• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • जीवन सम्पदा का सदुपयोग सीखा जाय
    • सिद्धिश्च सोपानः
    • जीवन सम्पदा का सदुपयोग सीखा जाय
    • परमाणु शक्ति से बढ़कर जीवाणु सत्ता
    • एकता के तीन सूत्र
    • हम उत्कृष्टता की ओर अनवरत गति से अग्रसर हों
    • मनुष्य जीवन-समुद्र से भी अधिक गहरा और विस्तृत
    • Quotation
    • चिन्तन की विकृति मनोरोगों का प्रधान कारण
    • अपनत्व की विस्तार मानवता का गौरव
    • विकास की सोचें पर विनाश को न भूलें
    • छोटे कीड़े मकोड़ों की दुनिया हम से कम रोचक नहीं
    • उत्पादक संघर्ष नहीं सहयोग ही है
    • मनुष्य विवश है या समर्थ स्वतन्त्र
    • देवता की शरण में जाये बिना अन्यत्र कहीं कोई ठिकाना नहीं
    • जीवन और शक्ति अन्योन्याश्रित
    • हमारी उदारता विवेक सम्मत हो
    • मनुष्य जन्म प्रचण्ड पुरुषार्थ का प्रतिफल
    • आँवला सस्ता किन्तु अति उपयोगी फल
    • आहार के सम्बन्ध में समुचित सतर्कता बरती जाय
    • Quotation
    • गंगा की गौरव गाथा अकारण नहीं गाई जाती
    • नन्हा दीपक (kahani)
    • भारतीय धर्म नारी के प्रति अनुदार नहीं
    • शरीर के सर्वोत्तम और निकृष्ट अंग (kahani)
    • क्षुद्रता अपना कर हम पाते कुछ नहीं खोते ही हैं।
    • अपनों से अपनी बात - प्रत्येक परिजन सृजन सैनिक की भूमिका निवाहें
    • नर से नारायण
    • नर से नारायण (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • जीवन सम्पदा का सदुपयोग सीखा जाय
    • सिद्धिश्च सोपानः
    • जीवन सम्पदा का सदुपयोग सीखा जाय
    • परमाणु शक्ति से बढ़कर जीवाणु सत्ता
    • एकता के तीन सूत्र
    • हम उत्कृष्टता की ओर अनवरत गति से अग्रसर हों
    • मनुष्य जीवन-समुद्र से भी अधिक गहरा और विस्तृत
    • Quotation
    • चिन्तन की विकृति मनोरोगों का प्रधान कारण
    • अपनत्व की विस्तार मानवता का गौरव
    • विकास की सोचें पर विनाश को न भूलें
    • छोटे कीड़े मकोड़ों की दुनिया हम से कम रोचक नहीं
    • उत्पादक संघर्ष नहीं सहयोग ही है
    • मनुष्य विवश है या समर्थ स्वतन्त्र
    • देवता की शरण में जाये बिना अन्यत्र कहीं कोई ठिकाना नहीं
    • जीवन और शक्ति अन्योन्याश्रित
    • हमारी उदारता विवेक सम्मत हो
    • मनुष्य जन्म प्रचण्ड पुरुषार्थ का प्रतिफल
    • आँवला सस्ता किन्तु अति उपयोगी फल
    • आहार के सम्बन्ध में समुचित सतर्कता बरती जाय
    • Quotation
    • गंगा की गौरव गाथा अकारण नहीं गाई जाती
    • नन्हा दीपक (kahani)
    • भारतीय धर्म नारी के प्रति अनुदार नहीं
    • शरीर के सर्वोत्तम और निकृष्ट अंग (kahani)
    • क्षुद्रता अपना कर हम पाते कुछ नहीं खोते ही हैं।
    • अपनों से अपनी बात - प्रत्येक परिजन सृजन सैनिक की भूमिका निवाहें
    • नर से नारायण
    • नर से नारायण (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1975 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


परमाणु शक्ति से बढ़कर जीवाणु सत्ता

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 3 5 Last
पदार्थों को बड़ी मात्रा में एकत्रित करके अधिक वैभव, बल या सुख पाया जा सकता है यह मान्यता अब बहुत पुरानी हो गई। मात्रा की अपेक्षा अब गुण को महत्व मिलने लगा है जो उचित भी है। ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ वाली कहावत वहाँ लागू होती है जहाँ यह सोचा जाता है कि जो जितना बड़ा है- साधन, सम्पन्न है वह उतना ही सशक्त है। शक्ति का स्त्रोत हर छोटे पदार्थ, व्यक्ति एवं साधन में मौजूद है। यदि हम बारीकी से ढूँढ़ना, परखना और सही रीति से प्रयुक्त से करने की विद्या जान जायें तो थोड़ी-सी सामग्री से ही प्रचुर शक्ति सम्पन्न बन सकते हैं। हमारे छोटे-छोटे व्यक्तित्व ही ऐसे महान कार्य सम्पन्न कर सकते हैं जिन्हें देखकर दाँतों तले उँगली दबानी पड़े।

अणु शक्ति इस तथ्य को प्रत्यक्ष रूप से प्रमाणित करती है। पदार्थ का छोटे से छोटा घटक ‘अणु’ कितना सशक्त है और वह कितने बड़े कार्य कर सकता है इसे देखने, समझने पर इस सच्चाई को हृदयंगम करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए कि छोटा समझा जाने वाला व्यक्ति भी यदि अपने को समझ सके तो जो कुछ वह है उतने का ही सही उपयोग कर सके तो वह कर सकता है जिसके लिए सामान्य बुद्धि बहुत बड़े साधनों की आवश्यकता अनुभव करती हैं।

अब परमाणु पदार्थ की सबसे छोटी इकाई नहीं रहा उसके भीतर 100 से भी अधिक ऐलिमेन्टरी पार्टिकल-प्राथमिक कण-खोज निकाले गये हैं। इनको भी अन्तिम इकाई नहीं कहा जा सकता। इनके भीतर जो सूक्ष्मता के अनुपात से अधिक रहस्यमय स्पंदन, स्फुरण भरे पड़े हैं उनका रहस्योद्घाटन होना अभी शेष है। अब विज्ञान अधिक गहराई में प्रवेश कर रहा है। पिछले दशकों के प्रतिपादन अब झुठलाये जा रहे हैं। यथा-’ईथर’ की कल्पना का अनस्तित्व पिछले दिनों मोर्स तथा माइकेलसन ने सिद्ध कर दिया है। शब्द तरंगों के बहन करने वाले इस ईथर की खोज पर फिट्ज गेराल्ड और लारेन्टज को बहुत ख्याति मिली थी और उनकी शोध की बड़ी उपयोगी मानकर सर्वत्र मान्यता मिली थी। पर अब उसके नकारात्मक प्रबल प्रतिपादन ने विज्ञान की अन्य मान्यताओं के भी खोखली होने की आशंका उत्पन्न कर दी है। आइन्स्टाइन का सापेक्षवाद अब उतना उत्साहवर्धक नहीं रहा उसमें बहुत सी शंकाओं और त्रुटियों की सम्भावना समझी जा रही है। गैलीलियो-न्यूटन आदि की मान्यताएँ अब पुरातन पंथी वर्ग की कल्पनाएँ ठहराई जा रही है।

महर्षि कणाद ने अपने वैशेषिक दर्शन में अपने ढंग से यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि यह संसार छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है। ईसा से 400 वर्ष पूर्व यूनानी दार्शनिक देमोकिन्तु भी अरगुवाद का प्रतिपादन करते थे। इससे पूर्व यह जगत् पंचतत्वों का बना माना जाता था। जब पंचतत्व का बहुत मोटा वर्गीकरण है। पानी अपने आप में मूल सत्ता नहीं रहा उसे कुछ गैसों का सम्मिश्रण मात्र स्वीकार किया गया। पुरानी मान्यताएँ अपने समय में बहुत सम्मानित थीं, पर वे अब त्रुटि पूर्ण ठहरादी गई हैं।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त एक सीमा तक ही सही है। यदि कोई राकेट प्रकाश की गति से एक सेकिण्ड में 300000 किलोमीटर उड़ने लगे तो वे गुरुत्वाकर्षण नियम गलत हो जायेंगे।

रेडियम धातु द्वारा उत्पन्न होने वाले विकिरण की खोज होने तक यही मान्यता थी कि पदार्थ की ऊर्जा में नहीं बदला जा सकता है दोनों का दायित्व स्वतन्त्र है पर अब अणु विस्फोट के पश्चात् यह स्वीकार कर लिया गया है कि पदार्थ और ऊर्जा वस्तुतः एक ही सत्ता के दो रूप है और उन्हें आपस में बदला जा सकता है। क्वांटम और मैक्सवैल के सिद्धान्तों को आइन्स्टाइन की नई खोजों ने बहुत पीछे छोड़ दिया है। चुम्बक सम्बन्धी पुरातन मान्यताओं में रेदरफोर्ड में रेदरफोर्ड ने नये तथ्य जोड़े उनने सिद्ध किया कि रेडियम धर्मी विकिरण का एक भाग जब एक दिशा में मुड़ता है तो उसे विकिरण का एक भाप जब एक दिशा में मुड़ता है तो उसे ‘अल्फा’, विपरीत दिशा में मुड़ता है तो ‘वीटा’ और बिलकुल न मुड़ने वाला प्रवाह ‘गामा’ किरणों के रूप में निसृजित होता है। यह तीनों प्रवाह अपने-अपने ढंग के अनोखे हैं। अल्फा विकिरण कागज की एक पतली झिल्ली में रोका जा सकता है किन्तु वीटा विकिरण एल्युमिनियम की कुछ मिली मीटर मोटी चादर को भी पार कर सकता है। नामा विकिरण को शीशे की मोटी परत ही शोषित कर सकती है।

पुरानी मान्यता का परमाणु ठोस था। पीछे उसमें भी ढोल की पोल पाई गई है। आकाश में घूमने वाले पिण्डों की तरह परमाणु के गर्भ में कुछ प्राथमिक कण भ्रमण तो करते हैं फिर भी उसमें खाली जगह बहुत बच जाती है। यदि इलेक्ट्रॉन रहित परमाणुओं के नाभिकों की पूरी तरह सटा कर दबाया जा सके तो एक घन सेन्टीमीटर नाभिकीय द्रव्य का भार 10 करोड़ टन के लगभग हो जायगा।

पुरानी मान्यताओं के अनुसार जीव तुच्छ हेय पानी, पतित भव-बन्धनों में जकड़ा हुआ-जन्म-मरण के कुचक्र में बँधा हुआ नगण्य था। उसे अपने उद्धार उत्थान के लिए किसी गुरु-मन्त्र या देवता की सहायता अपेक्षित थी, पर जब आत्म सत्ता में सन्निहित गरिमा पर विचार किया जाता है तो स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि आत्मा अणु होते हुए भी परमात्मा-विभु की समस्त विशेषताएँ अपने भीतर छिपाये हुए हैं। जीवात्मा के सम्बन्ध में अनेक पुरातन मान्यताओं को निरस्त करते हुए वेदान्त ने ‘अयमात्मा ब्रह्म’ प्रज्ञानं ब्रह्म-तत्व मसि सोऽहम्, शिवोऽहम् का उद्घोष किया है तो वह अहंमन्यता नहीं जैसी कि तथ्यपूर्ण यथार्थता परमाणु के सम्बन्ध में सामने आई है। धूलि मिट्टी का एक अत्यन्त छोटा घटक होने के कारण उसका प्रत्यक्ष मूल्य नगण्य है, पर यदि उसका वैज्ञानिक ढंग से उपयोग किया जाय तो उससे समस्त संसार का अभाव दारिद्र दूर हो सकता है। शक्ति का असाधारण स्त्रोत करतल गत किया जा सकता है।

अणु शक्ति की झाँकी तो करली गई है, पर साथ ही यह खतरा भी सामने है कि विस्फोट से जो हानिकारक विकिरण उत्पन्न होगा उस पर नियन्त्रण कैसे किया जा सकेगा। अणु विज्ञान के उदय काल में यह कल्पना की गई थी कि चने की बराबर प्लूटोनियम के ऐजिन लगाकर मोटरें चलाई जा सकेंगी। पर वह अब पूरी होती नहीं दीखती क्योंकि अणु विस्फोट में जो नाभिकीय विकिरण फैलता है वह न केवल पदार्थों को वरन् जीव कोषों को भी नष्ट करके रख देता है। उससे बचाव करने के लिए चने की बराबर अणु इंजन के लिए किले जैसी मोटी दीवारें खड़ी करनी पड़ेगी। ऐसी दशा में वह कल्पना की गई हलकी और सस्ती अणु मोटर मात्र मस्तिष्कीय उड़ान बनकर ही रह जायगी।

फिर भी अणु बिजली घर बनाये जा रहे हैं और प्रयत्न किया जा रहा है कि इस शक्ति को वशवर्ती बनाकर मनुष्य की शक्ति आवश्यकता को पूरा किया जाय। इस दिशा में सफलता भी मिली है और आशा भी बँधी है। वह दिन दूर नहीं जब हानि रहित अणु बिजली घर सामान्य बिजली घरों की तरह की कार्यान्वित होने लगेंगे। अब तक जितना यूरेनियम’ प्राप्त कर लिया गया है वह 900 अरब टन कोयले से मिलने वाली शक्ति के बराबर है।

अणु ऊर्जा-एटामिकइनर्जी-हमारे लिए कितने ही उपयोगी प्रयोजन सिद्ध कर सकती हैं। चिकित्सा जगत, कृषि उद्योग, यातायात-युद्ध कौशल आदि कितने ही प्रयोजन उससे चमत्कारी स्तर पर पूरे किये जा सकते हैं।

केन्सर चिकित्सा के लिए अणु शक्ति द्वारा विनिर्मित विशिष्ट ‘कोवालट’ बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। जहाँ एक्सरे यन्त्र काम नहीं करते वहाँ ‘गेइनर काउन्टर’ वस्तुस्थिति का पता आसानी से लगा लेता है। रेडियो सक्रिय अणुओं के द्वारा एनीमिया-रक्ताल्पना का इलाज सफलतापूर्वक होने लगा है। पैलीसा इथोमिया वीरा नामक कष्टसाध्य रक्त रोग के उपचार में रेडियो सक्रिय फास्फोरकस के इन्जेक्शन सफल रहे हैं। ऐजिलना पैक्टोरिस नामक हृदय रोग में तथा थाइराइड केन्सर में रेडियो सक्रिय आयोडीन अच्छा काम करता है। शरीर के पाले भागों में जहरीला पानी भर जाने की स्थिति रेडियो सक्रिय स्वर्ण ट्यूमर और आँख के केन्सर में रेडियो सक्रिय आइसोटोपों से मनुष्यों तथा पशुओं के कितने ही रोगों की सफल चिकित्सा होने लगी है। अमेरिका में इस प्रकार के उपचारों के लिए विशेष रूप से अतिरिक्त आणविक अस्पताल ही खुले हुए हैं।

कृषि क्षेत्र में अणु ऊर्जा की सहायता से किस प्रकार अधिक मात्रा में और अधिक पौष्टिकता युक्त अन्न, शाक, फल आदि उगाने के सम्बन्ध में सुविस्तृत खोज हो रही है और पता लगाया जा रहा है कि बलिष्ठ पौधे, सशक्त खाद, कीड़ों से फसल की रक्षा, अधिक उत्पादन के लिए अणु ऊर्जा का किस प्रकार और किस हद तक सहायक हो सकती है। शोध संस्थानों को आशा है कि अणु शक्ति की सहायता से पौधों की ऐसी नस्लें पैदा की जा सकेंगी जो सर्दी, गर्मी, पानी और खाद की कमी तथा कीड़ों के आक्रमण का सामना करते हुए अपनी प्रगति का स्तर बनाये रह सके।

अमेरिकी एटामिकइनर्जी एजेन्सी के अध्यक्ष ग्लीन सीवर्स ने अणु- विज्ञानियों की एक अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठी में कहा था-अणु शक्ति की खोज बड़े मौके पर हो गई। यदि उसमें विलम्ब हुआ होता तो ईंधन के अभाव में समस्त संसार की प्रगति का क्रम बेतरह ठप्प पड़ जाता।

अभी अणु शक्ति उत्पादन में यूरेनियम धातु का उपयोग प्रधान रूप से होता है, पर आगे चलकर उसका स्थान थोरियम ले लेगा। यूरेनियम की कमी है, पर थोरियम आसानी से और अधिक मात्रा में उपलब्ध किया जा सकेगा।

अब कोयले की कमी पड़ने की भावी चिन्ता से छुटकारा पाया जा सकेगा। 9 पौण्ड यूरेनियम से उतनी ऊर्जा प्राप्त की जा सकेगी जितनी 1500 टन कोयला जलाने पर प्राप्त होती है।

अतीत काल में जब आग मनुष्य के हाथ लगी थी तब भी उसके सामने यही समस्या थी कि उसकी हानियों से कैसे बचा जाय और लाभ कैसे उठाया जाय। देर-सवेर में उसने इसका रास्ता भी निकाल लिया। अब हम आग से बेखटके लाभ उठाते हैं और उसकी भयंकर सम्भावना से अपना बचाव कर लेते हैं। अगले दिनों अणु ऊर्जा के सम्बन्ध में प्रस्तुत कठिनाई को भी हल कर लिया जायगा और इस महादैत्य को मनुष्य की सेवा करने के लिए बाध्य किया जा सकेगा।

मनुष्य के भीतर जड़ अणु शक्ति से भी उच्चकोटि की जीवाणु शक्ति मौजूद है। जड़ से चेतन की गरिमा सर्वविदित है अणु से जीवाणु की क्षमता अत्यधिक प्रचण्ड होना स्वाभाविक है। अणु समूह का थोड़ा सा यूरेनियम जब इतनी शक्ति उत्पन्न कर सकता है तो असंख्य जीवाणुओं के समूह मानवी व्यक्तित्व की क्षमता कितनी महान हो सकती है, इसका अनुमान लगाया जाना कुछ कठिन नहीं होना चाहिए।

प्रकृति प्रदत्त शक्ति स्रोतों में झंझावात, कवन्ध, आँधी, तूफान तथा ज्वार-भाटे अद्भुत हैं। इनमें सन्निहित शक्ति को यदि संग्रहित करके किसी उपयोगी दिशा में लगाया जा सके तो उससे भी बहुत काम चलता है। औसत दर्जे की आँधी में प्रायः एक हजार अणु बमों की बराबर शक्ति होती है।

निस्संदेह इस जड़ जगत में सर्वत्र शक्ति का सागर भरा पड़ा है। पदार्थ के कण-कण में से ऊर्जा की प्रचण्ड लहरे उठ रही है। इस बिखराव को समेटने और सही ढंग से प्रयुक्त करने की विद्या जब मनुष्य के हाथ लग जायगी तो फिर अशक्ति जन्य सभी कठिनाइयों का निवारण हो जायगा। मनुष्य के हाथ में सामर्थ्य का अजस्र स्त्रोत होगा।

निस्सन्देह यदि चेतना जगत में संव्याप्त आनन्द और उल्लास लेकर सिद्धियों, समृद्धियों और विभूतियों के वरदानों की उपलब्धि जिस समय मनुष्य के हाथ में आ जायगी तब वह जीव चेतना के प्रत्येक घटक जीवाणु में समाई सत्ता को देखना, परखना, समेटना और प्रयुक्त करने की कला में निष्णात बन जायगा। इस स्थिति में पहुँच कर ही हम नर से नारायण रूप में विकसित हो सकेंगे और अपूर्णता से पीछा छुड़ाकर पूर्णता सम्पन्न होने का जीवन-लक्ष्य प्राप्त कर सकेंगे।

First 3 5 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • जीवन सम्पदा का सदुपयोग सीखा जाय
  • सिद्धिश्च सोपानः
  • जीवन सम्पदा का सदुपयोग सीखा जाय
  • परमाणु शक्ति से बढ़कर जीवाणु सत्ता
  • एकता के तीन सूत्र
  • हम उत्कृष्टता की ओर अनवरत गति से अग्रसर हों
  • मनुष्य जीवन-समुद्र से भी अधिक गहरा और विस्तृत
  • Quotation
  • चिन्तन की विकृति मनोरोगों का प्रधान कारण
  • अपनत्व की विस्तार मानवता का गौरव
  • विकास की सोचें पर विनाश को न भूलें
  • छोटे कीड़े मकोड़ों की दुनिया हम से कम रोचक नहीं
  • उत्पादक संघर्ष नहीं सहयोग ही है
  • मनुष्य विवश है या समर्थ स्वतन्त्र
  • देवता की शरण में जाये बिना अन्यत्र कहीं कोई ठिकाना नहीं
  • जीवन और शक्ति अन्योन्याश्रित
  • हमारी उदारता विवेक सम्मत हो
  • मनुष्य जन्म प्रचण्ड पुरुषार्थ का प्रतिफल
  • आँवला सस्ता किन्तु अति उपयोगी फल
  • आहार के सम्बन्ध में समुचित सतर्कता बरती जाय
  • Quotation
  • गंगा की गौरव गाथा अकारण नहीं गाई जाती
  • नन्हा दीपक (kahani)
  • भारतीय धर्म नारी के प्रति अनुदार नहीं
  • शरीर के सर्वोत्तम और निकृष्ट अंग (kahani)
  • क्षुद्रता अपना कर हम पाते कुछ नहीं खोते ही हैं।
  • अपनों से अपनी बात - प्रत्येक परिजन सृजन सैनिक की भूमिका निवाहें
  • नर से नारायण
  • नर से नारायण (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj