
शनि की कोप-दृष्टि
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शनि की कोप-दृष्टि- कहते हैं शनि महाराज जिस पर कुपित हो जाते हैं उसे ऐसा कष्ट देते हैं कि बेचारे को नानी याद आ जाती है। कहावत कहाँ तक सच है, कह नहीं सकते- पर शनिदेव असाधारण सुन्दर हैं, यह बात वैज्ञानिकों ने सत्य साबित कर दी है। किसी दूरबीन से देखें तो पता चलता है कि शनि का आकाश हमेशा 9 चन्द्रमाओं से जगमगाता रहता है। इससे भी जब उन्हें सन्तोष न हुआ तो उन्होंने अरबों चन्द्रमाओं की कंठी पहन ली। यह असंख्य चन्द्रमा अधिक-से-अधिक बच्चों के खेलने की गोली जितने बड़े हैं और लाखों मील मोटी एक पट्टी बनाये हुए हैं- यही पट्टी अरबों मील दूर से देखने पर शनि के किनारे पर वलय (छल्ले) जैसी दिखाई देती है। एक चन्द्रमा सम्पूर्ण कला के साथ निकलता है, तो पृथ्वी कितनी अच्छी लगती है, जहाँ अरबों चन्द्रमा जगमगा रहे होंगे वहाँ के सौंदर्य का तो कहना ही क्या? वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पहले शनि के पास 10 चन्द्रमा थे। एक चन्द्रमा घूमते-घूमते शनिदेव के पास तक चला आया, कुछ शनि से टकराकर उसका शरीर टुकड़े-टुकड़े होकर बिखर गया। अनुमान है कि यह चन्द्र-कंठी उसी चन्द्रमा के टूटे हुए कण हैं। सम्भवतः इसी घटना को लेकर उनकी कोप-दृष्टि प्रसिद्ध हुई होगी। वैसे वे बेचारे इतने हलके हैं कि यदि उन्हें पकड़ कर समुद्र में लाना सम्भव हो, तो वे उसमें डूबेंगे नहीं, अपने हलकेपन के कारण उसी में तैरने लगेंगे। इतने सुन्दर शनि को लोग कोप-ग्रह समझ कर उनसे डरें तो यह उनकी नासमझी और बालकपन ही कहना चाहिए।