल यज्ञ हुआ। पचम्बा (बिहार) में श्री बजरंगराम भदानी के मकान पर बड़ी सजी हुई यज्ञशाला में यज्ञ हुआ, 1 हजार से अधिक दर्शक उपस्थित थे। पं॰ प्रयाग मिश्र, श्री बच्चूलाल जी कथावाचक तथा अभयनंदन जी आर्य के प्रवचन हुए। बाँसवाड़ा में पं॰ शंकरलाल जी औदीच्य के घर पर हवन हुआ। विलासपुर में गायत्री विज्ञान मंडल के 23 सदस्य यज्ञ में भागीदार बने और भी अनेक अनेक धर्म-प्रेमी यज्ञ में शामिल रहे। 108 भागीदार बनाने का प्रयत्न चल रहा है। राजपुर (बड़वानी) में काछीपंच की धर्मशाला में तीन दिन तक यज्ञ हुआ जिसमें नगर के सभी व्यक्तियों ने तथा आस-पास के ग्रामीण बन्धुओं ने तन, मन, धन से सच्च् सहयोग दिया। जल यात्रा का जुलूस चार फर्लांग लम्बा था। श्री रमाकान्त शास्त्री के प्रवचन हुए। सभापति रामनाथ शर्मा थे।

खरगौन में निमाड़ गायत्री परिवार की स्थापना हुई और दर्शनीय सामूहिक यज्ञ हुआ। श्री ओंकारलालजी की ओर से उपासकों तथा आगन्तुकों को भोजन कराया गया। चपुन्ना (फर्रुखाबाद) के गायत्री उपासकों ने समीपवर्ती ग्रामों में 24 यज्ञ कराने का संकल्प किया है। जिसमें से गुरु पूर्णिमा तक 13 स्थानों पर हवन हो चुके, जनता का उत्साह देखते हुए शीघ्र ही 24 से भी अधिक यज्ञ होने की आशा है। पिलखना, चपुन्ना, उदईपुर, गुलरिया के यज्ञ विशेष उत्साहवर्द्धक रहे, जिनमें सर्वश्री पातीराम त्रिपाठी, कृष्णलाल द्विवेदी, केशोराम ब्रह्मभट्ट, विश्बेश्वरदयाल त्रिपाठी, छोटेलाल मिश्र आदि सज्जनों ने विशेष श्रम किया। कसरावद [मध्यभारत] में मालवीय धर्मशाला में पं॰ रामेश्वर जी उपाध्याय द्वारा यज्ञ सम्पन्न कराया गया। नागरिकों और छात्रों का सहयोग सराहनीय था। जबलपुर में गायत्री प्रचारक मंडल की ओर से अच्छा सामूहिक यज्ञ हुआ। हर रविवार को यहाँ साप्ताहिक हवन भी होता है।

मेहगाँव [मध्यभारत] में दाऊजी के मन्दिर पर 24 हजार आहुतियों का हवन बड़े उत्साहपूर्वक पूर्ण हुआ। बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपासक इस यज्ञ में भागीदार बने। मारुति भवन नुनहड़ के संचालक श्री रामनारायणजी ‘हृदयस्थ’ ने इस यज्ञ को सफल बनाने में बड़ा प्रयत्न किया। बम्हनी बाजार (विलासपुर) में जनता की ओर से हवन हुआ। यज्ञ कार्य पं॰ रामनरायनजी दुवे ने कराया। ग्राम की कीर्तन मंडली के कार्यक्रम से जनता में बड़ा आनन्द रहा।

लिलुआ (कलकत्ता) में श्री हनुमानप्रसाद वच्छ के प्रयत्न से गायत्री नवयुवक मंडल की स्थापना हुई और गुरु पूर्णिमा के दिन सामूहिक हवन किया गया। खेडी (बुलढाना) के गायत्री उपासकों ने मिलकर सामूहिक जप तथा यज्ञ किया। गरोठ में शिवजी के मन्दिर पर सामूहिक हवन हुआ। हरिराम जी वैद्य ने उस क्षेत्र में बहुत प्रचार कार्य किया है। नर्रा (खरियार रोड) में श्री गुरु प्रसादजी निगम के प्रयत्न से हवन हुआ। नगला महासिंह (आगरा) के पं॰ बोध शर्मा ने सामूहिक हवन की व्यवस्था की। बुलन्दशहर के श्री रामचन्द्र शर्मा मुख्तार के प्रयत्न से हवन सम्पन्न हुआ। बालून्दा में शिवराजसिंह द्वारा यज्ञ का प्रबन्ध किया। पयागपुर (वहरायच) में देशराज पाठक आदि सज्जनों द्वारा हवन आयोजन की व्यवस्था की गई। झुसावल में मानिकचन्द जी मिश्र ने यज्ञ कार्य कराया। राजापुर (बान्दा) के पोस्ट मास्टर श्री नारायणप्रसाद जी निगम ने यज्ञ आयोजन किया। तारा नगर (चूरु) में श्री राधाकिशन भगत और पं॰ मामचन्द मिश्र के प्रयत्न में हवन हुआ, श्रावणी पूर्णिमा के लिए भी कार्यक्रम बनाया गया है।

आरा (बिहार) के गायत्री उपासकों ने मिलकर प्रेमपूर्वक हवन किया। लखना (इटवा) में पं॰ अजन्तसिंह मिश्र द्वारा यज्ञ और अनुष्ठान हुआ। पाड़ा तराई (विलासपुर) के रेञ्ज आफीसर श्री आर॰ एस॰ चौबे के प्रयत्न से अनेक व्यक्तियों ने जप करने का संकल्प लिया और हवन में सम्मिलित हुए। हथगाँव (फतेहपुर) में श्री जगमोहन निगम द्वारा अखंड सामूहिक जप तथा हवन का आयोजन किया गया। धामपुर (बिजनौर) में श्रीमती कान्तीदेवी त्यागी तथा अन्य उत्साही गायत्री उपासिकाओं की मंडली द्वारा बड़े आनन्दपूर्वक यज्ञ कार्य सम्पादित किया गया। लखनऊ में श्रीराजेश्वर-कुमार के मकान पर हवन में अनेक गायत्री उपासकों ने बड़ी श्रद्धापूर्वक भाग लिया।

लक्ष्मीपुरी (अलीगढ़) में पं॰ पाण्डेय के स्थान पर अच्छा यज्ञ हुआ। पं॰ चन्द्रपाल शास्त्री आचार्य थे। पहासू के पं॰ ऋषिमान शास्त्री भी पधारे। बड़ी श्रद्धापूर्वक सब कार्य हुआ। करंगामाल (उड़ीसा) में जगन्नाथ जी के मन्दिर पर सामूहिक यज्ञ हुआ, जिसमें 15-20 गाँवों के व्यक्ति कीर्तन मंडलिया बनाकर पूर्णाहुति में आये। 33 भागीदारों ने नियमित अनुष्ठान में भाग लिया। ललोडी में श्री शंकरलालजी के प्रयत्न से हवन कार्य पूर्ण हुआ। सीकर में श्रीमती मणिदेवी के यहाँ हवन हुआ।

सेंधवा (निमाड़) रामकृष्ण आश्रम देवझिरी पर हवन कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हुआ। दयानन्द जी ठाकुर यहाँ एक गायत्री समिती बनाने में प्रयत्नशील हैं। लोटरा (गुजरात) के यज्ञ में श्री नगीनदास जेठाभाई का उत्साह सराहनीय रहा। नलखेड़ा के यज्ञ को सफल बनाने में श्री कस्तूरचन्दजी तथा गुरदावन के पं॰ दामोदर जी आर्दा ने सच्चे मन से कार्य किया। जगेली (पूर्निया) में ग्राम देवता के मन्दिर पर यज्ञ हुआ। कीर्तन में बड़ा आनन्द आया। करीब 200 व्यक्ति सम्मिलित हुए। मोतीलाल जी गोस्वामी ने विशेष प्रयत्न किया।

राजपुर (बडवानी) में गायत्री यज्ञ समिति के प्रबन्ध से बड़े उत्साह और समारोह पूर्वक यज्ञ हुआ, यज्ञ में भाग लेने वालों का उत्साह देखने ही योग्य था। खानपुर (कोटा) के गायत्री उपासकों ने चतुर्दशी और पूर्णमासी को अखंड जप, पाठ, ज्योति, अभिषेक, यज्ञ, कीर्तन, प्रवचन आदि का अच्छा आयोजन किया। श्री नाथूलाल जी गौतम का कठिन तपश्चर्या पूर्वक 24 लक्ष पुरश्चरण चल रहा है। श्योपुर कलाँ (मध्यभारत) में श्री देवीशंकर वशिष्ठ आदि कई गायत्री उपासकों ने मिलकर सफलतापूर्वक यज्ञानुष्ठान पूर्ण किया। नगर के धर्म-प्रेमी नर-नारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

लसुडिया अमरा (उज्जैन) में श्री सेवादास गोविन्दराम वैरागी के प्रयत्न से डभोला (मेहसाना) के पिछड़े आदिवासी क्षेत्र में भी हरिप्रसादराव जानी द्वारा, कोटा (राजस्थान) में ड्राइवर पूर्णमल के यहाँ अच्छे यज्ञ सम्पन्न हुए। पारादान (फतेहपुर) में श्री दयाशंकर वर्मा ने, खजुहा में पं॰ प्रेमनारायण शुक्ल ने, मुडरेवा (गोंडा) में श्री गिरजाप्रसाद ने यज्ञ का प्रबंध कराया। खिलचीपुर में गुरु पूर्णिमा के हवन में हर महीने 5 हजार आहुतियाँ करते रहने का भी निश्चय हुआ। अचलगंज (उन्नाव) में श्रावणी पूर्णिमा को यज्ञ होगा। आगरा (मालवा) में 40 दिन का अखण्ड गायत्री आयोजन चल रहा है।

जिनकी सूचनाएं ता॰ 30 तक मथुरा नहीं आ सकीं ऐसे भी अनेकों यज्ञ गायत्री तपोभूमि की अपील पर देश भर में हुए हैं। 108 स्थानों में 24 करोड़ जप, 24 लक्ष आहुतियों का संकल्प था उससे बहुत अधिक का आयोजन हुआ। अब आगे इस यज्ञीय प्रक्रिया का और भी उत्साहपूर्वक आगे बढ़ाना है। आश्विन सुदी में झालावाड़ का 24 कुण्डों वाला और रामगंज मंडी में 101 हवन कुण्डों वाला यज्ञ है। कार्तिक सुदी 13 से 4 दिन तक 9 कुँडों की यज्ञशाला में नियाना (कोटा) में यज्ञ होगा। यह शृंखला देश भर में बड़े उत्साहपूर्वक चलेगी, इन सब में आचार्य जी भी प्रसन्नतापूर्वक पहुँचेंगे। यह सर्व विदित है कि आचार्य जी कहीं जाने में दक्षिणा तो दूर रेल भाड़ा भी बहुत आग्रह पर ही लेते हैं।

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