• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • अपने को न केवल देखें, समझे, सुधारे वरन् उभारें भी
    • तपस्वी बनाम कर्मयोगी
    • महानता के माननीय एवं वरणीय सिद्धान्त
    • एकनाथ जी को दया आई (kahani)
    • व्यक्तित्व निर्माण की साधना
    • साधना का उद्देश्य आत्मिक प्रखरता
    • वास्तविक प्रगति-व्यक्तित्व की उत्कृष्टता
    • रसायनाचार्य नागार्जुन (kahani)
    • ज्ञान व्यावहारिक हो तो ही सार्थक
    • योग एक उच्चस्तरीय विज्ञान है
    • अपने पर विश्वास कर अकेले चलते रहें
    • सामान्य शरीर में असामान्य सम्भावनाएँ
    • आँगस्टी रैनक्वायर (kahani)
    • जीवन में स्वार्थ सोपान का समावेश
    • कामुक उच्छृंखलता के दूरगामी दुष्परिणाम
    • नर और नारी में अपनी-अपनी विशेषताएँ
    • मनुष्य की दो नहीं तीन आँखें हैं
    • अनगढ़ को सुगढ़ बनाने का प्रयत्न करें
    • स्वप्नों में अतीत के संचय वर्तमान स्तर का पर्यवेक्षण
    • Quotation
    • ग्रहण और उनकी प्रतिक्रियाएँ
    • भजन और योग (kahani)
    • रंग और स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • स्वास्थ्य संरक्षण में मनोबल का योगदान
    • VigyapanSuchana
    • काम प्रवृत्ति का उच्चस्तरीय उपयोग
    • प्राणायाम-लय-ताल युक्त श्वास प्रक्रिया
    • शब्द शक्ति की असीम सामर्थ्य
    • भक्त और भगवान की दृष्टि में अन्तर (kahani)
    • अपनों से अपनी बात - जागृत आत्माएँ युग धर्म का निर्वाह करें
    • यह धरती पावन बन जाये
    • यह धरती पावन बन जाये (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • अपने को न केवल देखें, समझे, सुधारे वरन् उभारें भी
    • तपस्वी बनाम कर्मयोगी
    • महानता के माननीय एवं वरणीय सिद्धान्त
    • एकनाथ जी को दया आई (kahani)
    • व्यक्तित्व निर्माण की साधना
    • साधना का उद्देश्य आत्मिक प्रखरता
    • वास्तविक प्रगति-व्यक्तित्व की उत्कृष्टता
    • रसायनाचार्य नागार्जुन (kahani)
    • ज्ञान व्यावहारिक हो तो ही सार्थक
    • योग एक उच्चस्तरीय विज्ञान है
    • अपने पर विश्वास कर अकेले चलते रहें
    • सामान्य शरीर में असामान्य सम्भावनाएँ
    • आँगस्टी रैनक्वायर (kahani)
    • जीवन में स्वार्थ सोपान का समावेश
    • कामुक उच्छृंखलता के दूरगामी दुष्परिणाम
    • नर और नारी में अपनी-अपनी विशेषताएँ
    • मनुष्य की दो नहीं तीन आँखें हैं
    • अनगढ़ को सुगढ़ बनाने का प्रयत्न करें
    • स्वप्नों में अतीत के संचय वर्तमान स्तर का पर्यवेक्षण
    • Quotation
    • ग्रहण और उनकी प्रतिक्रियाएँ
    • भजन और योग (kahani)
    • रंग और स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • स्वास्थ्य संरक्षण में मनोबल का योगदान
    • VigyapanSuchana
    • काम प्रवृत्ति का उच्चस्तरीय उपयोग
    • प्राणायाम-लय-ताल युक्त श्वास प्रक्रिया
    • शब्द शक्ति की असीम सामर्थ्य
    • भक्त और भगवान की दृष्टि में अन्तर (kahani)
    • अपनों से अपनी बात - जागृत आत्माएँ युग धर्म का निर्वाह करें
    • यह धरती पावन बन जाये
    • यह धरती पावन बन जाये (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1983 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


अनगढ़ को सुगढ़ बनाने का प्रयत्न करें

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 17 19 Last
विज्ञजन विष में से अमृत ढूंढ़ निकालते हैं। रसायनें इसी प्रकार बनती है। पारा, गन्धक जैसे अखाद्य और विषाक्त पदार्थ मकरध्वज जैसी रसायन में परिणत होकर काया-कल्प की भूमिका बनाते हैं। जीवन के अनगढ़ स्वरूप को यदि सुगढ़ बनाने का पुरुषार्थ बन पड़े तो उस भारभूत कुरूपता में से कीचड़ में से, कमल उगने जैसा चमत्कार हस्तगत हो सकता है।

जीवन का उथला स्वरूप मल, मूत्र के रक्त, माँस के घिनौने आवरण से आच्छादित है। जन्म-जन्मान्तरों के संचित कुसंस्कारों की कमी नहीं। पशु प्रवृत्तियाँ हर घड़ी छाई रहती है। कुत्सित अस्थिर, अनगढ़, कुरूप और घृणित स्तर का जीवन हर किसी पर लदा दीखता है। हमारी कुछ अपनी मौलिकता एवं विशेषता होनी चाहिए। विशालकाय भवन न सही कोई चकित करने वाले घटनाक्रम न सही, इतना तो किया ही जा सकता है कि अपनी सुरुचि को प्रोत्साहित किया जाय, और उसके सहारे एक महकने वाले सुरम्य उद्यान की तरह जीवन को सद्गुणों की पुष्प वाटिका बना दिया जाय। दूसरों को बनाना, ढालना, उठाना कठिन हो सकता है किन्तु शरीर और मन तो अपना ही है उसे इच्छानुरूप बनाने में किसी दूसरे का कोई हस्तक्षेप नहीं। अपनी स्वतन्त्र संरचना से-मात्र आत्म नियन्त्रण के सहारे उसे इच्छानुसार मोड़ा मरोड़ा और सुधारा सँजोया जा सकता है।

लम्बे समय तक जीवित रहने की आशा करना अच्छी बात है, पर उससे भी अच्छी बात यह है कि हमारी कृतियाँ चिरकाल तक अक्षुण्ण बनी रहें और उनसे अगली पीढ़ियाँ प्रेरणा लेती रहें। जो निरन्तर अच्छाई सोचेगा और ऊँचा उठने की योजना बनाता रहेगा उसी के लिए यह सम्भव है कि एक दिन अपने सपनों को साकार होते हुए देखे और वरिष्ठों में न सही श्रेष्ठों में अपनी गणना करा सके।

बूढ़े आदमी अपनी काया और सम्पदा से अधिक मोह बढ़ाते और मौत के भय से अधिक भयभीत रहते देखे गये हैं। ऐसा बुढ़ापा हम पर न छाये, यह ध्यान रखने की बात है। आयु के साथ बाल पके, दाँत गिरे और झुर्रियाँ पड़ें, इस प्रकृति नियम में किसी का क्या हस्तक्षेप हो सकता है पर यह अपने हाथ की बात है मानसिक जवानी बनाये रहे। न किसी से चिपकें न किसी से डरें। ऐसा करने पर ही प्रसन्नता और सरसता भरा जीवन जिया जा सकता है।

जीवन एक प्रश्न है जिसका उत्तर है-मृत्यु। मरण में न कुछ भयावह है और न अचरज। डरावनी हमारी रीति-नीति होती है। गलत दिशाधारा अपनाने पर लोग भटकते भटकाते ठोकरें खाते और ठोकरें मारते हुए जाते हैं। इस अनौचित्य से बचकर निकलने का एक ही तरीका है कि दूसरों की नकल न करे। न किसी का अन्धानुकरण करे और न किसी का आसरा तके। आदर्शों की राह पर चल सकना उन्हीं के लिए सम्भव होता है जो अपने संबंध में आप सोचते और भविष्य निर्माण के पथ पर चलने के लिए आत्मा और परमात्मा के अतिरिक्त और किसी का सहारा नहीं तकते। जीवन को मृत्यु के साथ जोड़कर चलने वाले ही इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि उपलब्ध सौभाग्य का श्रेष्ठतम उपयोग किया जाना चाहिए।

प्रभृति प्रकृति सौंदर्य एक संयोग है पर आत्मा को सुन्दर और जीवन को सुरभित सुसज्जित बना सकना हर किसी के अपने हाथ की बात है। यही सौंदर्य सराहनीय भी है और चिरस्थायी भी। सर्प की आकृति सुन्दर है किन्तु मधुमक्खी की प्रकृति। हमें प्रकृतितः सुन्दर होने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि जीवन कमल पुष्प की तरह खिले और हर किसी की आँखों में गुदगुदी उत्पन्न करे।

बहुत सी वस्तुओं का महत्व तब प्रतीत होता है जब वे चली जाती हैं। जवानी ही नहीं जिन्दगी भी ऐसी है जिनके चले जाने पर पता चलता है कि समय रहते उनकी उपेक्षा की गई और जो उनके हित किया जा सकता था, उस पर ध्यान न गया। हमें इस तरह जीना चाहिए मानों इन्हीं दिनों महाप्रयाण करना है।

First 17 19 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • अपने को न केवल देखें, समझे, सुधारे वरन् उभारें भी
  • तपस्वी बनाम कर्मयोगी
  • महानता के माननीय एवं वरणीय सिद्धान्त
  • एकनाथ जी को दया आई (kahani)
  • व्यक्तित्व निर्माण की साधना
  • साधना का उद्देश्य आत्मिक प्रखरता
  • वास्तविक प्रगति-व्यक्तित्व की उत्कृष्टता
  • रसायनाचार्य नागार्जुन (kahani)
  • ज्ञान व्यावहारिक हो तो ही सार्थक
  • योग एक उच्चस्तरीय विज्ञान है
  • अपने पर विश्वास कर अकेले चलते रहें
  • सामान्य शरीर में असामान्य सम्भावनाएँ
  • आँगस्टी रैनक्वायर (kahani)
  • जीवन में स्वार्थ सोपान का समावेश
  • कामुक उच्छृंखलता के दूरगामी दुष्परिणाम
  • नर और नारी में अपनी-अपनी विशेषताएँ
  • मनुष्य की दो नहीं तीन आँखें हैं
  • अनगढ़ को सुगढ़ बनाने का प्रयत्न करें
  • स्वप्नों में अतीत के संचय वर्तमान स्तर का पर्यवेक्षण
  • Quotation
  • ग्रहण और उनकी प्रतिक्रियाएँ
  • भजन और योग (kahani)
  • रंग और स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • स्वास्थ्य संरक्षण में मनोबल का योगदान
  • VigyapanSuchana
  • काम प्रवृत्ति का उच्चस्तरीय उपयोग
  • प्राणायाम-लय-ताल युक्त श्वास प्रक्रिया
  • शब्द शक्ति की असीम सामर्थ्य
  • भक्त और भगवान की दृष्टि में अन्तर (kahani)
  • अपनों से अपनी बात - जागृत आत्माएँ युग धर्म का निर्वाह करें
  • यह धरती पावन बन जाये
  • यह धरती पावन बन जाये (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj