
महान एल्फ्रेड (Kahani)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
इंग्लैण्ड के इतिहास में एल्फ्रेड का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। एल्फ्रेड ने प्रज्ञा की भलाई के लिए अनेक साहसिक कार्य किये, जिससे वे महान एल्फ्रेड के नाम से पुकारा जाता है। प्रारम्भ में एल्फ्रेड भी एक साधारण राजा की तरह थे, जो बाप दादों होता है। वह चाहे अच्छा हो या बुरा करने की अंधविश्वासी प्रवृत्ति के कारण सामान्य व्यक्तियों का सा खाओ पियो और वैभव विलास में डूबे रहो, का जीवन जीने लगा। एक दिन ऐसा भी आया, जब उसकी यह सुस्ती शत्रुओं के लिए वरदान साबित हुई। एल्फ्रेड का राज्य औरों ने हड़प लिया और उसे गद्दी से उतार कर मार भगाया। इधर उधर मारे मारे फिर रहे एल्फ्रेड को एक किसान के घर पर नौकरी करनी पड़ी। उसे बर्तन माँजने, पानी भरने, और चौके का काम सौंपा गया। उसके काम की देख रेख किसान की स्त्री करती थी। एल्फ्रेड छिपे वेश में जिन्दगी काटने लगा। एक दिन किसान की स्त्री को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। बटलोई पर दाल चढ़ी थी, सो उसने एल्फ्रेड से कहा कि जब तक मैं वापस नहीं आ जाती तुम बटलोई की दाल का ध्यान रखना। यह कहकर स्त्री चली गयी। हा0161 से काम पूरा कर लौटी, तो स्त्री ने देखा कि एल्फ्रेड एक ओर बैठा सो रहा है और बटलोई की दाल जल चुकी है। स्त्री ने कहा मूर्ख नवयुवक। लगता है तुझ पर एल्फ्रेड की छाया पड़ गयी है, जो काम सौंपा जाता है, उसे एकाग्रचित्त होकर पूरा नहीं करता। तू भी उसकी तरह मारा मारा घूमेगा। “ स्त्री बेचारी को क्या पता था कि किससे बात कर रही है, वह एल्फ्रेड ही है, पर एल्फ्रेड को अपनी भूल का पता चल गया। उसने बात गांठ बाँध ली आज से जो भी काम करूंगा, एकाग्रचित्त से करूंगा। कल्पना के किले बनाते रहने से कोई लाभ नहीं। एल्फ्रेड एक बार फिर सहयोगियों से मिला। धन संग्रह किया, सेना एकत्रित की और दुश्मन पर चढ़ाई करके इंग्लैण्ड को फिर जीत लिया।