
अशरीरी आत्माएं हमारी सहायता भी करती हैं।
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प्लेटो, जेनोफेन, प्लुटार्क आदि विद्वानों ने सुकरात के जीवन की प्रामाणिक घटनाओं पर प्रकाश डाला है। उन सभी ने स्वीकार किया है कि- सुकरात ने अनेकों बार यह कहा मेरे भीतर एक रहस्यमय देवता ‘डेमन’ निवास करता है और वह समय समय पर मुझे पूर्व सूचनाएं दिया करता है। इस तथ्य की यथार्थता के अनेक प्रमाण उद्धरण भी उपरोक्त लेखकों ने प्रस्तुत किये हैं।
प्लुटार्क ने अपनी पुस्तक दी जेनियो सोक्रिटिस में एक घटना दी है- एक बार सुकरात अपने कई मित्रों के साथ एक रास्ते जा रहे थे। सहसा वे रुक गये और कहा इस रास्ते हमें नहीं चलना चाहिये -खतरा है। कइयों ने उसकी बात मान ली और वह रास्ता छोड़ दिया पर कई इस साफ सुथरे रास्ते को छोड़ने के लिये तैयार न हुये। वे सुकरात की सनक को बेकार सिद्ध करना चाहते थे। वे कुछ ही दूर गये होंगे कि जंगली सुअरों का एक झुण्ड कहीं से आ धमका और उनमें से कइयों को बुरी तरह घायल कर दिया।
प्लेटो ने अपनी पुस्तक थीवीज में एक प्रसंग दिया है- एक दिन एक तिमार्कस नामक युवक सुकरात के पास आया। कुछ खाया पिया। जब चलने लगा तो सुकरात ने उसे रोका और कहा अभी तुम जाना मत, तुम्हारे ऊपर खतरा मंडरा रहा है। तीन बार उसने जाने की चेष्टा की पर तीनों बार सुकरात ने उसे पकड़ कर बल पूर्वक रोक लिया। पीछे वह नहीं ही माना और हाथ छुड़ा कर चला गया। दूसरे ही दिन उसने एक खून कर डाला और फाँसी पर चढ़ाया गया। ऐसी ही अन्य कितनी ही घटनाएँ हैं जिनमें सुकरात को उसके सहचर देवता डेमन द्वारा पूर्वाभास दिये जाने तथा सहायता करने के प्रमाण मिलते हैं।
सुकरात पर जब मुकदमा चला और प्राण दण्ड मिला तब उसके पास ऐसे प्रमाण और साधन थे जिनसे उनका बचाव हो सकता था। सफाई में प्रस्तुत किये जा सकने योग्य मजबूत प्रमाण उसके पास थे। ऐथेंस की जेल से उसे उसके मित्र और शिष्य भगा ले जाने के लिये पूरी तैयारी कर चुके थे, पर उनने इस सबसे सर्वथा इन्कार दिया और बचाव के प्रयत्नों में कोई सहयोग नहीं दिया। भरे न्यायालय में उनने स्वीकार किया- अभी अभी मेरा देवता डेमन मेरे कानों में कहकर गया है कि- मृत्यु दण्ड मिलेगा, उससे डरने की कोई बात नहीं है, ऐसी मृत्यु मनुष्य के लिये श्रेयस्कर ही होती है।
परामनोविज्ञान के अतीन्द्रिय विश्लेषण में यह तथ्य स्वीकार किया गया है कि संकल्प शक्ति से निर्जीव वस्तुओं को अथवा सजीव प्राणियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया ले जाया जा सकता है। इस क्रिया को ‘एपोर्ट’ कहते हैं। यह कैसे होता है। संकल्प शक्ति वस्तु अथवा प्राणी को किस प्रकार प्रभावित करती है और उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के बीच किस प्रकार क्या भौतिक प्रक्रिया कार्यान्वित होती है, उसे जानना अभी बाकी है। पर प्रमाणों और तथ्यों ने इस निष्कर्ष पर पहुँचा दिया है कि ऐसा हो सकता है और होता है।
डॉक्टर जी0 पी0 विल्लोट ने पैरिस में हुई एक आध्यात्मिक गोष्ठी का विवरण प्रकाशित कराया है। उन्होंने एक अन्धी महिला के द्वारा बन्द कमरे में फाख्ता बुलाने के अद्भुत दृश्य की चर्चा करते हुए लिखा है-अन्धी महिला ने कहा- यह रही बर्फ जैसी सफेद फाख्ता। यह अपनी चोंच में कागज का एक टुकड़ा दबाये हुए उड़ रही है। देखो अब यह कागज का टुकड़ा मदान जे0 के0 के पैरों में गिर पड़ा। और सचमुच वैसा ही हुआ। इसी महिला ने एक दिन डॉक्टर विल्लाट को आकाश से फूल मँगाकर दिये थे। ऐसी ही एक घटना कैन्थन (मैसाच्युसेट्स) निवासी डॉ0 लाकिने के सामने आई। मेरी जेन नामक लड़की के माध्यम से एक भारी लोहे का चुम्बकीय टुकड़ा रसोई घर में आ गया। पीछे वह मेरी की प्रार्थना पर अन्तर्धान भी हो गया।
न्यू एरा में वोस्टन के दी आलिब ब्राँच आफ पीस केन्द्र में हुए एक प्रयोग की रिपोर्ट छपी है एक कमरे को चौबीस घण्टे पूर्व पूरी तरह बन्द कर दिया गया था और उसमें कहीं कोई ऐसा स्थान नहीं रहने दिया गया था जहाँ कोई चीज छिपने या छिपाने की गुंजाइश हो। उस कमरे में उपस्थित लोगों ने प्रयोग के समय एक सफेद फाख्ता को प्रकट होते हुए देखा। इस घटना का तथा ऐसी ही अन्य कई घटनाओं का विवरण देते हुए एमा हार्डिज ने अपनी पुस्तक माईन अमेरिकन स्प्रिचुअलिज्म पुस्तक में लिखा है- पदार्थों के प्रकट और अन्तर्धान होने - एक स्थान से दूसरे स्थान तक हस्तान्तरण होने की क्षमता, मनुष्य के संकल्प बल में है इसके कितने ही प्रमाण मिलते हैं। यह तथ्य आज की बुद्धि सीमा में नहीं आते पर इससे यथार्थता में कोई अन्तर नहीं आता।
मन का कार्य केवल इच्छा,कल्पना और निर्णय जैसे सामान्य स्तर तक ही सीमित नहीं है। उसमें कुछ विलक्षण शक्तियाँ भरी पड़ी हैं, ऐसी जिनसे जड़ वस्तुओं को प्रभावित किया जा सके। अतीन्द्रिय विज्ञानी इस शक्ति को साइको काइनेसिस नाम देते हैं। इस क्षेत्र में चल रही शोध यह बताती है कि ऐसी अनुभूतियों की साक्षी प्रचुर परिमाण में उपलब्ध है जिनसे मनुष्य की अन्तः चेतना में एक्स्ट्रा सेन्सरी पर्सेप्शन की जड़ पदार्थों को भी प्रभावित करने की क्षमता का होना सिद्ध होता है। मन से मन को प्रभावित करना और भावना से उत्तेजित करना तो स्पष्ट तथ्य सर्व विदित और सर्वमान्य ही है।
मनोविज्ञान शास्त्र के जन्मदाता फेडरिक मायर्स ने अन्तःचेतना का एक विशेष स्तर स्वीकार किया है- सुप्रालिमिनल सेल्फ की व्याख्या करते हुये उन्होंने लिखा है- इस स्तर का विकास मनुष्य की अतीन्द्रिय अनुभूतियाँ कर सकती हैं। जो सर्व विदित नहीं हैं ऐसे रहस्यों को जान सकने की क्षमता मस्तिष्क के उस परिचेतना में बीज रूप से मौजूद रहती है जिसे सब लिमिनल सेल्फ कहते हैं। उन्होंने अपने निज के अनुभवों की चर्चा की है और मनुष्य सचेतना के भीतर एक ऐसा तत्व है जिसके आधार पर दूरवर्ती छिपी हुई तथा भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी मिल सकती है। अप्रकट रहस्यों के प्रकटी कारण और अशरीरी आत्माओं के साथ सम्बन्ध जोड़ने की सम्भावना इस चेतना स्तर में होने की बात उन्होंने स्वीकार की है।
अशरीरी आत्माओं का अस्तित्व और उनके द्वारा मनुष्य को सहयोग यह एक तथ्य है। डरावनी या घिनौनी प्रकृति के भूत प्रेत कम ही होते हैं। साधारणतया उच्च आत्माएं मनुष्यों की सहायता ही करती हैं और अपनी उच्च प्रवृत्ति के कारण दूसरों को आगे बढ़ाने तथा खतरों से बचाने के लिये पूर्व संकेत भी करती हैं। जिस प्रकार उदार मनुष्य अकारण दूसरों की सेवा सहायता करने के लिये तैयार रहते हैं वैसे ही सूक्ष्म शरीर धारी आत्माएं लोगों को उपयोगी ज्ञान देने अथवा आत्मा का अस्तित्व शरीर न रहने पर भी बना रहता है यह विश्वास दिलाने के लिये कुछ व्यावहारिक सहयोग देती रहती हैं।
मनुष्य इसी लोक - इसी शरीर को सब कुछ मान बैठता है और तात्कालिक सुखोपभोग के लिये दूरवर्ती भविष्य को अन्धकारमय बनाने में लगा रहता है। इसका एक कारण परलोक सम्बंधी - मरणोत्तर जीवन सम्बंधी अज्ञान भी है यदि गहराई के साथ यह विचार किया जाय कि मरने के बाद भी शरीर बना रहेगा और उस स्थिति में शुभ अशुभ विचार एवं कार्य ही सुख दुख देने के आधार होंगे तो निस्सन्देह मनुष्य के पैर कुमार्ग पर चलने से रुकें और सन्मार्ग पर चलने का उत्साह बढ़े। परलोक सम्बंधी ज्ञान एवं विश्वास का परिणाम मनुष्य के दृष्टिकोण एवं आचरण को परिष्कृत बनाने में सहायक होता है। इस दृष्टि से अशरीरी आत्माएं अकसर लोगों को अपना परिचय देती रहती हैं साथ ही समय समय पर उनकी ऐसी सहायता भी करती रहती हैं जिससे परोक्ष जीवन के प्रति सर्व साधारण की निष्ठा का विकास हो सके।
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रोमान नोवारी एक बार एक होटल में ठहरा था। होटल के मालिक को मरे हुये थोड़े ही दिन हुये थे, उसके लड़कों में सम्पत्ति के बारे में बहुत झगड़ा चल रहा था बाप की लिखी वसीयत मिल नहीं रही थी इससे गुत्थी और भी उलझ गई थी। नेवारो ने भी यह सारा वृत्तान्त सुना, पर वह बेचारा आखिर क्या कर सकता था परदेशी जो ठहरा।
नेवारो ने उसी रात सपना देखा कि एक वृद्ध व्यक्ति बार-बार उसके कमरे में आकर अलमारी को लाठी से ठोंकता है। एक दो बार तो उसने चूहा आदि समझा पर बार-बार वही सपना - वही आवाज। वह उठा होटल की उस अलमारी को खोल डाला। उलट-पुलट कर देखा तो उसी में वह वसीयत रखी हुई थी जिसके न मिलने पर दोनों भाई लड़ रहे थे। जिसके न मिलने पर दोनों भाई लड़ रहे थे। दूसरे दिन नेवारो ने वह वसीयत उन्हें सौंपी और झगड़ा आसानी से निपट गया।
फ्राँस के सम्राट हेनरी चतुर्थ की हत्या से कुछ समय पूर्व अदृश्य आत्मा ने उससे स्वप्न में आकर कहा था- अब तुम्हारा अन्तिम समय अति निकट आ पहुँचा।
यह बात जब सम्राट ने दरबारियों को बताई तो उनने इतना ही कहा यह निरर्थक है। इन दिनों ऐसी कोई आशंका भी नहीं हैं। पर जब सचमुच कुछ समय बाद हेनरी की हत्या हो गई तो उस पूर्वाभास को सभी ने सही माना।
स्काटलैण्ड का राजा जेम्स चतुर्थ अक्सर इंग्लैण्ड पर आक्रमण कर बैठता था। अन्तिम आक्रमण के बाद उसे एक अदृश्य आत्मा दिखाई पड़ी। उसने कहा यदि भविष्य में तुमने कोई और आक्रमण किया तो याद रखना तुम्हारी जान की खैर नहीं। राजा ने उस चेतावनी को अनसुनी कर दिया। जब उसने अगला आक्रमण किया तो युद्ध स्थल में ही उसकी मृत्यु हो गई।
सर आर्लिवर लाज, डॉ0 पील, सर आर्थर केनन डायल,डॉ0 आकाल्ट आदि परलोक वक्ताओं ने मरणोत्तर जीवन के सम्बन्ध में काफी छान बीन की और पाया कि मरने के बाद भी मनुष्य की सूक्ष्म सत्ता जीवित रहती है। भारत में इन्दौर के भूतपूर्व सैशन जज श्री वी0डी0 ऋषि ने अपनी स्वर्गीय पत्नी की आत्मा से अदृश्य रहस्यों का उद्घाटन किया। लन्दन के ‘दी होल्डस’ पत्र के संपादक मोरिस वारवोनिल ने मृतात्माओं के अस्तित्व सिद्ध करने वाले अपने कई अनुभव छापे थे। ब्रिटेन के एयर मार्शल लार्ड डार्डिंग ने भी अपने अनुभव में आई प्रेतात्माओं के कुछ विवरण प्रकाशित कराये थे। सिसरो, पैथागोरस, प्लेटो, एक्यूलियम प्रभृति दार्शनिकों ने प्रेतात्माओं के अस्तित्व को असंदिग्ध रूप से स्वीकार किया है।