
ब्रह्म वर्चस् आरण्यक के लिए (kahani)
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ब्रह्म वर्चस् आरण्यक के लिए बिलकुल गंगा तट पर एक सुन्दर जमीन खरीद ली गई है। पानी के लिए इन दिनों उस भूमि पर कुँआ बन रहा है। बसन्त पर्व से इमारत बनने का कार्य आरम्भ हो जाएगा आशा है गायत्री जयन्ती या गुरुपूर्णिमा से उसमें साधकों के निवास करने जितना स्थान बन जाएगा निर्माण कार्य के लिए परिजनों के अनुदान आने भी आरम्भ हो गये है।
अभी दस-इस दिन के ब्रह्म वर्चस् सत्र शान्तिकुञ्ज में ही चलेंगे। इनमें (1) स्थूल सूक्ष्म और कारण शरीरों के परिष्कार (2) अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय, आनन्दमय कोशों के जागरण (3) कुण्डलिनी जागरण की त्रिविध प्रशिक्षण प्रक्रिया चल रही है। इनमें प्रकाश प्रशिक्षण के अतिरिक्त साधनात्मक प्रेरणा की प्रमुखता रखी गई है। यह सत्र बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं
ब्रह्म वर्चस् पत्र में दी जाने वाली शिक्षा एक कराई जाने वाली साधना का विज्ञान, स्वरूप, लक्ष्य एवं समझाने के लिए मार्च 77 की अखण्ड ज्योति का अंग एक विशेषांक के रूप में होगा। उस अति महत्त्वपूर्ण संग्रहणीय एवं अभिनव पाठ्य-सामग्री को विज्ञान ओर अध्यात्म का समन्वय प्रयास समझा जा सकता है। पाठक उसकी प्रतीक्षा करें।