
जन जागरण के लिये युग निर्माताओं की आवश्यकता
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रचनात्मक मोर्चे को सफल बनाने के लिये ऐसे धर्म सैनिकों की भारी आवश्यकता है जो राष्ट्र को सबल तथा प्रबुद्ध बनाने का लक्ष्य पूर्ण कर सके। युग की इस महान आवश्यकता की पूर्ति के लिये अखण्ड-ज्योति परिवार के धर्मवीर सदस्यों को आगे बढ़ना चाहिये और धर्मोपदेशक के रूप में रचनात्मक कार्यों को गतिशील बनाने में संलग्न हो जाना चाहिये। ऐसे धर्मवीरों का महत्व युद्धक्षेत्र में आत्मोत्सर्ग करने वाले योद्धाओं से कम नहीं समझा जा सकता।
इस कार्य के लिये प्रवचन कला की आवश्यकता होती है। इसके प्रशिक्षण की गायत्री तपोभूमि में व्यवस्था की गई है। रामायण के माध्यम से भाषण करना, सब श्रेणियों के लोगों, देहाती और शहरी जनता के लिये समान रूप से उपयुक्त रहता है। गायत्री तपोभूमि में रामायण के कथा प्रसंगों के आधार पर ही जन जागरण के उपयुक्त प्रवचन शैली की शिक्षा दी जाती है। साथ ही भजनोपदेश करने के लिये हारमोनियम आदि बाजे बजा सकने तथा प्रेरणाप्रद भजन, संगीत गा सकने का भी प्रबन्ध है। जिनमें इस प्रकार की रुचि तथा योग्यता हो वे कुछ ही महीनों में भाषण और भजनोपदेश का इतना अभ्यास कर सकते हैं कि जिसके द्वारा राष्ट्र के नव निर्माण के कार्य में प्रशंसनीय योग दे सकें।
इस प्रशिक्षण के साथ ही गीता सप्ताह, प्रवचन, संस्कार एवं पर्व मनाने का कर्मकाण्ड, गायत्री-यज्ञ का विधि विधान आदि की विधियाँ भी सिखा दी जाती हैं। उपरोक्त शिक्षण द्वारा कोई भी भावनाशील व्यक्ति अपना जीवन सार्थक करते हुये सुविधा-पूर्वक अपने निर्वाह की व्यवस्था को भी हल कर सकता है। इस प्रशिक्षण के लिये योग्य व्यक्ति पत्र व्यवहार द्वारा आवश्यक बातें मालूम कर लें।