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Magazine - Year 1972 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
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सच्ची प्रेम भावना सबको अपना बना लेती है।

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मनुष्य की मनुष्यता इसलिए प्रशंसित और सम्मानित है कि उसमें उच्च भावनाओं का समावेश है। एक दूसरे के दुःख-सुख में सम्मिलित होने की - दया,करुणा ,प्रेम सेवा सहानुभूति की कोमल सम्वेदनाओं के आधार पर भी किसी के आन्तरिक विकास का मूल्याँकन किया जा सकता है।

प्रेम भावना में अपने प्रियपात्र के समीप रहने की इच्छा प्रबल रहती है, इसमें उसे सुख मिलता है और संतोष। मनुष्यों में से जिनमें यह वृत्ति जितनी निर्मल, निस्वार्थ और प्रबल है समझना चाहिए उसके अन्तःकरण का स्तर उतना ही ऊँचा उठ गया। जो रूखा, नीरस, स्वार्थी पल भर में आँखें बदल लेने वाला है उसे इस निष्ठुरता के आधार पर उतना ही गया गुजरा मानना चाहिए।

जर्मनी का साइकोशिया प्रान्त- वतज्लो कस्बा-वहाँ अब से कोई 200 वर्ष पूर्व एक गरीब कुम्हार परिवार रहता था। उस परिवार की एक युवा लड़की का पड़ौस के युवक कुम्हार से प्रेम हो गया दोनों शादी करने के इच्छुक थे, पर लड़की का पिता इस पर सहमत न हुआ। वह अपनी लड़की को बहुत प्यार करता था और ऐसे लड़के से विवाह करना चाहता था जो बहुत ही पुरुषार्थी हो। इस कसौटी पर उसे वह लड़का कुछ जंच नहीं रहा था। सो उसने विवाह की स्वीकृति नहीं दी और कोई दूसरा पुरुषार्थी ढूँढ़ता रहा।

यह बात उस युवक को चुभ गई। उसने समझ लिया, प्रेम की भले ही अपनी विशेषता हो पर उसमें आकर्षण तभी आ सकता है जब उस पर पुरुषार्थ की खराद चढ़ी हुई हो। शादी के लिये प्रेमी होना ही पर्याप्त नहीं, उस उत्तरदायित्व को निवाहने के लिए पुरुषार्थ भी असाधारण ही होना चाहिए। सो उसने निश्चय किया कि वह एक ऐसा बर्तन बनायेगा जो उसके प्रेम का ही नहीं पुरुषार्थ का भी प्रमाण प्रस्तुत कर सके। यह बर्तन एक विशालकाय घड़ा था, जो दस वर्षों में बनकर तैयार हुआ। इस बीच न प्रेमी ने कहीं मन डुलाया और न प्रेमिका ने दूसरा घोंसला ढूँढ़ा। घड़ा - मजबूती की दृष्टि से ही नहीं उसे कला की दृष्टि से भी सर्वांग सुन्दर बनाया गया था। उस पर जो कलात्मक खुदाई और चिताई की गई उससे प्रतीत होता है कि- कितने मनोयोग का उसमें समावेश किया गया है। यह घड़ा सन 1753 में बनकर तैयार हुआ। उसमें जर्मनी माप के अनुसार 3 वशेल्स (लगभग 25 मन) अनाज भरा जा सकता था॥

पुरुषार्थ और प्रेम का प्रतीक यह घड़ा न केवल उन युगल प्रेमियों को विवाह सूत्र में बाँधने में सफल हुआ वरन् उसने राष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त की। कुम्हार ने अपनी कसौटी पर युवक को खरा पाया और इतनी लम्बी और कड़ी परीक्षा में सफल होने के उपहार में अपनी लड़की का उससे विवाह कर दिया। तब से वह महाघट राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित है और ‘प्यार का बर्तन’ कहलाता है। उसे हजारों दर्शक देखने दूर-दूर से आते रहते हैं।

आयरलैण्ड के कुक हेवेन नगर में दो बालक एक ही घर में एक ही समय पैदा हुए। एक का नाम था पैट्रिक दूसरे का एलेनर ग्रेडी। अलग परिवार के होते हुए भी उनमें अद्भुत समता थी -दोनों की आकृति ही नहीं प्रकृति भी एक थी। उनकी शादियाँ अलग-अलग स्थानों पर हुई पर हुई एक ही दिन एक ही समय। आश्चर्य की वे बीमार भी एक दिन पड़े और दोनों अलग-अलग स्थानों पर रहते हुए भी 96-96 वर्ष के होकर ठीक एक ही दिन और एक ही समय मर गये।

दोनों में प्रेम भावना असाधारण थी। जब पास-पास रहते तो एक साथ खाते सोते। अलग रहना पड़ता तो भी एक दूसरे की बात सोचते रहते। आश्चर्य यह कि उनमें से किसी पर कुछ दुःख -सुख आता तो दूसरा उसकी अनुभूति तुरन्त अपने भीतर करता।

यह प्रेम भावना, पशु पक्षियों में भी कम नहीं होती। यदि उन्हें कहीं सच्चा प्यार मिल जाता है तो हिंसक पशु भी अपने प्रियपात्र के गुलाम हो जाते हैं। यह आकर्षण सच्चे प्रेम में ही है। बहुधा पशु पक्षी अपने मालिकों को उतना प्यार नहीं करते। इसका कारण उन मनुष्यों की निष्ठुर प्रवृत्ति ही है। एक आत्मा की वास्तविकता को परखने- पहचानने में दूसरी आत्मा को कुछ भी कठिनाई नहीं होती। मस्तिष्क धोखा खा सकता है हृदय नहीं। जो लोग माँस के लिए- देवी पर बलि चढ़ाने के लिए या बूढ़े हो जाने पर कसाई के हाथों बेच डालने जैसी निष्ठुरता के साथ पशु पालन करते हैं उनकी कपटी वृति को पहचानने में भी उन्हें देर नहीं लगती। ऐसे लोगों से वे भी रूखे और खिंचे -खिंचे रहते हैं पर जहाँ सच्चा प्रेम होता है वहाँ मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी यहाँ तक कि हिंस्र जन्तु भी सघन प्रेम भावना एवं आत्मीयता का परिचय देते हैं।

‘जन्तु और मानव’ पुस्तक के लेखक काल हैगेनवैक ने अपने निजी अनुभव की चर्चा करते हुए लिखा है- एक बार उनने एक युवा बाघ का जोड़ा खरीदा वह बीमार पड़ा तो उनने स्वयं उसके पास जाकर चिकित्सा और परिचर्या की। यह जोड़ा उनसे इतना हिल मिल गया था कि नजदीक आने पर प्यार से विह्वल हो उठता और प्यार से घुरघुराता। पीछे उन्होंने उस जोड़े को बर्लिन की जन्तुशाला को दे दिया। जब कभी वे उससे मिलने जाते तो यह बाघ जोड़ा उनसे पहले की तरह ही प्यार करता और लिपटने की कोशिश करता।

एक कुवियर ने एक पालतू भेड़िये की चर्चा करते हुए लिखा है बचपन में उसे एक व्यक्ति ने पाला था पर बड़ा होने पर उसे जन्तुशाला को दे दिया। वह व्यक्ति जब भी जन्तुशाला में गया तो भेड़िये ने उससे मिलने की आतुरता दिखाई और यदि पास आने का तनिक भी अवसर मिला तो उसने भरपूर प्रेम प्रदर्शित करने की चेष्टा की।

न्यूयार्क हैराल्ड में जेम्स एस॰ मिचेल ने एक स्वामी-भक्त कुत्ते के विचित्र साहस का विवरण छपाया है। कुत्ता आयरलैण्ड का था, एक अमेरिकी स्त्री वहाँ से उसे अपने साथ पानी के जहाज से ले गई। उसने अपने साथ हिलाने के लिए उसे बाँधकर रखा, एक दिन अवसर पाते ही कुत्ता गायब हो गया। अमेरिका के गली-कूचे छानता हुआ वह बन्दरगाह पर आ गया। और जिस जहाज से उसे लाया गया था, उसका इन्तजार करता रहा। पीछे जब वही मैजेस्टिक जहाज आया और आयरलैण्ड लौटने लगा तो चुपके से उसी पर चढ़ गया। मुसाफिरों में हिल-मिल गया लम्बी समुद्री यात्रा उसने बिना टिकट कर ली और आयरलैण्ड पहुँचकर के क्वीनन्स टाउन बन्दरगाह पर उत्तर गया। वहाँ से क्लोन मेल कस्बा एक सौ मील से अधिक है। रास्ता भी ऊबड़-खाबड़ है। इसे पार करता हुआ वह पुराने मालिक के पास पहुँचा। इस लम्बी और दुस्साहसपूर्ण यात्रा में उसे भारी कष्ट और जोखिम उठाने पड़े। पैरों में जख्म हो गये थे। कुत्तों ने काटकर उसके कन्धों पर घाव कर दिये थे, पूँछ कट गई थी और एक आँख बैठ गई थी। इतना सब होते हुए भी अपने पुराने मालिक के पास वह पहुँच ही गया और लिपट कर खूब रोया।

‘जंतुओं की कथा’ पुस्तक में एन्ड्रयू लैग ने उस बढ़ई का विवरण छापा है जिसने एक बाघ के बच्चे को पाला था और बड़ा होने पर उसे चिड़िया घर को दे दिया था। एक बार वह बढ़ई चिड़िया घर गया तो उसने बड़े प्रयत्न पूर्वक यह स्वीकृति प्राप्त की कि वह कटघरे में अपने पूर्व परिचित बाघ के पास जा सके। वह गया तो बाघ ने उसके हाथों को चाटा, अपना सिर उसके कन्धों से रगड़ा कई घण्टे उसके साथ रहा और बढ़ई जब कटहरे से बाहर जाने लगा तो उसने उसे बार-बार जाने से रोका।

जन्तुओं के मित्र पत्रिका में आडाऊ (ब्रिटेन) के कप्तान वाटसन ने अपने घोड़े की और एस0एन0पेज ने एक राजहंस की कथा छापी है जिन्होंने मनुष्यों से कम नहीं वरन् कुछ अधिक ही अपनी प्रेम भावना का परिचय दिया था।

यदि हम अपने भीतर सच्ची प्रेम भावना पैदा करे तो देखेंगे कि उसके प्रकाश में हर कोई अपना प्रियपात्र बनता चला रहा है और हर ओर से प्रेम की वर्षा हो रही है।

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Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
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Type: SCAN
Language: HINDI
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