
मनुष्य क्षमता से नहीं, शालीनता से बड़ा है।
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मनुष्य का बड़प्पन उसकी क्षमता पर नहीं, सद्भावना और सुसंस्कारिता पर निर्भर है। यदि शारीरिक और मानसिक दृष्टि से उसकी तुलना अन्य प्राणियों के साथ की जाय तो कितने ही जीवधारी ऐसे हैं जो उससे कहीं अधिक समर्थ और सुयोग्य सिद्ध होंगे।
सबसे लम्बा जन्तु जिराफ है और सबसे बड़ा स्थलीय जन्तु अफ्रीकी हाथी। चीता समस्त प्राणियों से दौड़ने में आगे है। लम्बाई और वजन की दृष्टि से जलचरों में ह्वेल अग्रणी है। मनुष्य इन सबसे बहुत पीछे है।
कुछ समुद्री जल−जन्तुओं को समय का इतना अच्छा ज्ञान होता है कि आश्चर्य से दाँतों तले उँगली दबानी पड़ती है। सी−आर्चिन नामक कीड़े जब ऊपर आते हैं तो उनकी स्थिति देखकर यह जाना जा सकता है कि आज किस महीने की कौन तारीख है। प्रशान्त सागर के सेमोओ द्वीप के निकट पाया जाने वाला पैलीलों कीड़ा अक्टूबर और नवम्बर में अर्ध चन्द्र की ठीक तारीखों पर अण्डे देने सतह पर आता है और फिर डुबकी मारकर अपनी जगह चला जाता है। कैलीफोर्निया समुद्र तट पर पाई जाने वाली ग्रुनियन मछली ज्वार भाटों के क्रम से अपना प्रणय एवं प्रजनन कृत्य सम्पन्न करती है। कन्वेहिटा जन्तु वनस्पति और प्राणि वर्ग का सम्मिश्रित स्वरूप है। वह नियत समय पर धूप सेवन करने के लिए जल से बाहर आता है और अलग−अलग महीनों में अलग घण्टे का अपना वह क्रम पूरा करके पुनः पानी में उतर जाता है।
‘रिंग आफ ब्राइट वाटर’ पुस्तक में गैविन मेक्से वेल ने अपने पालतू ऊदबिलाव की समय परिपालन में पूर्ण सतर्क रहने की आदत का उल्लेख किया। यह ऊदबिलाव उनके बिस्तर में पैरों की तरफ साथ−साथ सोता था। उसे ठीक आठ बजकर बीस मिनट पर बिस्तर छोड़ने की आदत थी।
पलामू जिले के वेटला सुरक्षित वन में हाथियों के झुण्ड विचरते हैं। झुण्ड का एक बच्चा कुँए में गिर गया। हाथियों ने मिल−जुलकर उसे निकालने का प्रयत्न आरम्भ कर दिया। दो हथनियाँ बच्चे को सान्त्वना देने के लिए वहीं खड़ी रहीं। अन्य हाथी पैर और सूँड़ के सहारे कुँए के इर्द−गिर्द से मिट्टी खोदने और गड्ढे में धकेलने में लगे रहे। बारह घण्टे के प्रयत्न में उनने उस कुएँ को चौड़ा भी कर दिया और भर भी दिया। तब झुण्ड के हाथी बच्चे तक पहुँचने में सफल हो गये और बुद्धिमत्ता पूर्वक उसे सहारा देकर बाहर निकाल लाये।
क्षमता और बुद्धिमत्ता की दृष्टि से नहीं, मनुष्य की गरिमा जिस सज्जनता और शालीनता पर टिकी है उसी को बनाये रहने और बढ़ाने में उसे दत्तचित्त रहना चाहिए।
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