
अध्याय- ८ व्यक्तित्व विकास के महत्वपूर्ण तथ्य -दुर्व्यसनों से हानि ही हानि
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४. दुर्व्यसनों से हानि ही हानि
संसार के सारे धर्मों तथा धर्म प्रवक्ताओं ने हर प्रकार की नशेबाजी को अधर्म बतलाया है और उसकी निन्दा की है। वेद में नशेबाजी को महापातक बताया गया है। बौद्ध धर्म में गिनाये गये चार महापापों में से नशेबाजी भी एक है। कुरान के पारा सात, सूरत मायदारूक एक में कहा गया है- ऐ ईमान वालो, शराब तथा दूसरी नशीली चीजें हराम हैं। इन शैतानी चीजों से कतई बचे रहो। बाइबल का कथन है कि अंत में नशेबाजों की शैतान की तरह दुर्गति होगी।
विज्ञान का भी मत है कि सभी प्रकार के नशीले पदार्थ धीमे विष हैं अतः इनसे हर संभव दूर रहना चाहिये। दुर्व्यसनों से होने वाली हानियाँ :
१. व्यसनी व्यक्ति को क्रोध अधिक आता है, दया की भावना घटती और क्रूरता बढ़ती है। उन्हें अधीरता, कायरता, निराशा, दुश्चिंतन और दीनता की प्रवृत्तियाँ घेरे रहती हैं।
२. धूम्रपान करने वालों की पाचन क्रिया प्रायः बिगड़ जाती है और वे कब्ज एवं अपच की बिमारी के शिकार हो जाते हैं।
३. तम्बाकू के समान इन्द्रिय दौर्बल्य तथा स्मरण शक्ति की हानि, चित्त की चंचलता और मस्तिष्क के रोग पैदा करने वाली दूसरी वस्तु नहीं है।
४. तम्बाकू बुद्धि को कुण्ठित करता और उसे मंद बनाता है।
५. दुर्व्यसन अपराधी प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देते हैं।
६. धूम्रपान करने और तम्बाकू खाने से दाँतों तथा पेट आदि के अनेक रोग पैदा होते हैं। जो अंततः कैंसर जैसे रोगों में परिणत होते हैं।
७. तम्बाकू खाने, पीने से मुँह, गले, आवाज की नलियों, साँस की बड़ी और छोटी नलियों की श्लेष्मिक झिल्लियों में उत्तेजना आती है, अतः वहाँ कैंसर हो जाता है।
८. नोबल पुरस्कार विजेता डॉ पौलिंग का कहना है कि मनुष्य जितना समय धूम्रपान में लगाता है। उस समय से तिगुना समय उसके जीवन का कम हो जाता है।
९. प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. एच. एस. ने एक पत्रिका में लिखा है कि धूम्रपान करने से आँखें कमजोर हो जाती हैं। डॉ. अलकार- तम्बाकू खाने, पीने अथवा सूँघने से आँखों की ज्योति कम हो जाती है।
१०. प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. फूट कहते हैं- जिसे नपुंसक बनना हो वह तम्बाकू का इस्तेमाल करें।
११. डॉ. सीली- तम्बाकू के धुएँ को फेफड़ों में भरने से वे सड़ जाते हैं और फेफड़ों की तपेदिक हो जाती है।
१२. डॉ. एलिन्स का मत है- तम्बाकू आदमी को बहरा व अंधा बना देता है। आदमी की जिव्हा इतनी खराब हो जाती है कि उसे किसी चीज के खाने में स्वाद नहीं आता और उसकी नाक किसी वस्तु की गन्ध का अनुभव नहीं करती।
संसार के सारे धर्मों तथा धर्म प्रवक्ताओं ने हर प्रकार की नशेबाजी को अधर्म बतलाया है और उसकी निन्दा की है। वेद में नशेबाजी को महापातक बताया गया है। बौद्ध धर्म में गिनाये गये चार महापापों में से नशेबाजी भी एक है। कुरान के पारा सात, सूरत मायदारूक एक में कहा गया है- ऐ ईमान वालो, शराब तथा दूसरी नशीली चीजें हराम हैं। इन शैतानी चीजों से कतई बचे रहो। बाइबल का कथन है कि अंत में नशेबाजों की शैतान की तरह दुर्गति होगी।
विज्ञान का भी मत है कि सभी प्रकार के नशीले पदार्थ धीमे विष हैं अतः इनसे हर संभव दूर रहना चाहिये। दुर्व्यसनों से होने वाली हानियाँ :
१. व्यसनी व्यक्ति को क्रोध अधिक आता है, दया की भावना घटती और क्रूरता बढ़ती है। उन्हें अधीरता, कायरता, निराशा, दुश्चिंतन और दीनता की प्रवृत्तियाँ घेरे रहती हैं।
२. धूम्रपान करने वालों की पाचन क्रिया प्रायः बिगड़ जाती है और वे कब्ज एवं अपच की बिमारी के शिकार हो जाते हैं।
३. तम्बाकू के समान इन्द्रिय दौर्बल्य तथा स्मरण शक्ति की हानि, चित्त की चंचलता और मस्तिष्क के रोग पैदा करने वाली दूसरी वस्तु नहीं है।
४. तम्बाकू बुद्धि को कुण्ठित करता और उसे मंद बनाता है।
५. दुर्व्यसन अपराधी प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देते हैं।
६. धूम्रपान करने और तम्बाकू खाने से दाँतों तथा पेट आदि के अनेक रोग पैदा होते हैं। जो अंततः कैंसर जैसे रोगों में परिणत होते हैं।
७. तम्बाकू खाने, पीने से मुँह, गले, आवाज की नलियों, साँस की बड़ी और छोटी नलियों की श्लेष्मिक झिल्लियों में उत्तेजना आती है, अतः वहाँ कैंसर हो जाता है।
८. नोबल पुरस्कार विजेता डॉ पौलिंग का कहना है कि मनुष्य जितना समय धूम्रपान में लगाता है। उस समय से तिगुना समय उसके जीवन का कम हो जाता है।
९. प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. एच. एस. ने एक पत्रिका में लिखा है कि धूम्रपान करने से आँखें कमजोर हो जाती हैं। डॉ. अलकार- तम्बाकू खाने, पीने अथवा सूँघने से आँखों की ज्योति कम हो जाती है।
१०. प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. फूट कहते हैं- जिसे नपुंसक बनना हो वह तम्बाकू का इस्तेमाल करें।
११. डॉ. सीली- तम्बाकू के धुएँ को फेफड़ों में भरने से वे सड़ जाते हैं और फेफड़ों की तपेदिक हो जाती है।
१२. डॉ. एलिन्स का मत है- तम्बाकू आदमी को बहरा व अंधा बना देता है। आदमी की जिव्हा इतनी खराब हो जाती है कि उसे किसी चीज के खाने में स्वाद नहीं आता और उसकी नाक किसी वस्तु की गन्ध का अनुभव नहीं करती।