
पूर्णपुरुष श्रीकृष्ण
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कृष्ण? कृष्ण को हम पूर्ण पुरुष कहते हैं। पूर्ण पुरुष क्यों? क्योंकि उनके जीवन में इन सारी बातों का समन्वय है। जहाँ उन्होंने त्याग की जरूरत समझी है, सेवा की जरूरत समझी है, दान देने की जरूरत समझी है, सबको दान देते चले गए हैं। उन्होंने निस्पृह योगी की तरह जीवन जिया और 'जहाँ उन्होंने जरूरत समझी है, वहाँ चालाक के साथ चालाकी, बेईमान के साथ बेईमानी और झूठ के साथ झूठ की भूमिका निभाई है। भगवान श्रीकृष्ण पूर्ण व्यक्ति हैं, पूर्ण पुरुष हैं। मित्रो! दोनों ग्रंथों के माध्यम से अब हम समाज को नए रूप से उठाने के लिए तैयार हो गए हैं, प्रतिबद्ध हो गए हैं। हम लोगों को रामचरित पढ़ाएँगे, जो उन्होंने अब तक पढ़ा ही नहीं। अब हम ''हरे रामा, हरे कृष्णा'' का आन्दोलन नए ढंग से चलाएँगे। हम लोगों को यह बताएँगे कि ताली बजाने से, खंजरी बजाने से, करताल बजाने से और उदक फुदक मचाने से राम का नहीं हो सकता। ''हरे रामा हरे कृष्णा'' के पीछे जो एक प्रेरणा है, जो एक दिशा है, जो भावना है, जो चेतना है, जो आग उसके पीछे जल रही है, उससे हमें गरम होना पड़ेगा। इसलिए हम रामचरित और कृष्णचरित के माध्यम से अब खड़े हुए हैं।
रामचरित और कृष्णचरित के बारे में जिन पुस्तकों का हमने चयन किया है, उनके बारे में मैं एक बार चुपचाप विचार करने लगा कि अरे भाई ये किसकी किताबें हैं गीता लड़ाई-झगड़े की किताब है? धत् तेरे की! कहाँ एक ओर ''द्यौ शांति अंतरिक्ष शांति.... की किताबें पढ़ने चले हो और अब दूसरी ओर लड़ाई-झगड़े की किताब लेकर चल दिए लोगों को पढ़ाने। अरे रामचंद्र के जीवन में सब लड़ाई-झगड़ा भरा पड़ा है। विश्वामित्र उनको अपने यहाँ ले गए और उन्होंने ताड़का को मारा, सुबाहु को मारा, मारीच को मारा, खर-दूषण को मारा, मेघनाद को मारा, कुम्भकरण को मारा और रावण को मारा। मारकाट-मारकाट सब तरफ मारकाट मची हुई है। धत् तेरे की! ये कौन सी किताब ले आए गुरुजी? आप तो पहले शांति की किताब ले आए थे, पर अब तो आप अशांति की किताब लाए हैं। शान्तिकुञ्ज में अशांति की किताब! बेटे, तो मैं क्या कर सकता हूँ! हमारे ऋषियों ने यही बताया था कि रामचंद्र जी का जीवन ऐसे पढ़ना चाहिए।
रामचरित और कृष्णचरित के बारे में जिन पुस्तकों का हमने चयन किया है, उनके बारे में मैं एक बार चुपचाप विचार करने लगा कि अरे भाई ये किसकी किताबें हैं गीता लड़ाई-झगड़े की किताब है? धत् तेरे की! कहाँ एक ओर ''द्यौ शांति अंतरिक्ष शांति.... की किताबें पढ़ने चले हो और अब दूसरी ओर लड़ाई-झगड़े की किताब लेकर चल दिए लोगों को पढ़ाने। अरे रामचंद्र के जीवन में सब लड़ाई-झगड़ा भरा पड़ा है। विश्वामित्र उनको अपने यहाँ ले गए और उन्होंने ताड़का को मारा, सुबाहु को मारा, मारीच को मारा, खर-दूषण को मारा, मेघनाद को मारा, कुम्भकरण को मारा और रावण को मारा। मारकाट-मारकाट सब तरफ मारकाट मची हुई है। धत् तेरे की! ये कौन सी किताब ले आए गुरुजी? आप तो पहले शांति की किताब ले आए थे, पर अब तो आप अशांति की किताब लाए हैं। शान्तिकुञ्ज में अशांति की किताब! बेटे, तो मैं क्या कर सकता हूँ! हमारे ऋषियों ने यही बताया था कि रामचंद्र जी का जीवन ऐसे पढ़ना चाहिए।