• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • अमरत्व का शैशवकाल-जीवन
    • तं पश्यते निष्कलं ध्यायमानः
    • संघर्षशीलों की क्षमता (Kahani)
    • देवत्व है अंतिम लक्ष्य जिसका, वह है मनुष्य
    • मुफ्त में विपुल धन (Kahani)
    • माता शबरी की सच्ची भक्ति
    • दिग्भ्रान्त मानवता को दिशा सुझाती उपनिषदों की वाणी!
    • भक्त को यही करना पड़ता (Kahani)
    • विज्ञान व अध्यात्म में विभेद नहीं, अभेद है
    • जीवन की सार्थकता (Kahani)
    • मृत्यु पर विजय (Kahani)
    • कायसत्ता के तीन कलेवर एवं उनका अनावरण
    • भय से पूरी तरह छुटकारा (Kahani)
    • मरने पर व्यर्थ का बवाल क्यों?
    • कलाओं का ज्ञाता (Kahani)
    • मानवी काया- एक उच्चस्तरीय विद्युत्भाण्डागार
    • प्रचुर सम्पदा कमाई (Kahani)
    • सम्पदा का अनर्थकारी प्रलोभन
    • बकरी का पीछा (Kahani)
    • कैसा था पुरातन कालीन सतयुग?
    • खजूर के झुरमुट में पहुँचे (Kahani)
    • सुसंतति का वरदान
    • तीर्थ यात्रा का उद्देश्य (Kahani)
    • शून्य में समाया अनन्त का वैभव
    • रसायन बदलेंगे अब मनुष्य का स्वभाव
    • अग्निहोत्र से समूह चिकित्सा
    • Quotation
    • प्राण ऊर्जा से उपचार का विज्ञान सम्मत आधार
    • सिद्धों की सहायता सदैव पुण्य प्रयोजनों के लिये
    • समृद्धि ऐश्वर्य पाकर (Kahani)
    • सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है।
    • विवेचना की तुलना (Kahani)
    • संगीत से होता है सद्भावनाओं का उभार
    • समझदार इकट्ठे हुए (Kahani)
    • यह भ्रान्ति मिटनी ही चाहिए
    • खँडहर में विचरता (Kahani)
    • समझिए अपने मन की भाषा को
    • सारी शक्ति गँवा देते है (Kahani)
    • परमार्थ के लिये अनिवार्य है साहस
    • पहले चरण में सुखा दिया (Kahani)
    • क्षमताओं की दृष्टि से पीछे नहीं है अन्यान्य जीव भी
    • स्फूर्तिदायिनी योगनिद्रा अभ्यास का अंग बने।
    • विद्वता, ज्ञान और सेवा (Kahani)
    • एक अनसुलझा प्रश्न?
    • अभिरुचि थी ही नहीं (Kahani)
    • प्रकाश रश्मियों की प्रभावकारी सामर्थ्य
    • Quotation
    • पुण्यतोया गंगा कहीं लुप्त न हो जाय?
    • विद्यासागर के नाम से प्रसिद्ध (Kahani)
    • अन्यान्य धर्म भी देते है पुनर्जन्म की साक्षी
    • Quotation
    • मनुज द्विज बनते है संस्कार से
    • नवसृजन हेतु सक्रिय प्रज्ञा परिकर
    • अपनों से अपनी बात - प्रज्ञापीठें सजीव रहें-सक्रिय बनें
    • यश भी और सम्मान भी (Kahani)
    • समर्पण का बल
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • अमरत्व का शैशवकाल-जीवन
    • तं पश्यते निष्कलं ध्यायमानः
    • संघर्षशीलों की क्षमता (Kahani)
    • देवत्व है अंतिम लक्ष्य जिसका, वह है मनुष्य
    • मुफ्त में विपुल धन (Kahani)
    • माता शबरी की सच्ची भक्ति
    • दिग्भ्रान्त मानवता को दिशा सुझाती उपनिषदों की वाणी!
    • भक्त को यही करना पड़ता (Kahani)
    • विज्ञान व अध्यात्म में विभेद नहीं, अभेद है
    • जीवन की सार्थकता (Kahani)
    • मृत्यु पर विजय (Kahani)
    • कायसत्ता के तीन कलेवर एवं उनका अनावरण
    • भय से पूरी तरह छुटकारा (Kahani)
    • मरने पर व्यर्थ का बवाल क्यों?
    • कलाओं का ज्ञाता (Kahani)
    • मानवी काया- एक उच्चस्तरीय विद्युत्भाण्डागार
    • प्रचुर सम्पदा कमाई (Kahani)
    • सम्पदा का अनर्थकारी प्रलोभन
    • बकरी का पीछा (Kahani)
    • कैसा था पुरातन कालीन सतयुग?
    • खजूर के झुरमुट में पहुँचे (Kahani)
    • सुसंतति का वरदान
    • तीर्थ यात्रा का उद्देश्य (Kahani)
    • शून्य में समाया अनन्त का वैभव
    • रसायन बदलेंगे अब मनुष्य का स्वभाव
    • अग्निहोत्र से समूह चिकित्सा
    • Quotation
    • प्राण ऊर्जा से उपचार का विज्ञान सम्मत आधार
    • सिद्धों की सहायता सदैव पुण्य प्रयोजनों के लिये
    • समृद्धि ऐश्वर्य पाकर (Kahani)
    • सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है।
    • विवेचना की तुलना (Kahani)
    • संगीत से होता है सद्भावनाओं का उभार
    • समझदार इकट्ठे हुए (Kahani)
    • यह भ्रान्ति मिटनी ही चाहिए
    • खँडहर में विचरता (Kahani)
    • समझिए अपने मन की भाषा को
    • सारी शक्ति गँवा देते है (Kahani)
    • परमार्थ के लिये अनिवार्य है साहस
    • पहले चरण में सुखा दिया (Kahani)
    • क्षमताओं की दृष्टि से पीछे नहीं है अन्यान्य जीव भी
    • स्फूर्तिदायिनी योगनिद्रा अभ्यास का अंग बने।
    • विद्वता, ज्ञान और सेवा (Kahani)
    • एक अनसुलझा प्रश्न?
    • अभिरुचि थी ही नहीं (Kahani)
    • प्रकाश रश्मियों की प्रभावकारी सामर्थ्य
    • Quotation
    • पुण्यतोया गंगा कहीं लुप्त न हो जाय?
    • विद्यासागर के नाम से प्रसिद्ध (Kahani)
    • अन्यान्य धर्म भी देते है पुनर्जन्म की साक्षी
    • Quotation
    • मनुज द्विज बनते है संस्कार से
    • नवसृजन हेतु सक्रिय प्रज्ञा परिकर
    • अपनों से अपनी बात - प्रज्ञापीठें सजीव रहें-सक्रिय बनें
    • यश भी और सम्मान भी (Kahani)
    • समर्पण का बल
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1988 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


Quotation

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 50 52 Last
मनुष्य जितना छोटा होता है, उसका अहंकार उतना ही बड़ा होता है।

First 50 52 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • अमरत्व का शैशवकाल-जीवन
  • तं पश्यते निष्कलं ध्यायमानः
  • संघर्षशीलों की क्षमता (Kahani)
  • देवत्व है अंतिम लक्ष्य जिसका, वह है मनुष्य
  • मुफ्त में विपुल धन (Kahani)
  • माता शबरी की सच्ची भक्ति
  • दिग्भ्रान्त मानवता को दिशा सुझाती उपनिषदों की वाणी!
  • भक्त को यही करना पड़ता (Kahani)
  • विज्ञान व अध्यात्म में विभेद नहीं, अभेद है
  • जीवन की सार्थकता (Kahani)
  • मृत्यु पर विजय (Kahani)
  • कायसत्ता के तीन कलेवर एवं उनका अनावरण
  • भय से पूरी तरह छुटकारा (Kahani)
  • मरने पर व्यर्थ का बवाल क्यों?
  • कलाओं का ज्ञाता (Kahani)
  • मानवी काया- एक उच्चस्तरीय विद्युत्भाण्डागार
  • प्रचुर सम्पदा कमाई (Kahani)
  • सम्पदा का अनर्थकारी प्रलोभन
  • बकरी का पीछा (Kahani)
  • कैसा था पुरातन कालीन सतयुग?
  • खजूर के झुरमुट में पहुँचे (Kahani)
  • सुसंतति का वरदान
  • तीर्थ यात्रा का उद्देश्य (Kahani)
  • शून्य में समाया अनन्त का वैभव
  • रसायन बदलेंगे अब मनुष्य का स्वभाव
  • अग्निहोत्र से समूह चिकित्सा
  • Quotation
  • प्राण ऊर्जा से उपचार का विज्ञान सम्मत आधार
  • सिद्धों की सहायता सदैव पुण्य प्रयोजनों के लिये
  • समृद्धि ऐश्वर्य पाकर (Kahani)
  • सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है।
  • विवेचना की तुलना (Kahani)
  • संगीत से होता है सद्भावनाओं का उभार
  • समझदार इकट्ठे हुए (Kahani)
  • यह भ्रान्ति मिटनी ही चाहिए
  • खँडहर में विचरता (Kahani)
  • समझिए अपने मन की भाषा को
  • सारी शक्ति गँवा देते है (Kahani)
  • परमार्थ के लिये अनिवार्य है साहस
  • पहले चरण में सुखा दिया (Kahani)
  • क्षमताओं की दृष्टि से पीछे नहीं है अन्यान्य जीव भी
  • स्फूर्तिदायिनी योगनिद्रा अभ्यास का अंग बने।
  • विद्वता, ज्ञान और सेवा (Kahani)
  • एक अनसुलझा प्रश्न?
  • अभिरुचि थी ही नहीं (Kahani)
  • प्रकाश रश्मियों की प्रभावकारी सामर्थ्य
  • Quotation
  • पुण्यतोया गंगा कहीं लुप्त न हो जाय?
  • विद्यासागर के नाम से प्रसिद्ध (Kahani)
  • अन्यान्य धर्म भी देते है पुनर्जन्म की साक्षी
  • Quotation
  • मनुज द्विज बनते है संस्कार से
  • नवसृजन हेतु सक्रिय प्रज्ञा परिकर
  • अपनों से अपनी बात - प्रज्ञापीठें सजीव रहें-सक्रिय बनें
  • यश भी और सम्मान भी (Kahani)
  • समर्पण का बल
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj