• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • बसन्त-पंचमी अपने परिवार का सबसे बड़ा पर्व - इसे समारोह पूर्वक मनाने की तैयारी अभी से की जाय
    • प्रार्थना आत्मा का सम्बल
    • आत्मा-कल्याण की भूमिका
    • प्रेममय परमेश्वर
    • आत्मा के सनातनत्व का प्रमाण पूर्वाभास
    • सर्वोत्कृष्ट सम्पत्ति
    • मनुष्य शरीर में कोई सर्वदर्शी सत्ता है?
    • प्रतिशोध कथा
    • दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य-रहस्य
    • अपरिग्रह-शीलता
    • सन्त-राष्ट्र की आत्मा
    • सन्त हरदास की भूमि-समाधि
    • बैताल भट्टा का वानप्रस्थ
    • संसार उपयोगितावाद नहीं सहयोग और सद्भाव पर जीवित
    • आज जियेंगे तो कल सुनेंगे
    • जो बुद्धि से परे है वह केवल ‘अन्ध-विश्वास’ ही नहीं
    • कर्त्तव्य धर्म की साधना
    • आत्म-हीनता के बोझ से आप न दब मरें
    • अभिमान का नशा
    • धरती खिसक जाय तो आश्चर्य नहीं
    • सर्वव्यापी गरिमा मनुष्येत्तर प्राणियों में भी है
    • पौराणिक कथा-गाथा :- - कवष की ऋषि-पद प्राप्ति
    • जन्म-मृत्यु के जाल में इच्छायें बाँधती हैं
    • बोधिसत्व
    • जीवन-मुक्ति की साधना
    • त्यौहार और संस्कार प्रेरणाप्रद पद्धति से मनाये जायँ
    • संयुक्त परिवार प्रणाली एक श्रेयस्कर परम्परा
    • देव शक्तियों का केन्द्र-बिन्दु -गायत्री
    • कुंडलिनी महाशक्ति की पौराणिक व्याख्या
    • निर्भयता-अपराजेय
    • अपनों से अपनी बात
    • हमारे शेष जीवन का कार्यक्रम और प्रयोजन
    • कर्म और धर्म का समन्वय
    • ध्वजायें उड़ाओ नहीं (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • बसन्त-पंचमी अपने परिवार का सबसे बड़ा पर्व - इसे समारोह पूर्वक मनाने की तैयारी अभी से की जाय
    • प्रार्थना आत्मा का सम्बल
    • आत्मा-कल्याण की भूमिका
    • प्रेममय परमेश्वर
    • आत्मा के सनातनत्व का प्रमाण पूर्वाभास
    • सर्वोत्कृष्ट सम्पत्ति
    • मनुष्य शरीर में कोई सर्वदर्शी सत्ता है?
    • प्रतिशोध कथा
    • दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य-रहस्य
    • अपरिग्रह-शीलता
    • सन्त-राष्ट्र की आत्मा
    • सन्त हरदास की भूमि-समाधि
    • बैताल भट्टा का वानप्रस्थ
    • संसार उपयोगितावाद नहीं सहयोग और सद्भाव पर जीवित
    • आज जियेंगे तो कल सुनेंगे
    • जो बुद्धि से परे है वह केवल ‘अन्ध-विश्वास’ ही नहीं
    • कर्त्तव्य धर्म की साधना
    • आत्म-हीनता के बोझ से आप न दब मरें
    • अभिमान का नशा
    • धरती खिसक जाय तो आश्चर्य नहीं
    • सर्वव्यापी गरिमा मनुष्येत्तर प्राणियों में भी है
    • पौराणिक कथा-गाथा :- - कवष की ऋषि-पद प्राप्ति
    • जन्म-मृत्यु के जाल में इच्छायें बाँधती हैं
    • बोधिसत्व
    • जीवन-मुक्ति की साधना
    • त्यौहार और संस्कार प्रेरणाप्रद पद्धति से मनाये जायँ
    • संयुक्त परिवार प्रणाली एक श्रेयस्कर परम्परा
    • देव शक्तियों का केन्द्र-बिन्दु -गायत्री
    • कुंडलिनी महाशक्ति की पौराणिक व्याख्या
    • निर्भयता-अपराजेय
    • अपनों से अपनी बात
    • हमारे शेष जीवन का कार्यक्रम और प्रयोजन
    • कर्म और धर्म का समन्वय
    • ध्वजायें उड़ाओ नहीं (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1969 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


प्रतिशोध कथा

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 7 9 Last
आज भगवती कात्यायनी का मन्दिर इस तरह सजा था, जैसे नव-वधू श्रृंगार करके ससुराल जाती है। युवराज श्रादित्य सेच दर्शनार्थ आने वाले थे, उन्हें के लिये यह साज-सज्जा की गई थी। दूर से आती हुई गज-घण्टा ध्वनि क्रमशः समीप होती आ रही थी। देव-भवन के सभी परिवार सन्नद्ध खड़े हो गये।

आदित्य सेन मन्दिर के सामने आकर रुके। चरण पादुकार्षे उन्होंने द्वारपाल चित्रक के संरक्षण में छोड़ी और स्वयं देवी के दर्शनों के लिये मन्दिर में प्रवेश कर गये। चित्रक ने देखा युवराज की रेशम मढ़ी हुई पादुकाओं ने लोस कणों के साथ कुछ धूल कण भी आ गये हैं, सो उसने उन्हें उठाकर अपने उत्तरीय वस्त्र (भिगोये) से पोंछ देने का यत्न किया। द्वारपाल का वस्त्र मैला था, उससे पादुकायें और नन्दी हो गई।

युवराज दर्शन करके बाहर लौटे। पादुकाओं की और देखा तो भौंहें तन गई। कड़ककर पूछा-”किसने मैली की है यह पादुकायें?” चित्रक भयभीत हो उठा, बोला-”क्षमा करें महाराज यह भूल।” वाक्य जब तक पूरा हो, चित्रक के कपाल पर उसी पादुका का तीव्र प्रहार हुआ। मस्तक फट गया, रक्त बहने लगा। आदित्य सेन को थोड़ी-सी भूल भी सहन न हुई। युवराज राजभवन चले गये और चित्रक-अपमानित चित्रक प्रतिशोध की ज्वाला में जनता हुआ अपने घर पहुँचा।

कई दिन तक उसने न अन्न लिया, न जल। वह किसी प्रकार युवराज आदित्य सेन से प्रतिकार लेना चाहता था। सप्ताहों वह इसी प्रतिशोध की ज्वाला में जलता रहा। चित्रक की पत्नी कुशला ने समझाया-”स्वामी! प्रतिशोध की भावना अग्नि की तरह है, वह जहाँ भी रहती है, जलाती और शक्ति नष्ट करती है। यदि आपको युवराज से बदला ही लेना है तो उसका उपयुक्त मार्ग में बताती है, उठिये और वह मलिनता परित्याग कर स्वस्थ हो गये।”

चित्रक उठे। स्नान किया, भोजन किया। स्वच्छ वस्त्र धारण कर बैठक में आये। कुशला वहाँ पहले से उपस्थित थी। उसने पहले ही प्रबन्ध कर रखा था। चित्रक को विद्याध्ययन के लिये वारणसकी भेज दिया।

भगवान विश्वनाथ के चरणों की छाया में बैठकर चित्रक ने दस वर्ष तक कठोर विद्याध्ययन किया। जड़ तक वह पुनः वाराणसी से लौटें, तब तक उनके पीडित्य की ख्याति सारे देश में फैल गई थी। चित्रक वह आचार्य चित्रक बन गये थे।

युवराज आदित्य सेन भी बड़ महाराज आदित्य सेज हो गये थे। इन दिनों राजमाता अस्वस्थ थीं। आँखों के सारे उपचार निरर्थक हो गये थे, सो उनके उपचार के लिये यज्ञ आयोजित किया गया। उनका ब्रह्मा चित्रक को नियुक्त किया गया।

उन दिनों आचार्य को लोग महाराभावों के अधिक सम्मान देते थे। चित्रक चाहते तो आदित्य सेन से बदला से सकते थे। पर ऐसा करने की अपेक्षा उन्होंने आदित्य सेन की वह पुरानी चरण-पादुकायें माँग लीं और प्रतिदिन उनकी पूजा करने लगे। एक दिन आदित्य सेन ने पूछा-”आचार्य प्रवर! पुरानी पादुकायें भी कोई पूजा की ग्रस्त है, फिर मैं आपका गुड़ भी तो नहीं है, उन पाडुकार्यों से आपका लगाव समझ में नहीं आया।”

चित्रक ने कहा-”महाराज! इनकी कृपा से ही जाज मैं इस पद पर विभूषित हुआ हूँ।” आपने एक दिन यही पादुकायें मेरे सिर पर जारी थीं। मैं प्रतिशोध से जल उठा था। सम्भव था आवेश में मुझसे कोई अपराध हो जाता। मेरी धर्मपत्नी ने प्रतिशोध के लिये मुझे वाराणसी भेजा, उसी का फल है आपका द्वारपाल आज इस यज्ञ का ब्रह्मा है। इस विलक्षण प्रतिशोध से आदित्य सेन पराभूत हो उठे। उन्होंने चित्रक का बड़ा सम्मान किया और उन्हें राजपुरोहित कर पद प्रदान किया।

First 7 9 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • बसन्त-पंचमी अपने परिवार का सबसे बड़ा पर्व - इसे समारोह पूर्वक मनाने की तैयारी अभी से की जाय
  • प्रार्थना आत्मा का सम्बल
  • आत्मा-कल्याण की भूमिका
  • प्रेममय परमेश्वर
  • आत्मा के सनातनत्व का प्रमाण पूर्वाभास
  • सर्वोत्कृष्ट सम्पत्ति
  • मनुष्य शरीर में कोई सर्वदर्शी सत्ता है?
  • प्रतिशोध कथा
  • दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य, दीर्घायुष्य-रहस्य
  • अपरिग्रह-शीलता
  • सन्त-राष्ट्र की आत्मा
  • सन्त हरदास की भूमि-समाधि
  • बैताल भट्टा का वानप्रस्थ
  • संसार उपयोगितावाद नहीं सहयोग और सद्भाव पर जीवित
  • आज जियेंगे तो कल सुनेंगे
  • जो बुद्धि से परे है वह केवल ‘अन्ध-विश्वास’ ही नहीं
  • कर्त्तव्य धर्म की साधना
  • आत्म-हीनता के बोझ से आप न दब मरें
  • अभिमान का नशा
  • धरती खिसक जाय तो आश्चर्य नहीं
  • सर्वव्यापी गरिमा मनुष्येत्तर प्राणियों में भी है
  • पौराणिक कथा-गाथा :- - कवष की ऋषि-पद प्राप्ति
  • जन्म-मृत्यु के जाल में इच्छायें बाँधती हैं
  • बोधिसत्व
  • जीवन-मुक्ति की साधना
  • त्यौहार और संस्कार प्रेरणाप्रद पद्धति से मनाये जायँ
  • संयुक्त परिवार प्रणाली एक श्रेयस्कर परम्परा
  • देव शक्तियों का केन्द्र-बिन्दु -गायत्री
  • कुंडलिनी महाशक्ति की पौराणिक व्याख्या
  • निर्भयता-अपराजेय
  • अपनों से अपनी बात
  • हमारे शेष जीवन का कार्यक्रम और प्रयोजन
  • कर्म और धर्म का समन्वय
  • ध्वजायें उड़ाओ नहीं (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj