
अंतर्मन का दर्पण हमारे नेत्र
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आँखें मन और भाव का दर्पण हैं। भावनाओं एवं संवेदना की स्पष्ट छाप इसकी गहराई में अंकित होती है। आंखें वह द्वार हैं, जिसमें प्रवेश कर अंतरात्मा की झलक−झाँकी पाई जा सकती है। आँखों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है। अतः भारतीय लक्षण शास्त्र में नेत्रों के आकार पर विशेष महत्त्व दिया गया है। इनके आकार−प्रकार से काफी कुछ व्यक्ति का स्वरूप निर्धाथ्रत किया जाता है। आँखों की अपनी भाषा होती है।
आँखों की इसी महत्ता एवं विशेषता के कारण विभिन्न विद्वानों ने इनके प्रति अपनी अभिव्यक्ति दी है। आचार्य गर्ग के अनुसार नेत्र लक्षणों का सर्वाधिक महत्त्व है। आँखें बहुत कुछ बोलती हैं। इसलिए वृंदावनलाल वर्मा ने कहा, ‘कृतज्ञ नेत्र! सुँदर मनोहर और हृदयहारी! किसने बनाए? क्यों बनाए? आत्मा के गवाक्ष। पवित्रता के आकाश! प्रकाश के पुँज।” गाँधी जी ने तो यहाँ तक कहा है, “आँखें सारे शरीर का दीपक हैं।” संत विनोबा जी के अनुसार, ‘नीलकाँत का दर्शन ही आँखों का उद्देश्य है।”
पाश्चात्य विद्वान् भी आँखों की विशेषता से अत्यंत प्रभावित हुए हैं। शेक्सपियर ने ‘लब्स, लेबर्स, लास्ट’ में कुछ इस तरह वर्णन किया है, “नेत्र ही वे शास्त्रकलाएँ और शिक्षापीठ हैं, जो समस्त संसार को प्रकट करते हैं, रखते और पोषित करते हैं।” शेक्सपियर ने नारी नेत्रों के बारे में बहुत कुछ लिखा है। जॉर्ज हैबर्ट ने अपनी रचना जैजुला पुँडेशियम’ में स्पष्ट किया है कि सर्वत्र नेत्रों की भाषा एक ही होती है। इसी वजह से ‘दी जेंटलमेन अरार’ में जॉर्ज चेपमेन ने उल्लेख किया है, “नेत्र बोल सकते हैं औ नेत्र समझ सकते हैं।”
आँखें अनेक प्रकार की होती हैं और उन्हीं प्रकारों के आधार पर उनकी महत्ता आधारित होती है। आँखों को कमल, मछली, अनार के फूल, मेंढक, बैल के समान माना जाता है। पुरुषों की आँखें यदि ऊँट, बिल्ली, मुर्गी, हंस, हिरन के सदृश हों तो उसे अच्छा नहीं माना जाता। भारतीय लक्षण शास्त्र के अनुसार कमलनयन मनुष्य धनवान होता है। यदि आँखों में हल्की लाल डोरी दिखाई दे, तो भी इसी कोटि का माना जाता है। यानि कि उसे धन की प्राप्ति होती है। शहद के समान पूरी परंतु कालिमा लिए हुए आँखें हो तो मनुष्य बहुत धनवान होता है।
बिल्ली के समान बड़ी एवं नीली आँखों को शुभ संकेत नहीं माना जाता है। गोल−गोल आँखों वाला मनुष्य अत्यंत चतुर−चालाक होता है। हरापन लिए हुए नेत्र सौभाग्य सूचक हैं। आँखों में चमक एवं चिकनापन उत्तम लक्षण हैं। शहद के समान भूरी आँखों के किनारों में यदि लालिमा रहे, तो इसे भी भाग्यशाली माना जाता है। केवल मधुवन आँखें कुलनाशक होती हैं। दुर्योधन की आँखें इसी प्रकार मधुपिंगल थीं, जिसका परिणाम सर्वविदित है। जिन लोगों की आँखों में क्रीम रंगत हो, वे दीर्घजीवी होते हैं।
चीन में आँखों की पहचान की कला सुविख्यात है। इसके लिए पुरुषों की बायीं और महिलाओं की दायीं आँखों को आधार माना जाता है। बड़ी−बड़ी आँखें सुँदरता का प्रतीक हैं। यह दृढ़ इच्छाशक्ति, मेधा और प्रखर चरित्र की द्योतक हैं। ऐसी आँखों वाले व्यक्ति बहिर्मुखी प्रकृति के होते हैं। यह अन्य व्यक्तियों से ज्यादा प्रभावित नहीं होते। वे किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करें, सफलता उनकी राह ताकती रहती है। मुख्यतः व्यापार, मीडिया एवं विज्ञापनों की दुनिया में ये सिद्धहस्त होते हैं। महिलाएँ पुरुषों की तुलना में और भी अधिक सफल रहती हैं। इनमें समर्पण का भाव रहता है।
छोटी और कंजी आँखें ईर्ष्या, द्वेष, अविश्वसनीयता आदि मनोवृत्ति की ओर ज्यादा झुकाव लिए होती हैं। यह खलनायकों का चरित्र है। ऐसे व्यक्ति कुँठा एवं निषेधात्मक मनोविकारों से ग्रस्त होते हैं। ये अपने स्वार्थ और व्यवसाय के प्रति सदैव सतर्क रहते हैं। इसके लिए ये शोषण की किसी सीमा को पार कर सकते हैं। कुटिलता इनकी परिचायक है। आँखें यदि छोटी−छोटी हैं, तो वह व्यक्ति बुद्धिमान होगा। अच्छाई के लिए इन्हें प्रयास−पुरुषार्थ करना पड़ता है, अन्यथा यह भी घातक हो सकता है।
चितवन तिरछी या बाँकापन दो तरह की होती है। एक ऊपर की ओर उठी होती है तथा दूसरी नीचे की ओर धँसी रहती है। ऊपर की ओर बाँकेपन सौंदर्य का आदर्श प्रतीक हैं। ऐसे व्यक्ति संवेदनशील परंतु कुशाग्र बुद्धि वाले होते हैं। प्रकृति द्वारा इन्हें आनंदपूर्ण जीवन का अनोक्षा अनुदान प्राप्त रहता है। रिश्तों में इन्हें विश्वसनीय नहीं माना जाता। जीवन व्यापार में ये लचीले होते हैं। कर्म के प्रति निष्ठा एवं मेहनत इनकी विशेषता है। जापान में नीचे की ओर धँसी आँखों को सौभाग्य एवं संपदा का सूचक माना जाता है। पश्चिमी देशों में ऐसी आँखों को विनम्रता, विश्वसनीयता एवं सेवाभाव के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। सहयोग के मामले में ये सर्वोपरि होते हैं। वे दूसरों के लिए कुर्बानी दे सकते हैं। इन्हें रिश्तों को बनाना एवं निर्वाह करना आता है। ऐसे व्यक्ति चरित्रवान् होते हैं।
ऐसी बाँकेपन वाली महिलाएँ विश्वसनीय एवं विनम्र होती हैं। जिन्हें भी ऐसी स्त्रियों का सान्निध्य मिलता है, वे धनवान होते हैं। ये स्वतंत्रताप्रिय एवं पुरुषों को अपने ऊपर हावी होने नहीं देतीं। प्रकृति से सेवाभावी होने के कारण ये कुशल माता की भूमिका अदा कर सकती हैं। नर्सिंग क्षेत्र में डॉक्टर या नर्स के रूप में ऐसी आँखों वाली महिलाएँ अत्यंत सफल होती हैं। पुरुष वर्ग वाणिज्य एवं व्यापार में प्रगति करता है।
बंट−बंट आँखें अंतर्मुखी व्यक्तित्व की परिचायक हैं। इन्हें संकीर्ण बुद्धि वाले के रूप में भी देखा जाता है। चीनी विद्वान् सियाँग मीन के अनुसार, बंद आँखों वाले मनुष्य सामाजिक होते हैं। प्रदर्शन करना उनकी चारित्रिक विशेषता है। कठिन−से−कठिन परिस्थितियों से सत्काल तालमेल बैठा लेना इनके बायें हाथ का खेल है। अतः ऐसे लोग राजनीतिक एवं व्यापारिक वर्ग के होते हैं। ऐसी महिलाओं का चरित्र अत्यंत जटिल होता है। उनकी महत्त्वाकांक्षा बढ़ी−चढ़ी होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएँ अधिक उन्नति करती हैं।
चौड़ी आँखों वाले साहसी, दृढ़ एवं खुले दिमाग वाले होते हैं। ये अति महत्त्वाकाँक्षी होते हैं, परंतु इसे प्राप्त करने में ज्यादा सफल नहीं होते। अपने लाभ के लिए दूसरों को कष्ट पहुँचाने में यह तनिक भी हिचकते नहीं हैं। इनमें भावनात्मक चोट को सहन करने की शक्ति कम होती है। ये अपने कार्यक्षेत्र में स्वयं को स्थापित करने में प्रायः असफल होते हैं। इस तरह की आँखों वाली महिला−पुरुषों की वैवाहिक संबंध आनंदपूर्ण होता है।
गंभीर झुकी हुई आँखें रोमाँटिक व्यक्तित्व की झलक हैं। ये अपनी भावनाओं को कभी भी प्रदर्शित नहीं करते। रोमाँटिक मूड में होने के कारण इनमें लेखक व कवि का गुण रहता है। परंतु इनकी लेखनी केवल प्रेम संबंधी क्षेत्रों तक सीमित रहती हैं। इनका जीवन भी प्रेम कहानियाँ से भरा होता है।
ऊपर उभरी हुई आँखें उद्धत अहंकारी व्यक्तित्व की झलक हैं। यद्यपि ऐसे व्यक्ति दृढ़ इच्छाशक्ति वाले होते हैं, परंतु ये अति कायर एवं अविश्वसनीय होते हैं। जीवन में सफलता के सूत्र हाथ लगने पर भी ये सुखी नहीं रहते। अहंकार की ज्वाला इन्हें अंदर से जलाती रहती है। इनके जीवन में प्रेम−प्यार जैसी सजल भावनाओं का स्थान नहीं होता। इनका चरित्र बड़ा ही संदिग्ध माना जाता है।
त्रिभुजाकार आँखों वाले व्यक्ति कुतर्की होते हैं। इनमें आत्मप्रदर्शन का भाव प्रबल रहता है। व्यक्तिगत जीवन में दूसरों के सामने सदैव सहज एवं असामान्य बने रहते हैं। इनका संबंध महज एक छलावा होता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर राजनीतिक दाँव−पेंच वाले होते हैं। चतुर्भुजी आँखों का झुकाव प्रशासनिक सेवा की ओर अधिक होता है। ये अति बुद्धिमान
कवीन्द्र रवीन्द्र ने लिखा है, “मैंने द्वार−द्वार से माँगकर गेहूँ के दानों से अपनी झोली भर ली। अपनी उपलब्धि पर फूला हुआ घर की ओर चला। तभी एक निरीह दुर्बल वृद्ध आया और उसने मेरे आगे हाथ पसार दिए। मैंने सोचा, अपनी मेहनत से एकत्र अनाज इसे क्यों दूँ? फिर भी बेमन से एक दाना उसके हाथ पर पटक, मैं आगे बढ़ गया...। घर आकर झोली पलटा तो उसमें एक बड़ा दाना सोने का था....। मैंने अपना सिर धुना, कृपणता को कोसा..... हाय! दूसरों की उदारता से प्राप्त दानों को देने में मैं अनुदार क्यों बना? यदि उदार बन पाता तो मेरी झोली सोने से भरी होती।” देवदक्षिणा का अर्थ ही है कि व्यक्ति अपने अंदर की वृत्ति को मोड़ दे, देवत्व से जोड़ दे।
एवं व्यवहारकुशल होते हैं। चाँद सी आँखें अत्यंत चतुर−चालाक मानी जाती हैं। ये भी व्यवहारकुशल होते हैं। उथलेपन के कारण इनके रिश्तों में स्थायित्व नहीं रह पाता।
आँखों के आधार पर व्यक्तित्व की पहचान की जाती है। व्यक्तित्व का आकार प्रकार कैसा भी हो, उसकी आँखें चाहें कैसी भी हों, परंतु व्यक्ति निस्स्वार्थ जीवन जीता हैं, तो उसमें परिवर्तन संभव है। प्रभु को समर्पित जीवन के लिए शारीरिक आकार−प्रकार का मानदंड गौण है। भगवान् का दिव्य स्पर्श किसी के भी जीवन को दीप्त कर सकता है। अतः सदैव सत्कर्म करते हुए प्रभुमय जीवन जीना चाहिए।
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