• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • व्रतशील जीवन की गरिमा
    • साधना की तन्मयता
    • ब्रह्माण्डव्यापी चेतना में घनिष्ठता होने की सुखद सम्भावना
    • लघु कहानी– सम्राट पाइरस
    • हमारे जीवन का सूर्य अस्त तो होगा ही
    • आत्मा उभयलिंगी है– नर भी और नारी भी
    • अहं के चंगुल में जकड़ा संसार
    • दयालुता का दंभ
    • लघु कहानी– वेद में कहा गया है
    • स्पष्ट नास्तिकवाद बनाम प्रच्छन्न नास्तिकवाद
    • डरपोक अपना स्वास्थ्य गँवाता है और मनोबल भी
    • Quotation
    • अपने को जानो- आत्मनिर्भर बनो
    • प्राणियों की अतीन्द्रिय एवं विलक्षण शक्ति
    • लघु कहानी– मनुष्य ब्रह्मा जी के पास पहुँचा
    • दिन में दिखने वाले तारे
    • विचार शक्ति की महिमा और गरिमा समझी जाय
    • Quotation
    • पवित्र धन जो मिल ही न सका
    • संगीत की जीवनदात्री क्षमता
    • यज्ञ की उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार
    • विभूतिवान् व्यक्तियों का अभिवर्द्धन आवश्यक
    • हर किसी की दुनियाँ उसी की विनिर्मित है।
    • गृहस्थ और स्वावलम्बी रहते हुए योगी यति बनें......
    • जलती आग के ईंधन
    • वनपरी की प्रतिध्वनि
    • सीधी सरल जिन्दगी जिएँ दीर्घजीवी बनें
    • सत्य हमारी मान्यताओं तक ही सीमित नहीं
    • योग साधना के चमत्कारी परिणाम
    • सिंह भी पालतू कुत्ते जैसे सौम्य हो सकते हैं।
    • नमक बिना आसानी से रहा जा सकता है।
    • आलस और असावधानी से अस्तित्व को खतरा
    • लघु कहानी– दो सन्तान थी (kahani)
    • सीमित साधनों से असीम की खोज का दुस्साहस
    • अपनों से अपनी बात– दृष्टिकोण के परिवर्तन से ही वाह्य परिस्थितियाँ बदलेंगी
    • बनो पुनः मेघदूत नव !
    • बनो पुनः मेघदूत नव !
    • लघु कहानी
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • व्रतशील जीवन की गरिमा
    • साधना की तन्मयता
    • ब्रह्माण्डव्यापी चेतना में घनिष्ठता होने की सुखद सम्भावना
    • लघु कहानी– सम्राट पाइरस
    • हमारे जीवन का सूर्य अस्त तो होगा ही
    • आत्मा उभयलिंगी है– नर भी और नारी भी
    • अहं के चंगुल में जकड़ा संसार
    • दयालुता का दंभ
    • लघु कहानी– वेद में कहा गया है
    • स्पष्ट नास्तिकवाद बनाम प्रच्छन्न नास्तिकवाद
    • डरपोक अपना स्वास्थ्य गँवाता है और मनोबल भी
    • Quotation
    • अपने को जानो- आत्मनिर्भर बनो
    • प्राणियों की अतीन्द्रिय एवं विलक्षण शक्ति
    • लघु कहानी– मनुष्य ब्रह्मा जी के पास पहुँचा
    • दिन में दिखने वाले तारे
    • विचार शक्ति की महिमा और गरिमा समझी जाय
    • Quotation
    • पवित्र धन जो मिल ही न सका
    • संगीत की जीवनदात्री क्षमता
    • यज्ञ की उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार
    • विभूतिवान् व्यक्तियों का अभिवर्द्धन आवश्यक
    • हर किसी की दुनियाँ उसी की विनिर्मित है।
    • गृहस्थ और स्वावलम्बी रहते हुए योगी यति बनें......
    • जलती आग के ईंधन
    • वनपरी की प्रतिध्वनि
    • सीधी सरल जिन्दगी जिएँ दीर्घजीवी बनें
    • सत्य हमारी मान्यताओं तक ही सीमित नहीं
    • योग साधना के चमत्कारी परिणाम
    • सिंह भी पालतू कुत्ते जैसे सौम्य हो सकते हैं।
    • नमक बिना आसानी से रहा जा सकता है।
    • आलस और असावधानी से अस्तित्व को खतरा
    • लघु कहानी– दो सन्तान थी (kahani)
    • सीमित साधनों से असीम की खोज का दुस्साहस
    • अपनों से अपनी बात– दृष्टिकोण के परिवर्तन से ही वाह्य परिस्थितियाँ बदलेंगी
    • बनो पुनः मेघदूत नव !
    • बनो पुनः मेघदूत नव !
    • लघु कहानी
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1973 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


प्राणियों की अतीन्द्रिय एवं विलक्षण शक्ति

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 13 15 Last
किन्हीं-किन्हीं मनुष्यों में ऐसी शारीरिक या मानसिक क्षमताएँ पाई जाती हैं, जो सर्वसाधारण में नहीं होतीं। इसे देखकर उन्हें विलक्षण या चमत्कारी ठहराया जाता है। अतीन्द्रिय क्षमता के आधार पर लोग ऐसी बातें जान लेते हैं या बताते हैं जिनका कोई बुद्धि संगत आधार नहीं होता, किन्तु पीछे तलाश करने पर वे बातें सही निकलती हैं। जो ज्ञान-इन्द्रियों की सीमा से परे है, उसे जानने वाले सिद्ध योगी कहलाते हैं और आश्चर्य एवं आकर्षण का विषय समझे जाते हैं।

हमें जानना चाहिए कि अतीन्द्रिय शक्ति मनुष्यों में तो कभी किसी को ही मिलती है, पर यह प्राणिजगत में से कितनों को ही जन्म जात रूप में प्राप्त है। वे ऐसा बहुत कुछ जान लेते हैं जो इन्द्रियों तथा मस्तिष्क की बनावट को देखते हुए अद्भुत या अलौकिक ही कहा समझा जा सकता है।

सन् 1904 में अमरीका के पश्चिमी द्वीप समूह का 5000 फीट ऊँचा माउन्ट पीरो नामक पर्वत ज्वालामुखी बन कर फूटा था और उसके टुकड़े-टुकड़े उड़ गये थे। कोई तीस हजार व्यक्ति मरे थे ओर करोड़ों की सम्पत्ति नष्ट हुई थी।

इस दुर्घटना की आशंका मनुष्यों में से किसी को न थी किन्तु वहाँ के पशु पक्षी महीनों पहले घबराये हुए लगते थे। रात को एक स्वर में रोते थे और धीरे-धीरे अन्यत्र खिसकते जाते थे। विस्फोट के मुख्य केन्द्र से सर्प, कुत्ते, सियार कहीं अन्यत्र चले गये थे और उनके दर्शन दुर्लभ बन गये थे। पक्षियों ने तो पूरा ही द्वीप खाली कर दिया था।

प्राणविद्या विशारद विलियम जे. लांग ने पशुओं की इन्द्रियातीत शक्ति के बारे में अपनी पुस्तक 'हाऊ एनिमल्स टॉक' में विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया है कि भले ही बुद्धि-कौशल में मनुष्य की तुलना में पशु पिछड़े हुए हों, पर उनमें इन्द्रियातीत शक्ति कहीं अधिक बढ़ी-चढ़ी होती है। उसी के आधार पर वे अपनी जीवन चर्या का सुविधापूर्वक संचालन करते हैं। कुत्ते और भेड़ियों की नाक मीलों दूर की गन्ध लेती है। हिरन के कान कोसों दूर की आहट लेते हैं। आकाश में मीलों ऊँचे उड़ते हुए चील और गिद्ध धरती पर पड़े माँस को देख लेते हैं। देखने, सुनने ओर सूँघने की यह क्रिया मात्र दृश्य, ध्वनि या गन्ध का ही अनुभव नहीं करती वरन् उन्हें ऐसी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ देती हैं, जिसके आधार पर वे आत्म-रक्षा से लेकर सुविधा सामग्री प्राप्त करने में सरलता पूर्व सफल हो सकें।

लांग महोदय ने अपनी पुस्तक में ऐसे अनेकों प्रसंग भी लिखे हैं, जिनसे स्पष्ट होता है, कि उन्हें निकट भविष्य में घटित होने वाले घटनाक्रम का भी सही पूर्वाभास मिल जाता है। यदि उनकी वाणी होती तो कहीं अधिक सही भविष्य कथन कर सकते।

पुस्तक के कुछ संस्मरण इस प्रकार हैं - एक मैदान में हिरनों का झुण्ड ऐसी अस्वाभाविक तेजी से घास चर रहा था मानों उन्हें कहीं जाने की आतुरता हो। उस समय कुछ कारण समझ में नहीं आ रहा था, पर कुछ घण्टे बाद ही बर्फीली तूफान आ गया और कई दिन तक घास मिलने की संभावना नहीं रही। स्थिति का पूर्वाभास प्राप्त करके हिरन अत्यन्त तीव्रता से इतनी घास चरने में लगे थे कि कई दिन तक उनसे गुजर हो सके।

जब बर्फ पड़ने को होती है तब रीछ अपनी गुफा में चले जाते हैं और उसमें पहले कई दिन का आहार जमा कर लेते हैं।

उत्तरी कनाडा में झील की मछलियाँ बर्फ की मोटी सतह झील पर जमने से पहले ही गर्म जगह में पलायन कर जाती हैं।

वियना में एक कुत्ता माल उठाने - उतारने की क्रेन के समीप ही पड़ा सुस्ता रहा था। अचानक वह चौंका, उछला और बहुत दूर जाकर बैठा। इसके कुछ देर बाद क्रेन की रस्सी टूटी और भारी लौह खण्ड उसी स्थान पर गिरा, जहाँ कुत्ता बैठा था। कुत्ते के चौंककर भागने का कारण उसका पूर्वाभास ही था।

प्रकृति की संरचना में ऐसे अनेक अद्भुत आकार-प्रकार और क्षमताओं के प्राणी भरे पड़े हैं। बारीकी से उन्हें समझा - देखा जाय तो प्रतीत होता है, कि अपने बुद्धि बल मात्र पर अहंकार करने वाला मनुष्य, अन्य प्राणियों की तुलना में कितना असमर्थ - अक्षम है।

चीता सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है। वह एक मिनट में एक मील दौड़ सकता है-घण्टे में साठ मील। आस्ट्रेलिया का कंगारू ऊंची कूद में अद्वितीय है। उसकी उछाल ४० फीट तक ऊंची होती है। मात्र पाँच इंच शरीर का अफ्रीका में पाया जाने वाला जेंवोंआ 15 फीट तक ऊँचा उछल सकता है।

पक्षियों में गरुड की उड़ान सबसे तेज है। वह 200 मील प्रति घण्टे की लम्बी उड़ान भर सकता है। तेज रफ्तार से हवा में गोता खाने वाला और फिर सीधे ऊपर उड़ जाने के करतब में गोशात्क गति के बाज़ से आगे बढ़कर बाजी मारने वाला और कोई नहीं।

उल्लू रात को आसानी से देख सकता है। उसकी आँखों में मनुष्य की अपेक्षा दस गुनी अधिक रोशनी है। बाज़ की आँखें लाखों रुपयों में मिलने वाली दूरबीन से भी बेहतर होती हैं। एक हजार फीट ऊँचाई पर उड़ते हुए भी वह घास या झाड़ी में छिपे मेंढक, चूहों या साँपों को आसानी से देख सकता है। खरगोश की आँखों की बनावट ऐसी है कि सामने की ही तरह पीछे भी साथ-साथ देख सकता है। बिना सिर घुमाये आगे पीछे दोनों तरफ के दृश्य देखते चलना थलचरों में सचमुच अद्भुत है। यह विलक्षणता मछलियों में भी पाई जाती है। वे पानी में नीचे और ऊपर दोनों ओर देखती हैं।

हाथी की सूँड़ में 40 हजार माँसपेशियाँ होती हैं। इसी से उसमें इतनी लचक रहती है कि जमीन पर पड़ी सुई तक को पकड़ सके। विशालकाय प्राणियों में सबसे बड़ी ह्वेल मछली होती है। उसकी लम्बाई 110 फीट और वजन 140 टन तक होता है। प्रसवकाल में माता और बच्चे के अनुपात का रिकार्ड भी ह्वेल ही तोड़ती है। नवजात बच्चा प्रायः माँ से लगभग आधा होता है।

शेर का पंजा और ह्वेल की दुम इतने सशक्त होते हैं कि प्राण-धारियों में से किसी का भी एक अंश-उसके अन्य अंगों की तुलना में इतना अधिक मजबूत नहीं होता। गहरे समुद्रों में पाया जाने वाला ‘अष्ट पद’ का जरा सा सिर धड़ के बीच में होता है और हाथी की सूँड़ जैसी विशाल आठ भुजाएँ इतनी मजबूत होती हैं कि उनकी पकड़ में आया हुआ बड़े से बड़ा प्राणी जीवित निकल ही नहीं सकता। अमेरिका में पाया जाने वाला एक समुद्री घोंघा, अटलांटिक में पायी जाने वाली सीपियाँ और कुछ किस्म की मछलियाँ प्रजनन की प्रतियोगिता में चैम्पियन ठहरती हैं। वे प्रायः 40 से 50 करोड़ तक अण्डे हर वर्ष देती हैं।

आकाश की तरह पानी के भीतर भी उड़ सकने में समर्थ ‘आरेब्डक’ नामक वाटरप्रूफ पक्षी अनोखा है। वह तैरता उड़ता महीनों समुद्र में ही गुजारा करता रहता है। आर्कटिक सागर के उत्तरी छोर पर बर्फीले प्रदेश में रहने वाले कुछ पक्षी बिना रुके 22 हजार मील की लम्बी यात्रा करके दक्षिण ध्रुव पर जा पहुँचते हैं।

स्मरण शक्ति की दृष्टि से कुत्ता सबसे आगे है। जर्मनी के म्यूनिक नगर में नोरा नामक कुतिया को उसके घर से पाँच मील दूर ऐसे स्थान पर छोड़ा गया जो उसने पहले कभी नहीं देखा था और न घर से वहाँ तक का रास्ता ही उसे मालूम था। फिर भी वह इधर-उधर चक्कर काटती हुई दो घण्टे में अपने घर पहुँच गई। दूसरी बार फिर उसे छोड़ा गया। तो अबकी बार उसने सीधा रास्ता ढूँढ़ निकाला और 35 मिनट में ही घर पहुँच गई।

भारत का विश्वविख्यात बुद्धिमान कुत्ता “हैरी” अब इस संसार में नहीं है, पर उसके बुद्धि-कौशल की अभी भी सर्वत्र प्रशंसा है।

हैरी विश्व के 50 देशों में अपने ढंग का अनोखा था। उसने दर्जनों श्वान प्रदर्शनियों में भाग लिया और पुरस्कार प्राप्त किये। उसकी सूझ-बूझ और अनुशासनशीलता पर संसार की अनेक पत्र-पत्रिकाओं ने लेख प्रकाशित किये।

मुस्कराना, गाना, नाचना, नमस्ते करना, हाथ मिलना, तीन टाँग से चलना, ताश की गड्डी में से किसी का छुआ हुआ पत्ता निकाल देना, मुर्दे का स्वाँग बनाकर बिलकुल उसी तरह निश्चेष्ट हो जाना, पानी में से किसी वस्तु को ढूँढ़ लाना, अतिथियों को पुष्पहार पहनाना आदि अनेक क्रिया-कौशल उसने सीख रखे थे। चोरी का पता लगाने में वह पुलिस के प्रशिक्षित कुत्तों को मात देता था। दिल्ली के एक स्वागत गान समारोह में उसने दर्शकों को मुग्ध कर दिया था। यद्यपि वह गीत के शब्दों का उच्चारण नहीं कर सकता था तो भी उसने अपनी सुरीली आवाज से ध्वनि के जिस उतार चढ़ाव के साथ गीत गाया, उससे हर किसी ने अनुमान लगाया कि वह क्या गीत गा रहा है। इंदिरा गाँधी तक को वह अपने कौशल से चमत्कृत कर चुका था।

हैरी ने एक रंगीन फिल्म में काम किया था जो देश-विदेश में चावपूर्वक देखी गई। घटना-क्रम के अनुसार मुख मुद्रा का ठीक उसी के अनुरूप बना लेना इस अभिनय का विशेष चमत्कार था जिसे देख कर दर्शक ताली बजाये बिना रह नहीं सकते थे।

हैरी को सौंदर्य प्रतियोगिताओं में कई चैलेंज प्रमाण-पत्र प्राप्त हुए। उसे आज्ञा पालन प्रतियोगिताओं में अन्तर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप प्राप्त हुई थी। उसके पास अन्तर्राष्ट्रीय ट्राफियाँ, कप, पदक, प्रमाण-पत्रों का ढेर था। उसने अपने मालिक और शिक्षक श्री आनन्द प्रकाश कनौडिया को भी गौरवान्वित किया। हैरी छह वर्ष जीकर परलोक वासी हो गया।

अतीन्द्रिय शक्ति हर मनुष्य में होती है, पर अस्वाभाविक एवं मनोविकार ग्रस्त जीवन जीने के कारण वह कुंठित हो जाती है। वनवासी लोग प्रकृति के अधिक समीप रहने और सरल जीवन जीने के कारण उस शक्ति से अपेक्षाकृत अधिक सम्पन्न होते हैं।

सिद्ध योगी जिन अद्भुत या अतीन्द्रिय क्षमताओं को विकसित कर लेते हैं उनमें उनका प्रयास, परिश्रम एवं अभ्यास ही सफलता का प्रधान कारण होता है। वैसे वे समस्त सामर्थ्य हर मनुष्य के भीतर जन्मजात रूप में ही भरी पड़ी हैं। पशु पक्षियों में पाई जाने वाली विलक्षणताओं की तुलना में प्रकृति ने कुछ कम नहीं अधिक ही दिया है। साधना की कुदाली से उन्हें खोद निकाला जाय तो सिद्धि-सम्पदा से सुसम्पन्न बन सकना, किसी के लिए भी सम्भव एवं सरल हो सकता है।


First 13 15 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • व्रतशील जीवन की गरिमा
  • साधना की तन्मयता
  • ब्रह्माण्डव्यापी चेतना में घनिष्ठता होने की सुखद सम्भावना
  • लघु कहानी– सम्राट पाइरस
  • हमारे जीवन का सूर्य अस्त तो होगा ही
  • आत्मा उभयलिंगी है– नर भी और नारी भी
  • अहं के चंगुल में जकड़ा संसार
  • दयालुता का दंभ
  • लघु कहानी– वेद में कहा गया है
  • स्पष्ट नास्तिकवाद बनाम प्रच्छन्न नास्तिकवाद
  • डरपोक अपना स्वास्थ्य गँवाता है और मनोबल भी
  • Quotation
  • अपने को जानो- आत्मनिर्भर बनो
  • प्राणियों की अतीन्द्रिय एवं विलक्षण शक्ति
  • लघु कहानी– मनुष्य ब्रह्मा जी के पास पहुँचा
  • दिन में दिखने वाले तारे
  • विचार शक्ति की महिमा और गरिमा समझी जाय
  • Quotation
  • पवित्र धन जो मिल ही न सका
  • संगीत की जीवनदात्री क्षमता
  • यज्ञ की उपयोगिता का वैज्ञानिक आधार
  • विभूतिवान् व्यक्तियों का अभिवर्द्धन आवश्यक
  • हर किसी की दुनियाँ उसी की विनिर्मित है।
  • गृहस्थ और स्वावलम्बी रहते हुए योगी यति बनें......
  • जलती आग के ईंधन
  • वनपरी की प्रतिध्वनि
  • सीधी सरल जिन्दगी जिएँ दीर्घजीवी बनें
  • सत्य हमारी मान्यताओं तक ही सीमित नहीं
  • योग साधना के चमत्कारी परिणाम
  • सिंह भी पालतू कुत्ते जैसे सौम्य हो सकते हैं।
  • नमक बिना आसानी से रहा जा सकता है।
  • आलस और असावधानी से अस्तित्व को खतरा
  • लघु कहानी– दो सन्तान थी (kahani)
  • सीमित साधनों से असीम की खोज का दुस्साहस
  • अपनों से अपनी बात– दृष्टिकोण के परिवर्तन से ही वाह्य परिस्थितियाँ बदलेंगी
  • बनो पुनः मेघदूत नव !
  • बनो पुनः मेघदूत नव !
  • लघु कहानी
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj