• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • वास्तविकता अध्यात्म क्या है ?
    • नववर्ष की प्रभात बेला में, करें एक अभिनव संकल्प
    • चेतना जगत की चित्र विचित्र पहेलियाँ
    • राष्ट्र प्रेम की पराकाष्ठा
    • जप के साथ पयःपान की ध्यान धारणा भी
    • मैं मुफ्त में पैसे नहीं लिया करता (Kahani)
    • आद्यशक्ति ने बनाया उन्हें ब्रह्मर्षि
    • जड़ता से मुक्त हों, चेतना से अनुप्राणित हों
    • सविता के अमृत तत्व के सन्दोहन का पुण्य पर्व : मकर संक्रान्ति
    • स्वप्न जो हमें अचेतन की झाँकी दिखाते हैं
    • मेरी बुडनाल्ड (Kahani)
    • जिनने शास्त्र व शस्त्र का समन्वय स्थापित किया
    • कर्ज कौन चुकायेगा (Kahani)
    • समष्टि से जुड़े, भविष्य को जानें
    • यह है आस्तिकता
    • करें विश्राम, जुटें लोक-मंगल में अविराम
    • क्या बिना नारी के पुरुष का विकास सम्भव है ?
    • सच्चा समर्पण (Kahani)
    • जीवन संजीवनी है इच्छा-शक्ति
    • एक ऐसी मशीन आप बनाकर तो देखिए
    • महत्वाकाँक्षाएँ (Kahani)
    • अजब तेरी दुनिया, हे मेरे राम !
    • Quotation
    • काल के आयाम में भविष्य की यात्रा
    • मोह दूर होता है महापुरुषों की कृपा से
    • महान एल्फ्रेड (Kahani)
    • गुरुदीक्षा एवं दक्षिणा का मर्म
    • ईश्वर चन्द्र विद्या सागर (Kahani)
    • सेवाधर्म के मार्ग में बाधाएँ और भटकाव
    • विदाई की घड़ियाँ और गुरुदेव की व्यथा वेदना
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • पतझर में वासंती वैभव
    • पतझर में वासंती वैभव (Kavita)
    • हे ! वसंत के दूत
    • हे ! वसंत के दूत (Kavita)
    • समर्पित भावनाशीलों द्वारा सम्पन्न - प्रथम पूर्णाहुति आयोजन
    • अपनों से अपनी बात- - वासंती उल्लास लिए आया है ‘रजतजयंती’ वर्ष
    • नववर्ष की प्रभात बेला में, करें एक अभिनव संकल्प
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • वास्तविकता अध्यात्म क्या है ?
    • नववर्ष की प्रभात बेला में, करें एक अभिनव संकल्प
    • चेतना जगत की चित्र विचित्र पहेलियाँ
    • राष्ट्र प्रेम की पराकाष्ठा
    • जप के साथ पयःपान की ध्यान धारणा भी
    • मैं मुफ्त में पैसे नहीं लिया करता (Kahani)
    • आद्यशक्ति ने बनाया उन्हें ब्रह्मर्षि
    • जड़ता से मुक्त हों, चेतना से अनुप्राणित हों
    • सविता के अमृत तत्व के सन्दोहन का पुण्य पर्व : मकर संक्रान्ति
    • स्वप्न जो हमें अचेतन की झाँकी दिखाते हैं
    • मेरी बुडनाल्ड (Kahani)
    • जिनने शास्त्र व शस्त्र का समन्वय स्थापित किया
    • कर्ज कौन चुकायेगा (Kahani)
    • समष्टि से जुड़े, भविष्य को जानें
    • यह है आस्तिकता
    • करें विश्राम, जुटें लोक-मंगल में अविराम
    • क्या बिना नारी के पुरुष का विकास सम्भव है ?
    • सच्चा समर्पण (Kahani)
    • जीवन संजीवनी है इच्छा-शक्ति
    • एक ऐसी मशीन आप बनाकर तो देखिए
    • महत्वाकाँक्षाएँ (Kahani)
    • अजब तेरी दुनिया, हे मेरे राम !
    • Quotation
    • काल के आयाम में भविष्य की यात्रा
    • मोह दूर होता है महापुरुषों की कृपा से
    • महान एल्फ्रेड (Kahani)
    • गुरुदीक्षा एवं दक्षिणा का मर्म
    • ईश्वर चन्द्र विद्या सागर (Kahani)
    • सेवाधर्म के मार्ग में बाधाएँ और भटकाव
    • विदाई की घड़ियाँ और गुरुदेव की व्यथा वेदना
    • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • पतझर में वासंती वैभव
    • पतझर में वासंती वैभव (Kavita)
    • हे ! वसंत के दूत
    • हे ! वसंत के दूत (Kavita)
    • समर्पित भावनाशीलों द्वारा सम्पन्न - प्रथम पूर्णाहुति आयोजन
    • अपनों से अपनी बात- - वासंती उल्लास लिए आया है ‘रजतजयंती’ वर्ष
    • नववर्ष की प्रभात बेला में, करें एक अभिनव संकल्प
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1996 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


एक ऐसी मशीन आप बनाकर तो देखिए

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 19 21 Last
एलिवेटर या लिफ्ट एक ऐसी मशीन बनाई गई हैं, जिस पर बैठकर ऊँची से ऊँची इमारतों में क्षण भर में चढ़ा जा सकता है और सीढ़ियाँ में चढ़ने की थकान से बचा जा सकता है। तार के संदेश भेजने और उसे लिखित रूप से प्राप्त करने के लिए ‘ टेलीप्रिन्टर ‘ मशीन बनाई गई है। फैक सिमली नामक मशीनों पर आज कल तार से चित्र भेजना भी संभव हो गया है। अमेरिका में हो रहे अधिवेशन के चित्र दूसरे ही दिन भारतीय समाचार पत्रों में छप जाते हैं, यह सब इसी मशीन की कृपा का फल है।

इसी प्रकार कमरे, घड़ी , प्रेस, जाइरोस्कोप, जनरेटर, कन्सर्टिना बेसिमर कर्न्वटर, विलियर्ड, टैंक आदि सैकड़ों मशीनों और आयुध मनुष्य की बुद्धिमता की दाद देते हैं। ‘टेलस्टार’ नामक रैकेट को तो संसार का महानतम आश्चर्य कहना चाहिए। सारी पृथ्वी को एक संचार सूत्र में बांधने वाले 170 पौण्ड भार और कुल चौंतीस इंच व्यास के इस यंत्र में 3600 सौर बैटरियाँ लगी है। इसी की सहायता से हम संसार के किसी भी कोने में बैठे हुए व्यक्ति से ऐसे बात कर सकते हैं, मानों वह अपने सामने या बगल में बैठा हुआ है। इन सबके बनाने में मनुष्य को विलक्षण बौद्धिक क्षमता चमत्कार रूप में प्रकट हुई हैं, उस पर हम चाहे तो गर्व भी कर सकते हैं।

किन्तु मनुष्य शरीर जैसी मशीन बनाना मनुष्य के लिए संभव नहीं हुआ। ऐसी परिपूर्ण मशीन जो शरीर के रूप में परमात्मा ने बनाकर आत्मा की विश्व विहार के लिए दी हैं, आज तक कोई भी वैज्ञानिक नहीं बना सका। भविष्य ने बना सकने की भी कोई आशा मनुष्य से नहीं है। यह परमात्मा ही है, जो अपनी इच्छा से ऐसी प्राणयुक्त मशीन का निर्माण कर सका। संसार की विलक्षण से विलक्षण मशीन भी उसकी तुलना नहीं कर सकती।

भारतवर्ष में रक्त का ताप 100 डिग्री फारेनहाइट माना जाता है। त्वचा का ताप 18 डिग्री फारेनहाइट मौसम का तापमान इससे घटता बढ़ता रहता है। गर्मी के दिनों में तापमान इतना बढ़ जाता है कि बाहर धूप में नंगे बदन निकलना कठिन हो जाता है। उसी प्रकार सर्दी में कही कही तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। और तब बड़ी बड़ी मशीनें भी ठप पड़ जाती है। उनका पेट्रोल, डीजल भी जम जाता है। यह तो मनुष्य शरीर ही है कि वह कठिन गर्मी व शीत को भी बर्दाश्त कर लेता है। त्वचा एक ऐसा ताप रेगुलेटर हैं, जो गर्मी में शरीर को ठण्डा और ठण्डक में शरीर को गर्म बनाये रखता है। इतना अच्छा ताप रेगुलेटर वैज्ञानिक भी नहीं बना पाये। थोड़ा सा गड्ढा पड़ जाये तो साइकिल में ऐसा धक्का लगता है कि सवार एक तरफ जा गिरता है और साइकिल एक तर!। कई बार, मोटरें, हवाई जहाज, गाड़ियाँ ऊँची नीची जमीन में उड़ते हुए वस्तु से टकरा जाते हैं। और टूट फूट कर नष्ट हो जाते हैं, किन्तु त्वचा ओर रीढ़ की हड्डियां शरीर में भगवान ने ऐसे ढंग से बनाई है यह मनुष्य को हर घड़ी चोट लगने की टूट फूट से बचाते रहते हैं, रीढ़ की हड्डी में बर्टेब्रलडिस्क लगी होती है जो हर दोनों रीढ़ की हड्डियों के बीच में ऐसी फिट रहती है कि मनुष्य कैसे भी छलाँग लगायें, उछले कूदे या चोट लगने का कोई भय नहीं रहता। यह सबसे अच्छे चोट वाचक का काम करता है। शाकआर्ब्जवर वस्तुतः रीढ़ की हड्डी ही की नकल है। मनुष्य तो दरअसल अपनी सूझ समझ से थोड़ी वस्तुएँ ही बना सका अधिकाँश शरीर की नकल या उनसे सीखी हुई बातों का विकास है। मनुष्य मशीनें बनाने में इतनी बुद्धिमता समय या सूझ बूझ का उपयोग करता है, तब क्या अपने शरीर जैसी कोई मशीन बनी होगी, तब बिना किसी ज्ञान या सूझ समझ के बन गई होगी।

हम इस पर थोड़ा-सा भी विचार करें तो यह मानना पड़ेगा कि संसार में कोई ऐसी नियामक सत्ता है अवश्य जो बुद्धिशील मनुष्य से भी अधिक दूरदर्शी और सूक्ष्म ग्रहणशीलता से संपन्न और सर्वसमर्थ है। वह ऐसे उपकरण बना सकती है, जो मनुष्य करोड़ों वर्ष का समय लगातार भी नहीं बना सकता। कैमरे एक से एक अच्छे बने है। सूर्य के प्रकाश से लेकर विद्युत प्रकाश के माध्यम से भी फोटो खींच सकते हैं पर ऐसा कैमरा अभी तक नहीं बना, जिसमें लेन्स के नाभ्यान्तर को बदला जा सकता हों। फोटो लेने के लिए अच्छे कैमरों के लेन्स भी पहले एक निश्चित नाभ्यांतर दूरी को कहते हैं, जो लेन्स से प्रारम्भ होती है और जहाँ जिस वस्तु की फोटो ले रहें है में जाकर समाप्त होती है। पर फिट कर लेते हैं। तभी सही फोटो ले सकते हैं। फिल्मों तक में मशीन पहले फिट करनी पड़ती है, किन्तु आँख के रूप में भगवान ने हमें ऐसा कैमरा दिया है जिससे पास से पास और दूर से दूर से वस्तु को भी हम आँखों को आगे पीछे किये बिना मजे से देख सकते हैं।

प्रिज़्म या त्रिविमीय कैमरा बड़े अच्छे माने जाते हैं पर आंखें उससे भी अच्छी किसी रंग को ज्यों के त्यों अंतर से दिखा देन वाली होती है। इसकी सुरक्षा, सफाई का स्वयं प्रबंध रहता है। कैमरे के द्वारा ली गयी फोटो पहले उल्टी आती है, फिर उसे दोबारा प्रिन्ट किया जाता है, जबकि आँख एक ही बार में दोनों आवश्यकताएँ पुरी कर देती है।

कान से अच्छा ध्वनि साफ करने वाला यंत्र नहीं। रेडियो बेतार के तार की आवाजें एक निश्चित ऊँचाई पर ही सुन सकते हैं। कई आवाजें एक साथ सुनने या कोलाहल के बीच अपने ही व्यक्ति की ही बात सुन लेने की क्षमता कान में ही है।

ध्वनि करने के लिए ‘रेक्टी फायर ‘ यंत्र का प्रयोग किया जाता है। कुछ यंत्रों में बैकुअम सिस्टम काम करता है और अच्छे यंत्रों में ‘गस सिस्टम ‘ से ध्वनि साफ करते हैं। उसमें धन प्लेट और ऋण प्लेट के साथ ग्रिड को भी जोड़ना पड़ता है, तब ध्वनि साफ होती है। यह सिद्धाँत बाहरी कान मध्य कान और अंतः श्रवण की नकल मात्र है। कान की तीन हड्डियाँ स्टैपिस, मेलियस, आकस इन्हीं की आकृति से ध्वनि संबंधी यंत्रों का विकास हुआ। आवाज सुनने केलि ए हमें सीधे कष्ट नहीं उठाना पड़ता वरन् एक प्रणाली काम करती है, वह आवश्यकतानुसार आवाज के शीघ्र या धीमे प्रभाव से भी हमें अवगत कराती रहती है और हम उसके फलितार्थ से तुरन्त परिचित हो जाते हैं। सांप फुसकारता है तो यह प्रणाली केवल एक फुंसकार का बोध ही नहीं कराती वरन् खतरे से सावधान करने के लिए शरीर के सारे रोंगटे खड़े कर देती है। ऐसी बढ़िया व्यवस्था संसार के किसी भी मशीन में नहीं हो पायी।

श्वाँस प्रश्वांस तथा सूंघने की तो कोई मशीन बन ही नहीं पायी। मस्तिष्क जैसी विचार क्षमता तो कम्प्यूटर में भी नहीं। यह सारी बाते ही वैज्ञानिक के महत्व को घटाती और बताती है। कि संसार से कोई अदृश्य किन्तु बुद्धि संपन्न शक्ति है। अवश्य उसकी कलाकारी की बराबरी मनुष्य नहीं कर सकता। यह तुलनाएँ तो बाहरी आघ्र स्थूल है। यदि मनुष्य अपनी चेतना को जान पायें जैसा कि योग विज्ञान बताता है। तो मनुष्य अपनी त्वचा के छिद्रों से सारे विश्व को आँखों से दूर से दूर की वस्तु को, कानों से विश्व व्यापी हलचल को देख सुन और समझ सकता है। चमत्कार जैसी दीखने वाली यह बातें योगियों के लिए ऐसे ही होती हैं, जैसी कि वैज्ञानिकों के लिए टैलीप्रिन्टर, टेलस्टार, , टेलीविजन, लेसर उपकरण एवं अन्याय आधुनिक अनुसंधान।

First 19 21 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • वास्तविकता अध्यात्म क्या है ?
  • नववर्ष की प्रभात बेला में, करें एक अभिनव संकल्प
  • चेतना जगत की चित्र विचित्र पहेलियाँ
  • राष्ट्र प्रेम की पराकाष्ठा
  • जप के साथ पयःपान की ध्यान धारणा भी
  • मैं मुफ्त में पैसे नहीं लिया करता (Kahani)
  • आद्यशक्ति ने बनाया उन्हें ब्रह्मर्षि
  • जड़ता से मुक्त हों, चेतना से अनुप्राणित हों
  • सविता के अमृत तत्व के सन्दोहन का पुण्य पर्व : मकर संक्रान्ति
  • स्वप्न जो हमें अचेतन की झाँकी दिखाते हैं
  • मेरी बुडनाल्ड (Kahani)
  • जिनने शास्त्र व शस्त्र का समन्वय स्थापित किया
  • कर्ज कौन चुकायेगा (Kahani)
  • समष्टि से जुड़े, भविष्य को जानें
  • यह है आस्तिकता
  • करें विश्राम, जुटें लोक-मंगल में अविराम
  • क्या बिना नारी के पुरुष का विकास सम्भव है ?
  • सच्चा समर्पण (Kahani)
  • जीवन संजीवनी है इच्छा-शक्ति
  • एक ऐसी मशीन आप बनाकर तो देखिए
  • महत्वाकाँक्षाएँ (Kahani)
  • अजब तेरी दुनिया, हे मेरे राम !
  • Quotation
  • काल के आयाम में भविष्य की यात्रा
  • मोह दूर होता है महापुरुषों की कृपा से
  • महान एल्फ्रेड (Kahani)
  • गुरुदीक्षा एवं दक्षिणा का मर्म
  • ईश्वर चन्द्र विद्या सागर (Kahani)
  • सेवाधर्म के मार्ग में बाधाएँ और भटकाव
  • विदाई की घड़ियाँ और गुरुदेव की व्यथा वेदना
  • परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
  • पतझर में वासंती वैभव
  • पतझर में वासंती वैभव (Kavita)
  • हे ! वसंत के दूत
  • हे ! वसंत के दूत (Kavita)
  • समर्पित भावनाशीलों द्वारा सम्पन्न - प्रथम पूर्णाहुति आयोजन
  • अपनों से अपनी बात- - वासंती उल्लास लिए आया है ‘रजतजयंती’ वर्ष
  • नववर्ष की प्रभात बेला में, करें एक अभिनव संकल्प
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj