
हे प्रेरणामयी
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
(श्री राधा मोहनजी मिश्र)
मेरे उर दर्पण में विम्वित शुभ कामनामयी!
आनन की भोली भाषा में अंचल की छाया में,
तुम हिलोर ले रहीं वल्लरी हेम सदृश काया में,
अधरों से वह रही मधुरतम वाणी प्राणमयी।
हे प्रेरणा मयी !
तुम प्रभात की उषा अरुणिमा मुखरित वन का कलख,
तुम उड़ेलती सुन्दरता की शुचिता की श्री नव-नव,
मंगल गीतों से आपूरित हे वन्दनामयी!
हे प्रेरणामयी !
भरी पवन में तुम सुगन्धि सी दिशा-दिशा के मुख सी,
यौवन की असीम अमृतमयी! तुम रूपान्वित सुख सी,
मेरे हृदय स्पन्दन में तुम-हो कल्पनामयी!
हे प्रेरणामयी !
पावनि! तुम गंगा की लहरों में सुख से लहराती,
धवल हिमालय की काया में तुम कंचन बरसाती,
संस्कृत के कण-कण की गरिमा हे अर्चनामयी!
हे प्रेरणामयी !
वाली के विसर्ग में युग-युग से नव स्वर झनकाती,
तुम जागृति तुम प्रतिभा बन कर लोक ललाम बनाती,
साथिनि! तुम मेरी यात्रा के पथ में किरणमयी।
हे प्रेरणामयी !
प्रथम स्वप्न की विन्दु हमारी आशाओं की रेखा,
मुझ किशोर के प्रथम स्नेह ने सुन्दरी! तुमको देखा,
सखि! मैं झटका किन्तु अकेली तुम साधनामयी।
हे प्रेरणामयी !
तुम न कामिनी मेरे उर में विश्व कामिनी छवि में,
हंस वाहिनी! विहर रहीं तुम मेरे मानस कवि में,
रानी! हृदय कुँज में मेरे तुम भावनामयी।
हे प्रेरणमयी !
हिन्दी
*समाप्त*