
अन्तरिक्ष पर आधिपत्य के मानवी प्रयत्नों की रोकथाम
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अन्तरिक्ष में दृष्टिगोचर होने वाली- चमत्कारी हलचलों को पिछले दिनों उड़न तश्तरियों का नाम दिया और उन्हें भूत की करतूत जैसे कौतुक कौतुहलों में गिना जाता रहा है। इनके अस्तित्व से तो इनकार नहीं किया गया और न दृष्टि भ्रम कहकर महत्वहीन ठहराया गया है फिर भी वैज्ञानिक यह अनुमान लगाते रहे हैं कि प्रकृति प्रवाह में उत्पन्न होते रहने वाले व्यक्तिक्रमों से भी ऐसा आभास हो सकता है।
अनुमानों का यह सिलसिला अभी भी समाप्त नहीं हुआ है। प्रतिपादनकर्त्ता अपने अनुमानों के पक्ष में कितने ही तर्क प्रमाण प्रस्तुत करते रहते हैं फिर भी इस सम्भावना को सर्वथा अमान्य नहीं ठहराया गया कि यह लोकान्तर निवासियों का भूलोक वालों के साथ सम्पर्क स्थापित करने का प्रयास भी हो सकता है।
धरती वाले अन्तरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश पाने और उस पर आधिपत्य करने से मिलने वाले लाभों को बटोरने के लिए तत्परतापूर्वक प्रयत्नशील है। इस दृष्टि से वे बड़ी राशि भी झोंकते और वैज्ञानिक परामर्शों के अनुरूप प्रचुर साधन जुटाने में भी जुआरी जैसे दाँव लगा रहे हैं। धरती अब मनुष्य की बढ़ती महत्वकाँक्षाओं की तुलना में कम पड़ती है। खारा समुद्र भी इतना वैभव प्रदान करने की स्थिति में नहीं जिससे बढ़ती संख्या और आकाँक्षा की पूर्ति हो सके। इस निमित्त आकाश को अधिक व्यापक और समृद्ध पाया गया है। अस्तु! उस क्षेत्र के अनुसन्धान और आधिपत्य के लिए कुछ भी उठा नहीं रखा जा रहा है। इस दिशा में रूस और अमेरिका की प्रतिस्पर्धा और सफलता के समाचार पढ़ने पर दाँतों तले उँगली दबानी पड़ती है।
हो सकता है ऐसा ही उत्साह अन्य लोक वासियों में हो सकता है उन्हें ब्रह्माण्ड में पृथ्वी को विशेष स्थिति का परिचय मिला हो और वे कोलम्बस जैसा साहस जुटाकर यहीं उतरने तथा सम्बन्ध साधने की सम्भावनाओं का पता लगा रहे हों। हो सकता है उड़न तश्तरियों के पीछे ऐसा ही कुछ रहस्य हो।
उड़न तश्तरियों के रहस्य का सबसे बड़ा दृश्य पायलट केन अर्नोल्ड ने वाशिंगटन के समीप माउन्ट रैनर में देखा। तश्तरीनुमा 3 प्रकार के दृश्य उनको पर्वत के ऊपर घूमते हुए स्पष्ट दृष्टिगोचर हुये। घटना 1987 की है।
कोलोराडो विश्वविद्यालय के डाक्टर ऐडवर्ड यू. कंडन ने सरकारी सहयोग के आधार पर 1969 में “प्रोजेक्ट ब्लू बुक” नामक एक प्रकाशन में उड़न तश्तरियों के वैज्ञानिक अनुसंधान के कुछ आँकड़े प्रस्तुत किये।
सन् 1973 में उड़न तश्तरियों के वास्तविक तथ्यों को रहस्योद्घाटन हुआ है। म्युचुअल यू.एफ.ओ. नेटवर्क रिसर्च योजना के अन्तर्गत ओहियो में 750 घटनाओं का सविस्तार वर्णन किया गया है।
मार्च 1954 में तश्तरियों को रूप और अमेरिका के गुप्तचर विभाग के हथियार नहीं समझा जाने लगा। फ्रैन्क एडवर्ड ने वाशिंगटन में म्युचुअल ब्राडकास्टिंग योजना के अन्तर्गत 1 करोड़ ऐसे श्रोताओं को पत्र-व्यवहार किया जिन्होंने तश्तरियों के सम्बन्ध में कुछ सुना देखा। एक सप्ताह के भीतर बाक्स नम्बर 1855 में 6000 की संख्या में प्रामाणिक पत्र मिले। जिससे इन उड़न तश्तरियों का अस्तित्व समझ में आने लगा। 9 सितम्बर 1955 को हवाई सेना के कैप्टन ह्यू एमसीनैजे, जो कोलम्बिया (ओहियो) के निवासी हैं, ने उड़न तश्तरियों के सिद्धान्त की पहली बार पूरी तरह व्याख्या की।
23 अगस्त 1955 को एक घटना घटी। जेट विमान की आकृति की एक उड़न तश्तरी कोलम्बिया में ही 20 हजार फीट की ऊँचाई पर उड़ती हुई दृष्टिगोचर हुई। जो 12 मिनट तक एक ही स्थान पर यथावत् स्थिर बनी रही।
सन् 1957 में सिविल रिसर्च इन प्लेनेटरी फ्लाइंग आवजेक्ट ने ‘ओर्विट’ नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया। वस्तुतः इन प्रयासों ने आत्मा-परमात्मा की विलक्षणताओं के सम्बन्ध में तथ्यों का उद्घोष किया है। उसी तरह का एक और अनुसन्धान केन्द्र उड़न तश्तरियों की जानकारी हेतु बना जिसे नेशनल इनवेस्टीगेशन कमेटी और ऐरियल फैनोमिना के नाम से जाना जाता है। इसका प्रमुख कार्य मैरीमोन्ट हाईस्कूल में युफौलाजी (उड़न तश्तरी विज्ञान) की सायंकालीन कक्षाओं की व्यवस्था करना है जिससे हर व्यक्ति को इस विज्ञान की जानकारी मिल सके।
डॉ. हाइनेक की अध्यक्षता में अमेरिकी इन्स्टीट्यूट ऑफ ऐरोनौटिक्स एण्ड ऐस्ट्रोनाटिक्स की एक संयुक्त गोष्ठी 27 सितम्बर 1975 को लाज ऐन्जिल्स में सम्पन्न हुई, जिसमें यूफोलाजी विज्ञान के रहस्यों का सांगोपांग पर्यवेक्षण किया गया।
सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद् जैक्स बैली को हाइनेक के समतुल्य ही समझा जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेकानेक पुस्तकें लिखी हैं।उनकी अन्तिम पुस्तक डॉ. हाइनेक के सहयोग के आधार पर लिखी गयी है जिसका नाम है “दी इन विजिबुल कालेज”। इसमें उन्होंने उड़न तश्तरियों के विलक्षण रहस्यों को लोगों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। “साइको फिजिकल नेचर ऑफ दी यूफो” विषय पर विस्तृत विवेचन करते हुए वैली ने विज्ञात तीन आयामों के अतिरिक्त कई अन्य आयामों का अस्तित्व सिद्ध करने का प्रयत्न किया है। यह एक कपोल कल्पना नहीं है अपितु विज्ञान सम्मत सिद्धान्त है जिसे मान्यता भी दी जाने लगी है।
सबसे अलौकिक घटना लिंस वर्ग (ओहियो) की समझी जाती है। डैन रिचले नामक नवयुवक, जो ज्योतिष विद्या में अभिरुचि रखता था, ने 26 सितम्बर 1974 की रात्रि में 10 बजे आकाश की ओर से एक बहुत चमकीला प्रकाश देखा। इस घटना से भयभीत होकर लड़का अपने पिता वाल्टर रिचले की तरफ दौड़ा। प्रकाश इतना चमकीला था जितना कि 132000 मोमबत्तियों को जलाया जाय। एकाएक प्रकाश सफेद रंग से लाल होता गया और उनके नजदीक पहुँचने लगा। रिचले के साथ दो पालतू कुत्ते भी थे। कुत्तों ने यह दृश्य देखा तो एक की गर्दन झुकी ही रह गयी और दूसरा खड्डे में जा गिरा।
11 बजे डैन रिचले अपने कमरे में पढ़ने के लिए बैठा तो एक हैलिकाप्टर उसके दरवाजे पर उतरने लगा। उसकी ध्वनि बड़ी तेज थी। उसकी बहुत सी खिड़कियाँ चाँदी की लगी हुई देखी गईं। थोड़ी ही देर में डैन ने देखा कि उसके दरवाजे पर कोई भी वेहिकिल नहीं है। श्रीमान् रिचले ने सरकार से दावा किया कि इस विलक्षण घटना से जो क्षति उठानी पड़ी उसकी पूर्ति अविलम्ब की जाय। एन. ड्रफैल ने तत्काल “मिस्ट्रीज ऑफ हैलिकाप्टर” लिखी। फरवरी 1975 में इसी को “स्काईलुक” नाम दिया गया।
7 अगस्त 1970 को इथोपिया के सलाडेन गाँव में एक उड़न तश्तरी के गिरने से घर जल गये, पेड़ उखड़े, घास जली तथा सड़कें पिघलने लगीं। पत्थर के पुल चकनाचूर हो गये। 50 इमारतें बिलकुल समाप्त हो गयीं। आठ व्यक्ति बुरी तरह घायल हो गये और एक बच्ची को तो अपनी जीवन-लीला ही समाप्त करनी पड़ी।
डॉ. ऐरेन्को करेनूटो बोटा इटली के नागरिक हैं। उनकी आयु 50 वर्ष है। अप्रैल 1955 में सर्वप्रथम उन्होंने एक ऐसे अलौकिक दृश्य को बताया जो लोगों की आँखों को चकाचौंध कर देने वाला था। यह घटना होरेसियो गोंजाल्स सरासस की है। डॉ. वोटा ऐवान्स वार पायलट, ऐरोनॉटिक इंजीनियर थे। अब सरासस में आर्चीटैक्टचर इंजीनियर के पद को सम्भाल रहे हैं।
रोबर्ट सी. गार्डनर को उड़न तश्तरी विज्ञान का विशेषज्ञ माना जाता है। वे कैलीफोर्निया में ही प्रवक्ता एवं लेखक का कार्यभार सम्भालते हैं। उन्होंने तश्तरियों के अनेकों ऐसे प्रमाण प्रस्तुत किये हैं जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता।
कौमेट जेट लाइनर विमान की दुर्घटना सर्वविदित है। 2 मई 1953 को दमदम हवाई अड्डा कलकत्ता से इस विमान ने उड़ान भरी। 5 मिनट के बाद ही हवाई जहाज एक फेयरी हेवी बाडी उड़न तश्तरी से टकरा गया। विमान इतनी बुरी तरह से जला कि 53 यात्रियों की जीवन-लीला समाप्त हो गयी। रिकार्ड किये गये संवादों में इस दृश्य की पुष्टि होती है कि यह दो विमानों की टक्कर नहीं थी।
अमेरिका के 95 प्रतिशत लोगों का पूर्ण विश्वास है कि उड़न तश्तरियों के अस्तित्व को विस्मृत नहीं किया जा सकता। डेढ़ करोड़ अमेरिकावासी लोगों ने इन उड़न तश्तरियों को घूमते हुए स्पष्ट देखा है लेकिन वे उन घटनाओं को उल्लेख करने में असमर्थ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन महासचिव श्री कुर्ट वाल्डहेम ने भी अपनी स्वीकृति प्रदान की थी और कहा था कि उड़न तश्तरियों के अस्तित्व को गलत साबित नहीं किया जा सकता।
ओटावा के पास नेशनल रिसर्च काउंसिल के अन्तर्गत ऐटमास्फीयरिक रिसर्च केन्द्र की स्थापना की गयी जो ऐसे दृश्यों के तथ्य उजागर कर सकने में सक्षम रहे।
धरातल, भूगर्भ, समुद्रतल की गहरी खोज-बीन करने के उपरान्त मनुष्य ने अन्तरिक्ष को खोजने और हथियाने के लिए कदम बढ़ाये हैं। उसके लिए उड़न तश्तरियाँ एक अनबूझ पहेली बन रही हैं। सोचने वाले यह भी सोचते हैं कि अन्तरिक्ष का क्षेत्र असीम है, उस पर सभी लोकान्तरवासियों का समान अधिकार है। धरती का मनुष्य उसे हथियाने की जिस अनाधिकार चेष्टा में प्रवृत्त है, उससे हो सकता है अन्य लोकों में खलबली मची हो और समय रहते निपटने के लिए उड़न तश्तरियाँ भेजना शुरू किया है।