
वानप्रस्थ प्रशिक्षण के लिए पत्र व्यवहार का आधार
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युग-निर्माण परिवार के सदस्यों में ऐसे भावनाशील लोगों की कमी नहीं होगी जो जीवनोद्देश्य की पूर्ति के साहसिक कदम उठा सकने की मनःस्थिति में भी हो, ओर जिनकी पारिवारिक स्थिति इसके लिए अवरोध भी उत्पन्न न करती हो। ऐसे लोगों को युग-देवता का साँस्कृतिक पुनर्जागरण का- यह आमन्त्रण स्वीकार करना ही चाहिए कि वे आत्म कल्याण के साथ विश्वकल्याण के वानप्रस्थ जीवन में प्रवेश करे। व्रत धारण करके परमार्थ क्षेत्र में उतरे और समय की आवश्यकता पूरी करने के लिये अपनी अभिनव भूमिका प्रस्तुत करे।
वानप्रस्थ विद्यालय का शुभारम्भ माघ शुक्ल पूर्णिमा तदनुसार 3 फरवरी 74 में होगा। सत्र छह महीने के होंगे। प्रथम सत्र 3 फरवरी से आरंभ होगा दूसरा 6 अगस्त 74 से। यह पूर्ण निवृत्त प्रथम श्रेणी के वानप्रस्थों के होंगे। प्रथम सत्र में 50 ऐसे शिक्षार्थी लिये जायेंगे जो 6 महीने का पाठ्यक्रम पूरा करेंगे। जिनके पास अभी स्वल्प अवकाश है और पूर्ण निवृत्ति में देर है उनके घर रह कर त्रिविध साधना क्रम चलाने वाले द्वितीय श्रेणी के वानप्रस्थ का विशेष शिक्षा पत्र 3 सप्ताह का होगा जो 25 मई से 30 जून 74 तक चलेगा। इसमें 50 शिक्षार्थी लिये जायेंगे। इसी प्रकार इनका दूसरा सत्र 25 नवम्बर से 30 नवम्बर तक चलेगा, उसमें भी 50 छात्र ही लिए जायेंगे। इस प्रकार 100 प्रथम श्रेणी के और 100 द्वितीय श्रेणी के शिक्षार्थियों की शिक्षा व्यवस्था प्रथम वर्ष की गई है। आगामी वर्षों में यह संख्या स्वभावतः कई गुनी होकर रहेगी। स्थान सम्बन्धी तथा दूसरे साधन जुटते ही यह संख्या भविष्य में तेजी से बढ़ाई जाती रहेगी। यों ऐसे वानप्रस्थ श्रम की व्यवस्था भी विचाराधीन है जिसे सेवा समर्पित लोग अपना स्थायी घर मान सके और जब इच्छा या आवश्यकता हो वहाँ अपने घर की तरह ही निवास कर सकें। इस प्रयोजन के उत्तर संक्षेप में नहीं वरन् अधिकाधिक विस्तार में लिखने चाहिए ताकि उन पर गम्भीरता से विचार किया जा सके और समुचित परामर्श दिया जा सके। जिन्हें उत्साह है वे इस प्रकार का पत्र व्यवहार अभी भी आरम्भ कर सकते हैं।
प्रश्नावली -
(1) आयु-तिथि? (2) स्वास्थ्य की स्थिति आरम्भ से लेकर अब तक का विवरण (3) शरीर से कार्य करने की वर्तमान क्षमता का स्पष्टीकरण (4) कोई शारीरिक या मानसिक रोग हो तो उसकी चर्चा (5) तमाखू पीने जैसी कोई आदत हो तो उसकी उल्लेख (6) स्कूली शिक्षा एवं स्वाध्याय अर्जित ज्ञान (7) समय-समय पर अपनाये गये व्यवसाय और उनकी सफलता असफलता के उल्लेख (8) परिवार का विवरण पत्नी की स्थिति-संतानों की संख्या उनकी आयु बच्चों के स्वावलम्बी परावलम्बी होने का विस्तृत विवरण (9) यदि कुछ सन्तान अभी स्वावलम्बी नहीं हो पाई है तो उनके निर्वाह का भावी प्रबन्ध किस प्रकार होगा? (10) आर्थिक स्थिति का अधिक स्पष्ट ऐसा उल्लेख जिसके आधार पर भावी अर्थव्यवस्था पर खुले दिमाग से ठीक तरह सोच-विचार किया जा सके। (11) अब तक के सेवा कार्यों का अनुभव तथा विवरण (12) जिनके ऊपर परिवार का उत्तरदायित्व जाना है उनको मनःस्थिति तथा परिस्थिति की चर्चा (13) अपनी साधना, उपासना तथा स्वाध्याय रुचि का अब तक का प्रयास एवं परिणाम (14) गायन एवं भाषण की वर्तमान क्षमता (15) वानप्रस्थ जीवन में प्रवेश करने के उपरान्त भी क्या कुछ समय घर-परिवार को सम्भालना पड़ेगा, यदि हो तो किसे समय तक और किस कारण? (16) अब तक के उल्लेखनीय ऐसे कार्यों का विवरण जिन्हें प्रशंसनीय अथवा निन्दनीय कहा जा सके (17) किसी राजनैतिक या धर्म-सम्प्रदाय के प्रति अपना विशेष रुझान-लगाव (18) किस भाषा पर किस स्तर का अधिकार है। (19) आपकी पत्नी का इस कदम में क्या रोल होगा? आप के परिवार वालों का इस कदम के सम्बन्ध में क्या रुख रहेगा। (20) आप किस सत्र में कितने समय शिक्षण प्राप्त करेंगे। शिक्षण काल में अपना व्यय भार आप स्वयं ही बहन करेंगे न?
इन बीस प्रश्नों के अतिरिक्त भी कोई महत्व पूर्ण बात हो तो उसका भी उल्लेख करना चाहिए। इस विवरण को आवेदन पत्र माना जाय। इस आधार पर आरम्भ हुआ पत्र व्यवहार ही प्रवेश सम्बन्धी अन्तिम निर्णय का आधार बनेगा।