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Magazine - Year 1970 - Version 2

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Language: HINDI
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भूत बड़े-बड़ों ने देखा

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टेलीफोन की घंटी बजी, वकील साहब ने उसे उठाकर कान से लगाया और कहा-हलो! हलो! कौन बोल रहा है? पर उधर से कुछ आवाज न आई, चोंगा नीचे रख दिया। लेकिन अभी वे उठने को ही थे कि घंटी फिर टनटनाई फिर रिसीवर उठाकर कान से लगाया तो कोई भद्दी गाली बकने लगा। कई दिन तक ऐसे ही कभी गालियाँ, कभी धोखा खाने के बाद भी उन्हें पता न चल पाया कौन तंग कर रहा है?

फिर-स्विच दबाया नहीं ट्यूब लाइट तेजी से चमकने लगी। बल्ब जला और फटाक से फूट पड़ा। कमरे में उनके अतिरिक्त एक चिड़िया भी नहीं तो भी यहाँ ऊधम मच रहा है। वकील साहब बड़े तंग हुए अन्त में हारकर बिजली विभाग को लिखा- कहीं कोई बिजली की गड़बड़ी है उसे ठीक किया जाये। बिजली विभाग के इंजीनियर तक आये, सारे सर्किट की ओवर हालिंग कर गये- पर न तो कोई गड़बड़ी मिली और न बन्द ही हुआ ऊधम। एडवोकेट साहब का बुरा हाल था।

यह प्रसंग कोई काल्पनिक नहीं वरन् एक सत्य घटना है जो रोजेनहीम के एक वकील के साथ जून 1968 में घटी। इस समाचार का विवरण नवनीत (हिन्दी डाइजेस्ट) के सितम्बर 1969 अंक में पेज 127, 128 में भी छपा है। लगभग 8-9 महीने की लगातार जाँच के बाद बिजली विशेषज्ञों ने जवाब दे दिया और स्थिति नियन्त्रण में नहीं आई। इसके बाद परा-मनोविज्ञान वेत्ता प्रो. हाँस बेन्डर, जो कि “फ्रीवर्ग इन्स्टीट्यूट आफ पैरासाइकोलॉजी” के अध्यक्ष हैं, ने इन परिस्थितियों की जाँच की और बताया कि-सब कुछ देखने के बाद में इस निर्णय पर पहुँचा हूँ कि यह मामला मनोगति क्रम (साइको काइनेसिस ) का है। मनोगति क्रम का अर्थ ही है कि सूक्ष्म मानसिक शक्तियाँ हैं जो भौतिक पदार्थों पर नियन्त्रण और हस्तक्षेप कर सकती हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि मानसिक अवस्था किसी तरह भूत-प्रेत के रूप में स्थित रह सकती है।

चेतना के पण्डित होने के कारण भारतीय योगी इस विज्ञान को बहुत प्राचीन काल से जानते और लोगों को सावधान करते रहे हैं कि लोग हिंसा, छल-कपट और अत्याचार न करें अन्यथा उन्हें मरणोत्तर काल में एक ऐसी अशाँत स्थिति में रहना पड़ सकता है जिसमें आत्मिक-चेतना को इन्द्रियों की आसक्ति, भय और पाप पीड़ित कर रहे हों। भूत-प्रेत, यक्ष, गंधर्व आदि गुण क्रम से ऐसी ही अवस्थाओं के नाम हैं। इस अवस्था के प्रमाण संसार में सैकड़ों शिक्षित और लब्ध प्रतिष्ठ व्यक्तियों को भी मिल चुके हैं।

राजा हो या रंक मजदूर हो या नेता कर्मफल और ईश्वरीय न्याय से बचकर कोई नहीं जा सकता। स्काटलैण्ड के राज घराने संसार भर में प्रसिद्ध हुए हैं पर अपने किये कर्मों से वे भी बच नहीं सके। चौथे जेम्स से पहले कोई राजा अधोगति का शिकार हुआ। वह भूत हो गया जेम्स चतुर्थ को उसने कई बार दर्शन दिये। जेम्स चतुर्थ कई बार इंग्लैण्ड पर आक्रमण कर चुका था। प्रेत हर बार रक्तपात न करने की चेतावनी देता पर जेम्स ने उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया। एक बार जब वह युद्ध के लिए चलने लगा प्रेत ने आकर कहा- इस युद्ध से तुम जीवित वापस नहीं लौटोगे किन्तु जेम्स नहीं माना। युद्ध में गया और वहीं उसकी शस्त्र-प्रहार के कारण मृत्यु हो गई।

जगत विख्यात सन्त सुकरात के बारे में कहा जाता है कि जीवन की प्रारम्भिक अवस्था में धर्म-कर्म और अदृश्य जीवन में उनका कोई विश्वास नहीं था। एक दिन उन्हें एक भूत ने ही भगवान का भजन करने की सलाह दी उससे उनकी अतीन्द्रिय दर्शन की क्षमता विकसित हो गई। उस दिन से उन्हें भूत स्पष्ट दिखाई देने लगा। वे कई गूढ मामलों में उस प्रेत की मदद लिया करते थे। प्रेत उन्हें हर सम्भव जानकारी जो स्थूल और साँसारिक मामलों में ग्रस्त व्यक्ति नहीं पा सकता, देता रहता और इस तरह सुकरात हजारों का भला करते रहे। उन्होंने अपने साथियों को भी यह बात बताई पर चूँकि दूसरे लोग उसे देख नहीं सकते थे इसलिये उन्होंने यह बात कभी नहीं मानी पर जब सुकरात भविष्य की अनेक बातें पहले ही बता देते तो लोग उन्हें ही चमत्कारिक व्यक्ति मानने लगे कोई यह नहीं मानता था कि उनके पास कोई प्रेत आता है।

सुकरात को उस प्रेत ने ही बताया था कि प्रेत योनि में पड़ी हुई आत्मायें स्वयं भी अपने उद्धार के लिए प्रयत्नशील रहती हैं और अपने परिवार वालों से भी उसकी आशा रखती हैं पर स्वयं का कोई अभ्यास न होने से वे अधिकाँश अपनी इन्द्रियों की अशान्ति में ही पड़ी रहती हैं। पीर पूजन का महत्व सन्त सुकरात ने इसी उद्देश्य से प्रतिपादित किया था कि उससे भटकती आत्माओं को कुछ शान्ति मिले।

19 जुलाई 1969 के बम्बई के ‘ब्लिट्ज’ अखबार ने बम्बई का एक समाचार छापा है। फोर्ट इलाके की एक महिला को कुछ दिन पूर्व एक बिना नाम का पत्र मिला जिसमें उसे कई तरह की धमकियाँ दी गई थी। यह समझा गया कि यह काम किसी बुरे व्यक्ति का है महिला की सुरक्षा-व्यवस्था मजबूत कर दी गई। पुलिस का भी प्रबन्ध कर दिया गया।

एक दिन महिला कुछ खरीदने के लिए सहकारी भंडार पहुँची। उसका नौकर साथ था उसने पूरी सतर्कता बरती तो भी उस महिला की पीठ पर ब्लेड के निशान पाये गये। पुलिस ने समझा यह काम किसी जेबकतरे का है जो उसके कन्धे पर लटके हुए बैग को काटना चाहता होगा। उन्होंने खुफिया तौर पर निगरानी रखी पर कोई भी नहीं दीखा। दूसरे दिन भी यह स्थिति बनी रही। उक्त महिला अपने पति के साथ भ्रमण के लिए निकली तो बाँह, पैरों और शरीर के दूसरे हिस्सों में ब्लेड की खरोंच पाई गई। कपड़े कई जगह से कट गये। पुलिस घर में भी निगरानी रख रही है पर यह पहेली अन्ततः पहेली ही रही। लोगों ने अनुभव किया यह मामला भी स्पष्ट ही “मनोगति” अर्थात् प्रेत से सम्बन्धित है।

एलन कारडेक ने इस तरह की सैकड़ों घटनाओं के अध्ययन के बाद “दि मीडियम्स” नामक पुस्तक लिखी है इस पुस्तक में उन्होंने स्वीकार किया है कि संसार में किसी न किसी रूप में भूत-प्रेत का अस्तित्व है। कुछ अच्छे लोग भी परिस्थितिवश कई बार दुष्कर्म कर बैठते हैं वह तो इस अवस्था को जल्दी ही पार करके मृत्यु की गहरी निद्रा में चले जाते हैं पर जो आजीवन बुरे कार्यों में ही फँसे रहे होते हैं अधोगति में पहुँचे ऐसे प्रेत आदि बहुत काल तक अन्धकारपूर्ण दुर्गन्धित और सुनसान स्थानों में भ्रमण करते रहते हैं। कोई-कोई ऐसे प्रकट भी होते रहते हैं, अधिकाँश पुण्यार्जन के भी प्रयत्न में रहते हैं पर जो सुविधायें मनुष्य में पुण्य और परमार्थ के लिए हैं वह सुविधायें वहाँ न होने पर उनके पल्ले अधिकाँश किये हुए पापों का प्रायश्चित ही रहता है।

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