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Magazine - Year 1976 - Version 2

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ओ मर्त्य ! तुम जीवन से खेलो। खतरों की तलाश करो अगर वह न मिले तो उसे जन्म दो। अथाह में झाँको। डरो और हंसो।

ओ मर्त्य! जीवन से खेलो। अपने आप से खेलो। अपनी कामनाओं से खेलो। तर्क बुद्धि के शिखर पर चढ़ जाओ। फिर उसकी हँसी के साथ तुम भी हँसो। ऊँचाई-निचाई तुम्हारे लिए विनोद बन जायेगी। जीवन तुम्हारे लिए खेल बन जाएगा।

-जेकब क्लात्स्किन (यहूदी-विचारक)

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