
अध्याय- ८ व्यक्तित्व विकास के महत्वपूर्ण तथ्य -विद्यार्थी जीवन की समस्यायें व उनका निवारण; आप क्या करेंगे?
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३. विद्यार्थी जीवन की समस्यायें व उनका निवारण
आप क्या करेंगे...?
१. परीक्षा में नंबर कम आने पर?
उत्तर- आगे से पूरी मेहनत से पढ़ाई करने का संकल्प लेंगे। किसी अन्य को दोष न देंगे। अपने में रही कमियों पर सोचेंगे- उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे। अपने में परिवर्तन करने के संकल्प को दृढ़ किन्तु नम्र शब्दों में माँ- पिताजी के सामने व्यक्त करेंगे।
२. कक्षा में कुछ बच्चों का झगड़ा होने पर?
उत्तर- उन्हें अलग करेंगे। झगड़ा प्यार से सुलझाने का प्रयास करेंगे। शिक्षक को सूचित करेंगे।
३. किसी के द्वार बिना कारण अपशब्द कहने पर?
उत्तर- एक हल्की सी मुस्कान के साथ उसकी उपेक्षा करेंगे। उसका क्रोध शांत होने पर उसे अकेले में प्यार से समझायेंगे .. अगर स्वयं में कोई कमी होगी तो उसे दूर करेंगे। मौन रहेंगे।
४. परीक्षा भवन में किसी बच्चे को नकल करते देखने पर?
उत्तर उस पर दया आयेगी। भविष्य के लिए हम अपनी पढ़ाई को और भी सुव्यवस्थित एवं नियमित करेंगे ताकि स्वयं के लिए ऐसी स्थिति न आये। परीक्षा भवन से बाहर आने पर श्रम एवं नैतिकता के महत्व पर उसे शुभकामना के दो शब्द कहेंगे।
५. आपकी पुस्तक आपका मित्र फटी हालत में लौटता है?
उत्तर पुस्तक को वापस लेते हुए गंभीर व मौन रहेंगे। उचित समय पर उसे शिष्टाचार के दो शब्द प्यार से व नम्रतापूर्वक बतायेंग। भविष्य में उसे कुछ देने से पहले सावधान करेंगे।
६. किसी गलती पर घर या स्कूल में डाँट पड़ने पर?
उत्तर- गलती के लिए तुरंत नम्रतापूर्वक क्षमा मांगेंगे। भविष्य में गलती न करने का उन्हें अपना संकल्प बतायेंगे। मन ही मन अपनी गलती पर पश्चात् करेंगे।
७. होमवर्क समय पर पूरा न होने पर कक्षा में?
उत्तर- वास्तविक कारण बताकर शिक्षक से क्षमा माँगेंगे। अगले दिन पूरा कर लाने का संकल्प बतायेंगे। खेलकूद- टी.वी. या नींद में कमी करके भी होमवर्क समय पर पूरा कर लेंगे।
८. स्कूल में आपका बैग या कुछ सामान चोरी हो जाने पर?
उत्तर- कक्षा में अच्छी तरह चैक कर लेंगे। मित्रों को पूछेंगे। शिक्षक को सूचित करेंगे। नोटिस बोर्ड पर सूचित करेंगे। खोया- पाया काउण्टर पर तलाश करेंगे।
९. कक्षा में कुछ बच्चों द्वारा सबके साथ अक्सर दुर्व्यवहार करते रहने पर?
उत्तर- संभव हुआ तो उन्हें समझायेंगे ।। गंभीर परिणामों की चेतावनी देंगे। शिक्षक को सूचित करेंगे। माता- पिता को सूचित करेंगे।
१०. परीक्षा के दिन घर में मेहमान आ जाने पर?
उत्तर- हम उनका खुशी से स्वागत करेंगे। फिर उन्हें बड़ों के भरोसे छोड़ अपनी परीक्षा की तैयारी करेंगे। संभव हुआ तो पढ़ाई के लिए अपने मित्र के पास चले जायेंगे।
११. माँ के द्वारा दूसरों के समाने डाँटने पर?
उत्तर- गंभीर व मौन रहते हुए अपने आवश्यक कार्य में लग जायेंगे। माँ से अकेले में अपनी नाराजगी व्यक्त करेंगे। नम्र किन्तु दृढ़ शब्दों में आगे से ऐसा न करने का निवेदन करेंगे।
१२. अपने मित्र के साथ झगड़ा हो जाने पर?
उत्तर स्थिति शांत हो जाने के बाद उचित समय पर मित्र से बात करने के लिए कुछ समय माँगेंगे। गलतफहमी को दूर करने की कोशिश करेंगे। स्वयं की गलती को दूरे करेंगे। कुछ सहन करते हुए टकराव का रास्ता अपनाने के बजाय मित्रता को निभाने का प्रया करेंगे।
१३. टी.वी. देखते समय चैनल के बारे में छोटों/बड़ों के साथ आपका मतभेद होने पर?
उत्तर- बड़ों का सम्मान रखते हुए/छोटों से स्नेह करते हुए हम त्याग करेंगे। विचार करेंगे कि टी.वी. भूत ने हमारे समय, पढ़ाई, स्वास्थ्य, धन आदि का कितना नुकसान किया है। चरित्र एवं मन को कितना दूषित किया है। इसके कारण हम एक कमरे में बैठे हुए भी एक दूसरे के दिलों से कितने दूर हो गये हैं अतः इसको तो दूर से सलाम करने में ही भलाई है।
१४. आपके मित्र के मैरिट में प्रथम स्थान लाने पर?
उत्तर- उसे दिल से बधाई देंगे। स्वयं पर उसका मित्र होने का गर्व अनुभव करेंगे। उससे प्रेरणा लेकर स्वयं भी ऊँचा उठने का प्रयास करेंगे।
१५. जब कभी आपको ऐसा लगे कि आपको अंक कम दिये गये हैं या शिक्षक ने किसी बात पर आपके साथ पक्षपात किया है?
उत्तर- हम शिक्षक का आदर्श स्वरूप ही सामने रखेंगे। उनके हर निर्णय में अपना कल्याण समझेंगे। अच्छे अंक लाने के लिए और मेहनत करेंगे। आदर्श विद्यार्थी बनने में स्वयं में कोई कसर नहीं रखेंगे। शिकायतें तो वे करते हैं जो मेहनत से जी चुराते हैं।
१६. आप अपने पढ़ने के स्थान अथवा पढ़ाई का कमरा व आसपास का स्थान कैसा रखना चाहेंगे?
उत्तर- साफ- सुथरा, व्यवस्थित। कोई भी वस्तु या पुस्तक अस्त- व्यस्त न पड़ी होकर अपने स्थान पर हो। पुस्तकों पर कव्हर चढ़ें हों। पन्ने निकले हुए या फटे- टूटे हुए न हों। कमरे की सफाई व व्यवस्था आदि हम स्वयं करेंगे।
१७. स्वयं के बीमार होन पर?
उत्तर- बीमारी होने के कारण पर चिंतन करें। कारणों को दूर करेंगे। उपवास व आराम द्वारा जल्दी स्वस्थ होने का प्रयास करेंगे। यथासम्भव दूसरों पर बोझ नहीं बनेंगे। अनावश्यक व्यक्तिगत सेवायें दूसरों से नहीं लेंगे। दवाओं से बचेंगे। पवित्र चिंतन एवं जीवन में परिवर्तन द्वारा स्वस्थ रहने की प्राकृतिक कला सीखेंगे।
१८. माँ- पिताजी से कोई वस्तु बार- बार माँगने पर भी न मिलने पर?
उत्तर- वस्तु की उपयोगिता पर फिर विचार करेंगे। घर की आर्थिक स्थिति को समझेंगे। आपनी माँग पर ज्यादा ज़ोर नहीं देंगे। विचार करेंगे कि बच्चों के लिए माता- पिता के समान कल्याणकारी संसार में और कोई नहीं हो सकता। अधिकार के साथ- साथ अपने कर्त्तव्यों का भी ध्यान रखेंगे।
१९. आपकी पसंद का भोजन न बनने पर?
उत्तर- भोजन को प्रभु द्वारा दिया हुआ प्रसाद मानकर उसे स्वीकार करेंगे। प्रसन्न मन से प्रभु की याद में भोजन ग्रहण करेंगे। कुढ़ते हुए, झल्लाते हुए, शिकायत करते हुए, क्रोध करते हुए भोजन नहीं करेंगे बल्कि प्रभु को मन ही मन धन्यवाद देते हुए भोजन करेंगे। रामजी ने माँ शबरी के बेर, कृष्ण जी ने मित्र सुदामा के पोहे और विदुर जी के घर केले के छिलके, मीरा ने अपने गिरधर की याद में ज़हर का प्याला कितने प्रेम व भावना से ग्रहण किये थे। मैं घर में स्नेह- प्यार से बने भोजन को नहीं ठुकराऊँगा/ गी। ऐसी भावना कर शांति से भोजन करेंगे।
२०. आप किसी मित्र की मदद करते रहे हों, लेकिन समय पर वह आपकी मदद न करे?
उत्तर- इससे हमें किसी के भरोसे न रहने का सबक मिलेगा। हम किसी की मदद उससे वापसी प्राप्ति की आशा में नहीं करेंगे। कर्म करेंगे लेकिन उसके फल की प्राप्ति में आसक्त नहीं होंगे। उस मित्र से व्यवहार व मित्रता पहले की ही तरह निभाते रहने का प्रयत्न करेंगे।
२१. सड़क पर कोई गाड़ी आप पर कीचड़ उछालती हुई गुजर जाये?
उत्तर- गीता के महावाक्यों को याद करेंगे। जो हुआ, अच्छा हुआ, जो हो रहा है- अच्छा हो रहा है। हम उसे दिल से क्षमा कर देंगे। हर घटना में कल्याण मानते हुए अगले क्षणों का सदुपयोग करेंगे।
२२. आप अपने जन्मदिन पर कैसा उपहार पसंद करेंगे?
उत्तर- भारतीय संस्कृति उपभोग की नहीं उपयोग की स्वीकृति देती है। वस्तुओं का संग्रह करना उचित नहीं। संग्रह द्वारा घर को कबाड़ीखाना बना देना कहाँ तक ठीक है? अतः हम अपने जन्मदिन पर बड़ों का आशीर्वाद, मित्रों की शुभकामनाएँ तथा छोटों द्वारा दुआएँ चाहेंगे कि हम परिवार, समाज व देश की उन्नति में सहयोगी बनते हुए सच्चा सुख- शांति व संतोष का जीवन जी सकें।
आप क्या करेंगे...?
१. परीक्षा में नंबर कम आने पर?
उत्तर- आगे से पूरी मेहनत से पढ़ाई करने का संकल्प लेंगे। किसी अन्य को दोष न देंगे। अपने में रही कमियों पर सोचेंगे- उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे। अपने में परिवर्तन करने के संकल्प को दृढ़ किन्तु नम्र शब्दों में माँ- पिताजी के सामने व्यक्त करेंगे।
२. कक्षा में कुछ बच्चों का झगड़ा होने पर?
उत्तर- उन्हें अलग करेंगे। झगड़ा प्यार से सुलझाने का प्रयास करेंगे। शिक्षक को सूचित करेंगे।
३. किसी के द्वार बिना कारण अपशब्द कहने पर?
उत्तर- एक हल्की सी मुस्कान के साथ उसकी उपेक्षा करेंगे। उसका क्रोध शांत होने पर उसे अकेले में प्यार से समझायेंगे .. अगर स्वयं में कोई कमी होगी तो उसे दूर करेंगे। मौन रहेंगे।
४. परीक्षा भवन में किसी बच्चे को नकल करते देखने पर?
उत्तर उस पर दया आयेगी। भविष्य के लिए हम अपनी पढ़ाई को और भी सुव्यवस्थित एवं नियमित करेंगे ताकि स्वयं के लिए ऐसी स्थिति न आये। परीक्षा भवन से बाहर आने पर श्रम एवं नैतिकता के महत्व पर उसे शुभकामना के दो शब्द कहेंगे।
५. आपकी पुस्तक आपका मित्र फटी हालत में लौटता है?
उत्तर पुस्तक को वापस लेते हुए गंभीर व मौन रहेंगे। उचित समय पर उसे शिष्टाचार के दो शब्द प्यार से व नम्रतापूर्वक बतायेंग। भविष्य में उसे कुछ देने से पहले सावधान करेंगे।
६. किसी गलती पर घर या स्कूल में डाँट पड़ने पर?
उत्तर- गलती के लिए तुरंत नम्रतापूर्वक क्षमा मांगेंगे। भविष्य में गलती न करने का उन्हें अपना संकल्प बतायेंगे। मन ही मन अपनी गलती पर पश्चात् करेंगे।
७. होमवर्क समय पर पूरा न होने पर कक्षा में?
उत्तर- वास्तविक कारण बताकर शिक्षक से क्षमा माँगेंगे। अगले दिन पूरा कर लाने का संकल्प बतायेंगे। खेलकूद- टी.वी. या नींद में कमी करके भी होमवर्क समय पर पूरा कर लेंगे।
८. स्कूल में आपका बैग या कुछ सामान चोरी हो जाने पर?
उत्तर- कक्षा में अच्छी तरह चैक कर लेंगे। मित्रों को पूछेंगे। शिक्षक को सूचित करेंगे। नोटिस बोर्ड पर सूचित करेंगे। खोया- पाया काउण्टर पर तलाश करेंगे।
९. कक्षा में कुछ बच्चों द्वारा सबके साथ अक्सर दुर्व्यवहार करते रहने पर?
उत्तर- संभव हुआ तो उन्हें समझायेंगे ।। गंभीर परिणामों की चेतावनी देंगे। शिक्षक को सूचित करेंगे। माता- पिता को सूचित करेंगे।
१०. परीक्षा के दिन घर में मेहमान आ जाने पर?
उत्तर- हम उनका खुशी से स्वागत करेंगे। फिर उन्हें बड़ों के भरोसे छोड़ अपनी परीक्षा की तैयारी करेंगे। संभव हुआ तो पढ़ाई के लिए अपने मित्र के पास चले जायेंगे।
११. माँ के द्वारा दूसरों के समाने डाँटने पर?
उत्तर- गंभीर व मौन रहते हुए अपने आवश्यक कार्य में लग जायेंगे। माँ से अकेले में अपनी नाराजगी व्यक्त करेंगे। नम्र किन्तु दृढ़ शब्दों में आगे से ऐसा न करने का निवेदन करेंगे।
१२. अपने मित्र के साथ झगड़ा हो जाने पर?
उत्तर स्थिति शांत हो जाने के बाद उचित समय पर मित्र से बात करने के लिए कुछ समय माँगेंगे। गलतफहमी को दूर करने की कोशिश करेंगे। स्वयं की गलती को दूरे करेंगे। कुछ सहन करते हुए टकराव का रास्ता अपनाने के बजाय मित्रता को निभाने का प्रया करेंगे।
१३. टी.वी. देखते समय चैनल के बारे में छोटों/बड़ों के साथ आपका मतभेद होने पर?
उत्तर- बड़ों का सम्मान रखते हुए/छोटों से स्नेह करते हुए हम त्याग करेंगे। विचार करेंगे कि टी.वी. भूत ने हमारे समय, पढ़ाई, स्वास्थ्य, धन आदि का कितना नुकसान किया है। चरित्र एवं मन को कितना दूषित किया है। इसके कारण हम एक कमरे में बैठे हुए भी एक दूसरे के दिलों से कितने दूर हो गये हैं अतः इसको तो दूर से सलाम करने में ही भलाई है।
१४. आपके मित्र के मैरिट में प्रथम स्थान लाने पर?
उत्तर- उसे दिल से बधाई देंगे। स्वयं पर उसका मित्र होने का गर्व अनुभव करेंगे। उससे प्रेरणा लेकर स्वयं भी ऊँचा उठने का प्रयास करेंगे।
१५. जब कभी आपको ऐसा लगे कि आपको अंक कम दिये गये हैं या शिक्षक ने किसी बात पर आपके साथ पक्षपात किया है?
उत्तर- हम शिक्षक का आदर्श स्वरूप ही सामने रखेंगे। उनके हर निर्णय में अपना कल्याण समझेंगे। अच्छे अंक लाने के लिए और मेहनत करेंगे। आदर्श विद्यार्थी बनने में स्वयं में कोई कसर नहीं रखेंगे। शिकायतें तो वे करते हैं जो मेहनत से जी चुराते हैं।
१६. आप अपने पढ़ने के स्थान अथवा पढ़ाई का कमरा व आसपास का स्थान कैसा रखना चाहेंगे?
उत्तर- साफ- सुथरा, व्यवस्थित। कोई भी वस्तु या पुस्तक अस्त- व्यस्त न पड़ी होकर अपने स्थान पर हो। पुस्तकों पर कव्हर चढ़ें हों। पन्ने निकले हुए या फटे- टूटे हुए न हों। कमरे की सफाई व व्यवस्था आदि हम स्वयं करेंगे।
१७. स्वयं के बीमार होन पर?
उत्तर- बीमारी होने के कारण पर चिंतन करें। कारणों को दूर करेंगे। उपवास व आराम द्वारा जल्दी स्वस्थ होने का प्रयास करेंगे। यथासम्भव दूसरों पर बोझ नहीं बनेंगे। अनावश्यक व्यक्तिगत सेवायें दूसरों से नहीं लेंगे। दवाओं से बचेंगे। पवित्र चिंतन एवं जीवन में परिवर्तन द्वारा स्वस्थ रहने की प्राकृतिक कला सीखेंगे।
१८. माँ- पिताजी से कोई वस्तु बार- बार माँगने पर भी न मिलने पर?
उत्तर- वस्तु की उपयोगिता पर फिर विचार करेंगे। घर की आर्थिक स्थिति को समझेंगे। आपनी माँग पर ज्यादा ज़ोर नहीं देंगे। विचार करेंगे कि बच्चों के लिए माता- पिता के समान कल्याणकारी संसार में और कोई नहीं हो सकता। अधिकार के साथ- साथ अपने कर्त्तव्यों का भी ध्यान रखेंगे।
१९. आपकी पसंद का भोजन न बनने पर?
उत्तर- भोजन को प्रभु द्वारा दिया हुआ प्रसाद मानकर उसे स्वीकार करेंगे। प्रसन्न मन से प्रभु की याद में भोजन ग्रहण करेंगे। कुढ़ते हुए, झल्लाते हुए, शिकायत करते हुए, क्रोध करते हुए भोजन नहीं करेंगे बल्कि प्रभु को मन ही मन धन्यवाद देते हुए भोजन करेंगे। रामजी ने माँ शबरी के बेर, कृष्ण जी ने मित्र सुदामा के पोहे और विदुर जी के घर केले के छिलके, मीरा ने अपने गिरधर की याद में ज़हर का प्याला कितने प्रेम व भावना से ग्रहण किये थे। मैं घर में स्नेह- प्यार से बने भोजन को नहीं ठुकराऊँगा/ गी। ऐसी भावना कर शांति से भोजन करेंगे।
२०. आप किसी मित्र की मदद करते रहे हों, लेकिन समय पर वह आपकी मदद न करे?
उत्तर- इससे हमें किसी के भरोसे न रहने का सबक मिलेगा। हम किसी की मदद उससे वापसी प्राप्ति की आशा में नहीं करेंगे। कर्म करेंगे लेकिन उसके फल की प्राप्ति में आसक्त नहीं होंगे। उस मित्र से व्यवहार व मित्रता पहले की ही तरह निभाते रहने का प्रयत्न करेंगे।
२१. सड़क पर कोई गाड़ी आप पर कीचड़ उछालती हुई गुजर जाये?
उत्तर- गीता के महावाक्यों को याद करेंगे। जो हुआ, अच्छा हुआ, जो हो रहा है- अच्छा हो रहा है। हम उसे दिल से क्षमा कर देंगे। हर घटना में कल्याण मानते हुए अगले क्षणों का सदुपयोग करेंगे।
२२. आप अपने जन्मदिन पर कैसा उपहार पसंद करेंगे?
उत्तर- भारतीय संस्कृति उपभोग की नहीं उपयोग की स्वीकृति देती है। वस्तुओं का संग्रह करना उचित नहीं। संग्रह द्वारा घर को कबाड़ीखाना बना देना कहाँ तक ठीक है? अतः हम अपने जन्मदिन पर बड़ों का आशीर्वाद, मित्रों की शुभकामनाएँ तथा छोटों द्वारा दुआएँ चाहेंगे कि हम परिवार, समाज व देश की उन्नति में सहयोगी बनते हुए सच्चा सुख- शांति व संतोष का जीवन जी सकें।