
सदाचार और सद्व्यवहार
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(बाइबिल की वाणी)
(भजन संहिता अध्याय)
धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते हैं और हर समय धर्म के काम करते हैं।
106/3
जिनका भला करना चाहिए, यदि तुझे शक्ति रहे तो भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो तो अपने पड़ौसी से कहना कि- ‘जा कल फिर आना, कल मैं तुझे और दूँगा।’ जब तेरा पड़ौसी तेरे पास बेखटके रहता है तब उसके विरुद्ध बुरी युक्ति न बाँधना। जिस मनुष्य ने तुझसे बुरा व्यवहार न किया हो, उससे अकारण मुकदमा खड़ा न करना। उपद्रवी पुरुष के विषय में डाह न करना और न उसकी सी चाल चलना।
4/27/31
तू भले मनुष्यों के मार्ग में चल और धर्मियों की बाँह पकड़े रह, क्योंकि सीधे लोग ही देश में बसे रहेंगे और खरे लोग ही उनमें बने रहेंगे। दुष्ट लोग देश में से नाश होंगे और विश्वासघाती उसमें से उखाड़े जायेंगे।
2/20, 22
हे मेरे पुत्र! यदि तू बुद्धिमान हो तो विशेष करके मेरा ही मन आनन्दित होगा और जब तू सीधी बातें बोले तब मेरा मन हुलसेगा। तू पापियों के विषय मन में डाह न करना।
23/17
सच्चाई को मोल लेना पर बेचना नहीं। बुद्धि, शिक्षा और समझ को मोल भी लेना।
23/23
जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सफल नहीं होता। पर जो उनको मान लेता है, और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जाती है।
28/13
जो सीधाई से चलता है, वो बचाया जाता है, पर जो टेढ़ी चाल चलता है, सो अचानक गिर पड़ता है। जो अपनी भूमि को जोतता-बोता है, उसका पेट भरता है, पर जो निकम्मे लोगों की संगति करता है, सो दरिद्रता से घिरा रहता है।
28/18, 19
हे मेरे पुत्र! यदि पापी लोग तुझे फुसलाएं तो उनकी बात न मानना। यदि वे कहें कि- “ हमारे संग चल, हम खून करने के लिए घात लगायेंगे” ‘हम निर्दोषियों की ताक में रहेंगे, हम अपने घरों को लूट से भर लेंगे, तू हमारा साझी हो जा” तो हे मेरे पुत्र! तू उनके संग मत चले जाना, वरन् उनकी डगर में पाँव भी न धरना।
1/10, 15
पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं सोही आदर के योग्य हैं और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूँ।
16/3
सबसे अधिक अपने मन की रक्षा कर, क्योंकि जीवन के निकास उसी से होते हैं। टेढ़ी बात बोलने से परे रह, तेरी आँखें सामने की ही ओर लगी रहें, न तो दाहिनी ओर मुड़ें और न ही बाईं ओर। अपने पाँव को बुराई के मार्ग पर रखने से रुका रह।
4/23, 27
धन्य हैं वे मनुष्य जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चले और न पापियों के मार्ग पर खड़े हुए, न उपहास करने वालों की संगति में बैठे हों।
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