
केन्द्र के समाचार-क्षेत्र की हलचलें
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आतंकवादी हिंसा के बाद मानवतावादी प्रयास
11 सितंबर 2001 को घाटी सारे विश्व को हिला देने वाली घटना के बाद तुरंत अपने सभी परिजनों की स्मृति आई, जो उसी क्षेत्र में या समीप रहते हैं। चौबीस घंटे में ही सभी के कुशलक्षेम पता लग गए। कई तो दैवी अनुकंपा से बचे। जिनके कार्यालय ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ में थे, वे उस दिन केन्द्र के परामर्श से न्यूजर्सी गायत्री चेतना केन्द्र फ्रैंकलिन सिटी के उस पावन स्थान पर थे, जहाँ निर्माण होना है। अपने सौभाग्य को धन्यवाद दे सभी ने अमेरिका व कनाडा भर में परिजनों से संपर्क किया, शाँतिकुँज से आए कुशलक्षेम समाचार की जानकारी एक−दूसरे को दी तथा एक समय सामूहिक शाँतिपाठ कर ‘अभियान साधना’ से अपने को जोड़ लिया। इसके साथ-साथ सभी परिजनों ने स्वयंसेवी स्तर पर ‘रक्तदान’ में भाग लिया। न्यूयार्क, न्यूजर्सी, मेरीलैंड तथा शिकागो के कार्यकर्ताओं ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया। सभी के स्थान-स्थान पर शाँति दीपयज्ञों का संचालन भी किया।
ब्रह्मवादिनी बहनों के भव्य सम्मेलन स्थान-स्थान पर
29 सितंबर को विदाई लेकर 30 सितंबर की प्रातः निकले ब्रह्मवादिनी बहनों के तीनों दलों के बड़े उत्साहवर्द्धक समाचार सारे देश से मिल रहे हैं। इन पंक्तियों को लिखे जाने तक बाराबंकी, देवरिया, अयोध्या, बसखारी, अलवर, श्रीमाधोपुर, बीकानेर, जयपुर तथा आगरा, गुना, भोपाल, इंदौर के कार्यक्रमों के विस्तृत विवरण मिल चुके थे। सभी स्थानों पर भव्य कलश यात्रा, ओजस्वी उद्बोधनों, मार्गदर्शक प्रदर्शनी में हजारों की भीड़ तथा संस्कारों से युक्त चौबीस कुँडी, महायज्ञों में विराट उपस्थिति के समाचर मिल रहे हैं। नारी शक्ति की भागीदारी सभी स्थानों पर अत्यधिक रही है। हीरक जयंती वर्ष का यह प्रयास निश्चित ही मिशन के लिए अति महत्त्वपूर्ण मोड़ लेकर आया है।
अंतः ऊर्जा जागरण सत्रों का केन्द्र में
शुभारंभ हो गया
विगत 26 अक्टूबर से आश्विन नवरात्रि के अति व्यस्त एवं भावपरक वातावरण में संपन्न आयोजन के बाद शाँतिकुँज गायत्री तीर्थ में नए मौन एकाकी अंतःऊर्जा जागरण सत्रों का शुभारंभ हुआ है। ये सत्र पाँच दिवसीय हैं एवं इनमें साधक को अकेले अपने कक्ष में चौबीस घंटे मौन रहकर साधना करनी होती है। आहार की व्यवस्था भी सभी की इन्हीं कक्षों में है। नवनिर्मित त्रिपदा-2 (पातंजलि भवन) में स्थान प्रायः साठ शिविरार्थियों के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। चौबीस घंटे में मात्र एक बार साधकगण एक साथ कल्क सेवन कर अखण्ड दीपक को प्रणाम करने तथा उनके लिए सुरक्षित यज्ञशाला में यज्ञ संपन्न करने हेतु निकलते हैं। सभी इन साधना सत्रों का पूरा लाभ उठा रहे हैं एवं सत्र पूरा होने पर हो रहे समीक्षा गोष्ठियों में अपने सुखद अनुभवों अनुभूतियों की चर्चा भी कर रहें हैं। यह क्रम 10 अप्रैल नवरात्रि तक चलता रहेगा। फरवरी माह में वसंत पर्व 17/2/2002 को होने के कारण एक शिविर स्थगित करना पड़ा है। 15 फरवरी प्रातः समापन के बाद अब 16, 17, 18, 19 का अवकाश रहेगा। अगले सत्र 20, 21, 22, 23, 24 तथा 25, 26, 27, 28 मार्च की तारीखों में होंगे। मार्च की तिथियाँ बदल गई हैं। परिजन नोट कर लें। अब 2 से 6, 7 से 11, 12 से 16, 17 से 21, 22 से 26 तथा 27 से 31 मार्च की तारीखों में सत्र संपन्न होंगे। अप्रैल की तारीखें यथावत रहेंगी। 20 फरवरी के सत्र के लिए साधक 19 की शाम तक पहुँच जाएंगी।
झारखंड में समृद्धि महायज्ञ फरवरी में
झारखंड नवगठित प्राँत है। अभी पिछले दिनों राँची में सितंबर के अंतिम सप्ताह में एक विराट प्राँतीय सम्मेलन में संकल्प लिया गया कि झारखंड प्राँत की समृद्धि शाँति हेतु एक महायज्ञ फरवरी में संपन्न किया जाए। केन्द्र से परामर्श कर फरवरी 2002 का तृतीय सप्ताह फिलहाल तय किया गया है। इसमें सभी जिलों के जनजाति वर्ग के कार्यकर्त्ता परिजन एवं राज्य सरकार के प्रतिनिधियों सहित श्रीमंतों की भागीदारी रहेगी। इससे इस नए राज्य की सर्वांगपूर्ण समृद्धि का पथ प्रशस्त होगा।
चुरु में राजस्थान तथा हरियाणा सम्मेलन
23, 24 सितंबर की तारीखों में उत्तरी राजस्थान के शहर चुरु में गायत्री शक्तिपीठ पर एक विराट कार्यकर्त्ता सम्मेलन पूरे राजस्थान तथा हरियाणा प्राँत का आयोजित किया गया। राजस्थान के प्रायः सभी जिलों के कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र के आँदोलन समूहों की रिपोर्ट लेकर उसमें आए। हरियाणा के समीपवर्ती प्रायः आठ जिले भी इसमें शामिल हुए। डा. प्रणव पण्ड्या के नेतृत्व में गए इस दल ने गायत्री परिजनों का वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रख कर्त्तव्य बताया। इससे पूर्व दिल्ली से पिलानी आने पर सीरी (ceeri) केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक शोध संस्थान में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर निदेशक डा. शमीम अहमद की अध्यक्षता में उद्बोधन भी हुआ, जिसमें झुँझनू जिले के सभी कार्यकर्ता व वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद थे।
तिरूपति अश्वमेध की तैयारियाँ चरम स्तर पर
तिरूपति अश्वमेध महायज्ञ 23 से 26 दिसंबर में प्रस्तावित है। सभी धर्मशालाएं रहने के स्थान आरक्षित कर लिए गए हैं। इसके अलावा अस्थाई आवास बनाए जाने हेतु तैयारियाँ चल रही हैं। करीब 20 प्रयाज टोलियाँ पूरे आँध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, मलयाली भाषी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उत्साह एवं जोश प्रतिदिन दूना होता चला जाता है। लगता है यह गंगा व कृष्णा का, जमुना व कावेरी का संगम राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य का राजमार्ग बनाएगा।