• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • भगवान का पुत्रः क्रूसारोही मानव−पुत्र
    • उद्धत अहंकार विनाश का आधार
    • अनेकता में एकता के दर्शन
    • Quotation
    • तत्व साधना एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म विज्ञान
    • दीपक का अंतिम सन्देश (kahani)
    • सूक्ष्म में उतरें दिव्य उपलब्धियाँ पायें
    • धर्माचरण की मर्यादा और गंभीरता
    • Quotation
    • मंत्र की प्रचण्ड शक्ति और उसके प्रयोग का रहस्य
    • कालिमा (kahani)
    • जड़ें कटती रही तो हम बढ़ न सकेंगे
    • दुर्बुद्धि के रहते उपलब्धियाँ विघातक
    • मृतात्मा का प्रिय पदार्थों से सम्बन्ध
    • Quotation
    • वस्तुओं में नहीं बुद्धि में दोष ढूंढ़ें
    • असुरता की नृशंसता में परिणति
    • छोटा द्वीप बड़े तथ्य
    • समुन्नत नई पीढ़ी के लिये अध्यात्मवादी भी प्रयत्न करें
    • Quotation
    • मानवी प्रयास (kahani)
    • सतर्कता बनाम आशंका
    • गायत्री का वाहन राजहंस
    • Quotation
    • क्या ईसामसीह भारतीय धर्मानुयायी थे?
    • वृक्षों की जड़ें (kahani)
    • शान्त शीतल रहें निरोग दीर्घजीवी बनें
    • दार्शनिक चुआँगन्जु (kahani)
    • प्राणघातक रोगों का जन्मदाता धूम्रपान
    • ‘मैं’ तो अहंकार है (kahani)
    • मात्र भौतिक समृद्धि ही सब कुछ नहीं
    • रहम करना सिख (kahani)
    • हमारी प्रगति,दिशा−विहीन न हो
    • इस युग के तीन प्रमुख किन्तु उलझे हुये दर्शन
    • Quotation
    • सूर्य के शक्ति भण्डार का स्वास्थ्यवर्धक सदुपयोग
    • देश की सम्पत्ति (kahani)
    • अपनों से अपनी बात - प्रस्तुत जीवन−मरण के संकट से जूझने की चुनौती
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • भगवान का पुत्रः क्रूसारोही मानव−पुत्र
    • उद्धत अहंकार विनाश का आधार
    • अनेकता में एकता के दर्शन
    • Quotation
    • तत्व साधना एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म विज्ञान
    • दीपक का अंतिम सन्देश (kahani)
    • सूक्ष्म में उतरें दिव्य उपलब्धियाँ पायें
    • धर्माचरण की मर्यादा और गंभीरता
    • Quotation
    • मंत्र की प्रचण्ड शक्ति और उसके प्रयोग का रहस्य
    • कालिमा (kahani)
    • जड़ें कटती रही तो हम बढ़ न सकेंगे
    • दुर्बुद्धि के रहते उपलब्धियाँ विघातक
    • मृतात्मा का प्रिय पदार्थों से सम्बन्ध
    • Quotation
    • वस्तुओं में नहीं बुद्धि में दोष ढूंढ़ें
    • असुरता की नृशंसता में परिणति
    • छोटा द्वीप बड़े तथ्य
    • समुन्नत नई पीढ़ी के लिये अध्यात्मवादी भी प्रयत्न करें
    • Quotation
    • मानवी प्रयास (kahani)
    • सतर्कता बनाम आशंका
    • गायत्री का वाहन राजहंस
    • Quotation
    • क्या ईसामसीह भारतीय धर्मानुयायी थे?
    • वृक्षों की जड़ें (kahani)
    • शान्त शीतल रहें निरोग दीर्घजीवी बनें
    • दार्शनिक चुआँगन्जु (kahani)
    • प्राणघातक रोगों का जन्मदाता धूम्रपान
    • ‘मैं’ तो अहंकार है (kahani)
    • मात्र भौतिक समृद्धि ही सब कुछ नहीं
    • रहम करना सिख (kahani)
    • हमारी प्रगति,दिशा−विहीन न हो
    • इस युग के तीन प्रमुख किन्तु उलझे हुये दर्शन
    • Quotation
    • सूर्य के शक्ति भण्डार का स्वास्थ्यवर्धक सदुपयोग
    • देश की सम्पत्ति (kahani)
    • अपनों से अपनी बात - प्रस्तुत जीवन−मरण के संकट से जूझने की चुनौती
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1974 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


असुरता की नृशंसता में परिणति

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 16 18 Last
मनुष्य में देवता और असुर की—शैतान और भगवान की सम्मिश्रित सत्ता है। दोनों में वह जिसे चाहे उसे गिरादे यह पूर्णतया उसकी इच्छा के ऊपर निर्भर है। विचारों के अनुसार क्रिया विनिर्मित होती है। असुरता अथवा देवत्व की बढ़ोतरी विचार क्षेत्र में होती है उसी अभिवर्धन उत्पादन के आधार पर मनुष्य दुष्कर्मों अथवा सत्कर्मों में प्रवृत्त हो जाता है। यह क्रियाएँ ही उसे उत्थान पतन के—सुख−दुख के गर्त में गिराती है।

असुरता कितनी नृशंस हो सकती है इसके छुटपुट और व्यक्तिगत उदाहरण हमें आये दिन देखने को मिलते रहते हैं। वैसी सामूहिक रूप से—बड़े पैमाने पर और मात्र सनक की पूर्ति के लिए भी किया जाता रहा है उसके उदाहरण भी कम नहीं है।

नादिरशाह जाति का गड़रिया था। डाकुओं की सरदारी करते−करते वह ईरान की गद्दी पर जा धमका। उसने दिल्ली लूटी और एक दिन में डेढ़ लाख आदमी कत्ल कराये। दिल्ली प्रायः ऊजड़ हो गई। भवन निर्माण कला के विशेषज्ञ जितने भी मिले उन सबको कैद करके वह ईरान ले गया।

जर्मनी का हिटलर नृशंसता में अपने वर्ग के सभी साथियों को पीछे छोड़ गया। उसका ख्याल था कि प्रथम महायुद्ध में जर्मनी यहूदियों के कारण ही हारा; इसलिए उसने उसका प्रतिशोध अगली पीढ़ी से जाति वध के रूप में लिया उसने लगभग 50-60 लाख यहूदियों को विषैली गैस से दम घोटकर मार डाला।

इन्हीं में एक कड़ी बँगला देश में पाकिस्तानी नृशंसता की जुड़ती है। तानाशाह याहिया खाँ के हुक्म से वूशेर कहे जाने वाले सेनापति टिक्का खाँ ने 30 लाख बंगालियों को मक्खी, मच्छरों की तरह मार डाला और प्रायः 1 करोड़ को भारत खदेड़ दिया।

चंगेज खाँ का बेटा ‘हलाकू खाँ’ भी अपने बाप की तरह निर्दय था। उसने ईरान पर चढ़ाई करके उसकी ईंट से ईंट बजादी। खलीफा को खत्म किया—इस्लामियों का सफाया किया और उस देश को खून से रंग दिया।

तैमूर लंग वलख की गद्दी पर 1359 में बैठा। उसकी निर्दयता रोमाँचकारी थी। उसने अपने शत्रुओं के रक्त और हड्डियों का गारा बनाकर कितनी ही मीनारें चिनवाई। अंकोरा के सुलतान वायजीद को उसने पकड़ा एक पिंजड़े में उसे बन्द किया और उसके अपने साथ ले गया। दिल्ली लूटा ही नहीं सारे शहर को लाशों से पाट दिया। इस तरह उसने न जाने कितने नगरों और गाँवों में कत्लेआम कराया। खड़ी फसलों और बस्तियों में आग लगाते हुए वह आगे बढ़ता था।

बारहवीं सदी का मंगोल शासक चंगेज खाँ अपने लड़ाकू साथियों सहित जहाँ भी चढ़ाई करता पहला काम कत्लेआम कराने का पूरा करता। लूट के धन से उसे जितनी खुशी होती थी उससे ज्यादा मजा उसे बिलखते चीत्कार करते नर−नारियों के सिर उड़ाने और भाले भौंकने में आता। 49 वर्ष की आयु में वह चीन का शासक बन बैठा। उसने अनेकों नगर गाँव उजाड़े। रूस का एक नगर तो उसने लाशों से इस तरह पाट दिया कि उन्हें उठाने वाला भी कोई नहीं बचा। बदबू से भयंकर बीमारी फैली यहाँ तक कि उसे स्वयं, उस नगर का कब्जा छोड़कर भागना पड़ा।

रोम का शासक नीरो 14 वीं शताब्दी में नौ वर्ष तक सिंहासनारूढ़ रहा उसने अपनी करुणामयी माता का कत्ल करवाया, अपनी पत्नी का सिर कटवा डाला, जिन अफसरों से उसकी अनबन हुई देखते−देखते उन्हें मौत के घाट उतार दिया। एकबार उचंग आई तो पूरा शहर ही जलवा कर खाक करा दिया और उस दृश्य एक अच्छे−खासे मनोरंजन के रूप में ऊँची पहाड़ी पर बैठा देखता रहा। उस सर्वनाश का मजा उसने वंसरी बजाते हुए लूटा।

मृतात्माओं को सुख−सुविधा पहुँचाने के विचार से उनके हितैषी यह प्रयत्न करते थे कि परलोक में उपलब्ध रहने की दृष्टि से उनके मृत शरीर के साथ उपयोगी वस्तुएँ भी—गाड़ी या जलाई जाँय। भारत में मृतक की जीवित पत्नी को मृत शरीर के साथ जलने की प्रथा रही है जिसमें यह सोचा जाता था कि जीवित पत्नी अपने पति के साथ जलकर परलोक में उसकी सेवा करती रह सकेगी।

मिस्र में यह प्रथा सत्ताधीशों के मृत शरीर को परलोक में अधिक सुखी बनाये रखने की दृष्टि से विशालकाय ‘पिरामिड’ स्मारक बनाये गये और उनके भीतर सुख−सुविधा के अनेकानेक साधन रखने का प्रचलन किया गया।

यह तथ्य बताते हैं कि मनुष्य अपने प्रियजनों की सुविधा के लिए अनेकों निरीहों का किस प्रकार और किस हद तक उत्पीड़न कर सकता है।

रोडेशिया में जब सीथियस सभ्यता का बोलबाला था तब राजा की अन्त्येष्टि बहुत शान से होती थी। उसकी लाश में से आँतें निकालकर मसाला भरा जाता था ताकि शरीर बहुत समय तक सड़े नहीं, उसे सुसज्जित रथ में रखकर देश भर में घुमाया जाता था ताकि प्रजाजन उसका दर्शन कर सकें। प्रजा इस मृतक के लिए धन भेंट करती थी और कान का थोड़ा सा टुकड़ा काट कर बलि प्रतीक के रूप में रखना पड़ता था। सभी प्रजाजन मुण्डन कराते थे और समाधि बनाने में श्रमदान करते थे।

इतिहासकार हेकोडोटस ने लिखा है राजा के शव के साथ अन्तःपुर की रानियों में से कम से कम एक को गला घोंटकर मार डाला जाता था और उसे साथ ही दफन किया जाता था। पचास घोड़े तथा पचास सेवक भी मारकर गाढ़े जाते थे ताकि वे परलोक में वाहन एवं सेवकों की आवश्यकता पूरी कर सकें।

तुर्क तातार सरदारों की अन्त्येष्टि और भी भयंकर थी। शवयात्रा लम्बी होती थी और उस रास्ते में जो भी मिल जाता उसे यह कहकर कत्ल कर दिया जाता था कि—”जाओ परलोक में अपने स्वामी की सेवा करना।”

इतिहासकार मार्कोपोलो ने एक सरदार मँगूखाँ की शवयात्रा का वर्णन किया है जिसमें सामने पड़ने वाले 20 हजार व्यक्तियों का कत्ल किया गया था।

वर्तमान रूस के कृष्ण सागर तटवर्ती इलाके में वोल्गा, यूराल, दोन, तथा रुमानिया, हंगरी, बालगेरिया, साइबेरिया क्षेत्रों में ऐसी अनेक कब्रें मिली है जिनकी खुदाई में न केवल स्वर्ण जटित रत्न आभूषण मिले हैं, वरन् मनुष्यों एवं पशुओं के कंकाल भी मिले हैं। समझा गया है कि सत्ताधीशों अथवा श्रीमन्तों को परलोक में सुख−सुविधाएँ पहुँचाने की दृष्टि से ही यह वस्तुएँ तथा प्राणी दफनाये गये हैं। यह मकबरे ईसा से 6 शताब्दी पूर्व से लेकर ईसा की तीसरी सदी तक नौ सौ वर्ष की अवधि के बीच के माने गये हैं।

मिश्र के पिरामिडों में यह प्रचलन चरमसीमा तक पहुँचा हुआ सिद्ध होता है जहाँ रानियाँ, दास−दासियाँ, वाहन, वस्त्र, आभूषण आदि अनेकानेक सुख−साधन बहुत बड़ी मात्रा में तथा बड़े सुसज्जित ढंग से मृतक राजाओं के साथ दफनाये गये हैं।

मनुष्य के भीतर छिपी हुई असुरता अनेक आवरणों में होकर झाँकी है। लोभी से प्रेरित होकर वह चोरी, डकैती, जालसाजी, बेईमानी, रिश्वत आदि का रूप धारण करती है। अहंकार और आतंक का दर्प लेकर वह उत्पीड़न, शोषण, हत्या आदि क्रूर कर्मों में बदल जाती है। अन्ध−विश्वासी सनकों का सहारा पाकर वह पशुबलि—सती प्रथा मृतक प्रियजनों के लिए निरीह निर्दोषों का प्राण हरण करने के रूप में सामने आती है। संकीर्ण स्वार्थपरता के साथ मिलकर वह विलासिता संग्रहशीलता और शाही ठाठ−बाट बनाने की विडम्बना बन जाती है। असुरता किसी भी झरोखे से झाँके आखिर वह मनुष्य जाति के लिए अभिशाप जैसे संकट ही उत्पन्न करेगी।

First 16 18 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • भगवान का पुत्रः क्रूसारोही मानव−पुत्र
  • उद्धत अहंकार विनाश का आधार
  • अनेकता में एकता के दर्शन
  • Quotation
  • तत्व साधना एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म विज्ञान
  • दीपक का अंतिम सन्देश (kahani)
  • सूक्ष्म में उतरें दिव्य उपलब्धियाँ पायें
  • धर्माचरण की मर्यादा और गंभीरता
  • Quotation
  • मंत्र की प्रचण्ड शक्ति और उसके प्रयोग का रहस्य
  • कालिमा (kahani)
  • जड़ें कटती रही तो हम बढ़ न सकेंगे
  • दुर्बुद्धि के रहते उपलब्धियाँ विघातक
  • मृतात्मा का प्रिय पदार्थों से सम्बन्ध
  • Quotation
  • वस्तुओं में नहीं बुद्धि में दोष ढूंढ़ें
  • असुरता की नृशंसता में परिणति
  • छोटा द्वीप बड़े तथ्य
  • समुन्नत नई पीढ़ी के लिये अध्यात्मवादी भी प्रयत्न करें
  • Quotation
  • मानवी प्रयास (kahani)
  • सतर्कता बनाम आशंका
  • गायत्री का वाहन राजहंस
  • Quotation
  • क्या ईसामसीह भारतीय धर्मानुयायी थे?
  • वृक्षों की जड़ें (kahani)
  • शान्त शीतल रहें निरोग दीर्घजीवी बनें
  • दार्शनिक चुआँगन्जु (kahani)
  • प्राणघातक रोगों का जन्मदाता धूम्रपान
  • ‘मैं’ तो अहंकार है (kahani)
  • मात्र भौतिक समृद्धि ही सब कुछ नहीं
  • रहम करना सिख (kahani)
  • हमारी प्रगति,दिशा−विहीन न हो
  • इस युग के तीन प्रमुख किन्तु उलझे हुये दर्शन
  • Quotation
  • सूर्य के शक्ति भण्डार का स्वास्थ्यवर्धक सदुपयोग
  • देश की सम्पत्ति (kahani)
  • अपनों से अपनी बात - प्रस्तुत जीवन−मरण के संकट से जूझने की चुनौती
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj