
नौ वर्ष का बालक (kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के सदर अस्पताल में एक नौ वर्ष का बालक प्रस्तुत किया गया था। यह बसौढ़ी गाँव के मल्लाहों द्वारा सियारों की माँद से निकाला गया था। यह सियारों की बोली बोलता था और वही खाता था जो सियार खाते हैं। उसके नाखून तथा बाल बढ़े हुए थे और चौपायों की तरह चलता था।
इससे पूर्व लखनऊ के अस्पताल में एक रामू नामक भेड़िया बालक कई वर्ष तक भर्ती रह चुका है, यह भेड़ियों की माँद से खन्दौली (आगरा) के जंगलों में पाया गया था।
उपरोक्त सियार और भेड़िया बालकों के सम्बन्ध में यही विदित हुआ है कि इन्हें यह वन्य पशु छोटी आयु में उठा ले गये थे। वे इन अबोध शिशुओं के प्रति द्रवित हो गये और उसे खाने की बजाय अपने बच्चों की तरह पाल लिया।
यह घटनाएँ यह तथ्य सामने लाती हैं कि मनुष्य का विकास समुन्नत सामाजिक परिस्थितियों में ही हो सकता है। एकाकी प्रयत्न के बलबूते कोई जीवित भले ही रह ले, पर मानवोचित आहार-व्यवहार तक से परिचित नहीं हो सकता। सर्वसाधारण की प्रगति सामाजिक सहयोग एवं स्तर की मात्रा बढ़ने से ही हो सकती है इसके बिना तो हर किसी को भेड़िया अथवा सियारों से पाले बालकों की तरह पिछड़ी हुई स्थिति में ही पड़ा रहना होगा।
----***----