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Magazine - Year 1976 - Version 2

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Language: HINDI
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स्वप्नों के झरोखे से सूक्ष्म जगत की झांकी सम्भव है।

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सामान्य जीवन में भी आत्मिक घनिष्ठता का बहुत महत्व और मूल्य है। उसके आधार पर छोटे-बड़े आदान-प्रदानों का क्रम चलता रहता है। परायेपन का भाव आने और स्नेह सहयोग का आधार झीना रहने पर अन्यमनस्कता बनी रहती है, पर जब घनिष्ठता का संचार होता है तो व्यक्तियों का न केवल सहयोग ही प्रखर होता है वरन् आन्तरिक एकता भी सघन होती चली जाती है। इसकी प्रतिक्रिया दोनों पक्षों के लिए हितकारक बनती है। व्यावहारिक जीवन में मित्रता के लाभों से सभी परिचित हैं।

सूक्ष्म जीवन में यह घनिष्ठता मरण काल का आभास आत्मीय जनों के सामने अदृश्य सूचना के रूप में जा पहुँचता है। कितने ही प्रसंग ऐसे हैं जिनमें एक मित्र या संबन्धी की मृत्यु होने पर उसकी सूचना द्वारा दूसरे पक्ष को जानकारी मिली है। कई बार तो यह सूचना स्वप्नों के माध्यम से मिलती है और कई बार ऐसे ही चौंका देने वाली विकलता के रूप में उभरती है। कई बार ऐसे आभास मिलते हैं कि मृतक की आत्मा स्वयं अपने मरण की सूचना देने और अन्तिम बार मिलने के उद्देश्य से सूक्ष्म शरीर में समीप आई है। ऐसे अनेकों प्रसंग हैं जिन्हें विश्वस्त एवं प्रामाणिक ही कहा जा सकता है।

स्वप्नों के सम्बन्ध में सोचा जाता है कि किसी पूर्व सम्भावना का दृश्य प्रत्यक्ष बन कर दीख सकता है, पर जब उस प्रकार की कोई कल्पना तक न हो तो उसे क्या कहा जाय ? अति वृद्ध, अशक्त बीमारी से ग्रसित युद्ध क्षेत्र में लड़ते हुए अथवा ऐसी किसी विपन्न स्थिति में पड़े हुए व्यक्ति के सम्बन्ध में उसकी मृत्यु संभावना का कल्पना क्षेत्र में स्थान हो सकता है और उस स्तर के स्वप्न दीख सकते हैं किन्तु जो पूर्ण स्वस्थ एवं भली चंगी स्थित में है उनके आकस्मिक निधन की सम्भावना किसी की कल्पना में होगी और कोई क्यों उस प्रकार के स्वप्न देखेगा।

आकस्मिक मृत्यु की सूचना बिना किसी संचार साधन के जब स्वजन सम्बन्धियों को मिलती है तो उससे आत्मा के अस्तित्व और सूक्ष्म जगत में घटित होने वाली हलचलों का तथ्य रूप से प्रमाण मिल जाता है। घनिष्ठता स्नेह सूत्र में बंधे हुए लोगों के साथ किसी विशेष उत्तेजना के समय विशेष रूप से प्रभावित करती है। इस तथ्य को हम मृत्यु की अदृश्य सूचनाओं का विश्लेषण करते हुए सहज की जान सकते हैं ऐसी घटनाएँ एक नहीं अनेक हैं और ऐसी हैं जिन्हें किंवदंती नहीं, प्रामाणिकता की कसौटी पर खरा मानने में कोई अड़चन नहीं पड़ती ।

ऐसी अनुभूतियाँ प्रायः स्वप्नावस्था अथवा अर्ध-निद्रा की स्थिति में होती हैं। गहरी नींद को सुषुप्ति कहते हैं। वह उतनी प्रगाढ़ होती है कि उसमें मस्तिष्कीय तन्तु प्रायः पूरी तरह निःचेष्ट हो जाते हैं। उस स्थिति में कोई स्वप्न नहीं आता। तन्द्रावस्था में अन्तर्मन सक्रिय रहता है और यदि उसमें सूक्ष्म जगत के साथ सम्पर्क बना सकने लायक संवेदना हुई तो रहस्यमय अदृश्य घटनाचक्रों को समझने और पकड़ने में समर्थ हो जाता है। कभी-कभी मृत्यु जैसी घटनाएँ अपने आप में इतनी प्रबल होती हैं कि वे सामान्य स्तर के व्यक्तियों को भी आत्मीयता का सूत्र जुड़ा रहने के कारण प्रभावित करती हैं और उन्हें उस प्रकार की सम्भावना का स्वप्न में आभास देती हैं।

नेपोलियन जिस दिन मरा, उसी दिन सैकड़ों मील दूर अपनी माँ से मिलने पहुँचा। माँ ने यही समझा कि वह सहसा मिलने आ गया है। मृत्यु की तब तक कोई सूचना मिलने का प्रश्न भी तो नहीं था। नेपोलियन माँ के पास पहुँच कर बोला- “माँ! अभी ही झंझटों से मुक्त हो पाया हूँ।” अन्य तीन व्यक्तियों ने भी उसे देखा। बाद में पता चला, नैपोलियन की उसी समय मृत्यु हुई थी।

कवि वायरन ने भी ऐसी अनेक अनुभूत घटनाओं का वर्णन किया है। उनमें से एक यह है-

“एक ब्रिटिश कैप्टिन किड गहरी नींद में सो रहे थे। सहसा उन्हें लगा-बिस्तर पर कोई भारी बोझ है। आँखें खोली तो देखा, सुदूर वेस्टइण्डीज में नौकरी कर रहा भाई बिस्तर पर बैठा है। उसका उस समय वहाँ होना असम्भव था। किड ने सोचा-सपना है और आँख मूँद ली। थोड़ी देर बाद फिर देखा- भाई अभी भी वहीं है। तब भाई की ओर हाथ बढ़ाया। उसका कोट पानी से तर था। हड़बड़ा कर वे उठे। कुछ देर में भाई गायब हो गया। बाद में पता चला उसी समय भाई की पानी में डूब जाने से वेस्टइण्डीज में ही मृत्यु हो गई थी।”

फिल्म-तारिका ओलिविया एक शाम को कुछ उदास थी। अपने एक मित्र के यहाँ से काम के बाद पैदल ही टहलती घर की ओर चल पड़ा। घर के पास वह पहुँची तो लगा-उसकी बाँह के नीचे कोई हाथ है और साथ का व्यक्ति धीरे-धीरे एक गीत गुनगुना रहा है। वह बेहद थकी थी। स्वर व स्पर्श परिचित था। अतः मान लिया कि उसका वह मित्र अभी ही बाहर से आया होगा। घर आने पर यह जानकर कि मैं अमुक जगह काम पर गई हूँ, वहाँ पहुँचा होगा। फिर वहाँ पता चला होगा कि मैं अभी-अभी पैदल ही घर चल दी हूँ तो राह में आ पकड़ा है। यह उसकी आदत थी। ओलिविया को स्वाभाविक ही खुशी हुई। वह चलती रही। फिर स्वयं भी उसके साथ गुनगुनाने लगी। जब घर के दरवाजे पर पहुँची तो उसने कहा-‘गुडनाइट’ और जाकर सो गई। सोचा-मित्र भी घर गया।

सुबह नाश्ते के समय अखबार पलट रही थी, तो अन्दर के पृष्ठ पर एक खबर छपी थी कि ओलिविया का वह मित्र एक दिन पूर्व दोपहर को मार डाला गया है।

कैप्टिन फ्रेडरिक प्रथम बर्मा युद्ध में एक जहाज में कमाँडर ऑफिसर के नाते ड्यूटी पर थे। एक रात सहसा उन्होंने एक व्यक्ति को अपने कैबिन में घुसते देखा। वे सतर्क हो गये और उस पर आक्रमण करना ही चाहते थे कि चाँदनी के प्रकाश में उन्होंने स्पष्ट पहचाना-उनका भाई। वे चौंक पड़े। भाई और पास आया। बोला- ‘फ्रेड, मैं तुम्हें यह बताने आया हूँ कि मैं मर चुका हूँ।’ फ्रेड सभी घटनाओं का ब्योरा लिखे रखते थे। अतः इस घटना का भी समय व विवरण लिख लिया। इंग्लैंड लौटे तो पता चला, उसी घटना वाले दिन, ठीक उसी समय उनके भाई की मृत्यु हुई थी।

क्वीन्स टाउन की श्रीमती काक्स का अनुभव भी दिलचस्प है । अब वे मायके में थीं, उनका भाई, जो कि नेवी में अफसर था और हाँगकाँग में तैनात था, अपने छोटे बच्चे को उन्हीं की देखभाल में छोड़ गया था। एक रात जब वे नित्य की भाँति उस भतीजे को कमरे में सुलाकर अपने कमरे में आईं, तो थोड़ी ही देर बाद वह बालक भाग आया और डरी-डरी आवाज में बताया आँटी ! मैंने अभी-अभी पिताजी को अपने बिस्तर के पास चलते हुए देखा। श्रीमती काक्स ने समझाया कि तूने सपना देखा होगा। बच्चा डरा था। अतः अपने कमरे में नहीं गया। वहीं सो गया। कुछ समय बाद श्रीमती काक्स भी लेट गई। लेटने के थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा-उनके भाई अँगीठी के पास कुर्सी पर बैठे हैं। उनके चेहरे पर पीलापन है। वे चौंक पड़ीं। बाद में वह छाया गायब हो गई। कुछ दिनों बाद पता चला कि उक्त घटना के कुछ घण्टों पहले श्रीमती काक्स के भाई की हाँगकाँग में आकस्मिक मृत्यु हो गई थी।

रूसी बैले नर्तक श्री सर्जेडक्रेंस की घ्न्घ्न्डडडड में ऐडडडड ड्रामे हेतु रिहर्सल करके लौटे और भोजन के पश्चात थकान दूर करने बिस्तर पर लेट गये। रात के पहले चरण में ही सर्जे ने स्वप्न देखा कि जिस वृक्ष के नीचे क्रिसमस त्यौहार मनाया जा रहा है वहाँ एक नाटक मंच सजा है जिस पर ‘इन्फान्टा’ संगीत नाटिका दिखाई जाने वाली है। अचानक पेड़ पर से एक जलती हुए मोमबत्ती मंच पर गिरी और प्रोड्यूसर एडाल्फवास मंच के पीछे भागते नजर आये और उस स्थान पर सुन्दर सफेद फूलों का ढेर लगा हुआ है। इतना देख कर सर्जे की नींद भंग हो गई। और सचमुच ही वह आयोजन जिसके लिए सर्जे रिहर्सल करके लौटे थे क्रिसमस के दो दिन पूर्व ही हुआ और तैयारी के बीच में ही सूचना मिली कि संचालक मौत का शिकार हो गया है और सर्जे ने अपनी आँखों से पुनः स्वप्न वाले सफेद फूल मृतात्मा की श्रद्धाँजलि के रूप में देखे।

अमेरिका के उच्च सैनिक अधिकारी कर्नल गार्डिनर की पुत्री ‘जूलिमा’ और जल सेना के तत्कालीन सैक्रेटरी श्री थामस डब्ल्यू0 गिलमर की पत्नी ‘ऐनी’ दोनों ने 27 फरवरी 1844 को स्वप्न में अपने-अपने पतियों की मृत्यु को देखा तो दूसरे ही दिन 28 फरवरी को वाशिंगटन में होने वाले राष्ट्रीय उत्सव में जाने से अपने-अपने पतियों को रोका, पर वे गये ही और उत्सव में प्रदर्शन होने वाली दो तोपों के बैरेल में ही गोले फट जाने से उन दोनों की मृत्यु हो गई।

‘जूलिमा’ सौ मील दूर बैठे अपने पति की स्थिति से अवगत (स्वप्न) होने का दावा करतीं। एक स्वप्न में उनने अपने नवविवाहित पति प्रेसीडेन्ट-टेलर का पीला चेहरा देखा- तब वेरिचमान्ड में थे। स्वप्न में वे हाथ में टाई और कमीज लिये हुए कह उठे “मेरा सिर-थाम लो”। स्पप्न टूटा पर घबराई हुई जूलिमा सुबह ही रिचमाँड के लिए रवाना हो गई। और प्रेसीडेंट टेलर को सकुशल पाया, पर जहाँ वे ठहरे थे उस होटल में दुर्घटना के कारण एक मृत्यु का ठीक वही दृश्य था।

श्रद्धायुक्त, स्वच्छ, पवित्र मन वाले उपासक आत्म-चिन्तन करते हुए सार्थक स्वप्न देख मानव कल्याण का हेतु बन सकते हैं।

इंग्लैण्ड की एक 12 वर्षीय बालिका जेनी को भी सत्य सूचक स्वप्न आते थे। पहले तो उस पर कोई विश्वास न करता। किन्तु 29 जनवरी 1898 के दिन उसके पिता कप्तान स्प्रेइट एक जहाज पर कोयला लाद कर विदेश चल दिये। एक रात सहसा बालिका चीख पड़ी। कारण पूछने पर उसने बताया-पिताजी का जहाज डूब गया है, पर उन्हें एक अन्य जहाज से बचा लिया है। माँ ने डाँटकर जेनी को चुप कर दिया, पर 25 फरवरी को लौटकर स्प्रेइट ने जो कुछ बतलाया वह जेनी के स्वप्न के अनुसार पूरी तरह घटित हुआ था। सभी विस्मित रह गए।

वर्तमान के घटनाक्रमों का स्वप्न में दिखाई पड़ना इस आधार पर सही समझा जा सकता है कि सूक्ष्म जगत में हो रही हलचलें एक स्थान से दूसरे स्थान तक रेडियो तरंगों की तरह जा सकती हैं और बिना संचार साधनों के भी, उनका परिचय मिल सकता है, पर आश्चर्य तब होता है जब भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का बहुत समय पहले ही आभास मिल जाता है। ऐसे स्वप्नों की भी कमी नहीं जिनमें मृत्यु अथवा अन्य प्रकार के पूर्व संकेत स्वप्न में मिले हैं और वे सही सिद्ध होकर रहे हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने रात को एक स्वप्न देखा कि उन्हें रोने की बहुत सी आवाजें सुनाई पड़ती हैं। वे बिस्तर से उठ कर व्हाइट हाउस के कमरों में चक्कर लगा कर इन रोने की आवाजों का कारण तलाश करते हैं। एक कमरे में वे एक लाश कफ़न से ढकी हुई देखते हैं और वहीं कुछ सिपाही खड़े पाते हैं। वहाँ बहुत से लोग रो रहे हैं। सपने में ही लिंकन एक सिपाही से पूछते हैं-कौन मरा ? सिपाही कहता है राष्ट्रपति लिंकन की हत्या गोली मार कर दी गई है। यह उन्हीं की लाश पड़ी है।

लिंकन ने सपना अपने परिचितों को सुनाया। चार दिन बाद ही वह स्वप्न सच हो गया। जब वे वाशिंगटन के फीर्ड थियेटर में नाटक देख रहे थे तो एक अभिनेता ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी।

अमेरिका के एक नागरिक एलन वेधन ने एक रात स्वप्न देखा कि तत्कालीन राष्ट्रपति राबर्ट कनैडी एक भीड़ के साथ किसी पार्टी में जा रहे हैं। रास्ते में विरोधी दल का एक सदस्य उन्हें गोली मार देता है और राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है।

एलन ने अपना सपना ‘स्वप्न अनुसंधान संस्था’ के रजिस्टरों में नोट कर दिया और अनुरोध किया कि वे इस सपने की बात राष्ट्रपति तक पहुँचा दें। इसके एक सप्ताह बाद सचमुच वह सपना सत्य हो गया और राष्ट्रपति गोली से मारे गये।

एक दिन एक आस्थावान छात्र अपने नास्तिक प्रोफेसर फ्रान्ज मेमर के पास प्रातःकाल ही पहुँच गया और बोला सर! आज बहस करने नहीं प्रमाण लेकर आया हूँ। जेना विश्वविद्यालय के ये प्रोफेसर एवं छात्र प्रायः आस्तिकतावाद पर विवाद करते रहते पर बिना प्रमाण प्रोफेसर महोदय मानने को तैयार नहीं होते। छात्र ने कहना प्रारम्भ किया आज रात मैंने एक स्वप्न देखा है किन्तु आपको बताऊँगा नहीं। मात्र इतना बताता हूँ कि मेरी मृत्यु शीघ्र ही हो जायेगी। प्रसंग यहीं समाप्त हो गया। घटना घटित होने तक के क्षणों तक के लिए और हफ्ते भर बाद ही सोमवार को वह छात्र बीमार पड़ा और तीसरे दिन तक उसका काम ही हो गया। प्रोफेसर महोदय आतुर मन लिए अंत्येष्टि समाप्त होते ही छात्र के घर पहुँचे और उस दिन छात्र द्वारा मृत्यु के बाद बक्सा खोलकर देखने के लिए दिये संकेतानुसार बक्सा खोलकर उस दिन के स्वप्न का लिखित वृत्तांत पढ़ा। लिखा था-‘‘तारीख 17 दिन बृहस्पतिवार को प्रातःकाल पाँच बचे मेरी मृत्यु हो जायेगी। मुझे अमुक स्थान पर दफनाया जायेगा। जब मुझे दफनाया जा रहा होगा तब मेरे माता-पिता आयेंगे और मुझे एक बार फिर बाहर रखकर देखेंगे। इसके बाद मुझे दफना दिया जायेगा।” प्रोफेसर महोदय के आश्चर्य का ठिकाना न रहा लिखित विवरण अनुसार ही सारा नाटक आँखों से देख कर अन्ततोगत्वा उन्हें स्वीकार करना पड़ा उस सत्ता को जिसे हठ वश उपेक्षित किया जाता है।

एक रात हरफोर्ड के आर्क विशप की पत्नी ने स्वप्न देखा कि एक सुअर उनकी डाइनिंग टेबल पर भोजन कर रहा है। प्रातःकाल यह बात विशप से कही गई तो वे हँस कर रह गये। पर वास्तव में जब पत्नी-पति गिरजा घर से प्रार्थना करके लौटे तो देखा कि पड़ोसी का पालतू सुअर किसी प्रकार उनके घर घुस आया है और भोजन की टेबल पर सवार है। पति-पत्नी के लिए नौकर द्वारा लगाया गया नाश्ता उनके पहुँचने तक सुअर साफ कर चुका था।

एक दुर्घटना की पूर्व सूचना, दुर्घटना तथा दुर्घटना हो जाने के निश्चित समाचार लगातार एक ही स्वप्न का तीन बार आने के रूप में मैनचेस्टर की ही एक स्त्री का अनूठा अनुभव है। तीनों बार स्वप्न में उसने देखा कि उसकी लड़की की मृत्यु मोटर-दुर्घटना से हो गई है। और प्रातःकाल सचमुच ही समाचार आ गया कि उसकी लड़की मोटर दुर्घटना में समाप्त हो गई है। एक ही स्वप्न की तीन बार पुनरावृत्ति के द्वारा, पहले दुर्घटना के भविष्य की रचना, दूसरी बार दुर्घटना एवं तीसरी बार दुर्घटना हो चुकने के समाचार से अवगत कराया गया।

स्वयं डॉ0 फ्राइड ने अपनी पुस्तक ‘इंटर-प्रिटेशन आफ ड्रीम’ में एक अनूठी घटना से सम्बन्धित स्वप्न के सम्बन्ध में लिखा कि.........

“मेरे शहर में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के पुत्र का देहावसान हो गया। रात्रि में अंत्येष्टि सम्भव न होने से प्रातःकाल करने का निर्णय कर शव के चारों ओर मोमबत्ती जला एक पहरेदार छोड़ मृतक का पिता अपने कमरे में जा सोया। नींद लगे थोड़ा ही समय हुआ होगा कि स्वप्न में उनका लड़का उनके सामने खड़ा को कह रहा है कि क्या मेरी लाश यहीं जल जाने दोगे। यह स्वप्न देखते ही उसकी नींद टूटी और उसने झाँक कर देखा तो लाश वाले कमरे में प्रकाश हो रहा था। वह वहाँ पहुँचा तो देखा कि पहरेदार सो गया है और मोमबत्ती गिर जाने से कफ़न में आग लगने से लाश ही क्या विलम्ब हो जाता तो मकान ही जल जाता।

इस स्वप्न से फ्राइड का यह स्वीकार करना पड़ा कि स्वप्न जगत को दृश्य जगत एवं स्थूल वासनाजन्य कल्पनाओं तक सीमित करना भूल ही होगी। हाँ अक्षरशः सत्य निकलने वाले स्वप्नों की तह तक हम अवश्य ही नहीं पहुँच पाते।

भूतकाल में हुई घटनाओं के आभास भी कई बार स्वप्नों में मिलते हैं। इस संदर्भ में यह समझा जा सकता है कि जिस प्रकार मस्तिष्क में भूतकाल की स्मृतियाँ प्रसुप्त स्थिति में पड़ी रहती हैं और जब कभी अवसर आता है, तब वे उभर कर सामने आ जाती हैं। इसी प्रकार सूक्ष्म जगत में भूतकाल की घटना अपना अस्तित्व बनाये विचरण करती रहती होंगी और जब जहाँ उनका सम्पर्क बनता होगा वहाँ स्वप्न अथवा आभास रूप में जिस-तिस को उनका अनुभव हो जाता होगा।

परा मनोविज्ञान की वर्तमान खोजों में इस प्रकार के हजारों प्रमाण बहुत छानबीन के बाद एकत्रित किये हैं और विशेषज्ञों ने तथ्यों का कारण समझ सकने में अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए भी इतना तो स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि जिन सूत्रों से इन घटनाओं का संकलन पूरी छानबीन के साथ किया गया है उनमें अतिशयोक्ति एवं किम्वदन्तियों का अंश कदाचित ही कहीं रहा होगा। अन्यथा वे विश्वस्त भी हैं और प्रामाणिक भी।

मैनचेस्टर की घटना है। एक पिता ने अपने दो पुत्रों को एक खण्डहर मकान में ले जाकर मार डाला और जलाकर हड्डियाँ गड्ढे में गाढ़ दीं और पुलिस मैनचेस्टर के इस दम्पत्ति के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए लड़कों की खोज करती रही, पर पता न लग सका। एक रात चिंतित माता को स्वप्न आया जिसमें उसने देखा कि उसके पति महाशय अपने दोनों लड़कों को साथ लेकर एक खण्डहर मकान में घुसे और उनको मौत के घाट उतार दिया। यह निर्मम दृश्य देख माँ का हृदय चीत्कार कर उठा और नींद भंग हो गई। उसने स्वप्न का संदर्भ देते हुए पुलिस में रिपोर्ट की पर पुलिस बिना प्रमाण मानने को तैयार नहीं हुई। तब उसने कहा मैंने उस जगह स्वप्न में ‘चेस्टर सिटी’ लिखा देखा था। यदि मुझे चेस्टर सिटी ले जाया जा सके, तो मैं उस स्थल को बता सकती हूँ। पुलिस इस आधार पर उस महिला की मदद को तैयार हो गई। और चेस्टर सिटी पहुँच कर महिला ने पहिले कभी न देखे उस शहर के गली कूँचे पार करते हुए उस खण्डहर मकान में ले जाकर पुलिस को खड़ा कर दिया, जहाँ शव को जलाने के निशान मिले और गड्ढे में गाड़ी गई हड्डियाँ भी मिलीं।

स्वप्नों की दुनिया बच्चों की खिलवाड़। विसंगत कल्पनाओं का झुण्ड समुच्चय। चारपाई पर पड़े-पड़े बिना टिकट घण्टों देखा जाने वाला सिनेमा। अकारण कौतूहल और असमंजस में डालने वाली मृगमरीचिका। मस्तिष्क के मकड़े का अपने थूक से बुना-बनाया गया ताना-बाना। ऐसे ही और भी अनेक नाम इस असत् को सत् बनाकर दिखा देने वाले माया जंजाल के नाम दिये जा सकते हैं, पर वस्तुतः बात इतनी छोटी नहीं। उनके पीछे यह तथ्य और रहस्य सुनिश्चित रूप से छिपा हुआ है कि हमारे सूक्ष्म जीवन और भगवान के सूक्ष्म जगत की स्थिति को देख सकना स्वप्नों के झरोखों में बैठ कर सम्भव हो सकता है।

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